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ललितपुर में निवेश की बहार: ₹12,000 करोड़ के फार्मा पार्क से हजारों रोजगार के अवसर पैदा होंगे
16 Jun, 2025 04:46 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश सरकार ने ललितपुर में फार्मा पार्क स्थापित करने की दिशा में पहल की है. उम्मीद है कि इससे गुजरात और आंध्र प्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश भी भारत के प्रमुख थोक दवा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित होगा. ललितपुर जिला उत्तर प्रदेश के आख़िरी छोर पर मध्यप्रदेश से सटा है. उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के अनुसार, बुंदेलखंड क्षेत्र में इस परियोजना से 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है.
1,472 एकड़ में फैली यह परियोजना
यूपीसीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मयूर माहेश्वरी ने कहा, ललितपुर में फार्मा पार्क परियोजना राज्य सरकार की ऐतिहासिक पहलों में से एक है। यह पूरी तरह से राज्य प्रायोजित है, जिसका उद्देश्य थोक दवा और एपीआई (सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक) विनिर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करना है. उत्तर प्रदेश इसमें अग्रणी भूमिका निभाएगा.
उन्होंने बताया कि 1,472 एकड़ में फैली यह परियोजना अपने पहले चरण में प्रवेश कर चुकी है, जिसमें से 353 एकड़ पहले से ही इसके अधीन है. माहेश्वरी ने कहा, हमने पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त कर ली है और पहले चरण के लिए आवंटन शुरू हो गया है. परियोजना में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (तरल अपशिष्ट शून्य करने) पर भी जोर दिया गया है, जो एक उन्नत अपशिष्ट जल प्रबंधन रणनीति है. इसके तहत विनिर्माण के दौरान उत्पन्न सभी अपशिष्ट जल का उपचार किया जाता है, शुद्ध किया जाता है, और या तो सुविधा के भीतर पुन: उपयोग किया जाता है या सुरक्षित निपटान के लिए ठोस अपशिष्ट में परिवर्तित किया जाता है.
पिछले सप्ताह अहमदाबाद मेंरोड शो आयोजित किया गया, जहां कई कंपनियों ने प्रमुख निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए. यूपीसीडा अब प्रमुख फार्मा कंपनियों के व्यापक जुटान का लाभ उठाने के लिए मुंबई में इसी तरह की योजना बना रहा है. माहेश्वरी ने कहा, हमने हाल ही में गुजरात में और इससे पहले चंडीगढ़ और हैदराबाद में रोड शो आयोजित किए. हम प्रमुख फार्मा कंपनियों को आकर्षित करने के लिए मुंबई और अन्य स्थानों को लक्षित करने की योजना बना रहे हैं. सभी उपयोगिताएं भूमिगत होंगी.
माहेश्वरी ने ललितपुर फार्मा पार्क को प्लग-एंड-प्ले (उपयोग के लिए तैयार) ढांचा प्रदान करने वाली अत्याधुनिक सुविधा बताया. उन्होंने बताया कि यह स्थल सीसीटीवी निगरानी, आवास इकाइयों, इन-हाउस कौशल केंद्र और अन्य सहायक बुनियादी ढांचे से सुसज्जित है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह देश का सबसे अच्छा बल्क ड्रग पार्क बन जाए.
फर्मा सेक्टर में गूजेगा यूपी का नाम
फार्मा उद्योग की बदलती गतिशीलता पर माहेश्वरी ने कहा, हिमाचल प्रदेश वर्षों तक एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र था, लेकिन सब्सिडी और कर अवकाश समाप्त होने के बाद, विनिर्माता गुजरात और हैदराबाद चले गए. उत्तर प्रदेश उस कमी को पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है. ललितपुर में हमारी इकाइयां दो से ढाई साल के भीतर चालू हो जाएंगी.उन्होंने कहा, आवंटन प्रक्रिया चल रही है, पर्यावरण संबंधी मंजूरी मिल चुकी है और दो साल के भीतर जमीनी स्तर पर भौतिक परिणाम दिखने लगेंगे.
माहेश्वरी ने पुष्टि की कि परियोजना के लिए पूरी भूमि पहले से ही यूपीसीडा के कब्जे में है और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), बिजली वितरण कंपनियों और आईआईटी एवं डीआरडीओ जैसे संस्थानों के साथ तकनीकी साझेदारी के सहयोग से बुनियादी ढांचे का उन्नयन जारी है. अधिकारियों के अनुसार, ललितपुर में लॉजिस्टिक पहुंच, औद्योगिक तत्परता, नीति समर्थन (पर्यावरणीय मंजूरी आदि) और भूमि सामर्थ्य का संयोजन है, जो इसे फार्मा विनिर्माण पार्क के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाता है. यह रक्षा गलियारे के आगामी झांसी नोड के भी करीब है.
14,000 लोगों को मिलेगा रोजगार
बुंदेलखंड को आर्थिक रूप से मजबूत करने के साथ ही उप्र को एक लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सरकार के प्रयासों को भी बल मिलेगा. इस परियोजना से लगभग 14,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने का अनुमान है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देगा और राज्य के व्यापक आर्थिक विकास लक्ष्यों का समर्थन करेगा.
एक अधिकारी ने बताया कि अहमदाबाद में निवेश पहुंच कार्यक्रम के दौरान, यूपीसीडा ने प्रमुख दवा और स्वास्थ्य सेवा कंपनियों के साथ कई समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. सीएसएल लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 200 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया है. अधिकारी ने कहा कि इस परियोजना से 250 से अधिक लोगों को रोजगार मिलने और दो साल के भीतर चालू होने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि मेडीहीथ डायग्नोस्टिक प्राइवेट लिमिटेड ललितपुर में 4,200 वर्ग मीटर में एक हेल्थकेयर इकाई स्थापित करेगी, जबकि गमन इरेडिएशन एक स्किन ट्रीटमेंट और इरेडिएशन यूनिट के लिए 35 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बना रही है, जिससे 24-36 महीनों के भीतर लगभग 150 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है. इसके अलावा, ओबमेड फार्मा ने पांच एकड़ भूमि में एक फॉर्मूलेशन यूनिट स्थापित करने के लिए 200 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता जताई है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना के भी अगले दो वर्षों के भीतर शुरू होने की उम्मीद है.
अब हर कोई बनेगा लखपति! ₹100 प्रतिदिन निवेश की ये स्कीम खोल देगी समृद्धि के द्वार
16 Jun, 2025 04:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पोस्ट ऑफिस की निवेश योजनाएं हमेशा से आम लोगों के बीच भरोसेमंद मानी जाती हैं. इनमें सबसे लोकप्रिय योजना है पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) स्कीम, जिसे सुरक्षित और टैक्स-फ्री रिटर्न देने वाला लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट विकल्प माना जाता है. अगर आप भी बच्चों की शिक्षा या भविष्य के किसी बड़े लक्ष्य के लिए निवेश की सोच रहे हैं, तो यह योजना आपके लिए बेहतरीन साबित हो सकती है.
कौन सी है ये जादुई स्कीम?
PPF स्कीम में आप न्यूनतम 500 रुपए और अधिकतम 1.5 लाख रुपए सालाना निवेश कर सकते हैं. इस पर सरकार की ओर से फिलहाल 7.1% सालाना ब्याज दिया जा रहा है, जो पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है। इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इसका लॉक-इन पीरियड 15 साल का होता है और सातवें साल से आंशिक निकासी की सुविधा भी मिलती है.
