धर्म एवं ज्योतिष
15 जून को सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे
13 Jun, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का विशेष स्थान है। सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। वे हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। इस गोचर का सभी राशियों पर प्रभाव पड़ता है। 15 जून को सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि में 1 महीने तक रहेंगे। 15 जून को ग्रहों के राजा सूर्य देव मिथुन राशि में गोचर शुरू करेंगे और 16 जुलाई तक इसी राशि में मौजूद रहेंगे। 15 जून को सूर्य मिथुन राशि में गोचर करेंगे। जहां पहले से ही गुरु विराजमान हैं। ऐसे में दोनों ग्रहों के एक साथ मिथुन राशि में होने से गुरु आदित्य राजयोग बनेगा। खास बात ये है कि ये सूर्य देव के मित्र ग्रह की राशि है। व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अच्छे स्वास्थ्य, प्रसिद्धि, नाम, सरकारी नौकरी, सफलता, उच्च पद के कारक होते हैं। ये हर राशि में लगभग एक महीने तक विराजमान रहते हैं। ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व होता है। जब भी कोई ग्रह किसी एक राशि में मौजूद होता है फिर किसी निश्चित समय में दूसरी राशि में परिवर्तन करता है तो इसका प्रभाव सभी जातकों पर शुभ और अशुभ दोनों तरह का होता है। ज्योतिष शास्त्र के नजरिए से सूर्य हर एक महीने में राशि परिवर्तन करते हैं। कुंडली में सूर्य के शुभ भाव में होने पर व्यक्ति को नौकरी, मान-सम्मान और धन लाभ होता है।
मेष राशि
भाग्य का भरपूर साथ मिलने वाला है। नौकरी में प्रभाव और प्रतिष्ठा वृद्धि की संभावना है। कार्यक्षेत्र में लाभ की स्थिति रहेगी। आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे।
वृषभ राशि
परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत करेंगे। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। सूर्य देव की विशेष कृपा रहेगी, इसलिए प्रयास में कमी न करें। नौकरीपेशा जातकों का प्रभाव बढ़ेगा। व्यापार में सुधार होगा।
मिथुन राशि
कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। धन सही कार्यों में खर्च होगा। मन में किसी प्रकार का डर बना रहेगा। किसी को उधार देने से बचें। क्रोध से बचना होगा। स्वभाव में चिड़चिड़पन रहेगा।
कर्क राशि
इस गोचर काल में भाग्य का साथ नहीं मिलेगा। हालांकि कोट कचहरी से संबंधित मामलों में राहत मिलने की संभावना है। समर्पित परिश्रम से वरिष्ठों को संतुष्ट कर पाएंगे।
सिंह राशि
सूर्य गोचर के दौरान स्वास्थ्य का खास ध्यान रखना होगा। कामकाज में किसी प्रकार का साथ लाभ की प्राप्ति करवाएगा। कार्य योजनाओं को इच्छानुसार पूरा कर पाएंगे।
कन्या राशि
भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय के लिए सूर्य गोचर उत्तम रहेगा। व्यापारी वर्ग को विशेष रूप से अच्छे फल प्राप्त होंगे। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।
तुला राशि
खराब स्वास्थ्य आपको बेचैन करेगा। छात्रों का मन पढ़ाई में नहीं लगेगा। नौकरीपेशा ऑफिस में आने वाली बाधाओं से परेशान हो सकते हैं। व्यापारी वर्ग की हालात सामान्य बन रहेंगे।
वृश्चिक राशि
नौकरी में तबादला हो सकता है। मन में क्रोध और निराशा का संचार होगा। धन संबंधित मामले अच्छे रहेंगे। पुराने मित्र से मुलाकात हो सकती है। सामाजिक जीवन अच्छा व्यतीत नहीं होगा।
धनु राशि
नौकरी में अच्छा धन लाभ होगा। प्रमोशन होने के संकेत मिल रहे हैं। व्यापारियों के लिए लाभ की स्थिति बनी हुई है। निवेश करने से पहले विशेषज्ञ मार्गदर्शन लेना सही रहेगा।
मकर राशि
गोचर काल में घर पर कोई धार्मिक कार्य संपन्न होने का योग रहेगा। जीवन में कई सफलताएं प्राप्त होगी। जिससे आप आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। परिवार के साथ यात्रा पर जा सकता है।
कुंभ राशि
कामकाज के क्षेत्र में लाभदायक स्थिति बनेगी। इंटरव्यू में सफलता मिलेगी। शैक्षणिक कार्यों में सुखद परिणाम मिलेंगे। माता-पिता का सहयोग प्राप्त होगा।
मीन राशि
नौकरी में परिवर्तन के योग है। किसी दूसरे शहर जाना पड़ सकता है। इस गोचरकाल में वाहन या मकान खरीद सकते हैं। परिवार का ध्यान रखेंगे। उनकी जरूरतों को पूरा कर पाएंगे।
रवि प्रदोष व्रत का है खास महत्व
13 Jun, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में रवि प्रदोष व्रत का खास महत्व है, यह व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाता है। रवि प्रदोष व्रत से भगवान शिव के साथ-साथ सूर्यदेव की भी कृपा प्राप्त होती है तो आइए हम आपको रवि प्रदोष व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का दिन सबसे उत्तम होता है। प्रदोष शब्द का अर्थ होता है संध्या काल यानी सूर्यास्त का समय व रात्रि का प्रथम पहर। चूंकि इस व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। प्रदोष व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और अत्यंत पवित्र व्रत है, इसे विशेष रूप से भगवान शिव की अराधना के लिए रखा जाता है। भगवान शिव जी को भोलाभंडारी कहा जाता है। इसलिए इस व्रत को श्रद्ध भक्ति से रखने वाले को माहदेव आशीर्वाद जरूर देते हैं। जून 2025 में भी 2 प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं।
रवि प्रदोष व्रत के दिन ये करें
