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सावधान! आज से लागू हुए ये 8 नए नियम, आधार-UPI यूजर्स के लिए जानना बेहद जरूरी
1 Jun, 2025 12:57 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज यानी 1 जून 2025 से भारत में कई महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव होने जा रहे हैं, जो आम लोगों की जेब और रोजमर्रा की जिंदगी पर सीधा असर डाल सकते हैं. इनमें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की नई पहल, एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में संभावित बदलाव से लेकर आधार कार्ड अपडेट की डेडलाइन और यूपीआई लेनदेन से जुड़े नए नियम शामिल हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि 1 जून से कौन से बड़े नियमों में बदलाव हो रहा है.
EPFO 3.0 प्लेटफॉर्म की शरुआत
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने नए प्लेटफॉर्म EPFO 3.0 को लॉन्च करने की योजना बनाई है, जो जून 2025 से शुरू हो सकता है. इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से EPF सदस्य UPI और ATM के जरिए तुरंत PF फंड निकाल सकेंगे, जिससे पहले की लंबी प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी. यह सुविधा देश के 9 करोड़ से अधिक लोगों को लाभान्वित करेगी.
एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में संभावित बदलाव
हर महीने की पहली तारीख को तेल विपणन कंपनियां एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में संशोधन करती हैं. 1 जून 2025 को भी रसोई और व्यावसायिक एलपीजी गैस की कीमतों में बदलाव की संभावना है, जिसका असर आम जनता की जेब पर पड़ सकता है.
आधार कार्ड अपडेट की अंतिम तिथि
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार कार्ड धारकों को 14 जून 2025 तक मुफ्त में आधार अपडेट करने की सुविधा दी है. इस तारीख के बाद आधार अपडेट के लिए 50 रुपये का शुल्क देना होगा.
यूपीआई लेनदेन के नियमों में बदलाव
यूपीआई 123Pay सेवा के तहत फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिए ऑनलाइन भुगतान की सुविधा दी गई है. 1 जून 2025 से इस सेवा की लेनदेन सीमा 5,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये की जा सकती है, जिससे उपयोगकर्ताओं को अधिक सुविधा मिलेगी.
इन बदलावों के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी नियमों में परिवर्तन हो सकते हैं, जिनका सीधा असर आम जनता की वित्तीय योजनाओं और दैनिक जीवन पर पड़ेगा. इसलिए, इन नए नियमों की जानकारी रखना और आवश्यक तैयारियां करना आवश्यक है.
क्रेडिट कार्ड से जुड़े बदलाव
कोटक महिंद्रा बैंक के क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए 1 जून से बड़ा बदलाव लागू होगा. यदि किसी उपभोक्ता का ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन फेल होता है, तो बैंक 2% बाउंस चार्ज वसूलेगा. यह शुल्क न्यूनतम 450 रुपये और अधिकतम 5000 रुपये तक हो सकता है. इसके साथ ही, बैंक की वेबसाइट के अनुसार, कई क्रेडिट कार्ड पर मासिक फाइनेंस चार्ज भी बढ़ सकता है. वर्तमान दर 3.50% (वार्षिक 42%) से बढ़ाकर 3.75% (वार्षिक 45%) की जा सकती है.
CNG, PNG और ATF की कीमतों में बदलाव
1 जून को ऑयल मार्केटिंग कंपनियां CNG, PNG और एयर टर्बाइन फ्यूल (ATF) की कीमतों में संशोधन कर सकती हैं. मई में इनमें कटौती हुई थी और जून में भी इन कीमतों में बदलाव की संभावना है.
फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें
बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और लोन की ब्याज दरों में भी बदलाव हो सकता है. चूंकि रिजर्व बैंक ने हाल ही में रेपो रेट में कटौती की है, आगे और कटौती की उम्मीद की जा रही है. उदाहरण के तौर पर, सुर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक ने 5 साल की एफडी पर ब्याज दर 8.6% से घटाकर 8% कर दी है.
म्यूचुअल फंड के नियमों में बदलाव
SEBI ने ओवरनाइट म्यूचुअल फंड स्कीम्स के लिए नया कट-ऑफ टाइम निर्धारित किया है. 1 जून से ऑफलाइन लेनदेन का समय दोपहर 3 बजे तक और ऑनलाइन का समय शाम 7 बजे तक होगा. इसके बाद किए गए निवेश अगले कार्यदिवस के लिए मान्य होंगे.
आम आदमी को झटका! घरेलू LPG सिलेंडर की कीमतें स्थिर, केवल कमर्शियल ग्राहकों को मिली राहत!
1 Jun, 2025 12:49 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तेल कंपनियों ने कमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में बड़ा बदलाव किया है. कंपनी ने 19 किलोग्राम वाले गैस सिलेंडर की कीमत में 24 रुपए की कटौती की गई है, जो 1 जून से प्रभावी है. दिल्ली में 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की खुदरा कीमत 1 जून से 1723.50 रुपए हो जाएगी. कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में कमी होने से उनको राहत मिलेगी जो अपने व्यवसाय के संचालन के लिए इस पर बहुत अधिक निर्भर हैं.
इससे पहले 1 मई को कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमतें 15 रुपए कम की गई थीं. हालांकि, घरेलू गैस सिलेंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ था. अप्रैल में कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर 1762 रुपए में मिल रहा था.
24 रुपए सस्ता मिलेगा कमर्शियल सिलेंडर
तेल कंपनियों ने शनिवार को कमर्शियल सिलेंडर के दाम घटाने का ऐलान कर दिया है. यह बदलाव 1 जून यानी रविवार से लागू होगा. जिसके बाद अब दिल्ली में 19 किलो का कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर 1723.50 रुपए में मिलेगा.कंपनियों ने कहा कि उन्होंने दाम कम कर दिए हैं. अब दिल्ली में कमर्शियल सिलेंडर का खुदरा बिक्री मूल्य 1 जून से 1723.50 रुपए होगा.
होटल, रेस्तरां को होगा ज्यादा फायदा
बता दें कि कमर्शियल सिलेंडर के दाम में यह कटौती व्यापारियों के लिए राहत की खबर है. इससे उनकी लागत कम होगी. अर्थव्यवस्था पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ सकता है. कमर्शियल सिलेंडर का इस्तेमाल ज्यादातर होटल, रेस्तरां और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में किया जाता है. कीमतें कम होने से इन व्यवसायों के परिचालन लागत में कमी आएगी. इससे उन्हें कुछ राहत मिलेगी. लागत कम होने से व्यवसायों को प्रोत्साहन भी मिलेगा. इससे आर्थिक गतिविधियों में थोड़ी बढ़ोतरी होने की संभावना है.
