धर्म एवं ज्योतिष
बारिश का पानी चमका सकता है आपका भाग्य, घर की इस दिशा में रखें और 11 दिन तक करें ये काम, हो जाएंगे मालामाल!
10 Jun, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बारिश का मौसम आते ही ठंडी हवा, हरियाली और सुकून का एहसास होने लगता है. ये मौसम सिर्फ मौसम में बदलाव नहीं लाता, बल्कि हमारे जीवन में भी पॉजिटिव असर डाल सकता है. कई लोग सोचते हैं कि बारिश का पानी बस गंदगी या कीचड़ का कारण होता है, लेकिन वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में इसे बहुत खास माना गया है. ऐसा माना जाता है कि बारिश का पानी हमारे जीवन से नकारात्मकता को हटाने और स्वास्थ्य में सुधार लाने की ताकत रखता है. अगर आप बारिश के पानी को सही तरीके से जमा करके कुछ खास उपाय करें, तो पुरानी बीमारियां दूर हो सकती हैं और घर से बुरी नजर हटाई जा सकती है. इससे घर में सुख, शांति और आर्थिक बढ़त भी आती है. आइए जानें बारिश के पानी से कैसे करें ये असरदार उपाय. इस बारे में बता रहे हैं
1. कमजोर चंद्रमा को मजबूत करने का उपाय
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, तो वह मानसिक तनाव, डर, बेचैनी और रात को नींद न आने जैसी समस्याओं से परेशान रहता है. ऐसे लोगों को हरे रंग की कांच की बोतल में बारिश का पानी भरकर घर के किसी शांत कोने में रखना चाहिए. ध्यान रखें कि यह पानी अगले साल की बारिश से पहले तक ही रखा जाए, फिर पुराना पानी निकालकर नया पानी भरना होगा. इस उपाय से मानसिक शांति मिलती है और डर, चिंता कम होती है.
2. लंबे समय से चल रही बीमारी के लिए
कभी-कभी बीमारियां ऐसी होती हैं जिनका कोई कारण समझ नहीं आता और डॉक्टर भी साफ जवाब नहीं दे पाते. ऐसे में बारिश का शुद्ध पानी एक साफ स्टील या तांबे के बर्तन में जमा करें. फिर उस पानी से भगवान शिव की पूजा करें और महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें. यह प्रक्रिया नियमित करें, धीरे-धीरे शरीर में सुधार महसूस होने लगेगा और कमजोरी भी दूर होगी.
3. घर से बुरी नजर हटाने का असरदार तरीका
अगर आपको लगता है कि घर का माहौल बार-बार खराब हो रहा है, बिना कारण झगड़े, परेशानियां या आर्थिक नुकसान हो रहा है, तो एक आसान उपाय करें. बारिश का पानी एक साफ बर्तन में इकट्ठा करें और उसे हनुमानजी के सामने रखें. हर दिन उसी स्थान पर बैठकर 51 बार हनुमान चालीसा पढ़ें. यह उपाय कम से कम 30 दिन करें और फिर उस पानी से पूरे घर में छिड़काव करें. इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और शांति का माहौल बनेगा.
4. धन वृद्धि के लिए बारिश का जल उपाय
अगर घर में पैसे की कमी चल रही है या खर्चे अधिक हैं, तो यह उपाय आजमाएं. एक मिट्टी के कुल्हड़ या तांबे के बर्तन में बारिश का पानी भरें और उसमें एक चुटकी हल्दी डाल दें. अब इस पानी को घर के उत्तर दिशा में रखें और प्रतिदिन सुबह उस दिशा में दीपक जलाएं. ऐसा 11 दिन तक करें, इससे आर्थिक स्थिति में सुधार आना शुरू हो जाएगा और लक्ष्मी कृपा बनी रहेगी.
क्यों खास होता है बारिश का पानी?
बारिश का पानी आसमान से सीधे आता है, इसलिए यह प्राकृतिक रूप से पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है. यह किसी रासायनिक प्रक्रिया से नहीं गुजरता, इसलिए पूरी तरह शुद्ध और ऊर्जावान होता है. इसीलिए पुराने समय से लोग इसे इकट्ठा करके पूजा-पाठ, आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग करते रहे हैं. यह पानी घर के वातावरण को भी साफ करता है और मन में ताजगी भर देता है
रामायण: कौन थीं वो दो स्त्रियां, जो राम से शादी करना चाहती थीं, इनकार पर क्या हुआ परिणाम
10 Jun, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रामायण में कई स्त्रियां राम से विवाह करना चाहती थीं. वो उनके पास विवाह का प्रस्ताव लेकर खुद पहुंचती थीं. लेकिन राम मना कर देते थे कि उनका विवाह सीता से हो चुका है और वह उनके प्रति निष्ठावान रहेंगे. लेकिन दो महिलाएं इनमें एकदम अलग थीं. एक राम को लंबे समय से चाहती थी और एक उनको देखते ही मुग्ध हो गई थी. इनमें से एक से राम ने अगले जन्म में मिलने का वादा किया लेकिन दूसरी से जब मना किया तो परिणाम बहुत खतरनाक निकला.
रामायण में भगवान राम का विवाह केवल सीता से हुआ था. राम एकनिष्ठ पति के रूप में दिखाए गए. जो अपनी पत्नी के अलावा किसी और के बारे में सोचता ही नहीं. हालांकि अयोध्या से लेकर दूसरे राज्यों की कई सुंदर स्त्रियां उन पर मुग्ध थीं. कुछ ने उनसे प्रेम जताया. कुछ ने शादी करने की इच्छा जाहिर की. राम पत्नी सीता के प्रति निष्ठा और धर्म के कारण इसे स्वीकार नहीं किया.