अगर आप इन दोनों योग में भोलेनाथ की पूजा करते हैं, तो आपकी मनचाही मनकामना पूरी हो सकती हैं। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा, प्रदोष व्रत में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और प्रदोष व्रत की कथा सुननी चाहिए।
जानें रवि प्रदोष व्रत का महत्व
पंडितों के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को अत्यंत शुभ व महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत के फलस्वरूप भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं। इस व्रत के पुण्यफल से व्यक्ति द्वारा अपने जीवन काल में किए गए पापों का अंत होता है। साथ ही सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है और वह सत्य के मार्ग पर अग्रसर होता है। भगवान शिव की आराधना को जीवन के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी लाभदायक माना गया है। प्रदोष व्रत वह मार्ग है, जिसपर चलकर व्यक्ति अंत में जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। इस व्रत के प्रभाव से जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जो व्यक्ति पूरी निष्ठा से इसका पालन करता है, उसकी मनोकामनाएं भी भगवान शिव पूर्ण करते हैं। इस व्रत से मिलने वाला पुण्यफल भी व्यक्ति के जीवन में सफलता के नए द्वार खोल देता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से दो गायों को दान करने के समान पुण्यफल प्राप्त होता है। इस सभी कारणों से प्रदोष व्रत को शुभ, पावन और कल्याणकारी माना जाता है। इस संसार में प्रदोष व्रत एक डोरी के समान है जो लोगों को भगवान शिव की भक्ति से जोड़ कर रखता है।
सुखी जीवन पर ग्रहण लगा सकती हैं ये गलतियां
13 Jun, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जगत में सभी लोग धन और वैभव चाहते हैं और इसके लिए जी जान से प्रयास करते हैं। उनके हर प्रयास के पीछे असली लक्ष्य सुख शान्ति और अपने परिवार की खुशहाली और तरक्की होती है पर लेकिन कई बार आपने देखा होगा की सब प्रयास करने के बाद हम धन सम्पदा तो कमा लेते है पर घर की शान्ति और अमन बिगड़ जाता है। ऐसी क्या गलतियां हैं जो भूलवश हम करते रहते है और जिनके कारण हमारे सुखी जीवन पर ग्रहण लगा रहता है।
दीपक हमारे घर में प्रतिदिन जलाया जाता है। दीपक का प्रयोग हम भगवान् की पूजा के लिए करते है। कभी गलती से भी दीपक को ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए।
शिवलिंग की पूजा हम प्रतिदिन करते है ,पर क्या आप जानते है कभी शिवलिंग ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए। कई लोग मंदिर साफ़ करते समय कई बार शिवलिंग ज़मीन पर रखते है। ऐसा कभी न करे। शालिग्राम की पूजा तो सभी करते है। पर ज्योतिष एक बात हमेशा ध्यान में रखे कि कभी भी शालिग्राम को ज़मीन पर न रखे। इससे आप के घर कि आर्थिक स्थिति ख़राब हो सकती है।जनेऊ को बहुत पवित्र माना गया है। इसलिए इसे कभी ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए। न ही फेकना चाहिए। अगर आप का जनेऊ ख़राब है तो उसे पेड़ की टहनी से बाँध दे या पेड़ की जड़ में डाल दे। शंख का प्रयोग हर रोज पूजा पाठ में किया जाता है। इसलिए कभी भी शंख को ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए। शंख बजाने के बाद हमेशा उसे धोकर रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार भोजन की थाली को भी कभी जमीन पर नहीं रखना चाहिए ऐसा करना भी दुर्भाग्य की वजह बन जाता है।
ज्योतिष के मुताबिक व्रत रखने से मिलता है फल
13 Jun, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह के सारे दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित हैं। जिस तरह से सोमवार का दिन भगवान शिवजी का और मंगलवार का दिन हनुमान जी का है। उसी तरह से बुधवार को भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए व्रत रखा जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक व्रत रखने से भगवान खुश होते हैं। आज हम आपके लिए लाए हैं बुधवार के व्रत की कथा। व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन यह कथा सुननी होती है।
प्राचीन काल की बात है एक व्यक्ति अपनी पत्नी को लेने के लिए ससुराल गया। कुछ दिन अपने ससुराल में रुकने के बाद व्यक्ति ने अपने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने को कहा लेकिन सास-ससुर ने कहा कि आज बुधवार है और इस दिन हम गमन नहीं करते हैं। लेकिन व्यक्ति ने उनकी बात को मानने से साफ इनकार कर दिया। आखिरकार लड़की के माता-पिता को अपने दामाद की बात माननी पड़ी और अपनी बेटी को साथ भेज दिया। रास्ते में जंगल था, जहां उसकी पत्नी को प्यास लग गई। पति ने अपना रथ रोका और जंगल से पानी लाने के लिए चला गया। थोड़ी देर बाद जब वो वापस अपनी पत्नी के पास लौटा तो देखकर हैरान हो गया कि बिल्कुल उसी के जैसा व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ में बैठा था।
ये देखकर उसे गुस्सा आ गया और कहा कि कौन है तू और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठा है। लेकिन दूसरे व्यक्ति को जवाब सुनकर वो हैरान रह गया। व्यक्ति ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के पास बैठा हूं। मैं इसे अभी अपने ससुराल से लेकर आया हूं। अब दोनों व्यक्ति झगड़ा करने लगे। इस झगड़े को देखकर राज्य के सिपाहियों ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
