लखीमपुर खीरी जिले में जंगल के पेड़ों को सुखाने के लिए लकड़हारे अलग-अलग हथकंडे अपना रहे हैं। जिसमें छाल छीलकर धीरे-धीरे पेड़ सुखा देने का तरीका काफी पुराना है। ऐसा ही एक मामला महुरेना बीट के जंगल का प्रकाश में आया है। इसी कारण आबादी के नजदीकी जंगल का क्षेत्र निरंतर काम होता जा रहा ह

मैलानी वन रेंज की महुरेना बीट में असौवा गांव के नजदीकी जंगल में सैकड़ों पेड़ों की जड़ से करीब पांच फीट की ऊंचाई तक तने की छाल निकाल दी गई है। जंगल में इसी तरीके से कई पेड़ सुखा हुए भी खड़े हैं। इस तरह से छिले पेड़ दूर से ही दिखाई देते हैं। जबकि वन विभाग की ओर जंगल की सुरक्षा के लिए आबादी के नजदीकी क्षेत्र में व्यापक गस्त करने का निर्देश है। 

जिम्मेदारों ने क्या कहा 

जिसमें वनरक्षक (वाचर), फॉरेस्ट गार्ड को नियमित रिपोर्ट देनी होती है। हालांकि वन विभाग के कर्मचारी चरवाहों का कृत्य बता रहे हैं। जबकि जानकारों का कहना है कि लकड़हारे पेड़ सुखाने के लिए सबसे आसान तरीका अपनाते हैं। जिसमें गहराई से छाल निकल देने के बाद पेड़ धीरे-धीरे सूख जाता है। रेंजर साजिद अली ने बताया कि दिखवाते हैं कि मामला क्या है। वहीं डिप्टी रेंजर संत त्रिपाठी ने कहना है कि सर्दी में चरवाहे आग तपने के लिए पेड़ों की छाल छील ले जाते हैं।