रिकॉर्ड तोड़ IPOs की तैयारी! 10 नई कंपनियों का शेयर बाजार में डेब्यू, क्या आपके पोर्टफोलियो में होगा इनका नाम?
1 Jun, 2025 12:44 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भले की अगले हफ्ते शेयर बाजार में कोई छोटा बड़ा आईपीओ ना आ रहा हो, लेकिन सेकंड्री मार्केट में बड़ी हलचल रहने वाली है. इसका मतलब है कि शेयर बाजार निवेशकों पर जमकर पैसा बरसने वाला है. आंकड़ों के अनुसार अगले हफ्ते 4,6, या 8 नहीं बल्कि पूरे 10 कंपनियों का शेयर बाजार में डेब्यू होने जा रहा है. इसका मतलब है कि 10 कंपनियों के आईपीओ सेकंड्री मार्केट में लिस्ट होंगी. वैसे पिछले हफ्ते कई कंपनियों के आईपीओ भी मार्केट में आए थे, लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है. लिस्ट होने वाली कंपनियों में लीला होटल्स एक बड़ा नाम माना जा रहा है. अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले हफ्ते में इन कंपनियों में किस तरह की लिस्टिंग होती है.
ये कंपनियां शेयर बाजार में कर रही हैं डेब्यू
लीला होटल्स आईपीओ : लीला होटल्स की लिस्टिंग की डेट 2 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 435 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 26 मई को लॉन्च हुआ था और 28 मई को आखिरी तारीख थी. 29 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
एजिस वोपैक टर्मिनल्स आईपीओ : एजिस वोपैक टर्मिनल्स आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 2 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 235 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 26 मई को लॉन्च हुआ था और 28 मई को आखिरी तारीख थी. 29 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
ब्लू वाटर लॉजिस्टिक्स आईपीओ : ब्लू वाटर लॉजिस्टिक्स आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 3 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 135 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 27 मई को लॉन्च हुआ था और 29 मई को आखिरी तारीख थी. 30 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
प्रोस्टारम इंफो सिस्टम्स आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 3 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 105 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 27 मई को लॉन्च हुआ था और 29 मई को आखिरी तारीख थी. 30 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
निकिता पेपर्स आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 3 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 104 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 27 मई को लॉन्च हुआ था और 29 मई को आखिरी तारीख थी. 30 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
एस्टोनिया लैब्स आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 3 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 135 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 27 मई को लॉन्च हुआ था और 29 मई को आखिरी तारीख थी. 30 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
स्कोडा ट्यूब्स आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 4 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 140 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 28 मई को लॉन्च हुआ था और 30 मई को आखिरी तारीख थी. 30 मई को अलॉटमेंट किया गया था.
नेप्च्यून पेट्रोकेमिकल्स आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 4 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 122 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 28 मई को लॉन्च हुआ था और 30 मई को आखिरी तारीख थी. 2 जून को अलॉटमेंट किया जाएगा.
एनआर वंदना टेक्सटाइल आईपीओ : आईपीओ की लिस्टिंग की डेट 4 जून को रखी गई है. वैसे आईपीओ का जीएमपी 45 रुपए देखने को मिला है. इसका आईपीओ 28 मई को लॉन्च हुआ था और 30 मई को आखिरी तारीख थी. 2 जून को अलॉटमेंट किया जाएगा.
3बी फिल्म्स आईपीओ : 3बी फिल्म्स आईपीओ 30 मई को खुला था और 3 जून, 2025 को बंद होगा. आवंटन 4 जून को अंतिम रूप दिया जाएगा और लिस्टिंग 6 जून, 2025 को निर्धारित की गई है. 31 मई 2025 तक, 3बी फिल्म्स आईपीओ जीएमपी 50 के अपने मूल्य बैंड पर 3 रुपए है.
पाक से 10 बिलियन, तो भारत से 130 बिलियन डॉलर का कारोबार कर रहा यूएस, फिर भी…
1 Jun, 2025 12:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच करीब 10 बिलियन डॉलर का कोराबार होता है। इसमें से भी पाकिस्तान को यहां करीब 5 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस है। ट्रंप ने पहले पाकिस्तान पर 29 प्रतिशत तक का भारी टैरिफ ठोंकने का चेतावनी दे चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि अगले सप्ताह अमेरिका पहुंच रहे हैं ताकि दोनों देशों के बीच टैरिफ पर समझौता किया जा सके। बता दें कि यह वहीं पाकिस्तान है, जिसे दुनिया भर में आतंकवाद को पनाह देने वाले देश के तौर पर देखा जाता है। दूसरी तरफ भारत है, जो अमेरिका का रणनीतिक, आर्थिक और लोकतांत्रिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच व्यापार का आंकड़ा 130 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है, जबकि पाकिस्तान के साथ यह महज 10 बिलियन डॉलर के आसपास है। फिर भी ट्रंप की पाकिस्तान को लेकर ‘नरमी’ कई सवाल खड़े कर रही है।
दरअसल ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, पाकिस्तान के प्रतिनिधि अगले सप्ताह आ रहे हैं। और भारत के साथ, जैसा कि आप जानते हैं, हम एक डील के बेहद करीब हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान और भारत युद्ध के रास्ते पर चलते, तो वे किसी भी समझौते में दिलचस्पी नहीं रखते। ट्रंप ने दावा किया कि उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध को टैरिफ डील के जरिये रोका, न कि गोलियों से। ट्रंप ने कहा, ‘हमने व्यापार के जरिये इस संघर्ष को टाला। आमतौर पर ये देश गोलियों के जरिये लड़ते हैं, लेकिन हमने व्यापार के जरिये सुलह कराई। भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में वॉशिंगटन का दौरा किया है। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत को अंतिम रूप देने की कोशिशें हुईं। उम्मीद है कि जुलाई की शुरुआत तक दोनों देश किसी समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इन तमाम तथ्यों के बावजूद ट्रंप का पाकिस्तान के प्रति उदार रुख भारत में कई लोगों को चौंका रहा है। जिस देश पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खुले समर्थन के आरोप लगते रहे हैं, उसके साथ व्यापार समझौते की संभावनाएं जताना, अमेरिका की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करता है।
वैश्विक उथल-पुथल का असर: रुपये में भारी गिरावट, 26 महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज
31 May, 2025 06:09 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अप्रैल के महीने में जिस भारतीय रुपए ने जबरदस्त परफॉर्म करते एशिया में सबसे बेहतरीन फॉर्म दिखाया था, वो ही मई में इस तरह से धराशाई होगी किसी ने भी नहीं सोचा था. पूरे एशियाई रीजन में भारत की करेंसी ने सबसे खराब परफॉर्म किया है. ताइवान, कोरिया, सिंगापूर, थाईलैंड, फिलीपींस, इंडोनेशिया जैसी छोटी इकोनॉमी के मुकाबले में भी भारत के रुपए का प्रदर्शन काफी खराब देखने को मिला है. रिपोर्ट के अनुसार टॉप 11 एशियाई देशों में सिर्फ तीन देशों की करेंसी का प्रदर्शन नेगेटिव देखने को मिला है. जिसमें हॉन्गकॉन्ग और जापान भी शामिल है. इन दोनों देशों की करेंसी से भी तुलना करें तो भारत की करेंसी में ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर भारतीय रुपया दूसरे एशियाई देशों के मुकाबले कितना गिरा है.