यह सब देखकर व्यक्ति बहुत निराश हुआ और कहा कि हे भगवान, ये कैसा इंसाफ है, जो सच्चा है वो झूठा बन गया है और जो झूठा है वो सच्चा बन गया है। ये कहते है कि फिर इसके बाद आकाशवाणी हुई कि ‘हे मूर्ख आज बुधवार है और इस दिन गमन नहीं करते हैं। तूने किसी की बात नहीं मानी और इस दिन पत्नी को ले आया।’ ये बात सुनकर उसे समझ में आया की उसने गलती कर दी। इसके बाद उसने बुधदेव से प्रार्थना की कि उसे क्षमा कर दे।
इसके बाद दोनों पति-पत्नि नियमानुसार भगवान बुध की पूजा करने लग गए। ज्योतिषियों के मुताबिक जो व्यक्ति इस कथा को याद रखता उसे बुधवार को किसी यात्रा का दोष नहीं लगता है और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। बुधवार के दिन अगर कोई व्यक्ति किसी नए काम की शुरुआत करता है तो उसे भी शुभ माना जाता है।
ग्रहों का जीवन के साथ ही व्यवहार पर भी पड़ता है प्रभाव
13 Jun, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्रहों का व्यक्ति के जीवन के साथ-साथ व्यवहार पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है। हमारा व्यवहार हमारे ग्रहों की स्थितियों से संबंध रखता है या हमारे व्यवहार से हमारे ग्रहों की स्थितियां प्रभावित होती हैं। अच्छा या बुरा व्यवहार सीधा हमारे ग्रहों को प्रभावित करता है। ग्रहों के कारण हमारे भाग्य पर भी इसका असर पड़ता है। कभी-कभी हमारे व्यवहार से हमारी किस्मत पूरी बदल सकती है।
वाणी-
वाणी का संबंध हमारे पारिवारिक जीवन और आर्थिक समृद्धि से होता है।
ख़राब वाणी से हमें जीवन में आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है।
कभी-कभी आकस्मिक दुर्घटनाएं घट जाती हैं।
कभी-कभी कम उम्र में ही बड़ी बीमारी हो जाती है।
वाणी को अच्छा रखने के लिए सूर्य को जल देना लाभकारी होता है।
गायत्री मंत्र के जाप से भी शीघ्र फायदा होता है।
आचरण-कर्म
हमारे आचरण और कर्मों का संबंध हमारे रोजगार से है।
अगर कर्म और आचरण शुद्ध न हों तो रोजगार में समस्या होती है।
व्यक्ति जीवन भर भटकता रहता है।
साथ ही कभी भी स्थिर नहीं हो पाता।
आचरण जैसे-जैसे सुधरने लगता है, वैसे-वैसे रोजगार की समस्या दूर होती जाती है।
आचरण की शुद्धि के लिए प्रातः और सायंकाल ध्यान करें।
इसमें भी शिव जी की उपासना से अद्भुत लाभ होता है।
जिम्मेदारियों की अवहेलना
जिम्मेदारियों से हमारे जीवन की बाधाओं का संबंध होता है।
जो लोग अपनी जिम्मेदारियां ठीक से नहीं उठाते हैं उन्हें जीवन में बड़े संकटों, जैसे मुक़दमे और कर्ज का सामना करना पड़ता है।
व्यक्ति फिर अपनी समस्याओं में ही उलझ कर रह जाता है।
अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कोताही न करें।
एकादशी का व्रत रखने से यह भाव बेहतर होता है।
साथ ही पौधों में जल देने से भी लाभ होता है।
सहायता न करना-
अगर सक्षम होने के बावजूद आप किसी की सहायता नहीं करते हैं तो आपको जीवन में मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कभी न कभी आप जीवन में अकेलेपन के शिकार हो सकते हैं।
जितना लोगों की सहायता करेंगे, उतना ही आपको ईश्वर की कृपा का अनुभव होगा।
आप कभी भी मन से कमजोर नहीं होंगे।
दिन भर में कुछ समय ईमानदारी से ईश्वर के लिए जरूर निकालें।
इससे करुणा भाव प्रबल होगा, भाग्य चमक उठेगा।
आज का राशिफल: जानिए क्या कहती हैं आपकी किस्मत की सितारे
13 Jun, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्वभाव में आकस्मिक परिवर्तन ही सफलता है, व्यवसाय में उन्नति होगी।
वृष राशि :- कार्य में सफलता मिलेगी, मान-सम्मान की प्राप्ति होगी, शत्रु वर्ग का जोर होगा।
मिथुन राशि :- यह सप्ताह उत्तम फलकारक है, अधिकारियों का पूर्ण सहयोग अवश्य मिलेगा।
कर्क राशि :- नौकरी में व्यावधान हो सकता है, व्यवसाय ठीक नहीं है, भवुकता से हानि होगी।
सिंह राशि :- आनंद का अनुभव करेंगे, केतु गृह पीड़ा कारक है, काफी मतभेद अवश्य होंगे।
कन्या राशि :- मनोरंजन में अति हर्ष होगा, व्यवसाय में लाभ होगा तथा कार्य अवश्य होगा।
तुला राशि :- पारिवारिक उत्तर दायित्व की वृद्धि होगी, आमोद-प्रमोद में विरोध अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- मानसिक तनाव अनावश्यक बढ़ेगा, स्वजनों की सहायता अनुभूति अवश्य होगी।
धनु राशि :- व्यवसाय की उन्नति में आर्थिक स्थिति में विशेष सुधार अवश्य होगा, ध्यान दें।
मकर राशि :- विलास सामग्री का संचय होगा, अधिकारियों की कृपा का लाभ मिलेगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से अच्छा सहयोग मिले तथा उत्तम लाभ के योग अवश्य बनेंगे।
मीन राशि :- गृह-कलह, हीन मनोवृत्ति, शरीर पीड़ा, परेशानी अवश्य ही बनेगी, व्यापार में व्यावधान होगा।
एकादशी पर करें गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत का पाठ, बड़े से बड़ा संकट होगा दूर, मिलेगी हरि कृपा!
12 Jun, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत का वर्णन भागवत पुराण में मिलता है. इसकी कथा के अनुसार एक गज यानि हाथी अपने परिवार के साथ कमल-सरोवर में स्नान कर रहा था. उसी समय एक मगरमच्छ आया और उसने हाथी का पैर पकड़ लिया. तब उसने प्राण रक्षा के लिए प्रार्थना की, अपने भक्त की पुकार पर भगवान विष्णु हाथी की रक्षा के लिए प्रकट हो गए. उन्होंने मगरमच्छ से हाथी की रक्षा की. जो लोग संकट में हैं, उनको रक्षा के लिए गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. इस पाठ से 5 विशेष फायदे होते हैं.
गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत पाठ के फायदे
1. गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत का पाठ करने से बड़े से बड़े संकट से सुरक्षा होती है.
2. भगवान विष्णु की कृपा से मन की अशांति और डर दूर होता है.
3. हरि कृपा होने से पापों से मुक्ति मिलती है.
4. भक्ति और विश्वास दृढ़ होता है.
5. गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से अनाथ लोगों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत पाठ
ॐ नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम।
पुरुषायादिबीजाय परेशायाभिधीमहि॥
यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य इदं स्वयं।
योस्मात्परस्माच्च परस्तं प्रपद्ये स्वयम्भुवम॥
यः स्वात्मनीदं निजमाययार्पितंक्कचिद्विभातं क्क च तत्तिरोहितम।
अविद्धदृक साक्ष्युभयं तदीक्षतेस आत्ममूलोवतु मां परात्परः॥
कालेन पंचत्वमितेषु कृत्स्नशोलोकेषु पालेषु च सर्व हेतुषु।
तमस्तदाऽऽऽसीद गहनं गभीरंयस्तस्य पारेऽभिविराजते विभुः।।
न यस्य देवा ऋषयः पदं विदुर्जन्तुः पुनः कोऽर्हति गन्तुमीरितुम।
यथा नटस्याकृतिभिर्विचेष्टतोदुरत्ययानुक्रमणः स मावतु॥
दिदृक्षवो यस्य पदं सुमंगलमविमुक्त संगा मुनयः सुसाधवः।
चरन्त्यलोकव्रतमव्रणं वनेभूतत्मभूता सुहृदः स मे गतिः॥
न विद्यते यस्य न जन्म कर्म वान नाम रूपे गुणदोष एव वा।
तथापि लोकाप्ययाम्भवाय यःस्वमायया तान्युलाकमृच्छति॥
तस्मै नमः परेशाय ब्राह्मणेऽनन्तशक्तये।
अरूपायोरुरूपाय नम आश्चर्य कर्मणे॥
नम आत्म प्रदीपाय साक्षिणे परमात्मने।
नमो गिरां विदूराय मनसश्चेतसामपि॥
सत्त्वेन प्रतिलभ्याय नैष्कर्म्येण विपश्चिता।
नमः केवल्यनाथाय निर्वाणसुखसंविदे॥
नमः शान्ताय घोराय मूढाय गुण धर्मिणे।
निर्विशेषाय साम्याय नमो ज्ञानघनाय च॥
क्षेत्रज्ञाय नमस्तुभ्यं सर्वाध्यक्षाय साक्षिणे।
पुरुषायात्ममूलय मूलप्रकृतये नमः॥
सर्वेन्द्रियगुणद्रष्ट्रे सर्वप्रत्ययहेतवे।
असताच्छाययोक्ताय सदाभासय ते नमः॥
नमो नमस्ते खिल कारणायनिष्कारणायद्भुत कारणाय।
सर्वागमान्मायमहार्णवायनमोपवर्गाय परायणाय॥
गुणारणिच्छन्न चिदूष्मपायतत्क्षोभविस्फूर्जित मान्साय।
नैष्कर्म्यभावेन विवर्जितागम-स्वयंप्रकाशाय नमस्करोमि॥
मादृक्प्रपन्नपशुपाशविमोक्षणायमुक्ताय भूरिकरुणाय नमोऽलयाय।
स्वांशेन सर्वतनुभृन्मनसि प्रतीत प्रत्यग्दृशे भगवते बृहते नमस्ते॥
आत्मात्मजाप्तगृहवित्तजनेषु सक्तैर्दुष्प्रापणाय गुणसंगविवर्जिताय।
मुक्तात्मभिः स्वहृदये परिभावितायज्ञानात्मने भगवते नम ईश्वराय॥
यं धर्मकामार्थविमुक्तिकामाभजन्त इष्टां गतिमाप्नुवन्ति।
किं त्वाशिषो रात्यपि देहमव्ययंकरोतु मेदभ्रदयो विमोक्षणम॥
एकान्तिनो यस्य न कंचनार्थवांछन्ति ये वै भगवत्प्रपन्नाः।
अत्यद्भुतं तच्चरितं सुमंगलंगायन्त आनन्न्द समुद्रमग्नाः॥
तमक्षरं ब्रह्म परं परेश-मव्यक्तमाध्यात्मिकयोगगम्यम।
अतीन्द्रियं सूक्षममिवातिदूर-मनन्तमाद्यं परिपूर्णमीडे॥
यस्य ब्रह्मादयो देवा वेदा लोकाश्चराचराः।
नामरूपविभेदेन फल्ग्व्या च कलया कृताः॥
यथार्चिषोग्नेः सवितुर्गभस्तयोनिर्यान्ति संयान्त्यसकृत स्वरोचिषः।
तथा यतोयं गुणसंप्रवाहोबुद्धिर्मनः खानि शरीरसर्गाः॥
स वै न देवासुरमर्त्यतिर्यंगन स्त्री न षण्डो न पुमान न जन्तुः।
नायं गुणः कर्म न सन्न चासननिषेधशेषो जयतादशेषः॥
जिजीविषे नाहमिहामुया कि मन्तर्बहिश्चावृतयेभयोन्या।
इच्छामि कालेन न यस्य विप्लवस्तस्यात्मलोकावरणस्य मोक्षम॥
सोऽहं विश्वसृजं विश्वमविश्वं विश्ववेदसम।
विश्वात्मानमजं ब्रह्म प्रणतोस्मि परं पदम॥
योगरन्धित कर्माणो हृदि योगविभाविते।
योगिनो यं प्रपश्यन्ति योगेशं तं नतोऽस्म्यहम॥
नमो नमस्तुभ्यमसह्यवेग-शक्तित्रयायाखिलधीगुणाय।
प्रपन्नपालाय दुरन्तशक्तयेकदिन्द्रियाणामनवाप्यवर्त्मने॥
नायं वेद स्वमात्मानं यच्छ्क्त्याहंधिया हतम।
तं दुरत्ययमाहात्म्यं भगवन्तमितोऽस्म्यहम॥
एवं गजेन्द्रमुपवर्णितनिर्विशेषंब्रह्मादयो विविधलिंगभिदाभिमानाः।
नैते यदोपससृपुर्निखिलात्मकत्वाततत्राखिलामर्मयो हरिराविरासीत॥
तं तद्वदार्त्तमुपलभ्य जगन्निवासःस्तोत्रं निशम्य दिविजैः सह संस्तुवद्भि:।
छन्दोमयेन गरुडेन समुह्यमानश्चक्रायुधोऽभ्यगमदाशु यतो गजेन्द्रः॥
सोऽन्तस्सरस्युरुबलेन गृहीत आर्त्तो दृष्ट्वा गरुत्मति हरि ख उपात्तचक्रम।
