धर्म एवं ज्योतिष
भगवान राम का इस गांव से अनोखा संबंध, कहा जाता है मामा, श्रृंगी ऋषि से हुआ था उनकी बहन का विवाह
20 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुनियाभर में भगवान श्री रामचंद्र के भक्त उन्हें भगवान के रूप में देखते हैं. जबकि बिहार के मिथिलांचल में भगवान श्री रामचंद्र को पाहुन (दामाद) के रूप में देखा जाता है. लेकिन बिहार में एक जगह ऐसा भी है जहां भगवान श्री रामचंद्र को ना तो भगवान और ना ही दामाद के रूप में देखते हैं, बल्कि यहां के लोग उन्हें मामा कहकर बुलाते हैं. यह जगह बिहार के लखीसराय जिले में स्थित है. जहां से भगवान श्री रामचंद्र जी का पारिवारिक संबंध है और यहां के लोग भगवान श्री रामचंद्र सहित लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को भी मामा कहकर बुलाते हैं. ये जगह श्रृंगी ऋषि आश्रम के नाम से जानी जाती है, जो लखीसराय जिला के सूर्यगढ़ा प्रखंड में स्थित है.
बताया जाता है कि भगवान श्री रामचंद्र सहित चारों भाइयों के जन्म से पहले राजा दशरथ को एक पुत्री हुई थी. जिनका नाम शांता कुमारी था. वहीं, अंग प्रदेश में राजा रोमपाद और उनकी रानी वर्शिनी को कोई संतान नहीं हो पा रही थी. रानी वर्शिनी श्री रामचंद्र की मां कौशल्या की बहन थी और राजा दशरथ और रानी कौशल्या ने अपनी बड़ी पुत्री शांता कुमारी को रोमपाद को गोद दे दिया था. बाद में उन्हीं शांता कुमारी का विवाह श्रृंगी ऋषि से करवाया गया था.
श्रृंगी ऋषि ने कराया था यज्ञ का आयोजन
गौरतलब है कि श्रृंगी ऋषि वो महान मुनि थे जिन्होंने राजा दशरथ के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया था और इसी कारण प्रभु श्री रामचंद्र, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था. इतना ही नहीं श्रृंगी ऋषि पहले अवध प्रदेश में रहा करते थे. लेकिन एक बार अंग प्रदेश में काफी बड़ा सूखा पड़ जाने के कारण उन्हें राजा रोमपाद ने अंग प्रदेश में बुलाया था और फिर वही सूर्यगढ़ा में रहकर श्रृंगी ऋषि ने यज्ञ करवाया था. जिसके बाद पूरे अंग प्रदेश में बारिश हुई थी. आज भी वहां ऋषि श्रृंगी का आश्रम मौजूद है और वहां के लोग भगवान श्री राम को मामा के रूप में मानते हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (20 जनवरी 2024)
20 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन लाभ आशानुकूल का हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार होवे, कार्य बनेंगे।
वृष राशि :- मान प्रतिष्ठा, कार्यकुशलता से संंतोष होवे एवं कार्य पूर्ण संतुष्ट का होगा।
मिथुन राशि :- सामर्थ्य वृद्धि भी संभंव है, विरोधियों से डटकर मुकाबला करें, विजय मिलेगी।
कर्क राशि :- तनाव क्लेश व अशांति से चिन्ता व मानसिक व्यग्रता संभंव होगी।
सिंह राशि :- दैनिक कार्यवृत्ति में सुधार, चिन्ताएं कम हो तथा परिश्रम सफल होगा।
कन्या राशि :- शारीरिक थकावट, बैचेनी बढ़ेगी तथा समय और सामर्थ्य व्यर्थ जाएगा।
तुला राशि :- दैनिक कार्यगति अनुकूल, समय की अनुकूलता का उपयोग करें।
वृश्चिक राशि :- योजनाएं विफल जाए, परिश्रम से कुछ सफलता निरर्थक दिखाई देगी।
धनु राशि :- मनोबल बनाए रखें तथा कार्य व्यवसाय में योजना परिपूर्ण अवश्य होगी।
मकर राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं में अर्थ व्यवस्था, बाधा पैदा अवश्य होगी, ध्यान दें।
कुंभ राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, तथा मन उत्तम बना रहेगा।
मीन राशि :- सफलता के साधन जुटाए तथा विशेष कार्य स्थिगित रखे।
भौम प्रदोष व्रत के दिन इस विधि से करें पूजा, कर्ज और दुश्मनों से मिलेगा छुटकारा!