एशिया में भारतीय रुपए का सबसे खराब प्रदर्शन
टैरिफ अनिश्चितताओं, सीमा तनाव और केंद्रीय बैंक द्वारा आगे मॉनेटरी ढील की उम्मीदों के संयुक्त प्रभाव ने मई में रुपए को एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बना दिया. मई में रुपए में 1.27 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. जबकि महीने की शुरुआत में डॉलर के मुकाबले में रुपया 84.48 के लेवल पर देखने को मिला था, जो 30 मई तक 85.57 के लेवल पर आ गया. इसका मततब है कि रुपए में डॉलर के मुकाबले में 1.09 रुपए की गिरावट देखने को मिली है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार इस तरह से रुपया एशिया में सबसे अधिक गिरावट वाली करेंसी बन गई है. खास बात तो ये है कि अप्रैल में रुपया 83.94 के लेवल पर पहुंचने के बाद काफी मजबूत हो गया था और तेजी के कई रिकॉर्ड धराशाई कर दिए थे.
क्यों आई रुपए में गिरावट
शिनहान बैंक इंडिया के ट्रेजरी प्रमुख कुणाल सोधानी ने कहा रिपोर्ट में कि टैरिफ अनिश्चितताओं के बीच लंबी रुपए की स्थिति समाप्त हो रही है, जबकि इंपोर्टर कम एडवांस प्रीमियम का लाभ उठा रहे हैं. अप्रैल की शुरुआत में एक साल के डॉलर-रुपये के एडवांस प्रीमियम 2.34 फीसदी से गिरकर 1.94 फीसदी हो गए. कम महंगाई, विकास की संभावनाओं और नरम डॉलर सूचकांक जैसे कुछ सकारात्मक संकेतों ने रुपये को 85.50 के लेवल के आसपास कारोबार करने में मदद की है, लेकिन वैश्विक आर्थिक कारक आगे की कमजोरी को बढ़ा सकते हैं. नई दिल्ली स्थित शोध फर्म एसएस वेल्थस्ट्रीट की फाउंडर सुगंधा सचदेवा ने कहा कि अमेरिकी डॉलर में तेज उछाल, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर आउटलुक में अप्रत्याशित बदलाव या भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में देरी निकट भविष्य में आशावाद को कम कर सकती है.
एशिया में सबसे तेज कौन
अगर बात एशिया की दूसरी करेंसी की बात करें तो ताइवान के डॉलर में 6.97 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. जोकि एशिया में सबसे बेहतरीन परफॉर्म करने वाली करेंसी बन गई है. वहीं दूसरी ओर कोरियन वोन में 3.30 फीसदी, इंडोनेशियन रुपया में 1.91 फीसदी, थाईलैंड की करेंसी में 1.79 फीसदी, मलेशियन रिंगगिट में 1.39 फीसदी, सिंगापुर के डॉलर में 1.21 फीसदी, चीनी युआन में 1.06 फीसदी, फिलिपींस पेसो में 0.16 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. खस बात तो ये है कि भारत के अलावा दो और देशों की करेंसी में गिरावट आई है. जिसमें एशिया की बड़ी इकोनॉमी में से एक जपानी येन है. जिसमें 0.53 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. वहीं हॉन्गकॉन्ग डॉलर में 1.13 फीसदी की गिरावट दिखाई दी है.
शुक्रवार को रुपए में आई गिरावट
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में शुक्रवार को रुपए में शुरुआती तेजी जाती रही और कारोबार के अंत में डॉलर के मुकाबले यह सात पैसे की गिरावट के साथ 85.55 पर बंद हुआ. घरेलू शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और ग्लोबल क्रूड ऑयल की की कीमतों में सुधार के कारण रुपया दबाव में रहा. हालांकि, फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स ने कहा कि जीडीपी आंकड़ों के जारी होने से पहले निवेशक सतर्क रहे. आंकड़ों के अनुसार रुपया 85.35 पर खुला और कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले 85.25 के हाई लेवल तथा 85.64 के निम्न स्तर के बीच रहने के बाद के अंत में 85.55 पर बंद हुआ, जो अपने पिछले बंद से सात पैसे की गिरावट है. गुरुवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 10 पैसे गिरकर 85.48 पर बंद हुआ.
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि कमजोर घरेलू बाजार और कच्चे तेल की कीमतों में सुधार के कारण रुपये में गिरावट आई. आयातकों की मासांत डॉलर मांग ने भी रुपये पर दबाव डाला. हालांकि, कमजोर अमेरिकी डॉलर सूचकांक और एफआईआई के पूंजी प्रवाह ने गिरावट को सीमित किया. उन्होंने कहा कि कारोबारी अमेरिका के व्यक्तिगत व्यय खपत (पीसीई) मूल्य सूचकांक और व्यक्तिगत आय के आंकड़ों से संकेत ले सकते हैं. डॉलर-रुपया हाजिर मूल्य 85.30 रुपये से 86 रुपये के बीच रहने की उम्मीद है.