उत्क्षिप्य साम्बुजकरं गिरमाह कृच्छान्नारायण्खिलगुरो भगवान नम्स्ते॥
तं वीक्ष्य पीडितमजः सहसावतीर्यसग्राहमाशु सरसः कृपयोज्जहार।
ग्राहाद विपाटितमुखादरिणा गजेन्द्रंसम्पश्यतां हरिरमूमुचदुस्त्रियाणाम॥
शादी से पहले लड़की और उसके परिवार के बारे में कौन सी बातें पता होनी चाहिए? जान लीजिए वरना होगा पछतावा
12 Jun, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महात्मा विदुर महाभारत के सबसे बुद्धिमान और न्यायप्रिय पात्रों में से एक माने जाते हैं. उन्होंने जीवन से जुड़े हर पहलू पर गहरी बातें कही हैं चाहे वह राजनीति हो, रिश्ते हों या फिर जीवन के फैसले. विदुर नीति में शादी को एक पवित्र जिम्मेदारी और सोच-समझकर लिया जाने वाला फैसला माना गया है. उन्होंने यह भी बताया है कि शादी सिर्फ दो लोगों का नहीं, दो परिवारों का मिलन होता है. इसलिए विवाह करने से पहले लड़की और उसके परिवार के बारे में कुछ जरूरी बातें जरूर जान लेनी चाहिए, ताकि बाद में कोई पछतावा न हो. आजकल के समय में जहां रिश्ते जल्दबाजी में बनते हैं, वहां विदुर की ये बातें बेहद जरूरी हो जाती हैं. अगर इन बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तो शादी के बाद रिश्तों में परेशानी आ सकती है, मनमुटाव हो सकता है और जीवन दुखमय बन सकता है.
1. लड़की का स्वभाव और व्यवहार कैसा है
विदुर नीति कहती है कि किसी भी रिश्ते की नींव अच्छे स्वभाव पर टिकी होती है. अगर लड़की गुस्सैल, घमंडी, या दूसरों से जलने वाली है, तो वह शादी के बाद पूरे घर का माहौल खराब कर सकती है. वहीं अगर वह शांत, समझदार और सहयोगी है तो दांपत्य जीवन खुशहाल रहेगा.
2. लड़की की शिक्षा और सोच को समझना जरूरी है
शादी से पहले यह जानना जरूरी है कि लड़की पढ़ी-लिखी है या नहीं और उसकी सोच कितनी परिपक्व है. क्या वह अपने और पति के भविष्य को लेकर गंभीर है? क्या वह जिम्मेदार है? ये बातें जानने से आगे चलकर तालमेल बैठाना आसान होता है.
3. लड़की के परिवार का स्वभाव और संस्कार
विदुर नीति कहती है कि जिस परिवार में लड़की पली-बढ़ी है, उसके संस्कारों का असर उस पर जरूर पड़ता है. अगर उसके परिवार में रिश्तों को लेकर सम्मान और प्यार है, तो वह लड़की भी वैसा ही व्यवहार अपनाएगी. लेकिन अगर परिवार में झगड़े, नकारात्मकता या बेईमानी है, तो वह संस्कार लड़की में भी दिख सकते हैं.
4. लड़की की इच्छाएं और प्राथमिकताएं क्या हैं?
शादी से पहले यह जान लेना चाहिए कि लड़की की जिंदगी से जुड़ी उम्मीदें क्या हैं. क्या वह घर संभालना चाहती है या नौकरी करना चाहती है? क्या वह माता-पिता के साथ रहना स्वीकार करेगी या अलग रहना चाहती है? यह सारी बातें आपसी समझ के लिए जरूरी हैं.
आषाढ़ 2025: कब से हो रहा है शुरू, क्या करें-क्या न करें, भगवान विष्णु की योगनिद्रा से जुड़ा ये महीना
12 Jun, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में साल का 12 महीना बेहद महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है. प्रत्येक महीना किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ का माह शुरू होने वाला है और आषाढ़ का माह विशेष रूप से पवित्र माना जाता है. इस महीने से मौसम में भी अहम बदलाव देखने को मिलता है. इसके अलावा इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी अधिक होता है. आषाढ़ माह में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा-आराधना करने का विधान है. तो चलिए इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि कब से शुरू हो रहा है आषाढ़ का माह और इस महीने क्या करने से बचना चाहिए.
अब भूलकर भी ना करें ये काम
कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ महीने की शुरुआत 12 जून से हो रही है, जिसका समापन 11 जुलाई को होगा. इस दौरान भारी बारिश होती है और गर्मी से लोगों को राहत मिलती है. इसी महीने एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं. इसी महीने चातुर्मास की भी शुरुआत होती है. चातुर्मास में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे गृह प्रवेश, शादी, सगाई आदि संस्कार नहीं किए जाते हैं. इतना ही नहीं, इस महीने कुछ चीजों को करने से भी बचना चाहिए.