19 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आगामी 23 जनवरी को भौम प्रदोष व्रत होगा. हर महीने की त्रयोदशी को प्रदोष का व्रत रखा जाता है, लेकिन यह मंगलवार के दिन पड़ रहा है. इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. बताया जाता है कि इस दिन व्रत और विशेष तरह के पूजन से भगवान शिव और हनुमान जी दोनों की कृपा भक्त पर पड़ती है और जिन लोगों पर कर्ज होता है, वह भी कर्जमुक्त हो जाता है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के निवासी पंडित योगेश कुकरेती ने बताया कि हर महीने दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं, लेकिन जो प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन होता है, वह भौम प्रदोष व्रत होता है. उन्होंने कहा इस दिन लाल वस्तुओं का दान और व्यापार करना चाहिए, जो बहुत शुभ माना जाता है. वहीं जिन लोगों के जीवन में हादसे ज्यादा हो रहे हों, वे भी लाल वस्तुओं का दान करें या भगवान शिव को लाल फूल अर्पित करें.
पंडित योगेश कुकरेती ने आगे बताया कि भौम प्रदोष व्रत उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिन पर ऋण यानि कर्ज बहुत ज्यादा हो. ऐसे लोग यह व्रत कर सकते हैं और इसी के साथ ही उन्हें इस दिन मंगल का विधान पूर्वक पूजन करना चाहिए. निश्चित रूप से उनके सारे कर्ज खत्म हो जाएंगे. उन्होंने बताया कि इस दिन शाम को भगवान शिव का रुद्राभिषेक, दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से सविधि स्नान कराने के बाद उनका पूजन करना चाहिए, इससे जीवन के संकट खत्म हो जाते हैं.
शत्रुओं को शांत करने के लिए भी उपाय
भौम प्रदोष व्रत उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिन्हें हमेशा अपने शत्रुओं का भय रहता है. शत्रुओं और विरोधियों को शांत करने के लिए भौम प्रदोष के दिन बजरंगबली की पूजा करनी चाहिए. इसके लिए भौम प्रदोष के दिन सुबह लाल कपड़े पहनकर हनुमान जी पूजा करनी चाहिए. इस दिन हनुमान जी को पूजा में लाल फूलों की माला और तांबे का एक तिकोना टुकड़ा चढ़ाना चाहिए. इसके बाद गुड़ का भोग लगाकर दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने के बाद संकटमोचन हनुमानाष्टक का 11 बार पाठ करना चाहिए.
पौष पूर्णिमा कब है, 24 या 25 जनवरी को? व्रत-स्नान किस दिन करें?
19 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पौष माह की पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर के 10वें माह की 15वीं तिथि होती है. उस दिन व्रत रखा जाता है और माता लक्ष्मी की पूजा करके शाम को चंद्र देव को अर्घ्य देते हैं. इससे व्यक्ति को दो बड़े लाभ होते हैं. मां लक्ष्मी की कृपा से धन और दौलत बढ़ता है तो चंद्र देव की कृपा से मानसिक मजबूती बढ़ती है और मन स्थिर रहता है. इस बार पौष पूर्णिमा किस दिन है 24 या 25 जनवरी को? इसको जानने के लिए पौष पूर्णिमा की सही तिथि जाननी होगी. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं पौष पूर्णिमा की सही तारीख क्या है?
पौष पूर्णिमा 2024 सही तारीख
यदि पौष पूर्णिमा की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन है तो आपको पंचांग देखना चाहिए. पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा की तिथि 24 जनवरी को 09:49 पीएम से लेकर 25 जनवरी को 11:23 पीएम तक रहेगी.
पौष पूर्णिमा का स्नान-दान सूर्योदय के समय से होता है, उस समय पर पौष पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए. वहीं पौष पूर्णिमा का व्रत उस दिन रखते हैं, जिस दिन पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा दिखाई देता है.
इस आधार पर देखा जाए तो पौष पूर्णिमा का व्रत 25 जनवरी को रखा जाएगा और उस दिन ही आपको स्नान-दान करना है. उस दिन आपको शाम के समय में माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और रात में चंद्र देव को अर्घ्य देना चाहिए. पौष पूर्णिमा पर 05:54 पीएम से चंद्र देव को आप अर्घ्य दे सकते हैं.
पौष पूर्णिमा 2024: शुभ योग कौन-कौन से हैं?
1- रवि योग: सुबह 07:13 बजे से सुबह 08:16 बजे तक
2- गुरु पुष्य योग: 08:16 एएम से 26 जनवरी को 07:12 एएम तक
3- अमृत सिद्धि योग: सुबह 08:16 बजे से अगले दिन सुबह 07:12 बजे तक.