एशियन डेवलपमेंट बैंक का बड़ा ऐलान: भारत को हर साल देगा अरबों डॉलर, इकोनॉमी को मिलेगा बंपर बूस्ट
31 May, 2025 05:52 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ना तो इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड और ना ही वर्ल्ड बैंक, भारत के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक ने अपनी तिजोरी खोल दी है. एडीबी ने भारत के सामने एक ऐसी पेशकश सामने रख दी है, जो आज तक किसी के लिए नहीं रखी गई होगी. खास बात तो ये है कि मौजूदा समय में आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक पाकिस्तान पर कुछ ज्यादा ही मेहबारन दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में भारत की ओर एडीबी का हाथ बढ़ाना काफी दिलचस्प है. एडीबी की ओर से हर साल जितना कर्ज देने की बात कही गई है, उससे भारत की इकोनॉमी को काफी बड़ा बूस्ट मिल सकता है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर एडीबी ने भारत को हर साल कितना पैसा देने की बात कही है.
इतना पैसा देने का तैयार एडीबी
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अध्यक्ष मासातो कांडा ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत को हर साल 4.5 अरब डॉलर तक का लोन देने के लिए तैयार है. कांडा ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, कल मैंने भारत के साथ एडीबी की साझेदारी को मजबूत करने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत-2047 के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए नई दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि एडीबी प्रत्येक वर्ष चार अरब डॉलर से 4.5 अरब डॉलर के बीच लोन देने के लिए तैयार है. एडीबी निजी क्षेत्र के वित्तपोषण में लगभग एक अरब डॉलर उपलब्ध कराने के लिए भी तैयार है, साथ ही अतिरिक्त थर्ड पार्टी कैपिटल भी जुटाएगा.
सीतारमण से हुई थी मुलाकात
उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय वित्त पोषण एजेंसी ने बड़ी, उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं पर तेजी से काम करने पर सहमति जताई है. इनमें सौर छतों के लिए उसका समर्थन भी शामिल है, जिससे पूरे देश में स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने में तेजी आ सकती है. उन्होंने कहा कि मंत्री के अनुरोध पर एडीबी खाद्य प्रणालियों में परिवर्तन, रोजगार सृजन और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देकर एकीकृत ग्रामीण समृद्धि के लिए समर्थन को और तेज करेगा. सीतारमण ने गुरुवार को कांडा के साथ बैठक के दौरान, एकीकृत ग्रामीण समृद्धि उपायों के लिए एडीबी से और अधिक सहयोग देने का आग्रह किया था, जिसमें रोजगार और स्थानीय उद्यमिता का सृजन, तथा कृषि में नवाचार को बढ़ावा देना शामिल है, ताकि गांवों को मजबूत समुदायों में बदला जा सके.
भारत की इकोनॉमी सबसे तेज
हाल ही में भारत की इकोनॉमी के आंकड़े सामने आए हैं. इसके तहत भारत की ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी है, जोकि दुनिया के तमाम बड़े देशों के मुकाबले में सबसे तेज है. खास बात तो ये है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है और इस वित्त वर्ष में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है. जिसके अगले 3 साल में तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने का अनुमान लगाया गया है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि साल 2047 तक भारत की इकोनॉमी को विकसित करना है. एक अनुमान के अनुसार तब भारत की इकोनॉमी 30 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है.
फिर सस्ती हो सकती है पेट्रोल-डीजल: मंत्री हरदीप पुरी ने दिए राहत के संकेत
31 May, 2025 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Petrol-Diesel की कीमतों में एक बार फिर बड़ी कटौती होने के आसार हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी की मानें तो अगर वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतें स्थिर रहती हैं तो सरकार देश में पेट्रोल और डीजल के रेट घटा सकती है।
सरकार वहन कर रही कर का बोझ
उन्होंने बताया कि अभी सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती वहन कर जनता को तेल कीमतों में राहत दे रही है। सरकार ने नवंबर 2021 और मई 2022 में करों में कमी की थी। उस दौरान पेट्रोल और डीजल पर क्रमश: 13 और 16 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई थी।
तेल की कीमतों के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार
पुरी ने सीआईआई के बिजनेस समिट में बताया कि यह राहत केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयास से मिल पाई थी। हमने कर घटाया तो राज्यों ने वैट कम किया था। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें, वैश्विक स्तर पर क्रूड का रेट, बीमा की लागत और रिफाइनरी का मार्जिन आदि फैक्टर तेल की कॉस्ट के लिए जिम्मेदार होते हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें स्थिर रहती हैं तो सरकार तेल के दाम और घटा सकती है।
40 देशों से होता है तेल का निर्यात
पुरी ने ब्राजील, गुयाना, सूरीनाम और कनाडा से कच्चे तेल की उपलब्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ओपेक देशों के क्रूड प्रोडक्शन में कट के बावजूद वैश्विक स्तर पर आपूर्ति बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि सरकार ने तेल खरीदने की रणनीति भी बदल दी है। अब हम 27 देशों के बजाय 40 से तेल का आयात करते हैं। हम अर्जेंटीना से भी कंसाइनमेंट मंगाते हैं।
कम कीमत पर मिलेगा तो खरीदेंगे
रूस से तेल आयात के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का प्रयास है कि जनता को किफायती कीमतों पर तेल खरीदने को मिले। अगर किसी देश में तेल कमी कीमत पर उपलब्ध होता है तो हम उसे खरीदेंगे।
अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस ने महाराष्ट्र में जीती ₹1600 करोड़ की ट्रांसमिशन परियोजना, कंपनी का भविष्य और मजबूत
31 May, 2025 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (AESL) ने महाराष्ट्र में 1,600 करोड़ रुपये की अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन परियोजना हासिल की है. कंपनी परियोजना मिलने की शुक्रवार को जानकारी दी. कंपनी ने एक बयान में कहा कि इसके साथ ही, इसकी ट्रांसमिशन ऑर्डर बुक अब 61,600 करोड़ रुपये हो गई है.
नए सुरक्षित प्रोजेक्ट के दायरे में 3,000 मेगा वोल्ट-एम्पीयर (MVA) सबस्टेशन क्षमता की स्थापना, अन्य संबंधित ट्रांसमिशन बुनियादी ढांचे के अलावा एईएसएल का समग्र ट्रांसमिशन नेटवर्क 26,696 सीकेएम और 93,236 MAV ट्रांसफॉर्मेशन कैपिसिटी तक ले जाना शामिल है.