ना करें मांस और मदिरा का सेवन
आषाढ़ महीने में मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए. इसके साथ ही, इस महीने तामसिक भोजन भी नहीं ग्रहण करना चाहिए. विशेष तौर पर देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होने के बाद तो गलती से भी मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही इस महीने धार्मिक नियमों के उल्लंघन से भी बचना चाहिए. झूठ बोलना, छल-कपट, चोरी जैसे कर्मों से दूर रहना चाहिए. इस माह वृक्षों की कटाई से भी परहेज करना चाहिए.
इस महीने करें यह काम
इस महीने भगवान श्री हरि विष्णु की आराधना करनी चाहिए. विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना करें. इस महीने गुरु पूर्णिमा का भी पर्व मनाया जाता है, इसलिए अपने गुरु का सम्मान करें और उनके आदेश का पालन करें. इसके साथ ही, इस महीने जल, छाता और अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करना चाहिए. ऐसा करने से श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
पुरी की परंपरा उदयपुर में... ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान ने लिया विश्राम, दर्शन के लिए 15 दिन का इंतजार!
12 Jun, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उदयपुर के ऐतिहासिक जगदीश मंदिर में ज्येष्ठ पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान श्री जगन्नाथ का विशेष जेष्टांगन स्नान परंपरागत रूप से संपन्न हुआ. यह अनुष्ठान ठीक उसी प्रकार किया गया जैसे जगन्नाथ पुरी में होता है. सैकड़ों वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को देखने के लिए मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे.
मंदिर के पुजारी विनोद पुजारी ने बताया कि ज्येष्ठ मास की भीषण गर्मी भगवान सहन नहीं कर पाते, इसलिए उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए विशेष स्नान कराया जाता है. भगवान का दूध, दही, शहद, घी और पंचामृत से अभिषेक किया गया. इसके बाद 108 कलशों से शुद्ध जल स्नान भी हुआ. अभिषेक के बाद भगवान को करंट टाइम अवस्था में रखा जाता है, जिसे बीमार अवस्था कहा जाता है.
विश्राम काल में नहीं होते सामान्य दर्शन
इस अवधि में भगवान मंदिर के गर्भगृह में विश्राम करते हैं और उन्हें सामान्य दर्शन के लिए नहीं रखा जाता. भगवान की विशेष सेवा की जाती है और उन्हें हल्का, सुपाच्य भोग अर्पित किया जाता है. पुजारी विनोद ने बताया कि यह परंपरा जगन्नाथ पुरी से प्रेरित होकर शुरू की गई थी, क्योंकि उदयपुर का जगदीश मंदिर भी उसी परंपरा और स्थापत्य शैली पर आधारित है. जेष्टांगन स्नान के बाद भगवान 15 दिन तक आराम करते हैं. फिर आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भगवान नगर भ्रमण के लिए चांदी के रथ पर सवार होकर निकलते हैं. यह रथ यात्रा उदयपुर शहर की सबसे प्रमुख धार्मिक घटनाओं में से एक है. इसे विश्व की तीसरी सबसे बड़ी रथ यात्रा माना जाता है.
धार्मिक आस्था के साथ सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक
हर वर्ष हजारों श्रद्धालु और देश-विदेश से पर्यटक इस विशाल रथ यात्रा में भाग लेते हैं. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के विग्रह विशेष रूप से सजाए गए रथ में विराजते हैं और शहर के मुख्य मार्गों से होकर मंदिर लौटते हैं. यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है, बल्कि यह संस्कृति और विरासत का जीवंत उदाहरण भी है, जो हर साल उदयपुर को धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से एक नई पहचान दिलाती है.
आज का राशिफल: जानिए क्या कहती हैं आपकी किस्मत की सितारे
12 Jun, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्वभाव में आकस्मिक परिवर्तन ही सफलता है, व्यवसाय में उन्नति होगी।
वृष राशि :- कार्य में सफलता मिलेगी, मान-सम्मान की प्राप्ति होगी, शत्रु वर्ग का जोर होगा।
मिथुन राशि :- यह सप्ताह उत्तम फलकारक है, अधिकारियों का पूर्ण सहयोग अवश्य मिलेगा।
कर्क राशि :- नौकरी में व्यावधान हो सकता है, व्यवसाय ठीक नहीं है, भवुकता से हानि होगी।
सिंह राशि :- आनंद का अनुभव करेंगे, केतु गृह पीड़ा कारक है, काफी मतभेद अवश्य होंगे।
कन्या राशि :- मनोरंजन में अति हर्ष होगा, व्यवसाय में लाभ होगा तथा कार्य अवश्य होगा।
तुला राशि :- पारिवारिक उत्तर दायित्व की वृद्धि होगी, आमोद-प्रमोद में विरोध अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- मानसिक तनाव अनावश्यक बढ़ेगा, स्वजनों की सहायता अनुभूति अवश्य होगी।
धनु राशि :- व्यवसाय की उन्नति में आर्थिक स्थिति में विशेष सुधार अवश्य होगा, ध्यान दें।
मकर राशि :- विलास सामग्री का संचय होगा, अधिकारियों की कृपा का लाभ मिलेगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से अच्छा सहयोग मिले तथा उत्तम लाभ के योग अवश्य बनेंगे।
मीन राशि :- गृह-कलह, हीन मनोवृत्ति, शरीर पीड़ा, परेशानी अवश्य ही बनेगी, व्यापार में व्यावधान होगा।
महाभारत: क्यों स्त्रियां करती थीं अर्जुन का पीछा, कैसे हुई उलूपी और चित्रांगदा से शादी
11 Jun, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पांडवों में अर्जुन सबसे ज्यादा सुदर्शन और आकर्षक थे. इसलिए वह जहां कहीं होते थे, वहां स्त्रियों के चहेते हो जाते थे. जीवनभर स्त्रियां उनकी दीवानी होती रहीं. इस बात के कई किस्से हैं कि अर्जुन को कई स्त्रियां इस तरह घेर लेती थीं या पीछा करती थीं कि भीम और नकुल को उनके बचाव के लिए सामने आना पड़ता था.
