व्यापार
चीन की कंपनियों का भारत पर भरोसा: ओप्पो और रियलमी ने 'मेड इन इंडिया' स्मार्टफोन निर्यात से कमाए ₹386 करोड़, भविष्य उज्ज्वल
14 Jun, 2025 01:59 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में बने स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट अब विदेशों के मार्केट में अपनी जगह बना रहे हैं. चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए ये प्रोडक्ट पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में भेजे जा रहे हैं. पहले ये कंपनियां केवल घरेलू बाजार पर फोकस कर रही थीं, लेकिन अब विदेशी मार्केट पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं. रियलमी और ओप्पो जैसी कंपनियों ने भारत से विदेशों में एक्सपोर्ट करके मुनाफा कमाया है. इसे देखते हुए कई अन्य कंपनियां भी भारत में बने अपने प्रोडक्ट को निर्यात करने की योजना बना रही हैं.
ओप्पो और रियलमी ने की कमाई
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 -24 में ओप्पो मोबाइल्स इंडिया ने पहली बार एक्सपोर्ट से 272 करोड़ रुपये की विदेशी कमाई की है, जबकि रियलमी इंडिया को 114 करोड़ रुपये की आय हुई है. दोनों कंपनियों ने यह जानकारी अपने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को दी है. यह पहली बार है जब इन कंपनियों ने भारत से सीधे एक्सपोर्ट पर इतना फोकस किया है.
हाइसेंस भी करेगा भारत से निर्यात
टीवी और होम अप्लायंसेज के बड़े ब्रांड हाइसेंस ग्रुप ने भी भारत से एक्सपोर्ट की योजना बनाई है. कंपनी की योजना अगले साल से पश्चिम एशिया और अफ्रीका में भारत में बने प्रोडक्ट भेजने की है. इसके लिए हाइसेंस की पार्टनर कंपनी ईपैक ड्यूरबल श्री सिटी में 100 करोड़ रुपये का प्लांट बना रही है.
सरकार के दबाव में फैसला
सरकार ने अनौपचारिक रूप से चीनी कंपनियों को स्थानीय साझेदारों के साथ मैन्युफैक्चरिंग करने, कंपनी के मैनेजमेंट में भारतीयों की नियुक्ति करने और भारत से एक्सपोर्ट बढ़ाने को कहा है. इसके चलते चीनी कंपनियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और भारत को एक्सपोर्ट हब के रूप में तैयार करना शुरू कर दिया है.
क्रिप्टो कमाई पर 'छिपी नजर': टैक्स नहीं चुकाया तो बचें नहीं, आयकर विभाग की कार्रवाई तय
14 Jun, 2025 10:22 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्र सरकार ने 2022-23 के बजट में VDA से होने वाली आय पर 30% कर लगाया है, लेकिन कई लोग इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं. CBDT यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज व इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से अब ऐसे लोगों को चुन-चुनकर नोटिस जारी किए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस तरह के मामलों में कठोर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक CBDT और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तैयारियों की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय अब आयकर विभाग की जांच के घेरे में है. विभाग ने हजारों ऐसे लोगों को ई-मेल भेजे हैं, जिन्होंने क्रिप्टोरेंसी में लेनदेन किया है, लेकिन अपने रिटर्न में इससे होने वाली आय का उल्लेख नहीं किया है. अधिकारियों का कहना है कि ये लेनदेन आकलन वर्ष 2023-24 और 2024-25 से संबंधित हैं.
CBDT के रडार पर कुछ लोग
रिपोर्ट में बताया गया है कि सीबीडीटी ने कुछ ऐसे लोगों पर खास नजर रखी है, जो टैक्स चोरी और मनीलॉन्ड्रिंग में शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा ये लोग बेहिसाब आय का उपयोग वीडीए यानी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने के लिए कर रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि इनकम टैक्स ने उन हजारों डिफॉल्टर को ई-मेल भेजकर अपडेटेड रिटर्न भरने को कहा है, जिन्होंने पिछले दो एससेसमेंट ईयर में क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन किया है और उसकी रिटर्न में घोषणा नहीं की है या गलत तरीके से जानकारी दी है.
क्रिप्टोकरेंसी पर कितना टैक्स?
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 115बीबीएच के मुताबिक क्रिप्टो लेनदेन से होने वाली आय पर 30 फीसदी की दर से कर के अलावा सरचार्ज और सेस लगाया जाता है. यह प्रावधान खरीद की लागत को छोड़कर किसी भी खर्च की कटौती की अनुमति नहीं देता है. इसके अलावा, क्रिप्टो निवेश या कारोबार से होने वाले नुकसान को किसी अन्य आय से सेटल नहीं किया जा सकता है.
हजारों से ज्यादा डिफॉल्टर
रिपोर्ट में बताया गया है कि CBDT को इस तरह की चूक करने वालों की बड़ी संख्या का पता चला है. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि बड़ी संख्या में लोगों ने आईटीआर में वीडीए की आय को सही शेड्यूल में दाखिल न करके और कम दर से टैक्स का भुगतान किया है.
संकट से उबर रहा यस बैंक: मूडीज ने 'बीए3' से 'बीए2' तक बढ़ाई रेटिंग, एनपीए में लगातार गिरावट दर्ज
14 Jun, 2025 09:01 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Yes Bank Rating: ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी Moody’s Ratings ने शुक्रवार को Yes Bank की लॉन्ग टर्म विदेशी और स्थानीय करेंसी जमा रेटिंग को Ba3 से बढ़ाकर Ba2 कर दिया है. इस निर्णय के पीछे बैंक के क्रेडिट प्रोफाइल में धीरे-धीरे हो रहे सुधार, बेसलाइन क्रेडिट असेसमेंट में बढ़ोतरी और लोन लॉस रिजर्व्स की मजबूती को प्रमुख कारण बताया गया है. मूडीज ने बैंक के बेसलाइन क्रेडिट असेसमेंट (BCA) को भी b1 से बढ़ाकर ba3 कर दिया है.