बिजली की मांग को पूरा करने में मिलेगी मदद
एक बार पूरा हो जाने पर, यह परियोजना क्षेत्र में आगामी हाइड्रो पंप स्टोरेज परियोजनाओं (PSP) से 1.5 गीगावाट ग्रीन एनर्जी की निकासी में सहायता करेगी, जिससे मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ती बिजली की मांग को पूरा किया जा सकेगा.
2028 तक चालू करनी है परियोजना
अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड को जनवरी 2028 तक परियोजना चालू करनी है. कंपनी ने कहा कि उसने टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (TBCB) तंत्र के तहत यह अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) परियोजना जीती है, जबकि आरईसी पावर डेवलपमेंट एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (RECPDCL) बोली प्रक्रिया समन्वयक थी. अडानी पोर्टफोलियो का हिस्सा अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस एक मल्टी डायमेंशनल कंपनी है. यह एनर्जी सेक्टर के विभिन्न पहलुओं जैसे बिजली ट्रांसमिशन, वितरण, स्मार्ट मीटरिंग और कूलिंग सॉल्यूशन के क्षेत्र में कारोबार करती है.
अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड की विज्ञप्ति में कहा गया कि यह प्रगति भारत के एनर्जी ट्रांसमिशन में AESL की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है, क्योंकि यह देश के रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्य में योगदान करते हुए टिकाऊ बुनियादी ढांचे में अपनी उपस्थिति का विस्तार करना जारी रखे हुए है.
अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस का मुनाफा
मार्च 2025 को समाप्त चौथी तिमाही में अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस का नेट प्रॉफिट साल-दर-साल (YoY) 79 फीसदी बढ़कर 647.2 करोड़ रुपये हो गया, जो एक साल पहले 361.4 करोड़ रुपये था. कंपनी का रेवेन्यू भी 35.4 फीसदी बढ़कर 6,374.6 करोड़ रुपये हो गया.
पाक समर्थित तुर्किये पर भारत का शिकंजा: इंडिगो से लीज खत्म करने को कहा, आगे क्या?
31 May, 2025 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्र सरकार ने घरेलू एयरलाइन इंडिगो से तुर्किये एयरलाइन के साथ विमान लीज को खत्म करने के लिए कहा है. तुर्किये एयरलाइन के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने इंडिगो से कहा कि वो अपनी लीज को तीन महीने के भीतर खत्म करे. इंडिगो एयरलाइन ने वर्तमान में तुर्की एयरलाइंस से वेट लीज के जरिए प्राप्त दो बोइंग 777-300ER विमानों को उड़ाती है. यह लीज 31 मई तक वैध थी.
शॉर्ट टर्म राहत
एयरलाइन ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से व्यवस्था को छह महीने और बढ़ाने के लिए संपर्क किया था, लेकिन एयरलाइन के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया. एक औपचारिक कॉम्युनिकेशन में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने पुष्टि की कि दो तुर्की विमानों के लिए इंडिगो की लीज परमिट 31 मई को समाप्त हो गया. नियामक ने स्पष्ट किया कि मंत्रालय ने विस्तार प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और इसके बजाय शॉर्ट टर्म राहत की पेशकश की है.
3 महीने के भीतर खत्म करनी है लीज
DGCA ने कहा कि पैसेंजर सर्विस में तत्काल व्यवधान से बचने के लिए 31 अगस्त तक अंतिम तीन महीने का विस्तार दिया गया है. साथ ही कहा कि इस विस्तार को किसी भी परिस्थिति में रिन्यू नहीं किया जाएगा. बयान में कहा गया है कि इंडिगो को इन डैम्प-लीज्ड विमानों के लिए 31.08.2025 तक तीन महीने का अंतिम विस्तार दिया गया है, जो एयरलाइन की प्रतिबद्धता पर आधारित है कि वे इस विस्तार अवधि के भीतर तुर्किए एयरलाइंस के साथ डैम्प लीज को समाप्त कर देगी और इन ऑपरेशन के लिए आगे कोई विस्तार की मांग नहीं करेगी. इंडिगो ने तुर्किये एयरलाइंस के साथ कोडशेयर साझेदारी भी बनाए रखी है.
2023 में हुआ था करार
2023 की शुरुआत में, इंडिगो ने तुर्किये एयरलाइंस के साथ एक वेट लीज कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए, ताकि प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्याओं के कारण अपने एयरबस A320neo बेड़े के ग्राउंडिंग के कारण होने वाली क्षमता की कमी को दूर किया जा सके. लीज पर दिए गए बोइंग 777, जिनमें से प्रत्येक में 500 यात्री तक बैठ सकते हैं, इंडिगो की अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवाओं को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
एयरलाइन ने नई पॉलिसी के तहत छह महीने के विस्तार का अनुरोध किया था, जिसके तहत एयरलाइनों को शुरुआती छह महीने की अवधि के लिए विमान पट्टे पर देने की अनुमति दी गई थी.
सेलेबी को सरकार ने दिया था झटका
इससे पहले तुर्किये की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी गई थी. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने के चलते ऐसा किया गया. 15 मई को विमानन सुरक्षा नियामक BCAS ने राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में तुर्किये की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी थी. यह कदम तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने और पड़ोसी देश में आतंकवादी शिविरों पर भारत के हमलों की निंदा करने के कुछ दिनों बाद उठाया गया था.
आयात शुल्क में 10% की कमी: क्या घटेंगी खाने के तेल की कीमतें
31 May, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वित्त मंत्रालय की तरफ जारी एक गजट नोटिफिकेशन में बताया गया है कि कच्चे खाद्य तेल के आयात पर लगने वाले शुल्क में 10 फीसदी की कटौती की गई है. कच्चे तेल के आयात पर शुल्क की नई दर 31 मई से ही लागू कर दी गई है. भारत दुनिया में खाद्य तेलों के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में शामिल है. लगातार बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए भारत कच्चे खाद्य तेलों का आयात करता है. केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के मुताबिक देश को मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को पूरा करने के लिए कच्चे खाद्य तेल का आयात करना पड़ता है.
कितना घटाया गया आयात शुल्क?
खाद्य तेल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को काबू करने के लिए केंद्र सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों के आयात पर लगने वाली बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी में 10 फीसदी की कटौती की है.
कितना तेल आयात करता है भारत?
भारत कच्चे खाद्य तेल यानी वनस्पति तेल की अपनी डिमांड का करीब 70 फीसदी हिस्सा आयात के जरिये ही पूरा करता है. भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम ऑयल खरीदता है. वहीं, अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोयाबीन और सूरजमुखी का तेल आयात करता है. आने वाले दिनों में सरकार के इस फैसले की वजह से पाम ऑयल, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल के दाम में गिरावट देखने को मिल सकती है.