4- प्रीति योग: 07:32 एएम से पूरी रात तक
5- सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन
वृंदावन का पहला मंदिर, 350 साल से कर रहा अपने आराध्य का इंतजार, औरंगज़ेब की क्रूरता से जुड़ी है कहानी
19 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कहा जाता है कि मथुरा-वृंदावन समेत पूरे ब्रज में 5000 से भी अधिक छोटे-बड़े मंदिर है और हर मंदिर का अपना एक इतिहास है .वैसे तो वृंदावन में कई विश्व विख्यात मंदिर है लेकिन वृंदावन का मदन मोहन मंदिर सबसे पुराना मंदिर माना जाता है. 60 फीट ऊंचे शिखर वाला यह भव्य मंदिर अब भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. इसका निर्माण मुल्तान के कपूर राम दास ने 1580 में कराया था.
वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर के वीआईपी गेट के पास परिक्रमा मार्ग पर स्थित है. श्री राधामदन मोहन मंदिर वृंदावन के सप्त देवालय मंदिर में भी शामिल है. मान्यता के अनुसार सप्त देवालय मंदिरों की स्थापना चैतन्य महाप्रभु के अलग-अलग शिष्यों ने की जिसमें से सबसे पहले श्री सनातन गोस्वामी ने ही मदन मोहन मंदिर की स्थापना की थी.
यह मंदिर वृंदावन के सबसे ऊंचे टीले पर स्थापित है जिसे द्वादश दत्य टीले के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर सेवायत गोपाल दास बाबा ने बताया कि एक बार पंजाब के व्यापारी की रामदास खत्री जिन्हे कपूर राम दास के नाम से जाना जाता है. उसकी नाव आगरा जाने और दौरान वृंदावन के घाट पर अटक गई. 3 दिन तक कोशिश करने के बाद भी जब नाव नहीं निकली तो वह स्थानीय देवता को खोजने निकल पड़ा. उसे टीले पर सनातन गोस्वामी मिले और उन्होंने उससे मदन मोहन भगवान की प्रार्थना करने को कहा जैसे ही व्यापारी ने ऐसे किया उसकी नाव तैरने लगी.
आगरा से अपना सारा माल बेचने के बाद जब वह वापस आया तो कपूरी ने अपना सारा अर्जित धन सनातन गोस्वामी को दे दिया और इस मंदिर का निर्माण चौदहवीं शताब्दी में करवाया. इस मंदिर पर मुग़लों ने भी आक्रमण किया था. 1669 में औरगज़ेब ने जब ब्रज में आक्रमण किया था और इस मंदिर की एक चोटी को क्षतिग्रस्त कर दिया था जो आज भी टूटी अवस्था में मौजूद है.
जब औरंगज़ेब ने इस मंदिर पर आक्रमण किया था तब मंदिर के सेवायतों ने मंदिर के विग्रहों को सुरक्षित रखने के लिए मंदिर से छुपा कर राजस्थान के करौली ले जा कर स्थापित कर दिया और आज भी इस मंदिर के मूल विग्रह करौली के मंदिर में स्थापित है. यह मंदिर वृंदावन के उन मंदिरों में भी शामिल है जो लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है इस पत्थर से सिर्फ 5 मंदिर ही बने हुए है.
श्यामल रंग, हाथ में तीर व धनुष! जानें रामलला की मूर्ति की 7 विशेषताएं, वजन जानकार हो जाएंगे हैरान
19 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रभु राम की नगरी अपने राम के स्वागत के लिए सजकर तैयार हो गई है. पूरी नगरी को त्रेता की तरह सजाया गया है. अयोध्या में ऐसा लग रहा है मानो प्रभु राम अपने घर वापस आ रहे हैं. हर तरफ का वातावरण राममय नजर आ रहा है. 22 जनवरी को प्रभु राम अपने भव्य में महल में विराजमान होंगे. 500 साल के लंबे संघर्ष के बाद 22 जनवरी की यह तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगी. जब मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम अपने भव्य महल में विराजमान होंगे. रामलला के अयोध्या में विराजमान होने का दिन लगातार पास आ रहा है. अब बस पूरे देश को 22 जनवरी का इंतजार है.
दरअसल, राम जन्म भूमि परिसर प्रभु राम की जन्मस्थली है तो राम मंदिर में भगवान राम बालक स्वरूप विराजमान होंगे. 5 वर्ष के बालक के स्वरूप में रामलला की प्रतिमा राम मंदिर में विराजमान होगी. श्यामल रंग के पत्थर से यह प्रतिमा बनाई गई है. पैर की अंगुली से ललाट तक रामलला की मूर्ति की कुल ऊंचाई 51 इंच है. इतना ही नहीं इस मूर्ति का वजन का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जब प्रतिमा को गर्भ गृह में रखा जा रहा था तो उसके लिए क्रेन की आवश्यकता पड़ी थी. इस प्रतिमा का वजन 1500 किलो यानि 1.5 टन है.