जाने माने पौराणिक कथा विशेषज्ञ और लेखक देवदत्त पटनायक ने अपनी नई किताब सती सावित्री में लिखा, अर्जुन जब वनवास गमन कर रहे थे तो नकुल ने स्त्रियों को उनका पीछा करने से रोकने के लिए उनके चेहरे पर धूल मल दी. अर्जुन का रूप -लावण्य इतना आकर्षक था कि स्त्रियां हर जगह उनका पीछा करती थीं. इसी में उन्होंने लिखा कि कैसे कई स्त्रियों ने अर्जुन से संपर्क किया.
कुंती से अर्जुन का जन्म इंद्र के जरिए हुआ था. लिहाजा वह इंद्र की ही तरह सुंदर और मनोहारी थे. महाभारत में उन्हें बहुत सुंदर, आकर्षक और वीर पुरुष के रूप में बताया गया है. अपने रूप, शील, और युद्ध कौशल की वजह से वह ना केवल युद्ध के मैदान में बल्कि सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में भी कई लोगों, विशेषकर स्त्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र थे.
हर जगह स्त्रियां उनकी ओर आकर्षित होती थीं
महाभारत में कई प्रसंग हैं जो बताते हैं कि जब पांडव वनवास में थे, तब अर्जुन की सुंदरता और व्यक्तित्व का प्रभाव इतना था कि कई स्त्रियां उनके प्रति आकर्षित होती थीं. कुछ कथाओं में कहा गया कि अर्जुन का आकर्षण इतना प्रबल था कि उनके भाइयों विशेष रूप से भीम को उन्हें कुछ उत्साही प्रशंसकों से बचाने की स्थिति में आना पड़ता था.
अर्जुन के जीवन में कई ऐसी स्त्रियां आईं, जिनसे उन्हें प्यार भी हुआ. उन्होंने शादियां भी कीं. कई को उन्हें इनकार करना पड़ा. उन्हें इसकी नाराजगी भी झेलनी पड़ी.
चित्रांगदा से अर्जुन का प्यार और शादी कैसे हुई
जब पांडवों को द्रौपदी के अपमान और जुए में हार के बाद 12 वर्ष के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास की सजा मिली तो अर्जुन ने कुछ समय के लिए तीर्थयात्रा पर जाने का निर्णय लिया. तब वह देश के कई हिस्सों का भ्रमण करते हुए मणिपुर पहुंचे, जो उस समय एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य था. मणिपुर के राजा चित्रवाहन थे. उनकी पुत्री चित्रांगदा सुंदर, वीर और कुशल योद्धा थी.
जब दोनों ने पहली बार एक दूसरे को देखा
मणिपुर पहुंचने पर अर्जुन ने चित्रांगदा को देखा, जो अपनी सुंदरता, शालीनता और युद्ध कौशल के लिए प्रसिद्ध थी. चित्रांगदा भी अर्जुन के रूप, वीरता और ख्याति से प्रभावित हुई. दोनों एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हो गए. अर्जुन ने राजा चित्रवाहन से चित्रांगदा का हाथ मांगा.
उर्वशी भी प्यार करती थी लेकिन क्यों नाराज हुई
जब अर्जुन इंद्र के दरबार में गए, तब अप्सरा उर्वशी उनके प्रति आकर्षित हुई. उसने अर्जुन को प्रेम प्रस्ताव दिया, लेकिन अर्जुन ने उसे माता के समान माना (क्योंकि वह उनके पूर्वज पुरुरवा की पत्नी थी). तब उर्वशी ने क्रोधित होकर अर्जुन को श्राप दिया कि वह एक वर्ष तक नपुंसक रहेंगे. हालांकि यह श्राप बाद में अज्ञातवास में अर्जुन के लिए वरदान साबित हुआ, जब वे बृहन्नला के रूप में रहे.
दुर्योधन की पत्नी तक उन्हें चाहती थी
महाभारत में ये भी कहा गया है कि दुर्योधन से शादी से पहले उसकी पत्नी भानुमति अर्जुन की प्रशंसक थी. वह उनसे शादी करना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका. उसकी शादी दुर्योधन से हुई. लेकिन माना जाता है कि जब महाभारत के युद्ध में दुर्योधन की मृत्यु हो गई तो अपने कुनबे को बचाने के लिए जब भानुमति को अर्जुन से विवाह का सुझाव दिया गया तो उसने इसे स्वीकार कर लिया. अर्जुन से शादी कर ली. उसके बाद वह उनकी पत्नी बनकर रहीं.
रात को तकिये के नीचे रखें नमक और देखें चमत्कार, बुरी नजर और गरीबी से मिले छुटकारा
11 Jun, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कभी कभी हमारी जिंदगी में परेशानियां बिना किसी वजह के बढ़ती जाती हैं. मन बेचैन रहता है, नींद नहीं आती, या फिर बुरे सपने सताते हैं. ऐसे में लोग कई उपाय करते हैं – मंदिर जाते हैं, पूजा करवाते हैं, तावीज़ पहनते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके घर में मौजूद एक आम चीज़, यानी नमक, आपकी कई समस्याओं का हल हो सकता है? इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं
न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह.
ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि अगर रात को सोते समय तकिये के नीचे नमक रखा जाए, तो इससे जीवन में काफी बदलाव महसूस किया जा सकता है. यह उपाय न सिर्फ मानसिक शांति देता है बल्कि बुरी शक्तियों को भी दूर करता है. आइए जानते हैं कैसे काम करता है यह आसान लेकिन असरदार उपाय.
नकारात्मक ऊर्जा को करता है खत्म
रात को सोने से पहले अगर आप एक छोटी सी नमक की पोटली बनाकर तकिये के नीचे रख लें, तो इससे आपके आस पास मौजूद नकारात्मक ऊर्जा धीरे धीरे खत्म होने लगती है. नमक में ऐसी क्षमता होती है कि वह आस पास की बुरी तरंगों को सोख लेता है. जो लोग नींद में डर जाते हैं या जिन्हें अक्सर बुरे सपने आते हैं, उनके लिए यह उपाय बेहद फायदेमंद है. कई बार तो इससे रात की नींद इतनी अच्छी हो जाती है कि सुबह उठते ही मन हल्का महसूस होता है.