लखपति बनने का ये है कैलकुलेशन
अगर आप हर दिन सिर्फ 100 रुपए यानी महीने में 3,000 रुपए PPF खाते में जमा करते हैं, तो साल भर में 36,000 रुपए का निवेश होगा. इस तरह 15 साल तक निवेश करने पर कुल निवेश राशि होगी करीब 5.40 लाख रुपए. ब्याज मिलाकर यह राशि बढ़कर लगभग 9.76 लाख रुपए तक पहुंच जाएगी. यानी आपको कुल 4.36 लाख रुपए का ब्याज लाभ मिलेगा, वो भी टैक्स फ्री.
इस योजना में निवेश करने पर आयकर की धारा 80C के तहत टैक्स छूट भी मिलती है. इसलिए यह योजना मिडिल क्लास से लेकर नौकरीपेशा लोगों के लिए एक मजबूत फाइनेंशियल टूल है. बच्चों की कॉलेज फीस, होस्टल खर्च या शादी जैसे भविष्य के बड़े खर्चों को आसानी से मैनेज किया जा सकता है.
कैसे खोल सकते हैं PPF अकाउंट
PPF खाता खोलने के लिए किसी भी नजदीकी पोस्ट ऑफिस में जाकर आवेदन किया जा सकता है. पहचान और पते का प्रमाण, पासपोर्ट साइज फोटो और आधार कार्ड जैसे दस्तावेजों के साथ आवेदन कर खाता खोला जा सकता है. निवेशक मासिक, तिमाही या वार्षिक आधार पर इसमें पैसा जमा कर सकते हैं. पोस्ट ऑफिस की PPF स्कीम न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि लंबी अवधि में अच्छा फंड तैयार करने में मदद करती है, महज 100 रुपए रोजाना की बचत से आप 15 साल में एक मजबूत आर्थिक सुरक्षा कवर तैयार कर सकते हैं, वो भी पूरी तरह टैक्स फ्री.
एशियाई बाजारों में सबसे ज्यादा भारत से पैसा निकाल रहे FPIs, क्या ग्लोबल टेंशन और ऊंचे वैल्यूएशन हैं वजह?
16 Jun, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
2025 में इंडियन स्टॉक मार्केट ने ऐसा कमाल दिखाया कि बड़े-बड़े विदेशी निवेशक (FPI) भी हैरान रह गए. डेटा के मुताबिक, इस साल अब तक फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स ने इंडियन शेयर मार्केट से 10.6 अरब डॉलर (लगभग 88,000 करोड़ रुपये) निकाल लिए. ये रकम एशिया में सबसे ज्यादा है. इसके बावजूद, निफ्टी 50 और सेंसेक्स ने 5% से ज्यादा की उछाल मारी. इतना ही नहीं, मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी 2% से ज्यादा चढ़े. अब सवाल ये है कि आखिर इंडियन मार्केट इतना रॉकेट क्यों बन रहा है, जब विदेशी निवेशक पैसे निकाल रहे हैं? चलिए, विस्तार से समझते हैं.
देसी निवेशकों ने संभाला मोर्चा
फॉरेन इनवेस्टर्स पैसे निकाल रहे हैं तो शेयर बाजार ऊपर कैसे जा रहा है? जवाब है- देसी निवेशक, यानी डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (DII). इनमें सबसे बड़ा रोल म्यूचुअल फंड्स का है, जो रिटेल इनवेस्टर्स यानी आम आदमी के पैसों से शेयर मार्केट में धुआंधार खरीदारी कर रहे हैं. 2025 में अब तक DII ने 36.1 अरब डॉलर (लगभग 3 लाख करोड़ रुपये) इंडियन शेयरों में झोंक दिए.
जून की बात करें तो FPI ने शुरुआती दिनों में 0.59 अरब डॉलर के शेयर बेचे. लेकिन DII ने ऐसा गेम खेला कि सबके होश उड़ गए. उन्होंने 5.32 अरब डॉलर (लगभग 44,000 करोड़ रुपये) के शेयर खरीदे, जो FPI की बिकवाली से 11 गुना ज्यादा है. यानी विदेशी बेच रहे हैं, लेकिन देसी निवेशक उससे कहीं ज्यादा खरीद रहे हैं. इसीलिए मार्केट गिरने की बजाय चढ़ रहा है.
पिछले 10 साल की बात करें तो DII ने 195 अरब डॉलर (लगभग 16 लाख करोड़ रुपये) मार्केट में डाले, जबकि FPI का इन्वेस्टमेंट सिर्फ 53 अरब डॉलर रहा. यानी देसी निवेशकों ने विदेशियों को 3.7 गुना पीछे छोड़ दिया. इतना ही नहीं, 2025 की चौथी तिमाही में पहली बार DII की हिस्सेदारी निफ्टी-500 कंपनियों में FPI से ज्यादा हो गई. यानी अब मार्केट पर देसी निवेशकों का दबदबा है!
म्यूचुअल फंड्स का AUM, 70 लाख करोड़ के पार
अब ये पैसे आ कहां से रहे हैं? जवाब है- आम भारतीय निवेशक. लोग अब बैंक FD और गोल्ड से ज्यादा शेयर मार्केट में पैसा लगा रहे हैं. म्यूचुअल फंड्स के जरिए हर महीने SIP से हजारों करोड़ रुपये मार्केट में आ रहे हैं. मई 2025 में म्यूचुअल फंड्स का AUM (एसेट्स अंडर मैनेजमेंट) पहली बार 70 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया. ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
लोगों का भरोसा इंडिया की ग्रोथ स्टोरी पर बढ़ रहा है. भारत की इकॉनमी तेजी से बढ़ रही है, और लोग इस रैली का हिस्सा बनना चाहते हैं. इसीलिए रिटेल इनवेस्टर्स म्यूचुअल फंड्स के जरिए शेयर मार्केट में पैसा डाल रहे हैं, और DII उस पैसे को मार्केट में इन्वेस्ट कर रहा है. नतीजा? FPI की बिकवाली का मार्केट पर खास असर नहीं पड़ रहा.
FPI क्यों बेच रहे हैं?
अब सवाल है कि आखिर विदेशी निवेशक पैसा क्यों निकाल रहे हैं? इसके पीछे कई ग्लोबल वजहें हैं.
1. इजरायल-ईरान टेंशन और कच्चे तेल की कीमतें
मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतें अचानक चढ़ गईं. भारत जैसे तेल आयात करने वाले देश के लिए ये बुरी खबर है. कच्चा तेल महंगा होने से कंपनियों की लागत बढ़ती है, और मुनाफा घटता है. FPI को लगता है कि ये टेंशन और बढ़ सकता है, जिससे भारत की इकॉनमी पर असर पड़ेगा. इसीलिए वो सावधानी बरतते हुए पैसा निकाल रहे हैं..
2. US फेडरल रिजर्व का रेट कट पर सस्पेंस
अमेरिका का फेडरल रिजर्व ब्याज दरों पर फै सला लेने वाला है.. मार्कट का कहना है कि इस बार भी ब्याज दरों में कोई कमी नहीं होगी.. ऊंची ब्याज दरें डालर को मजबूत करती हैं, जिससे FPI के लिए भारत में निवेश करना कम आकर्षक हो जाता है. वो पैसा अमेरिका या दूसररे देशों में चला जाता है..
3. चीन के स्टॉक्स सस्ते, भारत महंगा
चीन की इकॉनमी में रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं.. वहां के शेयर मार्कट्स भारत की तुलना में सस्ते दामों पर मिल रहे हैं.. भारत के स्टॉक्स अभी हाई वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहे हैं, यानी उनके दाम उनकी कमाई के हिसाब से ज्यादा हैं.. इसीलिए कुछ FPI अपना पैसा भारत से निकालकर चीन जैसे देशों में डाल रहे हैं..