NPL में भारी गिरावट
मार्च 2025 तक Yes Bank का Non-Performing Loan (NPL) रेशियो घटकर 1.6 फीसदी रह गया, जो मार्च 2022 में 13.9 फीसदी था. यह सुधार एसेट क्वालिटी में उल्लेखनीय डेवलपमेंट को दिखाता है.साथ ही, NPLs के मुकाबले Provisioning Coverage Ratio भी 71 फीसदी से बढ़कर 80 फीसदी हो गया है, जिससे एसेट क्वालिटी बफर मजबूत हुआ है. इसके अलावा, मूडीज ने यह भी कहा कि भारत सरकार (Baa3 रेटिंग) से मिलने वाला सिस्टमैटिक सपोर्ट भी रेटिंग अपग्रेड में सहायक रहा है.
चुनौतियां और जोखिम
हालांकि बैंक ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है, लेकिन मूडीज ने कुछ जोखिमों को लेकर चेतावनी भी जारी की है. एजेंसी के अनुसार, Retail और SME लोन में तेज विस्तार, High-Risk Retail Lending पर बढ़ती निर्भरता, और Third-Party Loan Origination से जुड़े “Unseasoned Risks” अभी भी बरकरार हैं.
प्रशांत कुमार के कार्यकाल को मिला विस्तार
Yes Bank के MD और CEO प्रशांत कुमार को RBI ने छह महीने का अतिरिक्त कार्यकाल विस्तार दे दिया है. यह विस्तार 6 अक्टूबर से लागू होगा या तब तक जारी रहेगा जब तक बैंक कोई नया CEO नियुक्त नहीं कर लेता. यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब बैंक वैश्विक भर्ती एजेंसियों की मदद से नए CEO की नियुक्ति की प्रक्रिया में जुटा हुआ है.
शेयर बाजार में कैसा रहा प्रदर्शन
Yes Bank के शेयरों में पिछले कुछ समय से गिरावट का दौर जारी है. शुक्रवार, 13 जून को शेयर 0.88 फीसदी की गिरावट के साथ 20.24 रुपये पर बंद हुआ. पिछले 6 महीनों में शेयर में 4.03 फीसदी, और पिछले एक वर्ष में 14.96 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
जे.पी. मॉर्गन का अनुमान: इजराइल-ईरान संघर्ष गहराया तो 120 डॉलर प्रति बैरल पहुंच सकता है कच्चा तेल
14 Jun, 2025 08:56 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
13 जून 2025 को तेल बाजार में एक बड़ा झटका देखने को मिला जब इजराइल ने ईरान पर हमला कर दिया. इस घटना ने मिडिल ईस्ट में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है, जिसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ा है. Brent Crude की कीमत 75.65 प्रति बैरल डॉलर और WTI की कीमत 74.47 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है—जो लगभग पांच महीनों की सबसे ऊंची दर है. इस तनाव के चलते सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका है और यही वजह है कि भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अचानक उछाल आ सकता है.
अनुमान है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल 3 से 4 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो सकता है, जिससे आम लोगों के घर का बजट सीधे तौर पर प्रभावित होगा. इंधन की कीमतों में यह बढ़ोतरी न केवल आपकी जेब पर भार डालेगी, बल्कि ट्रांसपोर्ट, खाने-पीने की चीज़ों और बाकी जरूरतों पर भी असर डालेगी. अगर कच्चे तेल की कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं, तो पेट्रोल 3 से 4 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो सकता है
टाटा समूह की मानवीय पहल, दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिवारों को मिलेगी ₹1 करोड़ की मदद
13 Jun, 2025 01:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अहमदाबाद के सरदार बल्लभ भाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरते ही एयर इंडिया का प्लेन रिहायशी इलाके में क्रैश हो गया. इस हादसे में केवल 1 व्यक्ति के बचने की जानकारी सामने आई है, जिनका फिलहाल उपचार चल रहा है. एयर इंडिया की इस फ्लाइट में 242 लोग सवार थे, जिसमें 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर शामिल थे. हादसे की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हादसे में केवल 1 व्यक्ति जीवित बचा हैं. इस बीच टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया का प्लेन क्रैश होने पर दुःख व्यक्त किया है और हताहतों को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है.
टाटा ग्रुप ने हादसे पर जताया दु:ख
टाटा ग्रुप ने चेयरमैन एन चंद्रशेखरन की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट की है, जिसमें कहा है कि, एयर इंडिया फ्लाइट 171 से जुड़ी दुखद घटना से हम बहुत दुखी हैं. इस समय हम जो दुख महसूस कर रहे हैं, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है और जो घायल हुए हैं.
टाटा समूह इस त्रासदी में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिवारों को 1 करोड़ रुपए की सहायता राशि देगा. हम घायलों के चिकित्सा व्यय को भी वहन करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें सभी आवश्यक देखभाल और सहायता मिले. इसके अतिरिक्त, हम बी जे मेडिकल के छात्रावास के निर्माण में सहायता प्रदान करेंगे. हम इस अकल्पनीय समय में प्रभावित परिवारों और समुदायों के साथ खड़े हैं.
वेस्टर्न रेलवे का बड़ा फैसला
हादसे के बाद अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उड़ानों का संचालन पूरी तरह बाधित हो गया. कई फ्लाइट्स कैंसिल हो गईं, तो कई को डायवर्ट करना पड़ा. ऐसे में एयरपोर्ट पर हजारों यात्री फंस गए. यात्रियों की इस परेशानी को देखते हुए वेस्टर्न रेलवे ने तुरंत एक्शन लिया. रेलवे ने ऐलान किया कि वो अहमदाबाद से अतिरिक्त ट्रेनें चलाएगा, ताकि लोग अपने गंतव्य तक पहुंच सकें.
ओसवाल पंप्स का IPO आज से खुला: रिटेल निवेशकों के लिए मौका, GMP ₹65-71, ₹1387 करोड़ जुटाने का लक्ष्य।
13 Jun, 2025 01:21 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ओसवाल पंप्स लिमिटेड का बहुप्रतीक्षित IPO आज, 13 जून 2025 से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है. कंपनी ने इस IPO के जरिए 1387 करोड़ रुपये जुटाने का टारगेट रखा है, और इसकी शुरुआत भी धमाकेदार हुई है. कंपनी ने पहले ही एंकर इन्वेस्टर्स से 416.2 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटा ली है.