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने राम मंदिर में विराजमान होने वाली मूर्ति की विशेषता का बखान करते हुए बताया कि भगवान राम लला की प्रतिमा का निर्माण देश के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने की है. इस मूर्ति की प्रमुख विशेषताएं हैं :
⦁ श्यामल रंग के पत्थर से इस प्रतिमा का निर्माण हुआ है.
⦁ 5 वर्ष के बालक के स्वरूप में रामलला की प्रतिमा राम मंदिर में विराजमान होगी.
⦁ श्याम शिला की आयु हजारों साल होती है, यह जल रोधी होती है.
⦁ कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर व धनुष है.
⦁ मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलक रही है.
⦁ मूर्ति का वजन 1500 किलो है.
⦁ चंदन, रोली आदि लगाने से मूर्ति की चमक प्रभावित नहीं होगी.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (19 जनवरी 2024)
19 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन लाभ आशानुकूल का हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार तथा प्रतिष्ठा अवश्य ही बढ़े।
वृष राशि :- योजनाएं पूर्ण हो, शुभ समाचार से समस्या संभव पूर्ण हो तथा कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मिथुन राशि :- कार्य व्यवसाय गति मंद रहे, असमर्थता का वातावरण अवश्य ही बना रहेगा, ध्यान दें।
कर्क राशि :- दैनिक व्यवसाय कार्य व्यवसाय में थकावट तथा बेचैनी, सफलता के साधन जुटाकर चलेंगे।
सिंह राशि :- आलोचना से बचें, कार्य कुशलता से पूर्ण संतुष्ट होवे तथा संतोष होगा।
कन्या राशि :- भोग ऐश्वर्य में समय बीतेगा, शारीरिक थकावट, बेचैनी अवश्य ही बढ़ेगी।
तुला राशि :- व्यवसायिक चिन्ता बनी रहेगी, आशानुकूल सफलता से संतोष होगा, ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- मित्र वर्ग विशेष फलप्रद रहे तथा सुखवर्धक योजनाएं अवश्य ही बनेगी, ध्यान दें।
धनु राशि :- तनावपूर्ण वातावरण चलता रहेगा तथा चिन्ताएं संभव होवे, ध्यान देवे।
मकर राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार तथा सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा सदैव ही अवश्य बनी रहें।
कुंभ राशि :- कार्य व्यवसाय, गति मंद, चोट आदि का भय अवश्य ही बना रहेगा।
मीन राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े हुए कार्य बने, तथा योजना बनेगी ध्यान रखे कार्य होगा।
दक्षिण दिशा में न लगायें तुलसी
18 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में तुलसी का पौधा बेहद पवित्र और पूज्यनीय माना जाता है। इसलिए प्रत्येक घर में सुख, शांति के लिए यह पौधा लगाया जाता है और दीपक जलाने के साथ ही इसकी सुबह-शाम पूजा होती है। तमाम गुणों से युक्त तुलसी के पौधे को सही दिशा में होना चाहिए। सही दिशा में होने से जहां शुभता बढ़ती है, वहीं गलत जगह लगाने पर हानि भी हो सकती है।
तुलसी का पौधा कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। वह किसी अन्य ऐसे स्थान पर होना चाहिए, जिससे वह घर में किसी से न टकराये। यह पवित्र पौधा हमेशा एकांत में होना चाहिए।
भविष्य का संकेत भी देता है यह पौधा
तुलसी का पौधा यदि आपके घर में है, तो वह आपको भविष्य के संकेत देता है। यदि आप पर कोई विपत्ति आने वाली होती है, तो तुलसी का पौधा सूखने लगता है या फिर उसका रंग बदलने लगता है। यदि आप पर किसी ग्रह का अशुभ प्रभाव पड़ने वाला होता है तो तुलसी का पौधा अपना रंग बदलने लगता है ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बुध जो कि सभी ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव को जातक तक पहुंचाता है, उसका प्रभाव हरे रंग पर होता है। इसलिए यदि आप पर कोई विपत्ति आने वाली होती है, तो वह पौधा सूखने लगता है और यदि शुभ प्रभाव होता है, तो हरा-भरा हो जाता है।
तुलसी के ये उपाय अपनायें
यदि आपकी संतान आपका कहना नहीं मानती तो इस आप तुलसी के पौधे को पूर्व दिशा में रखें। साथ ही तुलसी के पौधे में से तीन तुलसी कि पत्ती प्रतिदिन, उसे किसी न किसी रूप में खिला दें। इससे आपको चमत्कारिक बदलाव देखनें को मिलेगा और आपकी संतान आपकी आज्ञा का पालन करने लगेगी लेकिन ध्यान रहे कि मंगलवार और रविवार के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें।