4. ग्लोबल ट्रेड वॉर का डर
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड टेंशन भी बढ़ रहा है.. अगर ये टेंशन और गहराया, तो ग्लोबल इकॉनमी पर असर पड़ सकता है. ऐसे में FPI रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं. वो सेफ ऑप्शन्स की तलाश में हैं, और भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट्स से पैसा निकाल रहे हैं..
क्या FPI की बिकवाली जारी रहेगी?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि FPI की बिकवाली का सिलसिला कब तक चलेगा, ये कहना मुश्किल है. ग्लोबल टेंशन, कच्चे तेल की कीमतें, और US फेडरल रिजर्व के फैसले पर बहुत कुछ निर्भर करता है.. अगर मिडल ईस्स्ट में हालात बिगड़ते हैं, तो FPI और ज्यादा पैसा निकाल सकते हैं. दूसरी तरफ, अगर ग्लोबल मार्केट्स में स्टेबल होते हैं और भारत की ग्रोथ स्टोरी मजबूत रहती है, तो FPI की वापसी भी हो सकती है..
भारत का स्टॉक मार्केट की बदल रही तस्वीर
भारत का स्टॉक मार्केट अब विदेशी निवेशकों पर उतना निर्भर नहीं है, जितना पहले हुआ करता था. देसी निवेशकों का भरोसा, म्यूचुअल फंड्स की ताकत, और भारत की इकॉनमी की रफ्तार- ये वो तीन पिलर हैं, जो मार्केट को संभाले हुए हैं.
रिटेल इनवेस्टर्स का क्रेज: लोग अब शेयर मार्केट को वेल्थ क्रिएशन का जरिया मान रहे हैं. SIP और म्यूचुअल फंड्स के जरिए हर महीने हजारों करोड़ रुपये मार्कट में आ रहे हैं..
DII का दबदबा: DII ने FPI की बिकवाली को न सिर्फ न्यूट्रलाइज़ किया, बल्कि मार्केट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.. उनकी खरीदारी ने मार्केट में लिक्विडिटी बनाए रखी..
इंडिया ग्रोथ स्टोरी: भारत की इकॉनमी तेजी से बढ़ रही है.. ग्लोबल स्लोडाउन के बावजूद, भारत की GDP ग्रोथ रेट बाकी उमर्जिंग मार्केट्स से बेहतर है.. इसीलिए निवेशकों का भरोसा बना हुआ है.
रिटेल इनवेस्टर्स का जोश है हाई
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक ग्लोबल टेंशन कम नहीं होता, FPI की बिकवाली का सिल्सिला रुक-रुक कर चल सकता है.. लेकिन इंडियन मार्केट की ताकत अब उसके देसी निवेशकों में है. अगर DII और रिटेल इनवेस्टर्स का यही जोश बना रहा, तो मार्केट को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. हालांकि दूसरी तरफ, भारत की हाई वैल्यूएशन एक चिंता जरूर है. अगर कंपनियों की कमाई (Earnings) उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी, तो मार्केट में थोड़ा करेक्शन आ सकता है लेकिन लॉन्ग टर्म में भारत की ग्रोथ स्टोरी और डोमेस्टिक इनवेस्टमेंट की ताकत मार्केट को सपोर्ट जरूर देगी.
अदाणी के हाइफा पोर्ट पर ईरानी मिसाइल हमले का कोई असर नहीं, परिचालन सामान्य!
16 Jun, 2025 10:57 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Adani Haifa Port: इरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच शनिवार की रात ईरान ने इजराइल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया. इन हमलों में इजराइल के हाइफा बंदरगाह और पास की एक तेल रिफाइनरी को निशाना बनाया गया था. लेकिन इस बीच राहत की बात यह रही कि अदाणी समूह द्वारा संचालित हाइफा बंदरगाह को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा और इसका संचालन पूरी तरह सामान्य बना हुआ है. सूत्रों के हवाले से ये रिपोर्ट किया है.
रासायनिक टर्मिनल में गिरे शार्पनेल, कोई हताहत नहीं
सूत्रों के मुताबिक हमले के दौरान बंदरगाह के रासायनिक टर्मिनल में शार्पनेल गिरे जबकि कुछ अन्य प्रक्षेपास्त्र पास की तेल रिफाइनरी में गिरे. हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. एक सूत्र ने बताया कि ‘‘बंदरगाह में इस वक्त आठ जहाज मौजूद हैं और माल ढुलाई सामान्य रूप से जारी है.’’
सूत्रों ने दावा किया कि अदाणी समूह के स्वामित्व वाले हाइफा पोर्ट को किसी भी प्रकार का भौतिक नुकसान नहीं पहुंचा है और संचालन में कोई बाधा नहीं आई है. रविवार को बंदरगाह पर लगभग 700 कर्मचारी कार्यरत थे और सभी गतिविधियां सामान्य रूप से चल रही थीं. बंदरगाह इजराइली परिवहन मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है और सभी सुरक्षा व प्रशासनिक दिशानिर्देशों का पालन कर रहा है.
चीनी बंदरगाह भी सुरक्षित, हाइफा से इजराइली आयात का 30% होता है हैंडल
हाइफा बंदरगाह के पास स्थित चीनी बंदरगाह को लेकर भी यही जानकारी दी गई कि वहां का संचालन भी सामान्य है. हाइफा बंदरगाह इजराइल के लिए एक अहम समुद्री केंद्र है जहां से देश के कुल आयात का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आता है.
हाइफा पोर्ट का स्वामित्व अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड के पास है जो इसमें 70 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है. हालांकि, अदाणी पोर्ट्स के कुल कार्गो में हाइफा की हिस्सेदारी तीन प्रतिशत से कम है और मुनाफे में यह केवल दो प्रतिशत से भी कम योगदान देता है.
ईरान में गहराया ऊर्जा संकट: साउथ पार्स हमले से ठप हुआ गैस उत्पादन, दुनिया के लिए खतरा!
16 Jun, 2025 10:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Israel Iran War: ईरान और इजरायल के बीच चल रही तनातनी अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है. इस बार इजरायल ने सीधे तौर पर ईरान के एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया है. इजरायल ने ईरान के दुनिया के सबसे बड़े गैस फील्ड साउथ पार्स (South Pars) के एक महत्वपूर्ण पार्ट फेज 14 पर एयरस्ट्राइक की, जिसके कारण वहां आग लग गई और गैस प्रोडक्शन को कुछ टाइम के लिए रोकना पड़ा. ऑफशोर साइट के इस स्टेज पर हुए हमले के कारण ईरान को करीब 12 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस के प्रोडक्शन को रोकना पड़ा. ऐसे में आइए जानते हैं इजरायल का यह हमला दुनिया के एनर्जी सप्लाई पर कैसे बन रहा खतरा.
क्या है साउथ पार्स गैस फील्ड?
साउथ पार्स गैस फील्ड ईरान के बुशेहर प्रांत में स्थित है. यह गैस फील्ड क़तर के साथ शेयर है, जो इसे नॉर्थ फील्ड के नाम से जानता है. यह क्षेत्र प्राकृतिक गैस का दुनिया का सबसे बड़ा भंडार है. ईरान की घरेलू गैस जरूरतों का करीब 66 फीसदी हिस्सा यहीं से आता है, जिससे देश में बिजली, हीटिंग और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की आपूर्ति होती है.
बता दें ईरान अमेरिका और रूस के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा गैस उत्पादक देश है. यह सालाना लगभग 275 बिलियन क्यूबिक मीटर (bcm) गैस का उत्पादन करता है, जो वैश्विक उत्पादन का करीब 6.5 प्रतिशत है. हालांकि प्रतिबंधों के चलते ईरान ज्यादातर गैस देश के भीतर ही इस्तेमाल करता है, जबकि थोड़ी मात्रा इराक जैसे देशों को निर्यात की जाती है. इसके विपरीत, कतर इसी क्षेत्र से हर साल 77 मिलियन टन LNG (Liquefied Natural Gas) यूरोप और एशिया को एक्सपोर्ट करता है. इस काम में शेल और एक्सॉन मोबिल जैसी दिग्गज अंतरराष्ट्रीय कंपनियां उसकी मदद करती हैं.