देवदत्त पटनायक ने अपनी नई किताब “सती सावित्री” में कई ऐसी नारीवादी कहानियों का जिक्र किया, जो कभी सामने नहीं आईं इसी में राम के प्रति आकर्षित महिलाओं के बारे में बताया है. वैसे इसका जिक्र रामायण के अरण्यकांड में भी है.
कौन थीं वेदवती, जिनसे राम ने अगले जन्म में मिलने को कहा
सबसे पहले बात वेदवती की, जो राम से प्यार करती थीं, बेशक ये उनकी ओर से ही था. वह राम के पास शादी के लिए गईं. राम ने उन्हें मना जरूर किया लेकिन ये कहा कि वह अगले जन्म में उन्हें जरूर मिलेंगे. उसे तब तक प्रतीक्षा करनी होगी, जब तक वह कृष्ण का अवतार लेकर धरती पर दोबारा नहीं आ जाते. फिर ऐसा हुआ भी. ये भी कहा जाता है कि वेदवती अगले जन्म में रुक्मिणी के रूप में उनसे मिलीं.
बहुत सुंदर थीं और विष्णु भक्त
वेदवती एक पौराणिक चरित्र हैं, जिनका उल्लेख वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में मिलता है. वह एक तपस्विनी थीं, जिन्हें भगवान विष्णु की भक्त और अत्यंत सुंदर माना जाता है. वेदवती कुशध्वज ऋषि की पुत्री थीं. वह बचपन से ही भगवान विष्णु की उपासना करती थीं. उनका लक्ष्य था कि वह भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में प्राप्त करें. इसके लिए उन्होंने कठिन तप किया.
तब उन्होंने राम के पास जाकर शादी की पेशकश की
फिर विष्णु के अवतार भगवान राम जब त्रेता युग में धरती पर आए तो वेदवती ने उन्हें देखा. उनके पास पहुंचीं. उनसे विवाह करने की पेशकश की. ये उल्लेख मिलता है कि वेदवती राम को भगवान विष्णु के रूप में पहचानती थीं. तब राम ने वेदवती को बताया कि वह इस बार तो केवल सीता के पति हैं. लिहाजा इस जन्म में उन्हें स्वीकार नहीं कर सकते लेकिन अगले जन्म में जरूर वह उनके जीवन में रहेंगी.
वेदवती ने रावण को कौन सा शाप दिया
वेदवती की कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब लंकापति रावण ने उनकी सुंदरता पर मोहित होकर उनका अपहरण करने की कोशिश की. जबरदस्ती की कोशिश की. तब वेदवती ने रावण को शाप दिया कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के कारण होगी. इसके बाद वेदवती ने अपनी पवित्रता की रक्षा के लिए अग्नि में प्रवेश किया. प्राण त्याग दिए.
राम पर मुग्ध होने वाली दूसरी स्त्री कौन थी
राम पर आकर्षित और मुग्ध होने वाली दूसरी स्त्री शूर्पणखा थी, जिसने ना केवल राम के पास जाकर ये कहा कि वह उनको चाहने लगी है बल्कि शादी भी करना चाहती है. उसने राम को तरह तरह से लुभाने की कोशिश की, लेकिन राम ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया. राम ने मजाक में कहा कि वह पहले से ही विवाहित हैं. शूर्पणखा को लक्ष्मण की ओर इशारा किया, जिसके बाद लक्ष्मण ने भी उसे अस्वीकार कर दिया.
तब शूर्पणखा ने सीता पर हमला किया. फिर इससे नाराज लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काट दी. चूंकि वह रावण की बहन थी. लिहाजा ये घटना आगे चलकर रावण के साथ युद्ध का कारण बनी.
तभी सीता को राम से प्यार हो गया था
पटनायक की इसी किताब में ये भी बताया गया है कि सीता के लिए शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा सकने की प्रतियोगिता बेशक रखी गई थी लेकिन प्रतियोगिता से पहले जब राम और सीता की मुलाकात एक उद्यान में होती है, तो उनसे प्यार करने लगती हैं, उनके साथ रहना चाहती हैं. उन्हें विश्वास हो गया था कि ये प्रतियोगिता तो राम ही जीतेंगे. ऐसा ही हुआ भी.
जिस पर्वत पर रहते थे राम, बगल में प्रकट हुए हनुमान, सुर्खियों में अनजान जगह
10 Jun, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश में बजरंगबली के अनेक मंदिर हैं, लेकिन चित्रकूट में एक ऐसा मंदिर है, जो किसी चमत्कार से कम नहीं. इसे बरहा हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यहां बजरंगबली के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. यह मंदिर श्रद्धा का प्रतीक है. भक्त कामदगिरि की परिक्रमा करते समय इस मंदिर में पूजा जरूर करते हैं. बरहा हनुमान मंदिर चित्रकूट की कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर है. इसी जगह पर भगवान राम अपने वनवास के दौरान 11 वर्ष 6 माह तक माता सीता और लक्ष्मण के साथ रहे थे. मंदिर के ठीक बगल में वही पहाड़ी है, जिसे प्रभु राम के वनवास काल का साक्षी माना जाता है. इसी पहाड़ी पर भगवान राम रुके थे.
खुद प्रकट हुई प्रतिमा
इस मंदिर के मुख्य पुजारी अमित तिवारी बताते हैं कि कामतानाथ परिक्रमा मार्ग में कुल चार पवित्र द्वार हैं. यह मंदिर तीसरे द्वार पर है. यही कारण है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है. पुजारी अमित तिवारी के अनुसार, बरहा हनुमान की यह प्रतिमा स्वयंभू है. यह मूर्ति यहां स्वतः प्रकट हुई थी, जो अत्यंत प्रभावशाली और चमत्कारी मानी जाती है. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां जो भी सच्चे मन से आता है और बजरंगबली से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी होती है.