यदि आप अपनी बेटी के विवाह को लेकर परेशान चल रहे हैं और तमाम कोशिशों के बावजूद बात नहीं बन रही है तो आप अपनी बेटी से तुलसी के पौधे का यह उपाय जरूर करवाएं। विवाह योग्य कन्या से प्रतिदिन तुलसी के पौधे को जल अर्पित करवाने के पश्चात् तुलसी के पौधे की 5 परिक्रमा करवाएं। श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इस उपाय को करने से निश्चित रूप से मां तुलसी की कृपा प्राप्त होती है और शीघ्र ही विवाह संपन्न होता है।
यदि कारोबार मंदा चल रहा हो या फिर व्यापार में अक्सर परेशानी आ रही हो तो पश्चिम दिशा में रखे तुलसी के पौधे को शुक्रवार के दिन कच्चा दूध अर्पित करें और मिष्ठान का भोग लगाएं। श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इस उपाय को करने से व्यापार में उन्नति होती है।
यदि घर में आए दिन लड़ाई-झगड़ा होता रहता है और हर समय कलह का वातावरण बना रहता है तो इसे दूर करने के लिए अपने घर की रसोई के आसपास तुलसी का गमला स्थापित करें। चमत्कारिक लाभ देखने को मिलेगा।
यदि आपको लगता है कि आपका घर किसी प्रकार के वास्तुदोष से ग्रसित है तो आप तुलसी के पौधे के साथ शालिग्राम स्थापित कर पंचामृत से उनका नित्य पूजन करें। यह उपाय रामबाण साबित होगा और वास्तुदोष जाता रहेगा।
यहां ब्रह्मकमल से होता है अभिषेक
18 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में भगवान गणेशजी के जन्म के बारे में अनेक कथाएं प्रचलित हैं। भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वतीजी के कहने पर उन्होंने हाथी का मस्तक लगाया, लेकिन गणेशजी का जो मस्तक कटा था, उसे शिवजी ने एक गुफा में रख दिया। मान्यता है कि यह गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है। इसे पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है।
कहा जाता है कि स्कंद पुराण में भी इसका वर्णन है। जहां यह मस्तक रखा गया, उसे पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर विराजित गणेशजी की मूर्ति को आदिगणेश कहा जाता है। पाताल भुवनेश्वर गुफा भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फुट अंदर है। मान्यता के अनुसार, इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य द्वारा की गई थी।
पाताल भुवनेश्वर गुफा में भगवान गणेश की कटी शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। इस ब्रह्मकमल से भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर जल की दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था।
यहीं पर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं। बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप मूर्तियां हैं जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरुड़ शामिल हैं। तक्षक नाग की आकृति भी गुफा में बनी चट्टान में नजर आती है। इस पंचायत के ऊपर बाबा अमरनाथ की गुफा है तथा पत्थर की बड़ी-बड़ी जटाएं फैली हुई हैं। इसी गुफा में कालभैरव की जीभ के दर्शन होते हैं। इसके बारे में मान्यता है कि मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
नारियल चढ़ाकर पा सकते है बाप्पा से मनचाहा वरदान
18 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बाप्पा के आपने कई रुप देखे होंगे, लेकिन मध्यप्रदेश के महेश्वर में गजानन की गोबर की मूर्ति है। ये मूर्ति हजारों साल पुरानी है, कहते हैं यहां नारियल चढ़ाकर पा सकते है बाप्पा से मनचाहा वरदान।
माथे पर मुकुट, गले में हार, और खूबूसरत श्रृंगार बाप्पा के इस मनमोहक रूप में छिपा है। भक्तों के हर दुख दर्द का इलाज। गणपति का ये रुप मन मोह लेता है और हैरान भी करता है क्योंकि यहां गणपति को गोबर गणेश के नाम से पुकारते हैं भक्त। मध्य प्रदेश के नीमाड़ क्षेत्र में माहेश्वर कस्बे में बाप्पा देते हैं बड़े ही भव्य रूप में दर्शन। माहेश्वर में महावीर मार्ग पर बनी गणपति की ये प्रतिमा गोबर और मिट्टी से बनी है जिसमें एक बड़ा हिस्सा गोबर का है।
आमतौर पर पूजा-पाठ में हम गोबर के गणपति बनाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। मिट्टी और गोबर की मूर्ति में पंचतत्वों का वास माना जाता है और खासकर गोबर में तो मां लक्ष्मी साक्षात वास करती हैं। इसलिए गोबर गणेश मंदिर में आने वाले भक्तों की मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों को भगवान गणेश के साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है।