क्यों यह हमला इतना बड़ा है?
दरअसल अब तक इजरायल केवल ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को ही निशाना बना रहा था. लेकिन इस बार एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर पर सीधा हमला हुआ है, जो एक नए तरह से आर्थिक जंग की ओर इशारा दे रहा है. खास बात ये है कि एनर्जी एक्सपर्ट जॉर्ज लियोन के मुताबिक, यह हमला 2019 में सऊदी अरब के अबकैक तेल ठिकाने पर हुए हमले के बाद सबसे अहम माना जा रहा है.
ग्लोबल एनर्जी सप्लाई पर संकट
साउथ पार्स गैस फील्ड जहां स्थित है, वह इलाका ग्लोबल एनर्जी सप्लाई के लिए बेहद अहम है. यह न सिर्फ क़तर के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि इसके पास के क्षेत्र, जैसे कि खर्ग आइलैंड (ईरान का प्रमुख ऑयल एक्सपोर्ट टर्मिनल) और स्ट्रेट ऑफ हॉरमुज पर भी खतरा मंडराने लगा है. स्ट्रेट ऑफ हॉरमुज़ से हर दिन करीब 21 फीसदी LNG और 1.4 करोड़ बैरल क्रूड ऑयल गुजरता है.
बाजारों पर असर
इस हमले की खबर के बाद तेल की कीमतों में 14 फीसदी तक उछाल आया और कीमतें 73 डॉलर प्रति बैरल (लगभग 7000 रुपये) के आसपास पहुंच गईं. भले ही साउथ पार्स की गैस मुख्य रूप से ईरान में ही इस्तेमाल होती है, लेकिन इसका रणनीतिक महत्व काफी बड़ा है. OPEC के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक (ईरान) पर हमला यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में अगर खर्ग आइलैंड या स्ट्रेट ऑफ हॉरमुज़ में कोई गड़बड़ी होती है, तो तेल और गैस की कीमतें आसमान छू सकती हैं.
चौंकाने वाली सच्चाई! द सिंपसंस ने 2025 के लिए जो कहा, क्या वो सच होगा?
16 Jun, 2025 10:34 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
The Simpsons and List of Predictions: कार्टून देखना हम सभी को कभी न कभी पसंद हुआ करता था. हम में से कई लोग शायद बड़े होने के बाद भी एनिमेटेड टीवी शो को देखना पसंद करते होंगे. ये हमारे मनोरंजन का साधन हुआ करता था या है भी. लेकिन एक एनिमेटेड टीवी शो जिसकी शुरुआत बच्चों के मनोरंजन के लिए ही हुई थी, अब वह दुनिया भर में “भविष्य बताने वाली मशीन” के तौर पर पहचाना जाने लगा है. हम बात कर रहे हैं ‘The Simpsons’ की. उस मशहूर अमेरिकी शो की जिसने कई बार ऐसी घटनाओं की भविष्यवाणी कर दी है जो बाद में सच साबित हुई.
अगर आप सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक्टिव हैं तब आपने भी Simpsons से जुड़ी कुछ मीम्स जरूर देखी होगी. मौजूदा समय में भी इस सीरीज के कई सीन्स वायरल होते हैं जो वर्तमान की स्थिति से मिलते जुलते मालूम पड़ते हैं. अब जब हम 2025 में कदम रख चुके हैं, एक बार फिर The Simpsons की भविष्यवाणियों पर चर्चा तेज हो गई है. सवाल यह है कि क्या यह शो सिर्फ एक कॉइनसिडेंस है या वाकई इसकी स्क्रिप्ट में भविष्य छिपा होता है? आइए इसके बारे में विस्तार से बात करते हैं.
क्या है ‘The Simpsons’?
The Simpsons एक अमेरिकी एनिमेटेड सिटकॉम है, जिसकी शुरुआत 17 दिसंबर 1989 को हुई थी. इसे मैट ग्रोनिंग ने बनाया था और यह फॉक्स नेटवर्क पर प्रसारित होता है. यह शो स्प्रिंगफील्ड नाम के काल्पनिक शहर में रहने वाले सिम्पसन परिवार की कहानी है. उस परिवार में होमर, मार्ज, बार्ट, लिसा और मैगी रहते हैं. शो की खास बात है इसकी ह्यूमर के पीछे छिपी सामाजिक-राजनीतिक टिप्पणी. यह न केवल अमेरिका की संस्कृति पर व्यंग करता है बल्कि कई बार आने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी भी करता नजर आया है. अभी भी इस शो के नए सीरीज आते रहते हैं. पिछले साल यानी 2024 के 18 मई को इसका 36वां सीजन रिलीज हुआ था. कुछ समय पहले ही फॉक्स नेटवर्क ने इसके लाइसेंस को रिन्यू करते हुए 4 साल और बढ़ा दिया है.
भारत को लेकर The Simpsons ने क्या भविष्यवाणियां की?
भारत में The Simpsons की कोई डायरेक्ट भविष्यवाणी नहीं रही है, लेकिन इसकी AI, टेक्नोलॉजी और ग्लोबल पॉलिटिक्स से जुड़ी बातें हमारे देश में भी असर डालती रही हैं. उदाहरण के तौर पर-
स्मार्टवॉच: 2010 से पहले ही शो में स्मार्ट वॉच जैसी डिवाइसेज दिखाई गई थीं. भारत में 2015 के बाद से स्मार्ट वॉच का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा.
AI और ऑटोमेशन: शो में 1994 में AI से चलने वाले रोबोट्स को दिखाया गया था. आज भारत में भी कस्टमर सर्विस, कस्टमर चैट और डेटा एनालिटिक्स में AI का तेजी से इस्तेमाल हो रहा है.
अहमदाबाद एयर इंडिया प्लेन क्रैश: हाल में गुजरात के अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया प्लेन क्रैश होने की घटना को लेकर भी इसकी एक फोटो वायरल हो रही है. जिसमें एयर इंडिया लिखा एक प्लेन बिल्डिंग से टकराया हुआ दिखाई देता है. हालांकि मौजूद जानकारियों के मुताबिक, The Simpsons के किसी एपिसोड में ऐसा नहीं दिखाया गया है. मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए कोई एआई की मदद से वैसी फोटो क्रिएट करके वायरल कर रहा है.
अमेरिका को लेकर The Simpsons की भविष्यवाणियां?
The Simpsons ने अमेरिका और वैश्विक स्तर पर जो सबसे चर्चित भविष्यवाणियां की हैं, वे हैं-
डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद पर वापसी
2000 में आए एक एपिसोड में ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति दिखाया गया था. यह भविष्यवाणी 2016 में सच हुई.
अब एक और भविष्यवाणी वायरल हो रही है — जिसमें 2024 में ट्रंप की वापसी दिखाई गई थी, और 2025 में उनकी बेटी इवांका ट्रंप के पॉलिटिक्स में आने की संभावना जताई गई थी. 2025 में यह बात फिर सुर्खियों में है.
महामारी की भविष्यवाणी
1993 के एक एपिसोड में “Osaka Flu” नाम की एक बीमारी दिखाई गई थी, जो एशिया से आती है और पूरे स्प्रिंगफील्ड (शो में दिखाया गया शहर) में फैल जाती है. कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों ने इस एपिसोड को याद किया और इसे एक भविष्यवाणी के तौर पर चिह्नित किया.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का खतरा
2012 में “Them, Robot” नामक एपिसोड में दिखाया गया था कि कैसे रोबोट्स लोगों की नौकरियां ले लेते हैं और आखिर में उनके खिलाफ खड़े हो जाते हैं. 2025 में, जब दुनिया की 41 फीसदी कंपनियां इंसानों की जगह AI को काम पर रख रही हैं, तो यह एपिसोड और भी प्रासंगिक हो गया है.