ओसवाल पंप्स का IPO आज यानी 13 जून 2025 से 17 जून 2025 तक खुला रहेगा. मतलब, आपके पास चार दिन हैं इस IPO में बोली लगाने के लिए. अगर आप इसमें निवेश करना चाहते हैं, तो आपको कम से कम 24 शेयरों के लिए बोली लगानी होगी. अगर आप इससे ज्यादा शेयर लेना चाहते हैं, तो 24 के गुणक में बोली लगा सकते हैं. यानी, 24, 48, 72, इस तरह. कंपनी ने शेयर का प्राइस बैंड 584 रुपये से 638 रुपये प्रति शेयर तय किया है. मतलब, आपको एक शेयर के लिए कम से कम 584 रुपये और ज्यादा से ज्यादा 638 रुपये चुकाने होंगे.
कितना पैसा जुटाएगी कंपनी?
कंपनी इस IPO के जरिए कुल 1387 करोड़ रुपये जुटाने की प्लानिंग कर रही है. इसमें से 890 करोड़ रुपये फ्रेश इक्विटी के जरिए आएंगे, यानी कंपनी नए शेयर जारी करेगी. इसके अलावा, कंपनी के प्रमोटर विवेक गुप्ता 81 लाख शेयरों की बिक्री ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत करेंगे. ये रकम कंपनी के बिजनेस को और मजबूत करने, नई टेक्नोलॉजी में निवेश करने और प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़ाने में इस्तेमाल होगी.
GMP का क्या है सीन?
अब बात करते हैं ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) की, जो IPO की लिस्टिंग से पहले निवेशकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. प्राइमरी मार्केट में ओसवाल पंप्स के IPO का GMP 68 रुपये पर ट्रेंड कर रहे हैं.
अगर इसे प्राइस बैंड के औसत 614 रुपये के साथ जोड़ा जाए, तो अनुमान है कि शेयर की लिस्टिंग 682 रुपये प्रति शेयर के आसपास हो सकती है. यानी, सेकेंडरी मार्केट में ये शेयर 11 फीसदी के प्रीमियम के साथ लिस्ट हो सकता है. हालांकि ये ये बाजार की चाल पर निर्भर करता है, लेकिन फिलहाल GMP को देखकर निवेशकों में उत्साह है.
रिटेल निवेशकों के लिए सुनहरा मौका
अगर आप छोटे निवेशक हैं, यानी रिटेल इन्वेस्टर, तो ये IPO आपके लिए शानदार मौका लेकर आया है. ये IPO बुक बिल्डिंग प्रोसेस पर आधारित है, यानी शेयरों का अलॉटमेंट बोली के आधार पर होगा. अब हिस्सेदारी की बात करें, तो इसमें 50 फीसदी हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए रिजर्व है. 15 फीसदी हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रखा गया है, और बाकी 35 फीसदी हिस्सा रिटेल निवेशकों के लिए है. यानी, छोटे निवेशकों को इसमें अच्छा-खासा मौका मिल रहा है.
कौन है ओसवाल पंप्स?
अब थोड़ा कंपनी के बारे में जान लेते हैं. ओसवाल पंप्स की शुरुआत साल 2003 में हुई थी. उस वक्त कंपनी ने लो-स्पीड मोनोब्लॉक पंप्स बनाना शुरू किया था. धीरे-धीरे कंपनी ने अपने प्रोडक्शन को बढ़ाया और आज ये कई तरह के प्रोडक्ट्स बनाती है. इनमें सोलर पावर्ड और ग्रिड-कनेक्टेड सबमर्सिबल पंप्स, मोनोब्लॉक पंप्स, इलेक्ट्रिक मोटर्स और सोलर मॉड्यूल्स शामिल हैं. यानी, कंपनी का फोकस रिन्यूएबल एनर्जी और एग्रीकल्चर से जुड़े प्रोडक्ट्स पर है, जो आज के समय में काफी डिमांड में हैं.
कंपनी का बिजनेस मॉडल
ओसवाल पंप्स का बिजनेस मॉडल काफी मजबूत है. कंपनी का फोकस सोलर और इलेक्ट्रिक पंप्स पर है, जो खेती-किसानी और इंडस्ट्रियल सेक्टर में खूब इस्तेमाल होते हैं. सोलर पावर्ड पंप्स की डिमांड तो आजकल आसमान छू रही है, क्योंकि ये पर्यावरण के लिए भी अच्छे हैं और बिजली का बिल भी बचाते हैं. कंपनी ने पिछले कुछ सालों में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को अपग्रेड किया है और नए-नए प्रोडक्ट्स लॉन्च किए हैं. इसके अलावा, कंपनी का डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क भी काफी मजबूत है, जो इसे मार्केट में और मजबूती देता है.
मार्केट एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि ओसवाल पंप्स का IPO लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के लिए अच्छा हो सकता है. कंपनी का बिजनेस मॉडल फ्यूचर-ओरिएंटेड है, और सोलर एनर्जी की बढ़ती डिमांड को देखते हुए इसका ग्रोथ पोटेंशियल भी अच्छा है. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को प्राइस बैंड के ऊपरी हिस्से यानी 638 रुपये पर बोली लगाने से पहले थोड़ा सोच-विचार करना चाहिए. अगर मार्केट में कोई बड़ा उलटफेर हुआ, तो लिस्टिंग पर असर पड़ सकता है.
अंतर्राष्ट्रीय संकट का भारतीय बाजार पर प्रभाव: सोना रिकॉर्ड हाई पर, क्या ये तेजी सिर्फ मौजूदा तनाव तक सीमित है या और बढ़ेगी?
13 Jun, 2025 01:10 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सोना फिर से आसमान छू रहा है! शुक्रवार को MCX पर अगस्त डिलीवरी वाले सोने के फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट ने पहली बार 1 लाख रुपये का आंकड़ा पार कर लिया. सोना 2,011 रुपये यानी 2.04% की छलांग लगाकर 1,00,403 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. उधर, चांदी भी तेजी की तरफ बढ़ नहीं है. जुलाई डिलीवरी वाले चांदी के फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट 810 रुपये यानी 0.76% चढ़कर 1,06,695 रुपये प्रति किलो पर खुले हैं.
ये सब हुआ है इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव की वजह से. मिडिल ईस्ट में हालात बिगड़ रहे हैं, और निवेशक अब सेफ-हेवन एसेट्स की तरफ भाग रहे हैं. इसके अलावा, डॉलर इंडेक्स में कमजोरी ने भी सोने-चांदी को और चमक दी है.