मंदिर में बाप्पा अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि संग देते हैं दर्शन और करते हैं भक्तों का कल्याण। भक्तों का भी मानना है कि यहां आने से गणपति सभी भक्तों की इच्छा पूरी कर देते हैं। यही वजह है कि भक्त यहां उल्टा स्वास्तिक बनाकर भगवान तक पहुंचाते हैं। अपनी फरियाद और मनोकामना पूरी होने के बाद यहां आकर सीधा स्वास्तिक बनाना नहीं भूलते।
महेश्वर के महावीर मार्ग पर स्थित गोबर गणेश मंदिर में दर्शन के लिए साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (18 जनवरी 2024)
18 Jan, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- भाग्य का सितार साथ देगा, इष्ट मित्रों से सुख कार्य, व्यवसाय गति उत्तम हो।
वृष राशि :- अचानक शुभ समाचार, धन प्राप्त के योग बनेंगे, संवेदनशील होने से बचिए।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति, झगड़े से बचें, अर्थ व्यवस्था कुछ अनुकूल बन जाएगी।
कर्क राशि :- कार्य कुशलता से सहयोग, स्त्री वर्ग से हर्ष तथा भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति।
सिंह राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक हों, कुटुम्ब की समस्याऐं अवश्य ही सुलझें।
कन्या राशि :- व्यर्थ व्यय तथा असमंजस और स्थिरिता का वातावरण हीन भावना बढ़ाए।
तुला राशि :- अधिकारियों का समर्थन विफल हो तथा कार्य व्यवसाय गति अनुकूल बने।
वृश्चिक राशि :- समय की अनुकूलता से लाभान्वित हो, कार्यकुशलता से अनुकूलता बने।
धनु राशि :- व्यवसाय गति उत्तम, भाग्य का सितारा साथ देवे, बिगड़े कार्य अवश्य बन जाएंगे।
मकर राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास, स्वास्थ्य नरम रहे, स्थिति में सुधार अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- स्त्री शरीर, सुख मानसिक बेचैनी से बचिए, समय का ध्यान अवश्य रखे।
मीन राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष अवश्य होगा, बिगड़े कार्य बन जाएंगे।
भगवान श्री राम को सोने का धनुष-बाण उपहार में देंगे बजरंगबली, मंदिर निर्माण के लिए दे चुके हैं 10 करोड़
17 Jan, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
9 नवंबर 2019 को जब श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया, तो पटना के महावीर मंदिर की ओर से राम मंदिर निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपए देने की घोषणा हुई थी. इसमें से 2 करोड़ की अंतिम किश्त 19 जनवरी को श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को सौंप दी जाएगी.
महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि 2020 में जिस दिन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का खाता खुला था, उसी दिन महावीर मंदिर की ओर से दो करोड़ की पहली किश्त दे दी गई थी. साल 2021, 2022 और 2023 में लगातार इतनी राशि दी जाती रही. अब अंतिम किश्त के रूप में 2 करोड़ की सहयोग राशि दी जा रही है. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि किसी एक संस्था के द्वारा अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण में सहयोग के तौर पर 10 करोड़ देने वाला महावीर मंदिर देश का पहला संस्थान है.
2.5 किलो का स्वर्णजड़ित कोदंड
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के निकट जिस अमावा राम मंदिर परिसर में महावीर मंदिर की ओर से राम रसोई चलाई जा रही है, उसके द्वारा रामलला को सोने का तीर-धनुष भेंट किया जाएगा. अमावा राम मंदिर न्यास के सचिव के तौर पर आचार्य किशोर कुणाल स्वर्ण जड़ित तीर-धनुष श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को सौंपेंगे. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का धनुष जिसे को दंड के नाम से जाना जाता है, 19 जनवरी को भेंट किया जाएगा. 2.5 किलो वजनी यह तीर-धनुष तांबे के बेस पर स्वर्ण जड़ित है. चेन्नई की एक कंपनी ने विशेष रूप से इसे तैयार किया है. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि अमावा राम मंदिर के शिखर के लिए स्वर्ण जड़ित कलश बनवाया गया है. इसके लिए भारत सरकार के उपक्रम एमएमटीसी से सोना खरीदा गया था. उसमें से कलश निर्माण के बाद शेष बचे सोने से स्वर्ण जड़ित कोदंड तैयार किया गया है.