कितनी कम हुई इम्पोर्ट ड्यूटी?
सरकार ने कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर बेसिक कस्टम या इम्पोर्ट ड्यूटी को पहले के 20% से घटाकर 10% कर दिया है. इससे तीनों तेलों पर कुल आयात शुल्क पहले के 27.5% से घटकर 16.5% हो गया है. इससे पहले सितंबर 2024 में, भारत ने कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों 20% की दर से बेसिक कस्टम ड्यूटी लगाने का फैसला किया था. बहरहाल, अब नई दरों के बाद, कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर पहले के 5.5% की तुलना में 27.5% आयात शुल्क लगाया जाएगा, जबकि तीनों तरह के रिफांइड तेल पर 35.75% इम्पोर्ट ड्यूटी लगाई गई है.
OYO के रितेश अग्रवाल का अनोखा ऑफर: अपनी कंपनी के लिए मांगा नया नाम, जीतने वाले को 3 लाख
30 May, 2025 07:50 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बजट होटल चेन कंपनी OYO के फाउंडर रितेश अग्रवाल ने अपनी पैरेंट कंपनी ओरावेल स्टेज के लिए नाम के सुझाव आमंत्रित किए हैं. यह एक रणनीतिक कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब ओयो बाजार में अपना आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है और प्रीमियम सेगमेंट में और पेशकश करने की योजना बना रही है.
रणनीति से परिचित लोगों ने समाचार एजेंसी को बताया कि इस बात की काफी संभावना है कि इस प्रक्रिया के दौरान चुना गया नाम उस प्रीमियम होटल ऐप का नाम हो सकता है जिसे ओयो निकट भविष्य में पेश करने की योजना बना रही है. अग्रवाल ने एक नई पहचान गढ़ने में मदद के उद्देश्य से नाम के सुझाव मांगने के लिए सोशल मीडिया मंच का सहारा लिया.
क्या OYO का बदल जाएगा नाम?
ओयो के संस्थापक ने कहा, हम मूल कंपनी का नाम बदल रहे हैं. होटल श्रृंखला नहीं, उपभोक्ता उत्पाद नहीं – बल्कि शहरी नवाचार एवं आधुनिक जीवन के वैश्विक परिवेश को सशक्त बनाने वाली मूल कंपनी. हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि दुनिया के पास एक नए तरह का वैश्विक ब्रांड हो जिसका गढ़ भारत में हो, लेकिन दुनिया के लिए बनाया गया हो. उन्होंने विजेता को तीन लाख रुपये का पुरस्कार और उनसे मिलने का मौका देने की घोषणा भी की है.
कैसा होना चाहिए नाम?
रितेश अग्रवाल ने कहा है कि नाम एक बोल्ड, एक-शब्द कॉर्पोरेट नाम होना चाहिए, वैश्विक अनुभव वाला, किसी एक संस्कृति या भाषा से बंधा हुआ नहीं, तकनीक-अग्रणी, तीक्ष्ण, लेकिन मानवीय और यादगार भी होना चाहिए.
ये भी है प्लानिंग
मामले से अवगत लोगों ने बताया, ओयो अपने प्रीमियम होटल और मिड-मार्केट से लेकर प्रीमियम कंपनी-सेवा वाले होटल के लिए अलग ऐप पेश करने पर विचार कर रही है क्योंकि इस खंड में भारत के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में भी तेजी से वृद्धि देखी गई है. इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि चुना जा रहा नाम उस प्रीमियम होटल ऐप का नाम हो सकता है, जिसे ओयो निकट भविष्य में पेश करने की तैयारी कर रही है. इससे पहले समाचार एजेंसी ने एक खबर में बताया था कि ओयो ने जून में पांच निवेश बैंकों की उसके प्रमुख शेयरधारक सॉफ्टबैंक से मिलने की व्यवस्था की है.
इन बैंक में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और एक्सिस कैपिटल के साथ-साथ भारतीय वित्तीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले वैश्विक बैंकिंग गठजोड़ से सिटी, गोल्डमैन सैक्स और जेफरीज शामिल हैं. जापानी समूह सॉफ्टबैंक, ओयो के सबसे बड़े शेयरधारकों में से एक है. इसलिए इस बैठक के काफी मायने हैं.
लंदन में होने वाली है मीटिंग
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाल सूत्रों ने समाचार एजेंसी को बताया कि महत्वपूर्ण बैठक सॉफ्टबैंक के लंदन स्थित ग्रोसवेनर स्ट्रीट कार्यालय में होने वाली है. पांच बैंक, सॉफ्टबैंक के सुमेर जुनेजा के समक्ष अपनी आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से जुड़ी रणनीति प्रस्तुत करेंगे. ओयो के संस्थापक रितेश अग्रवाल और उसकी वरिष्ठ नेतृत्व टीम भी इसमें शामिल होगी.
बड़ी खबर: LIC ने अडानी पोर्ट्स के सबसे बड़े ₹5,000 करोड़ के बॉन्ड इश्यू को किया पूरी तरह सब्सक्राइब
30 May, 2025 10:18 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अडानी समूह की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक अडानी पोर्ट को बड़ी राहत मिली है. इसके 5,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड इश्यू को LIC ने पूरी तरह सब्सक्राइब कर लिया है. आमतौर कंपनियों को बॉन्ड्स के जरिये इतनी बड़ी राशि जुटाना मुश्किल साबित होता है. लेकिन, LIC ने अडानी पोर्ट्स के पूरे इश्यू को खरीदकर अडानी समूह को बड़ी राहत दी है. अडानी पोर्ट्स इस रकम का इस्तेमाल कर्ज को चुकाने और अपने बुनियादी ढांचे के विकास में कर पाएगी.
LIC को क्या मिलेगा?
LIC ने निजी तौर पर तय सौदे में अडानी पोर्ट्स के 5,000 करोड़ रुपये के 15 साल के बॉन्ड इश्यू को 7.75% कूपन रेट पर पूरी तरह से सब्सक्राइब कर लिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकारी स्वामित्व वाली एलआईसी ने गुरुवार को अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन के 5,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड इश्यू को 7.75 फीसदी की कूपन रेट पर पूरी तरह से सब्सक्राइब कर लिया है. अडानी पोर्ट्स की तरफ से यह अब तक का सबसे बड़ा बॉन्ड इश्यू है.