इस दिन उमड़ता हुजूम
बरहा हनुमान मंदिर में सप्ताह के सभी दिन भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को यहां हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ बड़े आयोजन के साथ होता है. इन आयोजनों के दौरान वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है. भक्त परिक्रमा मार्ग पर पदयात्रा करते हुए हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. कई श्रद्धालु यहां नियमित रूप से 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं.
आज का राशिफल: जानिए क्या कहती हैं आपकी किस्मत की सितारे
10 Jun, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- आशानुकूल सफलता से संतोष तथा कुछ सफलता के साधन बनेंगे।
वृष राशि :- समय आराम से बीते, व्यवसायिक क्षमता का ध्यान अवश्य ही रख सकेंगे।
मिथुन राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा किन्तु इष्ट मित्रों से परेशानी होगी।
कर्क राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझेंगी, धैर्य से कार्य करेंगे।
सिंह राशि :- प्रतिष्ठा वृद्धि एवं बड़े लोगों से मेल-मिलाप होगा, स्थिति हर्षप्रद बनी रहेगी।
कन्या राशि :- संघर्ष में सफलता से संतोष, व्यवसायिक क्षमता में अनुकूलता बनी रहेगी।
तुला राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, कार्यक्षमता बढ़े, समाज में प्रतिष्ठा के योग बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- सामाजिक कार्यों में सुधार, कार्यगति में अनुकूलता, इष्ट मित्र सुखवर्धक हों।
धनु राशि :- अचानक कोई शुभ समाचार प्राप्त हो, कार्यगति में सुधार होगा, समय का ध्यान रखें।
मकर राशि :- स्थिति यथावत रखें, समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे, कार्य में सुधार हो।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, शरीर कष्ट, चिन्ता असमंजस की स्थिति बने।
मीन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहेंगे, दैनिक कार्यगति अनुकूल बनी ही रहेगी।
कपूर के ये आसान टोटके बदल सकते हैं आपकी किस्मत, धन, स्वास्थ्य समेत हर सुख की होगी प्राप्ति
9 Jun, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे घर की पूजा थाली में रोज़ जलने वाला कपूर सिर्फ एक धार्मिक वस्तु नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली ऊर्जा का स्रोत है. आयुर्वेद से लेकर वास्तु और ज्योतिष तक, हर परंपरा में कपूर को एक शुद्धकर्ता, रोगनाशक और सौभाग्य लाने वाला माना गया है. आरती के समय कपूर के जलाने से पूरा वातावरण सकारात्मक हो जाता है और इससे मन व मस्तिष्क को शांति भी मिलती है. औषधी के रूप में कपूर के वैसे तो कई फायदे हैं लेकिन तंत्र शास्त्र में संकट कारक माना गया है. कपूर का एक छोटा सा उपाय भी कई तरह के संकटों को दूर करता है और मालामाल बना सकता है. आइए जानते हैं कपूर से किए जाने वाले इन चमत्कारी उपाय के बारे में…
इस उपाय से हर अड़चन होगी दूर
तंत्र शास्त्र के अनुसार, हर दिन सुबह, शाम और रात के समय तीन बार कपूर को घी में भिगो लें और फिर जलाएं. इसके बाद कपूर को पूरे घर में दिखाएं. साथ ही घर के बाथरूम में कपूर की 2 टिकिया रख दें. ऐसा करने से देव दोष, पितृ दोष और कालसर्प दोष भी दूर होता है और जीवन में चल रहीं अड़चन भी दूर हो जाती है.
इस उपाय से धन की होगी प्राप्ति
मेहनत करने के बाद भी अच्छा फल प्राप्त नहीं हो रहा है तो गुलाब के फूल में कपूर का टुकड़ा रख दें. इसके बाद शाम के समय फूल में रखे कपूर को जला दें और फूल को देवी दुर्गा को अर्पित कर दें. ऐसा करने से आपको मेहनत का फल मिलेगा और अचानक धन की प्राप्ति के योग भी बनना शुरू हो जाएंगे. ध्यान रहे कि यह कार्य आपको लगातार 43 दिनों तक करना है. अगर आप नवरात्रि में इसको प्रांरभ करते हैं तो ज्यादा फल मिलेगा.
इस उपाय से भाग्य देगा साथ
अगर आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा है तो पानी में कपूर के तेल की कुछ बूंदों को डालकर नहाएं. यह ना केवल आपको पूरी तरह फ्रेश और एक्टिव रखेगा बल्कि आपका भाग्योदय भी होगा. वहीं अगर आप नहाने के पानी में चमेली के तेल की कुछ बूंदें भी डाल लेंगे तो इससे राहु, केतु और शनि का दोष भी दूर हो जाएगा लेकिन यह उपाय केवल आप शनिवार के दिन ही करें.
इस उपाय से महालक्ष्मी की होगी कृपा
बार-बार धन की हानि हो रही है या फिर बैंक बैलेंस नहीं बढ़ रहा है तो रात के समय में रसोई समेटने के बाद चांदी की कटोरी में लौंग और कपूर जला दें. संभव हो सके तो यह कार्य आप हर दिन करें, ऐसा करने से महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी और धन-धान्य में वृद्धि होगी. साथ ही धन प्राप्ति के योग बनने से बैंक बैलेंस भी बढ़ेगा.