अब दोनों पहर चलेगी राम रसोई
इसके अलावा अयोध्या के अमावा राम मंदिर परिसर में 1 दिसंबर 2019 को विवाह पंचमी के दिन से चल रही राम रसोई 20 जनवरी से दोनों पहर चलेगी. रामलला के दर्शनार्थियों के लिए यह राम रसोई पटना के महावीर मंदिर द्वारा संचालित की जा रही है. यहां राम भक्तों को मुफ्त 9 प्रकार के शाकाहारी शुद्ध व्यंजन परोसे जाते हैं. बिहारी शैली में भक्तों को पूछ-पूछकर पूरे अपनत्व के साथ खिलाया जाता है. आचार्य ने बताया कि राम रसोई के लिए न अयोध्या और न ही पटना में कोई आर्थिक सहयोग लिया जाता है. महावीर मंदिर की आय से यह राम रसोई संचालित की जा रही है.
किसी हैरत से कम नहीं है यह पाताल गंगा, कभी नहीं सूखता इसका पानी, गौतम ऋषि से जुड़ी है कहानी
17 Jan, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दरभंगा की भूमि अपने साथ धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास समेटे हुए है. यहां प्रभु श्रीराम के साथ माता अहिल्या और गौतम ऋषि का भी कुंड है. यह जाले में है. जहां गौतम ऋषि कुंड में कई सारी कहानी आज भी छुपी हुई है. जो अविश्वसनीय और अकल्पनीय राज है. जिनमें से एक यहां मौजूद पातालगंगा कुंड भी है. बताया जाता है कि यह गौतम ऋषि आश्रम सतयुग से जुड़ा हुआ. यही वह जगह है जहां गौतम ऋषि तपस्या किया करते थे. वह स्थान कभी सूखता नहीं है. आइए जानते हैं इसकी कहानी.
जानिए पातालगंगा कुंड की कहानी
इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए गौतम ऋषि आश्रम के पूर्व पुजारी राम बिहारी शरण बताते हैं कि यहां 35 वर्षों तक मुख्य पुजारी के रूप में पूजा अर्चना की है. जैसा हमारे पूर्वज बतलाते थे कि गौतम ऋषि जब यहां यज्ञ करवा रहे थे. तो ब्रह्मा जी ने कहा कि यहां बढ़िया से यज्ञ संपन्न होना चाहिए. तो उस वक्त इस वीरान जंगल में जल की घोर कमी थी. तो उन्होंने वरुण देवता को आदेश दिया कि यहां इतना जल हो कि कभी भी यहां जल की कमी ना हो सके. यहां मौजूद अभी जो तालाब है, उसमें वह कुंड मौजूद है, जो कभी भी नहीं सूखता है. बताया जाता है कि उस तालाब में पांच पातालगंगा कुंड आज भी मौजूद है. उन तमाम पांचों पातालगंगा कुंड के जल का स्वाद अलग-अलग है.
बस बांस से हिला देने से भर जाता है पानी
आगे यहां के पूर्व मुख्य पुजारी बताते हैं कि जब बाढ़ में पूरी गंदगी चारों तरफ से आकर इस तालाब में भर जाती है, तो उसके बाद इसकी सफाई हमलोग करते हैं. पूरी तरह से तालाब को सुखाकर सफाई करने के बाद सिर्फ एक बांस लेकर उसमें डालकर हिला देते हैं तो अपने आप पानी भर जाता है. बताते चले कि यहां कई अनकही कहानी आज भी छुपी हुई है. यहां भव्य गौतम ऋषि का आश्रम आज मौजूद है, जो सतयुग में गौतम ऋषि यहां झोपड़ी नुमा आश्रम बनाकर अपनी तपस्या किया करते थे.
प्राण प्रतिष्ठा के बाद सबसे पहले इस खास उपहार को ग्रहण करेंगे रामलला, बेहद खास है रिश्ता
17 Jan, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में उत्साह है. सभी लोग अपने आराध्य प्रभु राम को कुछ ना कुछ प्राण प्रतिष्ठा के दौरान समर्पित करना चाह रहे हैं. जहां प्रभु राम के ननिहाल और ससुराल से अनेक उपहार प्राण प्रतिष्ठा के लिए आ रहे हैं, तो भला कृष्ण की नगरी मथुरा इसमें कैसे पीछे रह सकती है. आपने एक भजन भी सुना होगा ‘चाहे कृष्ण कहो या राम जग में सुंदर है दो नाम’…. तो भला प्रभु कृष्ण की नगरी कैसे अछूता रह सकती है. इसी कड़ी में मथुरा बांके बिहारी मंदिर के पुजारी ने प्रभु राम के प्राण प्रतिष्ठा के लिए चांदी के कलश, शंख, बांसुरी और गले की हार राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को समर्पित किया है.