मार्स मिशन
2015 के एक एपिसोड में लिसा ने 2050 में मंगल पर कॉलोनी बनाने की योजना बनाई थी. एलन मस्क की स्पेसएक्स अब 2025 से मार्स मिशन की तैयारी कर रही है.
सेल्फ-ड्राइविंग कार्स
होमर (The Simpsons का एक किरदार) को एक बार एक बेकाबू सेल्फ-ड्राइविंग कार से जूझते हुए दिखाया गया था. आज 2025 में Waymo और कई दूसरी कंपनियों की रोबोटिक टैक्सी सर्विसेज कई शहरों में एक्टिव हैं और कई बार खराबी की खबरें भी सामने आ चुकी हैं.
कौन सी भविष्यवाणियां गलत निकलीं?
हाल ही में एक वायरल वीडियो ने दावा किया कि The Simpsons ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौत की तारीख भी बता दी है. 12 अप्रैल 2025. हालांकि यह दावा पूरी तरह झूठा है. The Simpsons की टीम और प्रोड्यूसर Matt Selman ने पुष्टि की कि यह क्लिप पूरी तरह AI से बनाई गई है और शो का हिस्सा नहीं है.
इसी तरह, 2024 में ट्रंप पर हुए एक हमले के दौरान भी एक फेक क्लिप वायरल हुई थी, जिसमें दावा किया गया कि शो ने यह पहले ही दिखा दिया था. लेकिन यह भी गलत साबित हुआ.
ये शुरू कब हुआ?
The Simpsons की पहली “भविष्यवाणी” मानी जाती है 1995 के एपिसोड “Lisa’s Wedding” में, जिसमें वीडियो कॉलिंग, स्मार्टवॉच और ऑटोमेटेड स्मार्ट होम जैसी टेक्नोलॉजी दिखाई गई थी. उस समय यह केवल कल्पना थी, लेकिन आज ये हमारे जीवन का हिस्सा हैं.
क्या The Simpsons वाकई भविष्य देख सकता है?
The Simpsons की स्क्रिप्ट को लिखने वाले लेखक कई बार कहते हैं कि यह सब “coincidence” है. लेकिन इतने सारे संयोग जब एक ही दिशा में इशारा करें तो सवाल उठना लाजमी है. 2025 में जब टेक्नोलॉजी, राजनीति और अर्थव्यवस्था कई उथल-पुथल से गुजर रही है, तो The Simpsons फिर से सुर्खियों में है. इसकी भविष्यवाणी को लेकर फिलहाल कोई कुछ नहीं कर सकता है. हां, इस बात से हम नजर नहीं फेर सकते हैं कि The Simpsons में दिखाई गई कुछ बातें बाद में जाकर सच हुए हैं लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं है कि ये शो या इसके राइटर्स ने ऐसा कुछ सोचा होगा. हालांकि, यह तय है कि इस शो ने लोगों की नजर में खुद को महज एक कार्टून से कहीं ज्यादा साबित कर दिया है.
बढ़ रहा बुजुर्गों पर साइबर हमलों का खतरा, 9 महीने में 36 शिकार: परिजनों को दी जा रही है विशेष चेतावनी
15 Jun, 2025 02:18 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इंटरनेट की बढ़ती पहुंच ने भले ही हमारी जिंदगी को आसान बनाया हो, लेकिन इसके साथ ही साइबर ठगी का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. खासकर बुजुर्ग लोग, जिनकी डिजिटल समझ सीमित है, वे अब साइबर अपराधियों के लिए सबसे आसान शिकार बनते जा रहे हैं. गोवा पुलिस की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 9 महीनों में राज्य में 36 वरिष्ठ नागरिक ठगी का शिकार हुए हैं, जिनमें से 15 लोग ‘डिजिटल अरेस्ट स्कैम’ जैसी खतरनाक साजिश में फंसे. ऐसे में ठगों का पैंतरा आपको जानना जरूरी है ताकि आप अपने घर के बड़ों को ऐसे किसी भी गड्ढे में गिरने बचा सकें.
कैसे बनते हैं बुजुर्ग साइबर क्राइम के शिकार
बुजुर्गों का आसानी से विश्वास कर लेने वाली प्रवृत्ति, उनका अकेलापन, तकनीकी जानकारी की कमी और आर्थिक स्थिरता उन्हें साइबर अपराधियों के लिए ‘सॉफ्ट टारगेट’ बनाती है. अक्सर ठग खुद को बैंक अधिकारी, पुलिस या सरकारी एजेंसी का कर्मचारी बताकर डर का माहौल बनाते हैं और पीड़ित से पैसे ठग लेते हैं.
इस स्कैम में अपराधी खुद को पुलिस या CBI अधिकारी बताकर कहते हैं कि पीड़ित के नाम पर कोई अपराध हुआ है, और जेल से बचने के लिए तुरंत जुर्माना देना होगा. डर और शर्म के चलते कई पीड़ित शिकायत तक दर्ज नहीं कराते, जिससे अपराधियों के हौसले और बढ़ते हैं.
देश भर में चल रहा है ठगी का खेल
सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, आम नागरिक भी बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी के शिकार हो रहे हैं. बीते कुछ महीनों में गोवा पुलिस ने करोड़ों रुपये की ठगी से जुड़े दो बड़े मामलों का खुलासा किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने गोवा साइबर क्राइम पुलिस ने कर्नाटक के एक निवासी को गिरफ्तार किया, जो एक करोड़ रुपये से अधिक की साइबर ठगी में कथित रूप से शामिल था. यह मामला ओल्ड गोवा निवासी की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था, जिसमें पीड़ित ने भारी धनराशि की ठगी का आरोप लगाया था.
वहीं नवंबर में, बेंगलुरु निवासी कुमार उत्कलसर (उम्र 50) को गोवा पुलिस की साइबर क्राइम सेल ने 2.3 करोड़ रुपये की हाई-वैल्यू इनवेस्टमेंट फ्रॉड केस में गिरफ्तार किया था. इस मामले में शिकायत वालपई, सत्तारी के एक निवासी द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें बताया गया कि निवेश के नाम पर भारी रकम ऐंठ ली गई.
इन दोनों मामलों से साफ है कि साइबर ठग अब राज्य की सीमाओं से परे जाकर ठगी के नेटवर्क चला रहे हैं.
आप कैसे बच सकते हैं?
किसी अनजान कॉलर को OTP या बैंक जानकारी कभी न दें.
अगर कोई खुद को अधिकारी बताए और पैसे मांगे तो तुरंत कॉल काटें.
साइबर अपराध से जुड़ी किसी भी आशंका की स्थिति में www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें या 1930 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें.
अपने बुजुर्ग परिजनों को डिजिटल जागरूकता दें, और समय-समय पर उन्हें सतर्क करें.
चीन को बड़ा झटका दे सकता है भारत, देश के पास मौजूद है रेयर अर्थ का अकूत खजाना
15 Jun, 2025 02:07 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Rare Earth: चीन ने कुछ दिन पहले रेयर अर्थ के निर्यात पर रोक लगा दी थी, जिससे पूरी दुनिया में इस एलिमेंट की कमी आ गई. गौरतलब है कि चीन के पास वर्तमान में पूरी दुनिया के रेयर अर्थ प्रोडक्शन का 90 फीसदी हिस्सा है. इस वजह से भारत भी प्रभावित हुआ और यहां भी इसकी कमी महसूस की जा रही है. सरकार इससे निपटने के लिए चीन से बात कर रही है. इसके अलावा भारत सरकार रेयर अर्थ को लेकर लंबी प्लानिंग कर रही है, जिसके तहत भारत ने जापान को निर्यात की जाने वाली रेयर अर्थ पर रोक लगाने जा रहा है. भारत रिजर्व के मामले में पांचवे नंबर पर आता है लेकिन इसका प्रोडक्शन बहुत ही कम है.