इस उपाय से वास्तु दोष होगा दूर
अगर आपको लग रहा है कि घर के इस स्थान पर वास्तु दोष हो रहा है तो उस स्थान पर कपूर की 2 टिकियां रख दें. जब वह टिकिया गल जाए तो फिर दूसरी टो टिकिया रख दें. ऐसा करने से घर का वास्तु दोष दूर होगा. साथ ही आप उस स्थान पर रोज कपूर भी जला सकते हैं, ऐसा करने से धीरे-धीरे उस स्थान की ऊर्जा बदलने लगती है और सकारात्मक माहौल हो जाता है.
राजस्थान के इस मंदिर में महिलाएं निभाती हैं पुजारी की भूमिका... बुधवार लगता भक्तों का मेला, हर मन्नत होती है पूरी!
9 Jun, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नागौर के कुचामन सिटी स्थित गणेश डूंगरी मंदिर एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है. यह राजस्थान का एकमात्र ऐसा गणेश मंदिर है जहां पुरुषों के साथ-साथ महिला पुजारी भी पूजा-अर्चना करती हैं. यह परंपरा न केवल सामाजिक दृष्टिकोण से उल्लेखनीय है बल्कि धार्मिक भूमिकाओं में महिलाओं की भागीदारी का प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत करती है.
मंदिर कुचामन सिटी की एक ऊंची डूंगरी पर स्थित है. जिसे गणेश डूंगरी कहा जाता है. यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को सैकड़ों सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है. आसपास के क्षेत्र में यह मंदिर अत्यंत श्रद्धा और आस्था का केंद्र माना जाता है. गणेश चतुर्थी और हर बुधवार को यहां भारी भीड़ उमड़ती है. श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं. उनकी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं. इसी विश्वास के चलते यह मंदिर दूर-दराज़ से आने वाले भक्तों का भी केंद्र बना हुआ है.
समाज में समानता का प्रतीक
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां महिला पुजारी भी नियमित पूजा करती हैं. आम तौर पर पुजारी का दायित्व पुरुषों को सौंपा जाता है. लेकिन इस मंदिर में महिला पुजारी की उपस्थिति समाज में लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुकी है. यह परंपरा यह दर्शाती है कि महिलाएं भी धार्मिक कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और जिम्मेदारी के साथ निभा सकती हैं.
प्राचीन मूर्ति और मनोकामनाएं पूरी होने का विश्वास
स्थानीय मान्यता के अनुसार यह मंदिर पहाड़ी वाले गणेश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि यहां एक प्राचीन गणेश मूर्ति स्थित है. स्थानीय पुजारी का कहना है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी को याद करके की जाती है. कुचामन और आसपास के लोग यहां श्रद्धा और विश्वास के साथ अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं. उनका विश्वास है कि पहाड़ी वाले गणेश जी उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं.
आज का राशिफल: जानिए क्या कहती हैं आपकी किस्मत की सितारे
9 Jun, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव, उदर विकार, मित्र लाभ, राज भय, पारिवारिक समस्या उभरेगी।
वृष राशि :- अनुभव सुख, मंगल कार्य, विरोध, मामले मुकदमे में जीत की संभावना है।
मिथुन राशि :- कुसंगत से हानि, विरोध, भय, यात्रा, सामाजिक कार्यों में सावधानी रखें।
कर्क राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ की गति बढ़ेगी।
सिंह राशि :- तनाव, प्रवास से बचें, विरोध की चिन्ता, राज कार्यों में प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
कन्या राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति की स्थिति में सुधार, लाभ होगा।
तुला राशि :- प्रगति, वाहन का भय, भूमि लाभ, कलह, कुछ अच्छे कार्य भी होंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्धी, विरोध, लाभ, कष्ट, हर्ष, व्यय होगा, व्यापार में सुधार होगा।
धनु राशि :- यात्रा में हानि, मातृ-पितृ कष्ट, व्यय की कमी किन्तु कुछ व्यवसाय भी होगा।
मकर राशि :- शुभ कार्य, वाहन आदि रोग, धार्मिक-कर्म, कुछ अच्छे कार्य हो सकते हैं।
कुंभ राशि :- अभीष्ट सिद्धी, राज भय, कार्य में बाधा, राजकार्य में रुकावट होगी।
मीन राशि :- अल्प हानि, रोग भय, सम्पर्क लाभ, राज कार्यों में विलम्ब तथा परेशानी होगी।
भूलकर भी पर्स में न रखें ये चीजें, कर देंगी कंगाल, रूठ जाएंगी मां लक्ष्मी, तरस जाएंगे एक-एक पैसे को!
8 Jun, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वास्तु शास्त्र सिर्फ हमारे घर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजों पर भी असर डालता है, उन्हीं में से एक पर्स भी है. पर्स आर्थिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है और धन का प्रतीक भी माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ चीजें ऐसी हैं जो पर्स में बिल्कुल भी नहीं रखनी चाहिए.
इससे माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है. आर्थिक तंगी भी झेलनी पड़ सकती है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक पर्स को लेकर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए,
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि हमारे घर में पर्स माता लक्ष्मी का ही प्रतीक माना जाता है. वहीं वास्तु शास्त्र में पर्स का बहुत खास महत्व होता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ ऐसी चीजें हैं जो पर्स में बिल्कुल भी नहीं रखनी चाहिए, इससे आर्थिक तंगी हो सकती है और धन हानि के साथ बुरी ऊर्जा बढ़ सकती है.
इन चीजों को भूलकर भी न रखें पर्स में
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि सबसे पहले पर्स फटा या पुराना बिल्कुल भी नहीं रखना चाहिए. इससे माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और धन हानि हो सकती है. अगर बहुत महंगा नहीं ले सकते तो सामान्य पर्स खरीदें पर फटा हुआ पर्स न रखें.