बता दें कि राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मथुरा से आए अनेक उपहार को रामलला को समर्पित किया जाएगा. इतना ही नहीं खास बात यह है कि रामलला जब अपने भव्य महल में विराजमान हो जाएंगे तो प्रथम उपहार मथुरा का ही धारण करेंगे. यह बातें राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कही है. राम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की मानें तो प्रभु राम की नगरी अयोध्या और कृष्ण की नगरी मथुरा का शाश्वत संबंध भी है. प्रभु राम और भगवान कृष्ण एक ही हैं और मथुरा और अयोध्या एक ही है.
रामलला के लिए आए मंगल उपहार
बांके बिहारी मंदिर के सेवा अधिकारी गोपी गोस्वामी ने बताया कि मथुरा के बांके बिहारी मंदिर से प्रभु राम की आरती के लिए शंख और बांसुरी के साथ ठाकुर जी का हार लेकर हम लोग आए हैं. राम और कृष्ण में कोई भेद नहीं है. वृंदावन कृष्ण की नगरी है और अयोध्या प्रभु राम की नगरी है. वृंदावन और अयोध्या का संबंध एक ही है. बृजवासी जब अयोध्या पहुंचेंगे और रामलला के साथ बांसुरी का दर्शन करेंगे तो बृजवासी का उत्साह भी दोगुना हो जाएगा और उस उत्साह को देखने के लिए 22 जनवरी को बांके बिहारी मंदिर को भी सजाया जाएगा. वृंदावन से हम लोग ठाकुर जी के लिए शंख लेकर आए हैं जिससे आरती होगी और एक बांसुरी है, जो रामलाल के पास रखी जाएगी. इसके साथ ही सुंदर हार भी है. यह सब चीज स्वर्ण और रजत से बनाए गए हैं.
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर देशभर में उल्लास
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि बांके बिहारी मंदिर से रामलला के लिए कई सारे सामान आए हैं. जो भी सामान आए हैं उन सभी को 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब प्रभु राम विराजमान हो जाएंगे तो मथुरा बांके बिहारी मंदिर से आया सभी सामान उनको समर्पित किया जाएगा. क्योंकि इसमें ऐसे कई महत्वपूर्ण वस्तु है जिसकी आवश्यकता भी है और यह प्रथम पूजा में अर्पित किया जाएगा. भगवान कृष्ण और प्रभु राम का शाश्वत संबंध है.
आर्थिक तंगी को दूर करेगा तुलसी के जड़ का ये उपाय, पैसों की होगी बरसात, देवघर के ज्योतिषी से जानें सब
17 Jan, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में तुलसी पौधा का खास महत्व है. तुलसी पौधा को माता लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है. तुलसी पौधा में सुबह शाम दीपक जलाने और जल अर्पण करने से साथ ही विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है. सभी प्रकार कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आर्थिक तंगी भी दूर हो जाती है.वहीं ज्योतिषविदों की माने तोह तुलसी माता में भगवान हरि और माता तुलसी का वास होता है और अगर आप घर में तुलसी का पौधा लगाते हैं तो घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है. इसके साथ ही अगर आप आर्थिक परेशानियों से गुजर रहे हैं तो तुलसी से जुड़े कुछ उपाय करने से परेशानी भी समाप्त हो जाती है जानिए क्या है वह उपाय देवघर के ज्योतिषाचार्य से.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योति आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि तुलसी माता में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है.इसके साथ ही अगर आप विधि विधान के साथ तुलसी माता की पूजा अर्चना करते हैं. तो माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आपकी आर्थिक परेशानियां हमेशा के लिए दूर होती हैं. अगर जातक घर में तुलसी का पौधा लगता है तो घर में खुशहाली आती है और कभी भी धन की कमी नहीं होती है. इसके अलावा जातक की मनचाहा मुराद पूरी होती है.
तुलसी से जुड़े करें यह उपाय
अगर जातक लगातार आर्थिक तंगी से परेशान है तो तुलसी में हल्दी डालकर पूजा करें.इसके साथ ही शाम के वक्त तुलसी के सामने आटे का दिया बनाकर शुद्ध घी का दीपक जलाएं इससे धन और धान्य की वृद्धि होगी.रोज सुबह स्नान कर तुलसी के सामने बैठकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः के मित्रों का 108 बार जाप करें.यह जाप रोजाना तुलसी के सामने करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है घर में अभी भी धन की कमी नहीं होती और सुख समृद्धि की वृद्धि होती है.