कोई और क्यों नहीं हुआ शामिल?
रिपोर्ट के मुताबिक इस बिड में सिर्फ एलआईसी शामिल हुई, क्योंकि अडानी पोर्ट्स की तरफ से सिर्फ LIC से संपर्क किया गया था. चूंकि 15 साल लॉन्ग टर्म निवेश है, लिहाजा बैंकों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई थी. ऐसे में LIC को बॉन्ड इश्यू किए गए हैं. मामले की जानकारी रखने वाले सूत्र का कहना है कि अगर अडानी पोर्ट्स की तरफ से अगर ब्रॉड मार्केट में इश्यू को लाया जाता, तो ज्यादा कूपन रेट देनी पड़ सकती थी.
कहां होगा इस रकम का इस्तेमाल?
बॉन्ड जारी करने से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल कंपनी अपने मौजूदा कर्ज को चुकाने, रिफाइनेंस और कर्ज के पूर्व भुगतान के लिए करेगी. इसके अलावा इसका उपयोग बंदरगाह और उससे संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कैपेक्स के तौर पर किया जाएगा.
नायडू का जोर: ₹500 और बड़े नोट बंद हों, डिजिटल करेंसी से हर लेनदेन का रिकॉर्ड रहेगा
30 May, 2025 09:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार से आग्रह की है. नायडू ने कहा कि वह 500, 1,000 और 2,000 रुपये के बड़े मूल्यवर्ग के नोटों को चलन से बाहर करे और देश को पूरी तरह डिजिटल भुगतान की ओर ले जाए. नायडू का मानना है कि इस कदम से न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, बल्कि राजनीति और प्रशासन में भी पारदर्शिता आएगी.
नोटों की बंदी की वकालत क्यों कर रहे नायडू?
नायडू ने यह बयान आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में आयोजित TDP के सालाना तीन दिवसीय महासम्मेलन “महानाडु” में की. उन्होंने मंच से हजारों कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार से ये बात कही. नायडू ने अपने संबोधन में साफ कहा कि आज के दौर में कैश ट्रांसजेक्शन भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी जड़ बन चुका है और इसका रास्ता सिर्फ और सिर्फ डिजिटल इकोनॉमी है.
पहले भी कर चुके हैं कैशलेस इकोनॉमी की वकालत
हालांकि ये पहली बार नहीं है जब नायडू ने नोट को लेकर ऐसी बात कही है, उन्होंने नोटबंदी के बाद 2016 में भी सरकार को ये सुझाया था. नायडू ने याद दिलाया कि 2016 में केंद्र सरकार की ओर किए गए नोटबंदी अभियान के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डिजिटल करेंसी लाने का सुझाव दिया था. उनका कहना है कि अगर उस समय से देश पूरी तरह डिजिटल भुगतान की दिशा में बढ़ता, तो आज भ्रष्टाचार की स्थिति काफी हद तक सुधर चुकी होती.
राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता की जरूरत
नायडू ने अपने भाषण में राजनीतिक चंदों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आज भी ज्यादातर राजनीतिक दल नकद चंदा लेते हैं, जिससे काले धन का चलन बना रहता है. लेकिन TDP ने इस पर पहल करते हुए QR कोड के जरिए चंदा लेना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, “अब पार्टी को चंदा देने के लिए किसी व्यक्ति को नकद लाने या किसी सूची की जरूरत नहीं है. बस QR कोड स्कैन करो और पैसा ट्रांसफर करो, सब कुछ ट्रैक किया जा सकता है.”
नीति आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं नायडू
नायडू पहले भी नीति आयोग द्वारा गठित उस समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं, जिसका उद्देश्य देश को कैशलेस इकोनॉमी की ओर बढ़ाना था. उन्होंने कहा कि डिजिटल ट्रांजैक्शन से न सिर्फ ट्रैकिंग आसान होगी, बल्कि टैक्स चोरी और रिश्वतखोरी जैसे मामलों में भी कमी आएगी. नायडू ने कहा कि जब तक बाजार और व्यवस्था में कैश का बोलबाला रहेगा, तब तक भ्रष्टाचार भी रहेगा. उन्होंने इसे सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक और नैतिक सुधार का मुद्दा बताया. उन्होंने कहा, “डिजिटल करेंसी से हर लेन-देन का रिकॉर्ड रहेगा. अगर कोई भी गलत काम होगा, तो वह तुरंत पकड़ा जा सकेगा.”
डिजिटल पेमेंट बना ठगों का नया हथियार? RBI ने बताई धोखाधड़ी की पूरी कहानी, ₹36,000 करोड़ उड़ाए
30 May, 2025 08:37 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में पिछले कुछ समय से धोखाधड़ी के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. हाल के दिनों में ठगों ने लोगों को चूना लगाने के लिए लगातार नए-नए तरीके अपनाए हैं. आंकड़े बताते हैं कि आम लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. अब इस मामले में RBI ने जानकारी साझा की है, जिसमें बताया गया है कि FY25 में ठगों ने कितने करोड़ की चपत लगाई है. तो आइए आपको बताते हैं कि इस दौरान कितना नुकसान हुआ है और पिछले साल की तुलना में इसमें कितनी बढ़ोतरी हुई है.
हजारों करोड़ का नुकसान
Reserve Bank of India (RBI) ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2025 में लोन अकाउंट और डिजिटल पेमेंट से जुड़ी धोखाधड़ी के कुल मामलों में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है. यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से 122 पुराने मामलों को सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2023 के आदेश के अनुसार दोबारा शामिल किए जाने के कारण हुई है. FY25 में धोखाधड़ी की कुल राशि बढ़कर 36,014 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष में 12,230 करोड़ रुपये थी.
धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में गिरावट
हालांकि, इस दौरान कुल धोखाधड़ी की रकम में इजाफा हुआ है, लेकिन धोखाधड़ी के मामलों की संख्या में कमी आई है. FY25 में ऐसे मामलों की संख्या घटकर 23,953 हो गई, जबकि FY24 में यह 36,060 थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि “2023-24 की तुलना में 2024-25 के दौरान रिपोर्ट की गई कुल धोखाधड़ी की राशि में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
इसके पीछे मुख्य वजह 122 पुराने मामलों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दोबारा शामिल किया जाना है. इन मामलों में 18,674 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी, जिन्हें पुनः जांच के बाद FY25 में रिपोर्ट किया गया.”