मिडिल ईस्ट में क्या हो रहा है?
शुक्रवार तड़के इजराइली सरकार ने कन्फर्म किया कि उसने ईरान पर हवाई हमले किए. तेहरान में धमाकों की खबरें आईं. ये हमले ईरान के न्यूक्लियर इन्फ्रास्ट्रक्चर और बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को निशाना बनाने के लिए थे. इस खबर ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी. मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने से ग्लोबल ऑयल सप्लाई पर भी खतरा मंडरा रहा है, खासकर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज जैसे अहम रास्तों पर.
इस तनाव ने सोने को ग्लोबल मार्केट में भी नई ऊंचाई दी. इंटरनेशनल मार्केट में सोना 3,400 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस के पार चला गया. भारत में भी सोने के फ्यूचर्स ने 1 लाख रुपये का बैरियर तोड़ दिया.
गुरुवार को क्या हुआ?
गुरुवार की बात करें तो सोना और चांदी दोनों ने घरेलू और ग्लोबल मार्केट में अच्छा प्रदर्शन किया. MCX पर अगस्त डिलीवरी वाला सोना 1.75% चढ़कर 98,392 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ. वहीं, जुलाई डिलीवरी वाली चांदी 0.47% की बढ़त के साथ 1,05,885 रुपये प्रति किलो पर सेटल हुई.
अमेरिका का डेटा भी दे रहा सपोर्ट
अमेरिका से आए ताजा आर्थिक आंकड़ों ने भी सोने-चांदी की चमक बढ़ाई. गुरुवार को रिलीज हुए प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) और कोर PPI डेटा से पता चला कि अमेरिका में महंगाई काबू में आ रही है. इसके अलावा, अमेरिका में बेरोजगारी के दावे बढ़कर 248,3500 हो गए, जिसने सोने-चांदी की कीमतों को और सपोर्ट दिया.
एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
पृथ्वीफिनमार्ट कमोडिटी रिसर्च के हेड मनोज कुमार जैन, का कहना है कि सोना 6 हफ्तों के हाई पर है. अगर ग्लोबल मार्केट में सोना 3,400 डॉलर के ऊपर टिका रहा, तो इसमें और तेजी आ सकती है. मनोज का कहना है कि आज के सेशन में सोना और चांदी में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. लेकिन सोना 3,330 डॉलर और चांदी 35 डॉलर के सपोर्ट लेवल पर टिके रह सकते हैं.
ऑगमॉन्ट रिसर्च की हेड, रेनिशा चैनानी का मानना है कि जब तक ग्लोबल रिस्क सेंटिमेंट में कोई बड़ा बदलाव नहीं आता या मॉनेटरी पॉलिसी में सख्ती नहीं होती, सोना मजबूत रहेगा. वो कहती हैं कि मिड-टर्म में सोना 1,05,000 रुपये तक जा सकता है.
गोल्ड में ट्रेडिंग की टिप्स
मनोज जैन ने MCX पर सोने और चांदी के लिए ये रेंज सुझाए हैं:
सोना: सपोर्ट – 98,100-97,600, रजिस्टेंस – 99,000-99,600
चांदी: सपोर्ट – 1,05,000-1,04,200, रजिस्टेंस – 1,07,000-1,07,700
जैन की सलाह है कि सोना 98,400 के ऊपर खरीदें, स्टॉप लॉस 98,000 और टारगेट 99,500 रखें. चांदी में 1,035,000 के आसपास खरीदें, स्टॉप लॉस 1,03,800 और टारगेट 1,07,000 रखें.
मेटा इक्विटीज के वीपी-कमोडिटीज, राहुल कलान्त्रि का कहना है कि सोने का सपोर्ट 97,920-97,400 और रजिस्टेंस 98,650-99,000 है. चांदी का सपोर्ट 1,05,550-1,05,050 और रजिस्टेंस 1,07,730-1,08,250 है.
फिजिकल मार्केट में गोल्ड के रेट
अगर आप सोना खरीदने की सोच रहे हैं, तो बड़े शहरों में आज के रेट्स ये हैं:
दिल्ली: 22 कैरट सोना – 58,288/8 ग्राम, 24 कैरट सोना – 99,064/8 ग्राम
मुंबई: 22 कैरट सोना – 98,944/8 ग्राम, 24 कैरट सोना – 99,760/8 ग्राम
चेन्नाई: 22 कैरट सोना – 97,599/8 ग्राम, 24 कैरट – 99,608/8 ग्राम
हैदराबाद: 22 कैरट सोना – 98,840/8 ग्राम, 24 कैरट – 99,544/8 ग्राम
भू-राजनीतिक तनाव के चलते कच्चे तेल की कीमतें आसमान पर, निवेशकों में हड़कंप
13 Jun, 2025 11:18 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मिडल ईस्ट में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने एक बार फिर वैश्विक ऊर्जा बाजार को झटका दिया है. शुक्रवार को तेल की कीमतों में जोरदार उछाल देखा गया, जब इज़राइल ने दावा किया कि उसने ईरान पर हमला किया है. इस खबर के बाद ब्रेंट क्रूड और डब्ल्यूटीआई (WTI) दोनों बेंचमार्क कच्चे तेल की कीमतें 5% से ज्यादा बढ़ गईं और यह फरवरी के बाद पहली बार दो महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं.
तेल कंपनियों के स्टॉक्स में तेजी
विश्लेषकों का कहना है कि यह उछाल पूरी तरह भू-राजनीतिक जोखिमों से प्रेरित है. मिडिल ईस्ट पहले से ही ऊर्जा आपूर्ति के लिए एक संवेदनशील क्षेत्र रहा है और इज़राइल-ईरान के बीच की यह ताजा झड़प वैश्विक बाजारों में चिंता बढ़ा रही है कि कहीं यह तनाव बड़े स्तर पर युद्ध में न बदल जाए, जिससे तेल आपूर्ति बाधित हो सकती है. वहीं, इस तनाव के चलते और क्रूड ऑयल की कीमतों में उबाल के चलतेशेयर मार्केट में ONGC और Oil India के शेयरों में 4% तक की तेजी आई.