फटा नोट
अगर आप भी अपने पर्स में फटा या पुराना नोट रखते हैं, तो तुरंत पर्स से निकाल दें, नहीं तो आपको बार-बार आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है. अगर आप व्यापार करते हैं तो व्यापार में भी घाटा हो सकता है.
लोहे की चीज
अपने पर्स में भूलकर भी छोटे-मोटे लोहे की चीजें नहीं रखनी चाहिए जैसे सेफ्टी पिन, चाबियां आदि. इससे अच्छी ऊर्जा का बहाव रुकता है और धन हानि की संभावना बढ़ जाती है.
दवाई
अपने पर्स में भूलकर भी दवाई नहीं रखनी चाहिए, इससे आर्थिक नुकसान हो सकता है. आमदनी की जगह ज्यादा खर्च बढ़ सकता है.
किसी मृत व्यक्ति की तस्वीर
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि अपने पर्स में भूलकर भी किसी मृत व्यक्ति की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए, इससे आर्थिक परेशानी आ सकती है. नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. पर्स में सिर्फ देवी-देवताओं की तस्वीर रखें.
भगवान में गहरी आस्था रखते हैं माल्या...सबरीमाला मंदिर में कर चुके हैं सोने की छत दान, इन मंदिरों में भी करोड़ों का...
8 Jun, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बैंक घोटाले के आरोप में लंबे समय से चर्चा में रहे उद्योगपति विजय माल्या ने हाल ही में एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में अपनी निजी आस्था और भगवान के प्रति विश्वास को लेकर कई बातें साझा की हैं. राज शमानी के पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान माल्या से जब सवाल किया गया क्या आप भगवान में विश्वास करते हैं? इसके जवाब में विजय माल्या ने कहा कि वे पूरी तरह धार्मिक हैं और भगवान में गहरा विश्वास रखते हैं. इस इंटरव्यू का वह हिस्सा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें माल्या ने कहा कि उन्होंने भारत के लगभग सभी प्रमुख मंदिरों के दर्शन किए हैं और अपनी मां की श्रद्धा के अनुसार कई जगहों पर भेंट भी दी है.
उन्होंने बताया कि पूजा, व्रत और मंदिर यात्राएं उनके जीवन का एक अहम हिस्सा रही हैं. वे वर्षों से धार्मिक नियमों का पालन करते आ रहे हैं और उनका मानना है कि अध्यात्म से मन को शांति मिलती है. विजय माल्या ने साफ शब्दों में कहा कि वे भगवान में बहुत आस्था रखते हैं और स्वयं को एक गहरा धार्मिक व्यक्ति मानते हैं.
मंदिरों में किया करोड़ों का चढ़ावा
विजय माल्या ने बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने भारत के ज्यादातर प्रमुख मंदिरों में दर्शन किए हैं और कई जगहों पर भारी दान भी दिया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी मां की श्रद्धा के अनुसार भी कई मंदिरों में भेंट अर्पित की है. केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के संदर्भ में उन्होंने बताया कि उसकी जो पूरी सोने की छत है, वह उन्होंने दान दी थी. इसके अलावा तिरुपति बालाजी मंदिर, सुब्रमण्य मंदिर और मूकांबिका मंदिर में भी उन्होंने दान दिया है.
माल्या ने यह भी बताया कि वह हर साल 41 दिन का व्रत रखते हैं और नंगे पांव यात्रा करते हैं. उन्होंने कहा कि उनके लिए यह आस्था और आत्मा की शांति का विषय है, कोई दिखावा नहीं.
भगवान मेरी रक्षा करेंगे
बातचीत के दौरान राज शमानी ने जब माल्या से पूछा, क्या आप इस पर सवाल नहीं करते? भगवान में आप इतना विश्वास करते हैं, अपने धार्मिक विश्वास के लिए इतना कुछ करते हैं और फिर भी इन सब से गुज़र रहे हैं? तो इस पर विजय माल्या कुछ पल चुप हो गए और फिर भावुक अंदाज में बोले- “भगवान मेरी रक्षा करेंगे.”
सोशल मीडिया पर मिक्स रिएक्शन
इस बातचीत का वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कुछ लोगों ने माल्या की बातों को पाखंड बताया, वहीं कुछ ने इसे एक आम इंसान की पीड़ा और विश्वास का प्रतीक कहा. कई यूजर्स ने लिखा कि जो व्यक्ति बैंक घोटालों का आरोपी है, वह भगवान के नाम पर सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहा है. वहीं कुछ लोगों ने कहा कि आस्था हर इंसान का निजी मामला है, और किसी के धार्मिक विश्वास पर सवाल उठाना उचित नहीं है.
कानून से लड़ाई और भगवान से उम्मीद
विजय माल्या पर भारतीय बैंकों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. वह साल 2016 से ब्रिटेन में रह रहे हैं और भारत सरकार उन्हें वापस लाने के लिए कानूनी प्रयास कर रही है. हालांकि इन तमाम कानूनी विवादों और चुनौतियों के बीच भी विजय माल्या का भगवान में विश्वास कमजोर नहीं हुआ है.
प्रदोष, शिवरात्रि और सोमवार को पढ़ें यह शक्तिशाली शिव स्तोत्र, टल जाएगा बड़े से बड़ा संकट!