धोखाधड़ी रोकने के लिए RBI की पहल
डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने के लिए RBI ने ‘bank.in’ (बैंकों के लिए) और ‘fin.in’ (गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के लिए) जैसे एक्सक्लूसिव डोमेन लॉन्च करने का प्रस्ताव रखा है. इससे फिशिंग और साइबर हमलों में कमी आएगी और डिजिटल पेमेंट सिस्टम पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा.
IDRBT (Institute for Development and Research in Banking Technology) इनकी निगरानी करेगा. रिपोर्ट के अनुसार, ये विशेष डोमेन साइबर सुरक्षा खतरों और फिशिंग जैसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों की पहचान करने में भी मदद करेंगे, जिससे आम जनता को होने वाला वित्तीय नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकेगा.
डिजिटल भुगतान में सबसे ज्यादा हेराफेरी
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, FY25 में अधिकांश धोखाधड़ी डिजिटल भुगतान (कार्ड/इंटरनेट) के जरिए हुई, जो कुल मामलों का 56.5 फीसदी (13,516 केस) थी. हालांकि, रकम के लिहाज से 92 फीसदी से अधिक धोखाधड़ी बैंकों के लोन में पाई गई. निजी बैंकों में 60 फीसदी धोखाधड़ी कार्ड/इंटरनेट से जुड़ी थी, जबकि सार्वजनिक बैंकों में 71 फीसदी से अधिक राशि की धोखाधड़ी लोन से संबंधित थी. ये आंकड़े 1 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी वाले मामलों पर आधारित हैं और इनमें बदलाव संभव है.
RBI गवर्नर ने चेताया बिटकॉइन से खतरा, e-रुपी को बताया सुरक्षित विकल्प
30 May, 2025 07:03 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बिटकॉइन को लेकर अलग-अलग एक्सपर्ट का प्रेडिक्शन है कि इसकी कीमत आने वाले कुछ वर्षों में 3 से 10 लाख डॉलर तक पहुंच जाएगी. BTC की कीमत जब 3 लाख डॉलर होगी, तो इसका मार्केट कैप करीब 6 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा, जो भारत की मौजूदा GDP के साइज से भी ज्यादा होगा. इस लिहाज से किसी भी देश के लिए Bitcoin को चुनौती देना संभव नहीं, बल्कि अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान जैसी दुनियाी की सबसे बड़ी आर्थिक ताकतें किसी न किसी तरह से बिटकॉइन को अपनी फॉर्मल इकोनॉमी में शामिल कर रहे हैं. हालांकि, भारत में किसी भी क्रिप्टोकरेंसी को किसी तरह के निवेश या भुगतान के लिए लीगल नहीं माना गया है. बिटकॉइन सहित तमाम क्रिप्टोकरेंसी निवेश को सट्टेबाजी के दायरे में रखा गया है. हालांकि, इसे आपराधिक श्रेणी में नहीं रखा गया है.
भारत के पास क्या है BTC का विकल्प?
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2022 में CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी नाम से एक प्रॉजेक्ट शुरू किया. इसे डिजिटल रुपी या E-Rupee नाम दिया गया. असल में यह दुनियाभर में चल रहे क्रिप्टोकरेंसी के ट्रेंड को लेकर भारत का जवाब है. बिटकॉइन या किसी भी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की तरह ई-रुपी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करता है. हालांकि, BTC और E-Rupee में कई अंतर हैं. नवंबर 2022 में इसका होलसेल कारोबारियों और फिर बाद में रिटेल सेक्टर में इसका पायलट टेस्ट किया गया. गुरुवार को रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि ई-रुपी का सर्कुलेशन 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है.
क्या है रिजर्व बैंक का ई-रुपी?
CBDC प्रोजेक्ट के तहत भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी ही ई-रुपी है. हालांकि, बिटकॉइन, एथेरियम, सोलाना जैसी डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में इसका कंट्रोल पूरी तरह रिजर्व बैंक के हाथ में है. इसका मूल्य भारतीय रुपये के बराबर है. इसके मूल्य में कोई वोलैटिलिटी नहीं होती है, न इसकी माइनिंग की जा सकती है. हालांकि, ब्लॉकचेन पर आधारित होने की वजह से किसी भी क्रिप्टोकरेंसी की तरह इसमें ट्रांसपेरेंसी, रियल टाइम ट्रांजैक्शन और कम टर्नअराउंट टाइम की सुविधा मिलती है.
कैसे बिटकॉइन की बादशाहत के लिए चुनौती?
भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ बढ़ रहा है. भले ही अमेरिका में लगातार BTC को सरकार की तरफ से प्रमोट किया जा रहा है. इसकी वजह से BTC लगातार डॉलर के लिए चुनौती बन रहा है. लेकिन, भारतीय रुपये पर इसका सीधे तौर पर कोई असर नहीं है. वहीं, E-Rupee के जरिये रिजर्व बैंक एक नॉन-फिएट करेंसी वाले सभी फीचर दे रही है, जिनके लिए BTC को अपनाया जा रहा है. ऐसे में भारत अपने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार में E-Rupee को बढ़ावा दे रहा है, जिससे भारत के साथ ही उन देशों में भी E-Rupee का एक ईकोसिस्टम बनने की उम्मीद है, जो भारत के साथ कारोबार करते हैं. क्रॉस बॉर्डर ट्रांजैक्शन के लिहाज से यह एक बेहद उपयोगी तरीका बन सकता है.
क्यों बन सकता है गेमचेंजर?
BTC हो या कोई भी दूसरी डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी, इन्हें किसी ऐसी एजेंसी का समर्थन नहीं है, जो सुरक्षा की गारंटी दे सके. किसी भी वास्तविक कीमत के बिना क्रिप्टोकरेंसी अटकलबाजी पर वोलैटिलिटी का शिकार होती हैं. वहीं, ई-रुपी को भारत सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ से गारंटी दी जाती है. फिलहाल, ई-रुपी को निवेश के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, लेकिन आने वाले दिनोंं में अगर रिजर्व बैंक ई-रुपी में निवेश को मंजूरी देता है, तो यह क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में गेमचेंजर हो सकता है. ई-रुपी दुनियाभर के उन पहली क्रिप्टोकरेंसी में से एक होगा, जिसे किसी रिजर्व बैंक ने जारी किया है.