ऐसा कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से हुआ. जब कच्चे तेल के दाम बढ़ते हैं, तो ओएनजीसी और ऑयल इंडिया जैसी कंपनियों को तेल बेचकर होने वाली कमाई बेहतर होने की उम्मीद बढ़ जाती है. ONGC का शेयर आज ₹251.05 पर खुला और सुबह में ही ₹255.15 के उच्चस्तर तक पहुंच गया.
क्या हैं इसके असर?
भारत जैसे तेल आयातक देशों पर इसका सीधा असर पड़ सकता है. भारत अपनी ज़रूरत का लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं. इससे ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स पर महंगाई का दबाव और तेज़ हो सकता है.
इसके साथ ही रुपये पर भी दबाव बढ़ने की आशंका है, क्योंकि अधिक डॉलर में तेल आयात करने से ट्रेड डेफिसिट बढ़ सकता है. निवेशकों के लिए भी यह संकेत है कि भू-राजनीतिक घटनाओं का बाजार पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर तेल और गैस क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों पर.
क्या आगे और बढ़ेगी कीमत?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान और इज़राइल के बीच तनाव और बढ़ता है या अगर क्षेत्र के अन्य देश इसमें खिंचते हैं, तो तेल की कीमतें और ऊंची जा सकती हैं. कुछ अनुमान बता रहे हैं कि अगर ईरान की तेल आपूर्ति पर असर पड़ा, तो ब्रेंट क्रूड की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार भी जा सकती हैं.
फिलहाल, निवेशकों और नीति निर्माताओं की निगाहें इस क्षेत्र की स्थिति पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह सिर्फ तेल की कीमतों ही नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक स्थिरता को भी प्रभावित कर सकती है.
विमान दुर्घटना और मध्य-पूर्व युद्ध से भारतीय बाजार में मंदी, निवेशकों में डर का माहौल
13 Jun, 2025 11:11 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्लेन क्रैश और मिडिल ईस्ट में बढ़ते युद्ध के हालात ने भारतीय बाजार को दोहरी मार दी है. अहमदाबाद में एयर इंडिया के प्लेन क्रैश होने के बाद 13 जून को भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली. इज़राइल की ओर से ईरान पर एयरस्ट्राइक किए जाने की खबर के बाद ग्लोबल मार्केट में तनाव बढ़ गया, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा. भारतीय शेयर बाजार खुलते ही लहूलुहान हो गए. जहां सेंसेक्स 1,264 अंकों की गिरावट के साथ 80,427 पर खुला, जबकि निफ्टी 415 अंकों की गिरावट के साथ 24,473 के स्तर पर पहुंच गया.
प्री-ओपनिंग सेशन में ही भारी गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल बन गया है. मार्केट पर ग्लोबल जियोपॉलिटिकल टेंशन का सीधा असर साफ नजर आ रहा है.
सेंसेक्स निफ़्टी का हाल
शुरुआती कारोबार में भारतीय शेयर बाजार भारी दबाव में नजर आया. सुबह 9:16 बजे सेंसेक्स 1,136.88 अंक यानी 1.55% गिरकर 80,555.09 पर आ गया, जबकि निफ्टी 332.95 अंक यानी 1.67% लुढ़ककर 24,555.25 के स्तर पर ट्रेड करता दिखा. यह गिरावट मुख्य रूप से इज़राइल-ईरान टकराव की आशंका के चलते वैश्विक बाजारों में बने दबाव का असर है.
एयरलाइन कंपनियों के स्टॉक्स में गिरावट
वहीं, अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान हादसे का असर एविएशन सेक्टर पर साफ नजर आया. फ्लाइट सेफ्टी को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच इंडिगो (इंटरग्लोब एविएशन) और स्पाइसजेट के शेयरों में शुरुआती कारोबार में लगभग 5% की गिरावट दर्ज की गई. गुरुवार को हुए इस दर्दनाक हादसे में विमान में सवार 242 में से लगभग सभी यात्रियों की जान चली गई, जिसे बीते एक दशक का सबसे बड़ा विमान हादसा बताया जा रहा है.
इसके अलावा बोइंग का शेयर करीब 5% की गिरावट के साथ 203.60 डॉलर पर बंद हुआ. इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो) का शेयर 3.31% की गिरावट के साथ 5446.35 रुपये पर बंद हुआ था. वहीं स्पाइसजेट के शेयर में 2.40% की गिरावट आई और यह 44.40 रुपये पर बंद हुआ था. हादसे के बाद इंडिगो का शेयर 5420 रुपये पर आ गया था. वहीं स्पाइसजेट का शेयर 44.29 रुपये तक लुढ़क गया था
सेंसेक्स के 30 स्टॉक्स लाल
बाजार खुलते ही सेंसेक्स की सभी 30 कंपनियों के शेयरों ने लाल निशान में कारोबार शुरू किया. जबकि, निफ्टी 50 की 50 में से सिर्फ 1 कंपनी का शेयर ही बढ़त के साथ हरे निशान में खुला और बाकी की सभी 49 कंपनियों के शेयर गिरावट के साथ लाल निशान में खुले. आज सेंसेक्स की कंपनियों में शामिल लार्सन एंड टुब्रो के शेयर सबसे ज्यादा 2.77 प्रतिशत की गिरावट के साथ खुला.
गिरावट के बड़े कारण
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव इस गिरावट का सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है. दोनों देशों के बीच खराब होते हालात का असर पूरी दुनिया के बाजारों पर पड़ रहा है.
ईरान कच्चे तेल का बड़ा निर्यातक देश है. ईरान पर इजरायल के हमले के बाद आज कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आज कच्चे तेल की कीमतें 11 प्रतिशत से बड़े उछाल के साथ 76 डॉलर प्रति बैरल से भी ऊपर पहुंच गई हैं. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने का सीधा असर पूरी दुनिया के कारोबार पर पड़ेगा.
मिडल-ईस्ट में बढ़ते तनाव की वजह से सोने की खरीदारी में भारी-भरकम उछाल आया है. निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए सोने का रुख कर रहे हैं.