8 Jun, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रदोष व्रत हो या मासिक शिवरात्रि या फिर सोमवार का दिन. ऐसे अवसर पर भगवान शिव की पूजा करते हैं. देवों के देव महादेव को बेलपत्र, भांग, मदार पुष्प, फूल, धतूरा, शमी के पत्ते, गंगाजल, शहद, गाय का दूध, धूप, दीप आदि अर्पित करते हैं. शिव पूजा के समय शिव चालीसा पढ़ते हैं और मंत्र जाप करते हैं. यदि आपको भगवान शिव को प्रसन्न करना है तो इस दिन रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र कर रचना की थी. आइए जानते हैं शिव तांडव स्तोत्र और उसके फायदे के बारे में.
शिव तांडव स्तोत्र के फायदे
1. शिव तांडव स्तोत्र पढ़ने से आत्मबल, साहस और ऊर्जा में बढ़ोत्तरी होती है.
2. शिव कृपा से तंत्र बाधा और भय से मुक्ति मिलती है. महाकाल दुश्मनों से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
3. शिव कृपा से ग्रह दोष शांत हो जाते हैं. शनि, मंगल, राहु, केतु के दोष मिट जाते हैं.
4. स्तोत्र के पाठ से मन के विकार मिट जाते हैं. बुद्धि सही काम करती है. शरीर संतुलित रहता है.
शिव तांडव स्तोत्र
जटाटवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले
गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं
चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम् ॥1॥
जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥2॥
धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥
जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा
कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥4॥
सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः
श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥5॥
ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा
निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥6॥
करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र
कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥7॥
नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर
त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥
प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा
विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥
अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी
रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध
गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित:
प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥
दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र
जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति
मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥13॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥15॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं
पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥16॥
10 जून को अंतिम ज्येष्ठ बड़ा मंगल, जानें हनुमानजी की प्रिय राशियों के बारे में, कभी नहीं होती इनको परेशानी
8 Jun, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्येष्ठ मास का अंतिम बड़ा मंगल 10 जून को है. वैसे तो सभी मंगलवार का अपना महत्व है लेकिन ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले मंगलवार को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि हनुमानजी की कृपा किन राशियों पर हमेशा बनी रहती है. इन राशि वालों को कभी किसी चीज का भय नहीं होता है और जीवन में संपन्नता बनी रहती है. आइए जानते हैं हनुमानजी की प्रिय राशियों के बारे में...
10 जून दिन मंगलवार को ज्येष्ठ मास का अंतिम बड़ा मंगल है. ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले सभी मंगल को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है. इस दिन हनुमानजी के वृद्ध स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है इसलिए बड़े मंगल को बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बड़े मंगल का व्रत करने से हनुमानजी की विशेष कृपा रहती है और सभी संकट व परेशानियों से मुक्ति मिलती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राशिचक्र की सभी राशियों में कुछ राशियां ऐसी होती हैं, जिन पर हमेशा बजरंगबली की कृपा बनी रहती है. आइए जानते हैं किन राशियों पर हनुमानजी की सदैव कृपा बनी रहती है...
मेष राशि के स्वामी मंगल ग्रह हैं और मंगलवार के दिन हनुमानजी और मंगल ग्रह की पूजा करने का विधान हैं. इस राशि वाले मंगलवार का व्रत अवश्य करें और हनुमानजी की विधि विधान से पूजा करें, ऐसा करने से कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होगी और सुख व सौभाग्य की प्राप्ति होगी. हनुमानजी मेष राशि वालों को बुद्धि और कौशल प्रदान करते हैं, जिससे इन राशियों की धन समेत सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
सिंह राशि के स्वामी सूर्यदेव हैं और सूर्यदेव हनुमानजी के गुरु भी हैं, ऐसे में सिंह राशि वालों पर हनुमानजी की विशेष कृपा रहती है. हनुमानजी की कृपा से सिंह राशि वालों को जीवन में ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता और कोई ना कोई मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है. अगर सिंह राशि वाले सच्चे मन से हनुमानजी की पूजा और उपवास करें तो यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं.
कन्या राशि वालों पर हमेशा हनुमानजी की कृपा बनी रहती है. कन्या राशि वालों का हनुमानजी की कृपा से भाग्य हमेशा साथ देता है, जिसकी वजह से पर्सनल व प्रफेशनल लाइफ में हमेशा तरक्की करते हैं. हनुमानजी कन्या राशि वालों को बड़ी से बड़ी परेशानियों से तुरंत निकालते हैं और हर समस्या से दूर भी रखते हैं. इस राशि के नौकरी पेशा जातक ऑफिस में हमेशा चमकते हुए सितारा बने रहते हैं.
वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल ग्रह हैं और मंगल ग्रह के स्वामी हनुमानजी, ऐसे में वृश्चिक राशि वालों पर हनुमानजी की हमेशा कृपा बनी रहती है. हनुमानजी की कृपा से वृश्चिक राशि वालों के मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसानी से कर लेते हैं और इनके अंदर साहस की कोई कमी नहीं होती है. यह अपनी सभी जिम्मेदारियों का पूरा करते हैं और परिजनों का पूरा ध्यान रखते हैं. हनुमानजी की पूजा करने से वृश्चिक राशि वालों के सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है.
हनुमानजी की प्रिय राशियों में कुंभ राशि का भी नाम आती है. कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं और शनिदेव कभी भी हनुमानजी के भक्तों को परेशान नहीं करते हैं. कुंभ राशि वालों पर हनुमानजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और उनकी हर परेशानियों को दूर करते हैं. पर्सनल व प्रफेशनल लाइफ में जो भी अड़चन आती है, उनको हनुमानजी दूर करते हैं. कुंभ राशि वाले अगर हर मंगलवार का व्रत करें तो हनुमानजी इनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं.