13 साल पुराने समझौते पर रोक
चीन के फैसले से सबक लेते हुए भारत अब रेयर अर्थ के मामले में आत्मनिर्भर होने की प्लानिंग कर रहा है. इसी के तहत पहला कदम उठाते हुए जापान को जाने वाली रेयर अर्थ पर रोक लगाने की योजना है. रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रेयर अर्थ सुरक्षा का काम देखने वाली कंपनी IREL को जापान को निर्यात करने वाले 13 साल पुराने एक समझौते को स्थगित करने को कहा गया है. इसके अलावा कंपनी को रेयर अर्थ का प्रोडक्शन बढ़ाने पर फोकस करने को कहा गया है.
प्रोडक्शन बढ़ाने में क्या है दिक्कत
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने IREL के अधिकारियों के साथ एक बैठक में आदेश दिया था कि देश में रेयर अर्थ का प्रोडक्शन बढ़ाया जाए. इसके बाद से ही IREL देश में दुर्लभ खनिजों को यहीं रखने और इसका प्रोडक्शन बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है. हालांकि इस प्रक्रिया में कई अड़चनें भी हैं जैसे कि भारत के पास इतनी तकनीक नहीं है जिससे रेयर अर्थ का प्रोडक्शन तेजी से किया जा सके. इसके अलावा देश में अभी इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी भी है. इसे देखते हुए IREL ने चार नए यूनिट बनाने का फैसला लिया है लेकिन उन्हें अभी तक इसकी स्वीकृति नहीं मिली है.
कैटेगरी
डिटेल
कुल भंडार (Reserve)
69 लाख टन (6.9 मिलियन टन)
वार्षिक उत्पादन
लगभग 2,900 टन
वार्षिक आयात
लगभग 53,748 टन (2023 का अनुमान)
प्रमुख आयात स्रोत
चीन, अमेरिका, जापान
प्रमुख खनन क्षेत्र
ओडिशा, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान
प्रमुख तत्व
सेरीयम, लैंथेनम, नियोडिमियम, प्रसीओडिमियम, डायसप्रोसियम, यूरोपियम, गैडोलिनियम
मुख्य उपयोग
इलेक्ट्रिक वाहन, डिफेंस सिस्टम, मोबाइल, सोलर पैनल, मैग्नेट, हाईटेक उपकरण
भारत में कहां कहां है रेयर अर्थ
भारत में रेयर अर्थ तत्व मुख्य रूप से समुद्री तटीय रेत और कुछ इनलैंड एरिया में पाए जाते हैं. ओडिशा के गंजम जिले (चाटरपुर), केरल के चवरा और अलप्पुझा, तमिलनाडु के कन्याकुमारी और मनावलाकुरिची, आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम और विशाखापत्तनम के तटीय क्षेत्रों में मोनाजाइट रेत में ये एलिमेंट मौजूद हैं. इसके अलावा, मध्य प्रदेश के झाबुआ (अम्बा डोंगर), झारखंड के पूर्वी सिंहभूम और राजस्थान के बाड़मेर बेसिन में भी इनकी मौजूदगी पाई गई है.
कौन से एलिमेंट पाए जाते हैं
भारत में मिलने वाले प्रमुख रेयर अर्थ तत्वों में सेरीयम (Cerium), लैन्थेनम (Lanthanum), नियोडिमियम (Neodymium), प्रसीओडिमियम (Praseodymium), डायसप्रोसियम (Dysprosium), यूरोपियम (Europium) और गैडोलिनियम (Gadolinium) शामिल हैं. इनका उपयोग हाई टेक उपकरणों, इलेक्ट्रिक वाहनों और डिफेंस प्रोडक्ट में होता है.
टेक टाइकून Larry Ellison ने रचा इतिहास, $26 अरब की छलांग के साथ दूसरे सबसे अमीर शख्स बने
15 Jun, 2025 01:59 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
World’s real-time billionaires List 2025- दुनिया की अरबपतियों की लिस्ट में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. सॉफ्टवेयर कंपनी ओरेकल के संस्थापक और चेयरमैन लैरी एलिसन अब दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं. दो महीने पहले तक चौथे पायदान पर रहे एलिसन ने अब मेटा के सीईओ मार्क जकरबर्ग और अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस को पीछे छोड़ दिया है. यह उलटफेर तब हुआ जब ओरेकल के शानदार तिमाही नतीजों के बाद कंपनी के शेयरों में जबरदस्त उछाल आया.
कमाई से बढ़ी कमाई, दो महीने में 66.8 अरब डॉलर की बढ़त
फोर्ब्स की ‘वर्ल्ड्स रियल-टाइम बिलियनेयर्स’ सूची के मुताबिक, 80 वर्षीय लैरी एलिसन की कुल संपत्ति अब 258.8 अरब डॉलर हो गई है, जिससे वे अब केवल टेस्ला प्रमुख एलन मस्क (410.8 अरब डॉलर) से पीछे हैं. खास बात यह है कि अप्रैल 2025 में जारी फोर्ब्स की स्थायी अरबपति सूची में एलिसन चौथे नंबर पर थे और उनकी नेटवर्थ 192 अरब डॉलर थी. यानी दो महीने में ही उनकी संपत्ति में 66.8 अरब डॉलर का उछाल आया है.
इस तेजी का मुख्य कारण ओरेकल के मजबूत तिमाही नतीजे रहे. कंपनी ने 13 जून को जो रिपोर्ट जारी की, उसमें 1.70 डॉलर प्रति शेयर की एडजस्टेड अर्निंग और 15.9 अरब डॉलर का रेवेन्यू दिखाया गया, जो वॉल स्ट्रीट के अनुमान से बेहतर था. इस रिपोर्ट के बाद ओरेकल के शेयर 200 डॉलर प्रति शेयर पर बंद हुए. निवेशकों को कंपनी की लंबी अवधि की ग्रोथ और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में उसकी भूमिका पर पूरा भरोसा दिखा.
AI की दौड़ में ओरेकल की अहम भूमिका
ओरेकल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के AI इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट ‘स्टारगेट’ में भी अहम भागीदार है. इस परियोजना में OpenAI और सॉफ्टबैंक भी शामिल हैं. AI सेक्टर में ओरेकल की मजबूत पकड़ ने इसके शेयरों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है.
अब तीसरे स्थान पर मार्क जकरबर्ग हैं जिनकी संपत्ति 235.7 अरब डॉलर है, जबकि जेफ बेजोस (226.8 अरब डॉलर) चौथे स्थान पर खिसक गए हैं. पांचवें नंबर पर हैं वॉरेन बफे जिनकी संपत्ति 152.1 अरब डॉलर बताई गई है.
ब्लूमबर्ग की लिस्ट में थोड़ा अंतर
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर इंडेक्स के मुताबिक एलिसन फिलहाल तीसरे स्थान पर हैं। इस सूची में एलन मस्क (368 अरब डॉलर) और मार्क जकरबर्ग (241 अरब डॉलर) पहले और दूसरे स्थान पर हैं. यहां एलिसन की संपत्ति 234 अरब डॉलर आंकी गई है, लेकिन फिर भी वे बेजोस से आगे हैं.