क्रूड ऑयल की कीमतों ने तोड़ा 2 महीने का रिकॉर्ड
मिडल ईस्ट में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने एक बार फिर वैश्विक ऊर्जा बाजार को झटका दिया है. शुक्रवार को तेल की कीमतों में जोरदार उछाल देखा गया, जब इज़राइल ने दावा किया कि उसने ईरान पर हमला किया है. इस खबर के बाद ब्रेंट क्रूड और डब्ल्यूटीआई (WTI) दोनों बेंचमार्क कच्चे तेल की कीमतें 5% से ज्यादा बढ़ गईं और यह फरवरी के बाद पहली बार दो महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं.
एयर इंडिया क्रैश : ₹2490 करोड़ का मुआवजा चुकाने को तैयार एयरलाइन, टाटा समूह ने भी की घोषणा
13 Jun, 2025 11:03 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अहमदाबाद में हाल ही में हुआ एयर इंडिया का विमान हादसा न केवल भावनात्मक रूप से झकझोर देने वाला है, बल्कि इससे जुड़ी बीमा कंपनियों के लिए भी एक बड़ा आर्थिक झटका साबित हो सकता है. लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर टेकऑफ के दौरान सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर क्रैश हो गई. इस हादसे में 242 में से 241 लोगों की मौत हो गई, जिससे विमानन और बीमा सेक्टर में हलचल मच गई है.
किन कंपनियों को भरना होगा मुआवजा?
रिपोर्ट के अनुसार, न्यू इंडिया एश्योरेंस और टाटा एआईजी एयर इंडिया के इस विमान की प्रमुख बीमाकर्ता कंपनियां थीं. हालांकि, इस तरह के बड़े जोखिम का अधिकांश हिस्सा अंतरराष्ट्रीय री-इंश्योरेंस मार्केट में स्थानांतरित किया गया था, जिसका नेतृत्व AIG लंदन ने किया. एयर इंडिया ने विस्तारा के साथ मर्जर के बाद अपने 300 से अधिक विमानों के लिए कुल 20 बिलियन डॉलर (लगभग ₹1.66 लाख करोड़) का बीमा कवर ले रखा था.
सूत्रों की मानें तो भारत की GIC Re को केवल 5% का हिस्सा चुकाना होगा, जबकि शेष 95% का भुगतान अंतरराष्ट्रीय बीमाकर्ताओं को करना पड़ेगा.
कितना होगा बीमा क्लेम?
बीमा का भुगतान दो हिस्सों में होता है:
1. हल इंश्योरेंस (Hull Insurance): इसमें विमान की कीमत के अनुसार मुआवजा दिया जाता है. इस हादसे में ये आंकड़ा 200-300 मिलियन डॉलर के बीच (₹1,660 करोड़ से ₹2,490 करोड़ तक) हो सकता है.
2. पैसेंजर लायबिलिटी (Passenger Liability): यह यात्रियों की मृत्यु, चोट या सामान के नुकसान के लिए होता है. यूरोप रूट्स जैसे मामलों में यह राशि 500 मिलियन डॉलर (लगभग ₹4,150 करोड़) से भी अधिक हो सकती है. यह मुआवजा मॉन्ट्रियल कन्वेंशन और कैरिएज बाय एयर एक्ट, 1972 के तहत दिया जाता है.
कैसे तय होता है मुआवजा?
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के अनुसार, यात्री की मृत्यु या गंभीर चोट की स्थिति में एयरलाइन को परिवार को मुआवजा देना होता है. इसका निर्धारण यात्री की आयु, पेशा, कमाई और कोर्ट द्वारा तय मापदंडों के आधार पर किया जाता है.
इससे पहले भी हो चुका है बड़ा भुगतान
2020 में कोझिकोड में हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसे में 21 लोगों की मौत हुई थी. उस समय बीमा कंपनियों ने पैसेंजर लायबिलिटी के तहत करीब 38 मिलियन डॉलर (लगभग ₹315 करोड़) का भुगतान किया था.
इस बार अहमदाबाद हादसे में चूंकि नुकसान बहुत बड़ा है, इसलिए कुल क्लेम 2,490 करोड़ रुपए या उससे अधिक पहुंचने की संभावना है, जो भारतीय एविएशन बीमा इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी बीमा देनदारी हो सकती है.
ईवी उत्पादन पर संकट! रेयर अर्थ की कमी से जूझ रही ऑटो इंडस्ट्री, चीन से सीधी बातचीत को तैयार भारतीय कंपनियां
12 Jun, 2025 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चीन ने अप्रैल में सात रेयर अर्थ मटेरियल्स पर बैन लगा दिया. इसकी वजह से भारत सहित दुनियाभर में ऑटोमोबाइल प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है. चीन का कहना है कि जिन रेयर अर्थ मटेरिल्स के निर्यात पर बैन लगाया है, वे डुअल यूज वाले हैं. इनका उपयोग सिविल के साथ मिलिट्री पर्पज के लिए भी किया जा सकता है. ऐसे में चीन अप्रसार नियमों का पालन करते हुए सिर्फ उन्हें ही ये मटेरिल्स देगा, जो इनके सिविल उपयोग का भरोसा देंगे.
चीन जाएगा प्रतिनिधिमंडल
भारत के वाहन उद्योग का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही रेयर अर्थ मामले में चीन की सरकार से बात करने बीजिंग जाने वाला है. PTI की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि OEM और और वाहनों के कल-पुर्जे बनाने वाली कंपनियों के करीब 50 अधिकारियों के वीजा को चीन से मंजूरी मिल गई है. हालांकि, फिलहाल वे इस मामले में बैठक के लिए चीनी वाणिज्य मंत्रालय से हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं.
चीन ने क्या किया?
चीन सरकार ने 4 अप्रैल, 2025 को 7 रेयर अर्थ मटेरियल और दो मैग्नेट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. चीन का कहना है कि सात रेयर अर्थ मटेरियल के लिए विशेष लाइसेंस लेना अनिवार्य है. यह लाइसेंस उन्हें ही दिया जाएगा, जो इन मटेरियल्स का सिविल पर्पज के लिए एंड यूज का भरोसा दे पाएंगे. चीन असल में इन मटेरियल्स की 90 फीसदी प्रॉसेसिंग को कंट्रोल करता है.