आज का राशिफल: जानिए क्या कहती हैं आपकी किस्मत की सितारे
8 Jun, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा व वृत्ति से लाभ, कुसंग से हानि, कुछ सहयोग रहे, पारिवारिक समाचार मिलेगा।
वृष राशि :- शुभ कार्य, भूमि से हानि, सिद्धी, कभी-कभी विरोधी अडंगे करते रहेंगे, कार्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- अधिक व्यय, स्वजन कष्ट, विवाद, आर्थिक कमी का अनुभव अवश्य होगा।
कर्क राशि :- हानि, रोगभय, नौकरी में कष्ट, चिन्ता, राजकार्य, मामले-मुकदमे में असंतोष।
सिंह राशि :- निराशा, लाभ, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार आदि होगा।
कन्या राशि :- शरीर कष्ट, लाभ, राजभय, उद्योग-व्यापार में अडंगे अवश्य ही आयेंगे।
तुला राशि :- चोट-अग्नि भय, धार्मिक कार्य, कष्ट, व्यर्थ अनाप-शनाप खर्च से परेशानी।
वृश्चिक राशि :- बाधा, उलझन, लाभ, यात्रा, कष्ट, गृहकार्य में परेशानी अवश्य रहेगी।
धनु राशि :- शत्रुभय, मुकदमे में जीत, रोगभय होगा, व्यापार में सुधार, कष्ट अवश्य होगा।
मकर राशि :- व्यापार में लाभ, शत्रुभय, धन सुख, सुधार, खर्च होते ही रहेंगे, ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- कलह, व्यर्थ खर्च, सफलता प्राप्त हो, विरोधी असफल रहें, व्यापार में सुधार होगा।
मीन राशि :- स्वजन सुख, पुत्र-चिन्ता, धन हानि, व्यापार की स्थिति अच्छी नहीं रहे।
आपने कभी सोचा है विवाहित महिलाएं क्यों पहनती हैं चांदी की घुंघरू वाली पायल? इसके फायदे जानकर उड़ जाएंगे होश
7 Jun, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में शादी के बाद महिलाएं कई परंपराओं को निभाती हैं, लेकिन कुछ परंपराएं ऐसी होती हैं जिनका सीधा संबंध हमारे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन से होता है. ऐसी ही एक परंपरा है चांदी की पायल पहनना. यह केवल एक गहना नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी ज्योतिषीय, आयुर्वेदिक और सांस्कृतिक बातें जुड़ी होती हैं. यह परंपरा हर क्षेत्र, जाति और भाषा में अलग-अलग तरीके से निभाई जाती है, लेकिन उद्देश्य एक ही होता है- स्त्री को सशक्त, स्वस्थ और सौभाग्यशाली बनाए रखना. पायल पहनने से न केवल शरीर को लाभ होता है बल्कि यह वातावरण को भी सकारात्मक बनाती है. यह भारतीय नारी के श्रृंगार का हिस्सा ही नहीं, उसकी गरिमा का प्रतीक भी है. यही वजह है कि हर संस्कृति में इसे विशेष स्थान दिया गया है. इस बारे में बता रहे हैं
1. पायल पहनना सौभाग्य का प्रतीक है
ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी बताते हैं कि विवाह के बाद महिला जब चांदी की पायल पहनती है, तो वह नारी के सौभाग्य का प्रतीक बन जाती है. यह परंपरा सिर्फ श्रृंगार नहीं है, बल्कि यह यह दर्शाता है कि स्त्री अब अपने परिवार की लक्ष्मी बन गई है. इससे घर में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
2. चांदी शरीर की ऊर्जा को संतुलित करती है
चांदी को शास्त्रों में एक शांत करने वाली धातु माना गया है. यह चंद्रमा से जुड़ी होती है, जो मन और भावनाओं को नियंत्रित करता है. जब महिला पैरों में चांदी की पायल पहनती है, तो यह शरीर की निचली नसों में ऊर्जा का संचार करती है. इससे महिला को थकान कम महसूस होती है और वह ज्यादा सक्रिय रहती है. ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी के अनुसार, पायल पहनने से पैरों की नसों पर हल्का दबाव पड़ता है, जो खून के बहाव को बेहतर बनाता है.
3. घुंघरू की मधुर आवाज मानसिक शांति देती है
पायल में लगे छोटे-छोटे घुंघरू जब चलते समय बजते हैं, तो वह सिर्फ कानों को नहीं, मन को भी सुकून देते हैं. यह ध्वनि वातावरण की नकारात्मकता को दूर करती है और घर में सकारात्मकता लाती है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, जैसे मंदिर में घंटियों की ध्वनि ऊर्जा को शुद्ध करती है, वैसे ही पायल की आवाज घर को पवित्र और शांत रखती है.
4. घर में बरकत और समृद्धि आती है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस घर में महिलाएं चांदी की पायल पहनती हैं, वहां चंद्रमा की ऊर्जा सक्रिय रहती है. यह ऊर्जा घर में समृद्धि, बरकत और स्थिरता लाती है. कई शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि ऐसे घरों में धन और सौभाग्य का वास बना रहता है.
5. पायल पहनना शुभ
वास्तु शास्त्र में पायल को घर की ऊर्जा को सक्रिय रखने का एक माध्यम माना गया है. वहीं आयुर्वेद के अनुसार, चांदी शरीर की गर्मी को नियंत्रित करती है और हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखती है. खासकर महिलाएं यदि पायल नियमित पहनें, तो उन्हें पीरियड्स संबंधी दिक्कतें भी कम होती हैं.