एशियन पेंट्स पर मंडराया CCI जांच का खतरा: बिड़ला ओपस ने लगाया डीलरों को रोकने और आपूर्तिकर्ताओं पर दबाव डालने का आरोप
14 Jun, 2025 02:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) एशियन पेंट्स के खिलाफ जांच का आदेश दे सकता है। इस मामले से अवगत लोगों ने बताया कि कंपनी पर बाजार में अपने वर्चस्व का दुरुपयोग करने का आरोप है। आयोग प्राप्त शुरुआती जानकारी के आधार पर जांच का आदेश दे सकता है। सूत्रों के अनुसार, इस मामले की जांच करने के लिए महानिदेशक (जांच) को जल्द ही एक औपचारिक आदेश जारी किया जा सकता है। आयोग को आदित्य बिड़ला की कंपनी बिड़ला ओपस की ओर से एक शिकायत मिली थी। उसमें आरोप लगाया गया है कि 53 फीसदी बाजार हिस्सेदारी वाली बाजार की अग्रणी कंपनी एशियन पेंट्स प्रतिस्पर्धारोधी आचरण और बहिष्कार जैसे तरीके अपना रही है।
एशियन पेंट्स के खिलाफ लगाए गए आरोपों में डीलरों को ग्रासिम के बिड़ला ओपस के साथ कारोबार करने से रोकना भी शामिल है। ग्रासिम आदित्य बिड़ला समूह की प्रमुख कंपनी है। इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया है कि एशियन पेंट्स ने कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं पर बिड़ला ओपस को आपूर्ति न करने अथवा मूल्य में भेदभाव करने के लिए दबाव डाला था।
प्रतिस्पर्धा आयोग को 2019 में जेएसडब्ल्यू पेंट्स की ओर से भी एशियन पेंट्स के खिलाफ इसी तरह की शिकायत मिली थी। उसमें आरोप लगाया गया था कि उसके सजावटी पेंट कारोबार शुरू करने के तुरंत बाद एशियन पेंट्स ने उन डीलरों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था जो जेएसडब्ल्यू पेंट्स के सजावटी पेंट्स का स्टॉक रखने और स्टोरों में उसे प्रदर्शन करने के लिए सहमत हुए थे।
मगर उस समय आयोग ने जेएसडब्ल्यू पेंट्स की याचिका को निपटाते हुए कहा था, ‘आयोग का मानना है कि संतुलन का झुकाव जेएसडब्ल्यू पेंट्स की ओर नहीं है। एशियन पेंट्स ने बताया है कि डीलरों के लिए अपनाई गई उसकी कुछ रणनीति व्यापार की शर्तों को आगे बढ़ाने के लिए थीं न कि जेएसडब्ल्यू पेंट्स को बाजार से दूर रखने के लिए।’
सूत्रों ने कहा कि जेएसडब्ल्यू द्वारा की गई शिकायत एक व्यापक बाजार से संबंधित थी जहां वर्चस्व के दुरुपयोग को स्थापित नहीं किया जा सका। मगर मौजूदा मामला कुछ खास बाजारों और उत्पादों से संबंधित है। आयोग की ओर से औपचारिक आदेश जारी किए जाने के बाद ही इस मामले में विस्तृत जानकारी उपलब्ध हो पाएगी।
एशियन पेंट्स के एमडी एवं सीईओ अमित सिंगले ने मार्च तिमाही के नतीजे की घोषणा के बाद निवेशकों से कहा था कि कंपनी को बाजार में नरमी के साथ-साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा की दोहरी मार झेलनी पड़ी।
भारत की आर्थिक ताकत बढ़ी: विदेशी मुद्रा भंडार 5.17 अरब डॉलर बढ़कर $696.65 बिलियन पहुंचा, ऑल टाइम हाई के करीब
14 Jun, 2025 02:07 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
RBI FOREX RESERVE: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार फिर से ऑल टाइम हाई की तरफ बढ़ रहा है. शुक्रवार 13 जून को रिजर्व बैंक ने फॉरेक्स रिजर्व का साप्ताहिक आंकड़ा जारी किया. रिजर्व बैंक के मुताबिक 6 जून को खत्म हुए सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 5 अरब डॉलर से ज्यादा का इजाफा हुआ है. पिछले वर्ष 27 सितंबर को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 705 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था. हालांकि, इसके बाद गिरावट का लंबा दौर चला और इस साल 17 जनवरी को 624 अरब डॉलर के करीब 1 साल के निचले स्तर पर चला गया. हालांकि, इसके बाद लगातार रिकवरी जारी है.
कितना बड़ा हुआ फॉरेक्स रिजर्व?
रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक 6 जून को खत्म हुए सप्ताह में 5.17 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ भारत का फॉरेक्स रिजर्व करीब 696.656 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है. वहीं, इससे पहले 30 मई को खत्म हुए सप्ताह में फॉरेक्स रिजर्व 691 अरब डॉलर के स्तर पर था.
कितन बढ़ा FCA?
फॉरेक्स रिजर्व में FCA यानी फॉरेन करेंसी एसेट्स सबसे अहम हिस्सा होता है. इसमें यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राएं रखी जाती हैं. इनकी वैल्यू डॉलर में आंकी जाती है. 6 जून को खत्म हुए सप्ताह में FCA में 3.472 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है. अब यह बढ़कर 587.687 अरब डॉलर हो गया है.
कितना बढ़ा गोल्ड रिजर्व?
फॉरेक्स रिजर्व के हिस्से के तौर पर रखे जाने वाले गोल्ड रिजर्व में भी बढ़ोतरी हुई है. 6 जून तक गोल्ड रिजर्व में 1.583 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है. यह अब बढ़कर कुल 85.888 अरब डॉलर का हो गया है.
IMF रिजर्व और SDR कितने बढ़े?
फॉरेक्स रिजर्व के साथ ही इस दौरान भारत के IMF रिजर्व और SDR में भी बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान आईएमएफ रिजर्व 1.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.409 अरब डॉलर हो गया है. वहीं, SDR में इस दौरान 10.2 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है. यह अब बढ़कर 18.672 अरब डॉलर पहुंच गया है.
चीन की कंपनियों का भारत पर भरोसा: ओप्पो और रियलमी ने 'मेड इन इंडिया' स्मार्टफोन निर्यात से कमाए ₹386 करोड़, भविष्य उज्ज्वल
14 Jun, 2025 01:59 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में बने स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट अब विदेशों के मार्केट में अपनी जगह बना रहे हैं. चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए ये प्रोडक्ट पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में भेजे जा रहे हैं. पहले ये कंपनियां केवल घरेलू बाजार पर फोकस कर रही थीं, लेकिन अब विदेशी मार्केट पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं. रियलमी और ओप्पो जैसी कंपनियों ने भारत से विदेशों में एक्सपोर्ट करके मुनाफा कमाया है. इसे देखते हुए कई अन्य कंपनियां भी भारत में बने अपने प्रोडक्ट को निर्यात करने की योजना बना रही हैं.
ओप्पो और रियलमी ने की कमाई
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 -24 में ओप्पो मोबाइल्स इंडिया ने पहली बार एक्सपोर्ट से 272 करोड़ रुपये की विदेशी कमाई की है, जबकि रियलमी इंडिया को 114 करोड़ रुपये की आय हुई है. दोनों कंपनियों ने यह जानकारी अपने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को दी है. यह पहली बार है जब इन कंपनियों ने भारत से सीधे एक्सपोर्ट पर इतना फोकस किया है.