सुजुकी पर हुआ असर
उद्योग सूत्रों का कहना है कि देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी रेयर अर्थ मटेरियल्स की आपूर्ति में आए व्यवधान से प्रभावित हो रही हे. इसकी वजह से कंपनी की पहली प्योर इलेक्ट्रिक कार ई-विटारा का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. यही वजह है कि कंपनी ने सितंबर तक मॉडल की अब सिर्फ 8,000 कार बनाने का लक्ष्य रखा है, जबकि पहले यह लक्ष्य 26,000 था.
किन मटेरियल पर लगा बैन?
चीन ने समैरियम, गैडोलीनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम और ल्यूटेटियम पर बैन लगाया है. इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक मोटर, रिजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम, स्मार्टफोन सहित तमाम इलेक्ट्रिकल सिस्टम बनाने में होता है.
AC के तापमान पर सरकारी नियंत्रण: 20-28 डिग्री सेल्सियस की सीमा
12 Jun, 2025 09:18 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सरकार ने अब Air Conditioner के तापमान को लेकर सख्ती दिखा दी है. यदि आप भी अपना AC लगातार 16 या 18 डिग्री सेल्सियस पर चला रहे हैं, तो अब यह संभव नहीं होगा. केंद्र सरकार ने एक नई नीति के तहत AC Minimum Temperature और Maximum Temperature को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिससे न सिर्फ ऊर्जा की बचत होगी, बल्कि बिजली बिल में भी कमी आने की संभावना है. इस निर्णय का उद्देश्य बढ़ती बिजली खपत पर लगाम लगाना, पर्यावरण को हो रहे नुकसान को नियंत्रित करना और कार्बन उत्सर्जन को कम करना है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, AC को 24-26 डिग्री पर चलाने से सालाना बिजली की भारी बचत की जा सकती है, जिससे आम उपभोक्ता को आर्थिक लाभ मिलेगा. इसके साथ ही ये फैसला बड़े स्तर पर पब्लिक प्लेसेज, ऑफिस, मॉल और सरकारी भवनों में भी लागू होगा.
SEBI ने पेश किया 'SEBI Check' टूल, फर्जीवाड़े से बचाने को 'Validated' UPI हैंडल अनिवार्य
12 Jun, 2025 08:11 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Share Market Regulator SEBI ने निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने और धोखाधड़ी से निपटने के लिए ‘Valid’ यूपीआई हैंडल और ‘SEBI Check’ पेश करने का ऐलान किया है. सेबी ने एक सर्कुलर जारी कर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि UPI आधारित भुगतान तंत्र ‘@Valid’ और UPI ID के सत्यापन के लिए ‘SEBI Check’ की शुरुआत 1 अक्टूबर, 2025 से की जाएगी.
क्या है UPI ‘Valid’?
SEBI ने NPCI यानी नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर सेबी-रजिस्टर्ड संस्थाओं के लिए एक यूनीक UPI ID देने की व्यवस्था का ऐलान किया है. इससे निवेशक आसानी से उन संस्थानों की UPI ID पहचान पाएंगे, जिनका इस्तेमाल शेयर बाजार में निवेश और लेनदेन के लिए किया जाता है.
कैसे काम करेगी Valid ID सिस्टम?
सेबी रेगुलेटेड संस्थाओं की UPI आईडी में बैंक के नाम के साथ हैंडल में ‘@valid’ शामिल होगा, ताकि निवेशकों द्वारा पहचान आसान हो सके. लेन-देन की वैधता दिखाने के लिए एक ग्रीन ट्राएंगल में थम्ब्स अप का आइकन भी होगा. मिसाल के तौर पर अगर कोई ब्रोकर ABC के लिए है, और HDFC बैंक के UPI प्लेटफॉर्म के जरिये पैसा जमा करता है, तो उसका हैंडल abc.brk@validhdfc होगा. इसी तरह, म्यूचुअल फंड के लिए यह abc.mf@validhdfc होगा.
क्या है ‘SEBI Check’ ?
‘SEBI Check’ रियल टाइम में किसी UPI ID को वैरिफाई करने का टूल है. निवेशक इसके जरिये सेबी रजिस्टर्ड संस्थानों की UPI ID की प्रामाणिकता जांच कर पाएंगे. ‘सेबी चेक’ के तहत निवेशक क्यूआर कोड को स्कैन करके या यूपीआई आईडी को पोर्टल पर दर्ज कर उसकी प्रामाणिकता की जांच कर पाएंगे. इस टूल से निवेशकों को खासतौर पर UPI ID से लिंक बैंक डिटेल जैसे- बैंक अकाउंट नंबर और IFSC का पता चल जाएगा.
निवेशकों को क्या फायदा?
SEBI का मानना है कि इन पहलों से निवेशकों के साथ होने वाली ठगी और धोखाधड़ी के मामलों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि निवेशक केवल वास्तविक सेबी-रजिस्टर्ड संस्थाओं को ही भुगतान करें और धोखेबाजों से सुरक्षित रहें. यह निवेशकों के साथ ही रजिस्टर्ड संस्थाओं के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें कोई धोखाधड़ी नहीं होगी. निवेशकों को पता होगा कि वे एक वास्तविक संस्था को भुगतान कर रहे हैं.
जियो फाइनेंशियल और ब्लैकरॉक का नया कदम: इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी के जरिए भारत में धन सृजन को बढ़ावा
12 Jun, 2025 06:49 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जियो ब्लैकरॉक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स ने बुधवार 11 जून को ऐलान किया कि उसे भारत में निवेश सलाहकार के रूप में कारोबार शुरू करने की अनुमति मिल गई है. उसने कहा कि भारत में ऑपरेशन शुरू करने के लिए सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) से मंजूरी मिल गई है. जियो ब्लैकरॉक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड, जियो फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (JFSL) और अमेरिका बेस्ड ब्लैकरॉक इंक के बीच 50:50 हिस्सेदारी वाला ज्वाइंट वेंचर है.
म्यूचुअल फंड कारोबार के लिए मिली गई थी मंजूरी
इससे पहले सेबी ने जियो ब्लैकरॉक एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को भारत में अपने म्यूचुअल फंड कारोबार के लिए निवेश प्रबंधक के रूप में परिचालन शुरू करने की 27 मई 2025 को मंजूरी दी थी. जियो ब्लैकरॉक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स ने बयान में कहा कि इस लाइसेंस से जियो ब्लैकरॉक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स अब निवेशकों की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किए गए ‘डिजिटल-फर्स्ट’ प्रोडक्ट को डेवलप करने पर ध्यान केंद्रित करेगी.