6. संस्कार और ऊर्जा का मिलन है पायल
अंशुल त्रिपाठी कहते हैं कि पायल पहनना एक तरह से नारी की ऊर्जा और भारतीय परंपरा के मिलन का प्रतीक है. यह न सिर्फ एक गहना है, बल्कि स्त्री की गरिमा, उसका सम्मान और उसकी सकारात्मक ऊर्जा का भी संकेत है.
इस दिन शिवलिंग पर चढ़ा दें ये फूल फिर देखें चमत्कार! दूर होगी दरिद्रता, बरसने लगेगी भोले की कृपा!
7 Jun, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सोमवार के अलावा एक तिथि हर महीने ऐसी भी आती है, जो भगवान शिव को समर्पित रहती है. वह है हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि, जिसे प्रदोष व्रत भी कहा जाता है माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखकर अगर जातक प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा-आराधना कर ले, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. रोग, दुख, कष्ट, दरिद्रता, काल, सब खत्म हो जाते हैं.
कुछ ही दिनों में आषाढ़ महीने की शुरुआत होने वाली है. आषाढ़ महीने का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन कैसे भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं, जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से.
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य
15 जून से आषाढ़ महीने की शुरुआत हो जाएगी. आषाढ़ महीने का पहला प्रदोष व्रत 23 जून को रखा जाएगा. सोमवार के दिन के अलावा जातक को प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए.
कब से हो रही है त्रयोदशी तिथि की शुरुआत
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 जून रात 2 बजकर 34 मिनट से हो रही है और समापन 23 जून रात 11 बजकर 06 मिनट पर होगा. चूंकि प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा होती है, इसलिए 23 जून को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
कैसे करें इस दिन भगवान शिव की पूजा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि प्रदोष व्रत के दिन स्नान कर व्रत का संकल्प लें और प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा पंचोपचार विधि से करें. अगर जातक इस दिन राम नाम लिखा बेलपत्र अर्पण करें और उनका प्रिय पुष्प धतूरा का पुष्प अर्पण कर दें, तो भगवान शिव बेहद प्रसन्न हो जाएंगे और जातक की मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी. साथ ही रोग, दुख, कष्ट, काल और दरिद्रता सब खत्म हो जाएंगे.
भूलकर भी किसी को न बताएं ये 4 सपने, ऐसे समय में चुप रहना है समझदारी, वरना लाभ की जगह होगा बड़ा नुकसान!
7 Jun, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हम सभी कभी न कभी ऐसे सपने देखते हैं जो हमारे मन पर गहरा असर छोड़ते हैं. सपनों की दुनिया हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से अलग होती है, लेकिन हमारे शास्त्रों में इन्हें बेहद खास और अर्थपूर्ण बताया गया है. माना जाता है कि कुछ सपने शुभ संकेत होते हैं तो कुछ अशुभ. इसलिए जरूरी होता है यह जानना कि कौन-से सपनों को दूसरों से साझा करना चाहिए और कौन-से सिर्फ अपने तक ही सीमित रखना चाहिए. आज हम आपको बताएंगे कि कुछ सपने अगर आपको दिखें, तो उनका जिक्र किसी और से करने से बचना क्यों जरूरी है. ऐसा न करने पर जिस लाभ या सुख की उम्मीद होती है, वह दूर हो सकता है. आइए जानते हैं
1. चांदी से भरा कलश
अगर सपने में चांदी से भरा कलश दिखे, तो यह धन, सुख और समृद्धि का संकेत होता है. लेकिन इसका जिक्र दूसरों से करने पर इसका फल मिलना टल सकता है. शास्त्रों के अनुसार जब तक सपना पूरा न हो, चुप रहना बेहतर होता है.
2. फूलों से भरा बगीचा
सपने में रंग-बिरंगे फूलों का बगीचा देखना बहुत शुभ माना जाता है. यह आने वाली खुशियों और शुभ समाचारों का संकेत होता है. लेकिन अगर यह सपना आप किसी से शेयर कर देते हैं, तो वो खुशी किसी कारणवश रुक सकती है या फिर उसकी दिशा बदल सकती है.
3. भगवान के दर्शन
भगवान को सपने में देखना बहुत बड़ी कृपा का संकेत होता है. यह दर्शाता है कि आपकी मुसीबतें अब खत्म होने वाली हैं. लेकिन इस तरह का सपना अगर आप किसी को बता दें, तो उसकी आध्यात्मिक ऊर्जा कम हो सकती है और संकट का समाधान टल सकता है.
4. खुद को राजा के रूप में देखना
अगर आप सपने में खुद को किसी राजा या बड़े अधिकारी के रूप में देखते हैं, तो यह संकेत है कि आपके जीवन में बड़ी जिम्मेदारियां और सफलता आने वाली है. यह सपना आत्मविश्वास और नेतृत्व की ओर बढ़ने का प्रतीक है. लेकिन अगर आपने यह सपना दूसरों से कह दिया, तो हो सकता है कोई आपकी योजनाओं को नुकसान पहुंचा दे या आपकी सोच को नीचा दिखाने की कोशिश करे. इसलिए ऐसे सपनों को गुप्त रखना चाहिए.
क्यों नहीं करना चाहिए ऐसे सपनों का जिक्र?
शास्त्रों के अनुसार कुछ सपनों की ऊर्जा बहुत खास और नाजुक होती है. अगर आप उन्हें किसी से साझा कर देते हैं, तो उस ऊर्जा का प्रभाव कमजोर पड़ सकता है. कई बार सामने वाला व्यक्ति आपकी बातों का मजाक भी बना सकता है, जिससे शुभ संकेतों का असर उल्टा पड़ सकता है. इसलिए जब तक सपना पूरा न हो, चुप रहना ही समझदारी होती है.