हाइसेंस भी करेगा भारत से निर्यात
टीवी और होम अप्लायंसेज के बड़े ब्रांड हाइसेंस ग्रुप ने भी भारत से एक्सपोर्ट की योजना बनाई है. कंपनी की योजना अगले साल से पश्चिम एशिया और अफ्रीका में भारत में बने प्रोडक्ट भेजने की है. इसके लिए हाइसेंस की पार्टनर कंपनी ईपैक ड्यूरबल श्री सिटी में 100 करोड़ रुपये का प्लांट बना रही है.
सरकार के दबाव में फैसला
सरकार ने अनौपचारिक रूप से चीनी कंपनियों को स्थानीय साझेदारों के साथ मैन्युफैक्चरिंग करने, कंपनी के मैनेजमेंट में भारतीयों की नियुक्ति करने और भारत से एक्सपोर्ट बढ़ाने को कहा है. इसके चलते चीनी कंपनियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और भारत को एक्सपोर्ट हब के रूप में तैयार करना शुरू कर दिया है.
क्रिप्टो कमाई पर 'छिपी नजर': टैक्स नहीं चुकाया तो बचें नहीं, आयकर विभाग की कार्रवाई तय
14 Jun, 2025 10:22 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्र सरकार ने 2022-23 के बजट में VDA से होने वाली आय पर 30% कर लगाया है, लेकिन कई लोग इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं. CBDT यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज व इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से अब ऐसे लोगों को चुन-चुनकर नोटिस जारी किए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस तरह के मामलों में कठोर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक CBDT और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तैयारियों की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय अब आयकर विभाग की जांच के घेरे में है. विभाग ने हजारों ऐसे लोगों को ई-मेल भेजे हैं, जिन्होंने क्रिप्टोरेंसी में लेनदेन किया है, लेकिन अपने रिटर्न में इससे होने वाली आय का उल्लेख नहीं किया है. अधिकारियों का कहना है कि ये लेनदेन आकलन वर्ष 2023-24 और 2024-25 से संबंधित हैं.
CBDT के रडार पर कुछ लोग
रिपोर्ट में बताया गया है कि सीबीडीटी ने कुछ ऐसे लोगों पर खास नजर रखी है, जो टैक्स चोरी और मनीलॉन्ड्रिंग में शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा ये लोग बेहिसाब आय का उपयोग वीडीए यानी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए कर रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि इनकम टैक्स ने उन हजारों डिफॉल्टर को ई-मेल भेजकर अपडेटेड रिटर्न भरने को कहा है, जिन्होंने पिछले दो एससेसमेंट ईयर में क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन किया है और उसकी रिटर्न में घोषणा नहीं की है या गलत तरीके से जानकारी दी है.
क्रिप्टोकरेंसी पर कितना टैक्स?
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 115बीबीएच के मुताबिक क्रिप्टो लेनदेन से होने वाली आय पर 30 फीसदी की दर से कर के अलावा सरचार्ज और सेस लगाया जाता है. यह प्रावधान खरीद की लागत को छोड़कर किसी भी खर्च की कटौती की अनुमति नहीं देता है. इसके अलावा, क्रिप्टो निवेश या कारोबार से होने वाले नुकसान को किसी अन्य आय से सेटल नहीं किया जा सकता है.
हजारों से ज्यादा डिफॉल्टर
रिपोर्ट में बताया गया है कि CBDT को इस तरह की चूक करने वालों की बड़ी संख्या का पता चला है. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि बड़ी संख्या में लोगों ने आईटीआर में वीडीए की आय को सही शेड्यूल में दाखिल न करके और कम दर से टैक्स का भुगतान किया है.
संकट से उबर रहा यस बैंक: मूडीज ने 'बीए3' से 'बीए2' तक बढ़ाई रेटिंग, एनपीए में लगातार गिरावट दर्ज
14 Jun, 2025 09:01 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Yes Bank Rating: ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी Moody’s Ratings ने शुक्रवार को Yes Bank की लॉन्ग टर्म विदेशी और स्थानीय करेंसी जमा रेटिंग को Ba3 से बढ़ाकर Ba2 कर दिया है. इस निर्णय के पीछे बैंक के क्रेडिट प्रोफाइल में धीरे-धीरे हो रहे सुधार, बेसलाइन क्रेडिट असेसमेंट में बढ़ोतरी और लोन लॉस रिजर्व्स की मजबूती को प्रमुख कारण बताया गया है. मूडीज ने बैंक के बेसलाइन क्रेडिट असेसमेंट (BCA) को भी b1 से बढ़ाकर ba3 कर दिया है.
NPL में भारी गिरावट
मार्च 2025 तक Yes Bank का Non-Performing Loan (NPL) रेशियो घटकर 1.6 फीसदी रह गया, जो मार्च 2022 में 13.9 फीसदी था. यह सुधार एसेट क्वालिटी में उल्लेखनीय डेवलपमेंट को दिखाता है.साथ ही, NPLs के मुकाबले Provisioning Coverage Ratio भी 71 फीसदी से बढ़कर 80 फीसदी हो गया है, जिससे एसेट क्वालिटी बफर मजबूत हुआ है. इसके अलावा, मूडीज ने यह भी कहा कि भारत सरकार (Baa3 रेटिंग) से मिलने वाला सिस्टमैटिक सपोर्ट भी रेटिंग अपग्रेड में सहायक रहा है.
चुनौतियां और जोखिम
हालांकि बैंक ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है, लेकिन मूडीज ने कुछ जोखिमों को लेकर चेतावनी भी जारी की है. एजेंसी के अनुसार, Retail और SME लोन में तेज विस्तार, High-Risk Retail Lending पर बढ़ती निर्भरता, और Third-Party Loan Origination से जुड़े “Unseasoned Risks” अभी भी बरकरार हैं.
प्रशांत कुमार के कार्यकाल को मिला विस्तार
Yes Bank के MD और CEO प्रशांत कुमार को RBI ने छह महीने का अतिरिक्त कार्यकाल विस्तार दे दिया है. यह विस्तार 6 अक्टूबर से लागू होगा या तब तक जारी रहेगा जब तक बैंक कोई नया CEO नियुक्त नहीं कर लेता. यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब बैंक वैश्विक भर्ती एजेंसियों की मदद से नए CEO की नियुक्ति की प्रक्रिया में जुटा हुआ है.
शेयर बाजार में कैसा रहा प्रदर्शन
Yes Bank के शेयरों में पिछले कुछ समय से गिरावट का दौर जारी है. शुक्रवार, 13 जून को शेयर 0.88 फीसदी की गिरावट के साथ 20.24 रुपये पर बंद हुआ. पिछले 6 महीनों में शेयर में 4.03 फीसदी, और पिछले एक वर्ष में 14.96 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
जे.पी. मॉर्गन का अनुमान: इजराइल-ईरान संघर्ष गहराया तो 120 डॉलर प्रति बैरल पहुंच सकता है कच्चा तेल
14 Jun, 2025 08:56 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
13 जून 2025 को तेल बाजार में एक बड़ा झटका देखने को मिला जब इजराइल ने ईरान पर हमला कर दिया. इस घटना ने मिडिल ईस्ट में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है, जिसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ा है. Brent Crude की कीमत 75.65 प्रति बैरल डॉलर और WTI की कीमत 74.47 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है—जो लगभग पांच महीनों की सबसे ऊंची दर है. इस तनाव के चलते सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका है और यही वजह है कि भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अचानक उछाल आ सकता है.
अनुमान है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल 3 से 4 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो सकता है, जिससे आम लोगों के घर का बजट सीधे तौर पर प्रभावित होगा. इंधन की कीमतों में यह बढ़ोतरी न केवल आपकी जेब पर भार डालेगी, बल्कि ट्रांसपोर्ट, खाने-पीने की चीज़ों और बाकी जरूरतों पर भी असर डालेगी. अगर कच्चे तेल की कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं, तो पेट्रोल 3 से 4 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो सकता है