सीईओ और एमडी के नामों का ऐलान
जियो ब्लैकरॉक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स ने मार्क पिलग्रेम को अपना मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) एवं चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) नियुक्त करने की भी घोषणा की. पिलग्रेम को ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव है. इससे पहले उन्होंने ब्लैकरॉक में यूरोप, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के लिए क्लाइंट स्पेशलिस्ट हेड और निवेश ट्रस्टों के प्रमुख के रूप में कार्य किया था. अपनी पिछली भूमिका में उन्होंने क्लाइंट जुड़ाव को बढ़ाने और पूरे क्षेत्र में ब्लैकरॉक के निवेश ट्रस्ट के ऑफर का विस्तार करने की पहल का नेतृत्व किया था.
पिलग्रेम की पिछली भूमिका
ब्लैकरॉक में शामिल होने से पहले पिलग्रेम ने आईशेयर्स ईएमईए के लिए चीफ ऑपरेशनल ऑफिसर और बिजनेस स्ट्रैटेजी के प्रमुख के रूप में काम किया और ब्लैकरॉक के एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड व्यवसाय के लिए रणनीतिक योजना और ऑपरेशनल एग्जीक्यूशन की देखरेख की.
इनसाइट ड्रिवेन फाइनेंशियल सॉल्यूशन
JFSL के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ हितेश सेठिया ने कहा कि भारतीय निवेशकों की पर्सनल, इनसाइट ड्रिवेन फाइनेंशियल सॉल्यूशन की बढ़ती मांग के बीच यह ज्वाइंट वेंचर वर्ल्ड क्लास कंसल्टिंग सर्विसेज तक उनकी पहुंच को आसान करेगा.
क्या UPI से क्रिप्टो खरीदना सेफ है? जानें सुरक्षा मानक, KYC और AML नियमों का कैसे रखें ध्यान
11 Jun, 2025 05:55 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Cryptocurrency की भारत में लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. खासकर निवेश के लिए वैकल्पिक एसेट्स की तलाश करने वाले लोगों की क्रिप्टोकरेंसी में दिलचस्पी बढ़ रही है. रेगुलेटरी अनिश्चितताओं के बावजूद, कई भारत में कई क्रिप्टो एक्सचेंज बिटकॉइन, एथेरियम सहित कई क्रिप्टो एसेट्स में निवेश की सुविधा दे रहे हैं. स्मार्टफोन के साथ बढ़ती डिजिटल भुगतान सुविधाओं ने क्रिप्टो निवेश को सुलभ बना दिया है. ये प्लेटफॉर्म अब भारतीय निवेशकों को रुपये में ही निवेश की सुविधा दे रहे हैं. यहां तक कि भुगतान के लिए UPI का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है.
यूपीआई कैसे काम करता है?
क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए यूपीआई के जरिये भुगतान कितना सेफ है, उससे पहले यह जानना जरूरी है कि यह कैसे काम करता है. Paytm सहित कई प्लेटफॉर्म UPI के जरिये क्रिप्टोकरेंसी खरीदने की सुविधा देते हैं. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि सेफ्टी और रेगुलेशन से जुड़े मुद्दे खत्म हो जाते हैं. UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस एक तेज, रियल-टाइम भुगतान व्यवस्था है, जो तुरंत बैंक ट्रांसफर की सुविधा देती है. भारत में कई क्रिप्टो एक्सचेंज UPI से भुगतान की सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
कहां मिल रही यूपीआई भुगतान की सुविधा?
भारत में फिलहाल कोई भी बड़ा और भरोसेमंद क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे UPI भुगतान को सपोर्ट नहीं करता है. लेकिन, Paytm जैसे पेमेंट एग्रीगेटर्स के जरिये Mudrex, CoinDCX और ZebPay UPI के जरिये भुगतान स्वीकार करते हैं. यूपीआई से भुगतान के लिए पहले आपको इन प्लेटफॉर्म पर KYC की प्रक्रिया पूरी करनी होगी. इसके साथ ही UPI ID को लिंक करना होगा. किसी भी क्रिप्टो वॉलेट के इस्तेमाल के लिए KYC जरूरी है.
क्या है RBI का रुख?
इस मामले में सबसे अहम बात यह है कि रिजर्व बैंक की तरफ से UPI का क्रिप्टो खरीद में इस्तेमाल आधिकारिक तौर पर प्रमोट नहीं किया जाता है. ऐसे में यहां तक कि कुछ बैंकों की तरफ से क्रिप्टो प्लेटफॉर्म के लिए किए जाने वाले ट्रांजैक्शन को रोका भी जा सकता है. कुछ बैंक अपनी आंतरिक नीतियों के आधार पर क्रिप्टो प्लेटफार्मों पर UPI ट्रांसफर को मंजूरी देते हैं.
Paytm से UPI के जरिये कैसे करें Bitcoin?
सबसे पहले एक क्रिप्टो प्लेटफॉर्म सलेक्ट करें, जो PayTM से भुगतान स्वीकार करता हो.
इसके बाद उस प्लेटफॉर्म पर PayTM के जरिये भुगतान का ऑप्शन सलेक्ट करें.
भुगतान के लिए जब आप PayTM सलेक्ट करते हैं, तो यहां भुगतान के सभी मेथड सामने आ जाते हैं, जिनमें UPI भी शामिल है.
इसके बाद आप एक्सचेंज के आपको PayTM वॉलेट पर रिडायरेक्ट कर देता है, जहां आप UPI के जरिये भुगतान कर सकते हैं.
क्या UPI भुगतान सेफ है?
हमेशा SEBI या FIU-पंजीकृत क्रिप्टो एक्सचेंज का ही उपयोग करें. अपने क्रिप्टो वॉलेट को टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन से सिक्योर बनाएं. इसके अलावा पासवर्ड, प्राइवेट की जैसे डाटा किसी के साथ शेयर नहीं करें. क्योंकि, यूपीआई से भुगतान पूरी तरह सेफ है. लेकिन, असल में आपको अपने क्रिप्टो वॉलेट को सेफ रखने की जरूरत है.