बुरी नजर से मिलती है राहत
अगर आपको लगता है कि आप बार बार बीमार पड़ते हैं या बिना कारण कोई काम नहीं बन रहा है, तो यह बुरी नजर का असर हो सकता है. ऐसे में नमक की यह पोटली आपकी रक्षा कर सकती है. तकिये के नीचे रखा नमक न सिर्फ बुरी नजर को दूर करता है बल्कि आपकी ऊर्जा को भी संतुलित करता है.
धन आकर्षण में भी मददगार
नमक को अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह धन को भी आकर्षित कर सकता है. इसके लिए हर रात सोने से पहले नमक की पोटली को हाथ में लें और ‘ॐ धनाय नमः’ मंत्र का 11 बार जाप करें. फिर उस पोटली को तकिये के नीचे रखकर सो जाएं. यह प्रयोग लगातार कुछ दिनों तक करें, आप खुद फर्क महसूस करेंगे.
वास्तु दोष को भी करता है दूर
अगर आपके घर में लगातार तनाव बना रहता है या चीज़ें गड़बड़ होती रहती हैं, तो यह किसी वास्तु दोष का संकेत हो सकता है. शुक्रवार की रात को नमक की पोटली बनाकर तकिये के नीचे रखें और हर शुक्रवार को पोटली बदलते रहें. यह प्रक्रिया लगातार 11 शुक्रवार तक करें. माना जाता है कि इससे घर का माहौल सुधरने लगता है और धीरे धीरे घर में सुख शांति बढ़ती है.
ध्यान रखने वाली बातें
-नमक की पोटली में केवल सादा समुद्री नमक ही रखें.
-हर हफ्ते इसे बदलना न भूलें.
-इस्तेमाल किए गए नमक को बहते पानी में बहा दें.
आज का राशिफल: जानिए क्या कहती हैं आपकी किस्मत की सितारे
11 Jun, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक होंगे, प्रयत्नशीलता तथा सफलता से लाभ होगा।
वृष राशि :- समय पर सोचे कार्य बनेंगे, कार्य तत्परता से लाभ अवश्य ही होगा।
मिथुन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा, व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि अवश्य होगी।
कर्क राशि :- परिश्रम में सफलता सम्भव है, सोच-समझ कर कार्य करें।
सिंह राशि :- कार्य वृत्ति में सुधार, चिन्ताऐं कम हों, सफलता के साधन अवश्य बनेंगे।
कन्या राशि :- परिश्रम करने पर भी सफलता दिखायी न देवे, कार्य स्थगित रखना ठीक होगा।
तुला राशि :- कुछ लोगों से मेल-मिलाप सम्भव, कार्य क्षमता अनुकूल अवश्य होगी।
वृश्चिक राशि :- स्वास्थ नरम, चोटादि का भय होगा, मनोबल उत्साहवर्धक होगा।
धनु राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, दैनिक कार्यवृत्ति में सुधार होगा, ध्यान रखें।
मकर राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक हो, इष्ट मित्रों से परेशानी, धोखे से बचें।
कुंभ राशि :- कार्य-व्यावसाय गति मंद होते हुए भी साधन सम्पन्नता बनकर कार्य होगा।
मीन राशि :- विघटनकारी तत्व परेशान करें, अनायास कुछ बाधायें बन जायेंगी।
अगर कर रहे हैं एकादशी व्रत, तो ये 3 काम भूलकर भी न करें...नाराज़ हो सकते हैं भगवान विष्णु
10 Jun, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को विशेष पुण्यदायक माना गया है. यह न केवल आत्मशुद्धि का माध्यम है, बल्कि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त करने का अवसर भी है. सालभर में 24 एकादशियाँ आती हैं हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक.
कि एकादशी व्रत सिर्फ व्रत रखने का नाम नहीं, बल्कि एक नियमबद्ध तपस्या है. यदि इसमें कुछ गलतियां हो जाएं, तो व्रत अधूरा रह जाता है और इसका पूरा फल नहीं मिल पाता.
एकादशी व्रत के लाभ
पं. शुक्ला के अनुसार, “जो भी श्रद्धा और नियम से एकादशी का व्रत करता है, उसके समस्त पापों का क्षय होता है और उसे जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.” भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और पारिवारिक सुख भी बढ़ते हैं.
व्रत को अधूरा बना देती हैं ये सामान्य गलतियां
दोपहर में सोना या सुबह देर तक उठना:
व्रत के दिन आलस्य वर्जित माना गया है. दोपहर में सोने से मानसिक शुद्धता पर असर पड़ता है और शास्त्रों के अनुसार व्रत का फल कम हो जाता है.
लहसुन-प्याज और तामसिक भोजन:
एकादशी के दिन व्रती को पूरी तरह सात्विक आहार पर रहना चाहिए. प्याज, लहसुन जैसे तामसिक तत्वों का सेवन व्रत की पवित्रता को प्रभावित करता है.
कटु वचन और नकारात्मकता से परहेज:
किसी को अपशब्द कहना या मन में नकारात्मक विचार लाना व्रत को अपवित्र कर देता है. व्रत के दौरान मन, वाणी और आचरण तीनों में शुद्धता अत्यंत आवश्यक है.
पूजा की विधि और धार्मिक व्यवहार
पं. शुक्ला बताते हैं कि एकादशी के दिन सुबह स्नान कर के भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, साथ ही तुलसी दल, पीले फूल और पंचामृत का प्रयोग कर उन्हें भोग अर्पण करें. पूरे दिन भक्ति, ध्यान और दान में मन लगाना चाहिए.
व्रत को बनाएं सफल, न कि दिखावा
व्रत का उद्देश्य केवल शरीर को कष्ट देना नहीं, बल्कि मन और आत्मा को शुद्ध करना है. इसलिए केवल भोजन त्यागना ही नहीं, बल्कि आचरण सुधारना भी व्रत की सफलता की कुंजी है.