धर्म एवं ज्योतिष
भाई बनेंगे धनवान, कमाल है ये लाल पोटली का उपाय
11 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवघर: रक्षाबंधन का पर्व नजदीक ही है. बहनों ने राखियां खरीदनी भी शुरू कर दी हैं. रक्षाबंधन का महत्व हिंदू धर्म में बड़ा खास है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. बदले में भाई बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं. लेकिन, कुछ उपाय पर्व को और खास बना सकते हैं.
हर साल रक्षाबंधन सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस साल 19 अगस्त को सावन पूर्णिमा है. उसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. हालांकि, इस बार अगर बहनें राखी बांधने के साथ कुछ उपाय कर लें तो भाई-बहन के रिश्ते में मिठास आने के साथ-साथ भाई के सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी. देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानें विशेष उपाय…
भद्रा के बाद बांधें राखी
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Local 18 को बताया कि 19 अगस्त को रक्षाबंधन है. इस दिन भद्रा का साया रहने वाला है. भद्रा में राखी बांधना अशुभ माना जाता है, इसलिए भद्रा समाप्त होने के बाद ही बहन भाई की कलाई पर राखी बांधें. राखी बांधने के साथ कुछ ऐसे कार्य हैं जो बहनों को जरूर करना चाहिए. इससे भाइयों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
भगवान गणेश होंगे प्रसन्न
पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि जब बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधें तो उससे पहले भगवान गणेश के सामने राखी की थाली रखकर उनके चरणों में राखी अर्पण करें. उसके बाद वह राखी भाई की कलाई के ऊपर बांधनी चाहिए. भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता माने जाते हैं, इस विधि से वह प्रसन्न होते हैं.
तिजोरी में रखे ये सामान
दूसरा उपाय ये है कि बहन एक लाल कपड़े में रोली, अक्षत और एक सिक्का बांधकर अपने भाई को आशीर्वाद के रूप में दें और वह पोटली भाई अपनी तिजोरी में रख लें. इससे भाई को कभी आर्थिक समस्या नहीं झेलनी पड़ेगी. भाई दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की करेंगे.
कुंवारी कन्याओं को कराएं भोजन
साथ ही रक्षाबंधन के दिन पंचमेवा की खीर बनाकर कुंवारी कन्या को अवश्य खिलाना चाहिए. इससे घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होगी और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होने के साथ ही भाई बहन के रिश्ते में मिठास बढ़ेगी.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
हर साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया रहता है और भद्रा में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है. वहीं, 18 अगस्त दिन रविवार रात्रि 2 बजकर 21 मिनट से भद्रा लगने जा रही है. इसकी समाप्ति अगले दिन 19 अगस्त दोपहर 1 बजकर 25 मिनट पर होगी, इसलिए 19 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 25 मिनट के बाद ही राखी बांधें.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (11 अगस्त 2024)
11 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- प्रत्येक कार्य में विलंब, विरोधी तत्व परेशान करेंगे, सर्तकता से रहकर कार्य करें।
वृष :- समय विशेष अनुकूल है, स्त्रीवर्ग से हर्ष उल्लास, दैनिक कार्य गति उत्तम बनेगा।
मिथुन :- मान प्रतिष्ठा, इष्ट मित्रों से सुख, कार्य गति में अनुकूलता आएगी, ध्यान दें।
कर्क :- दैनिक व्यवसाय गति अनुकूल भाग्य का सितारा साथ देगा रुके कार्य अवश्य ही बने।
सिंह :- परिश्रम से किए गए कार्य पूर्ण सफल होंगे, चिंता कम हो, योजना अवश्य ही बने।
कन्या :- कार्य व्यवसाय गति अनुकूल, चिन्ता कम हो उत्तम कार्य बनेंगे तथा अवरोध बने।
तुला :- मानसिक व्यग्रता आवश्यक, विभ्रम की स्थिति असमंजस मं रखे, कार्य अवरोध।
वृश्चिक :- कही तनाव व क्लेश से मानसिक अशांति के योग बनें।
धनु :- अधिकारियों से तनाव, वाद विवाद अशांति के योग अवयश्य ही बनेंगे।
मकर :- मनोबल उत्साह वर्धक हो, कार्य कुशलता से संतोष होगा।
कुम्भ :- कार्य व्यवसाय में वृद्धि, आर्थिक योजना भली भांति पूर्ण होगी।
मीन :- मानसिक क्लेश अशांति, शरीर कष्ट तथा शुभ कार्य अवश्य होगा, ध्यान रखें।
इस मंदिर की चमत्कारी शक्ति ने दिया था औरंगजेब को मुंहतोड़ जवाब! रोगों से मुक्त होने यहां आते हैं लोग
10 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्य प्रदेश में कई विश्व प्रख्यात मंदिर हैं. इन सभी मंदिरों का अपना-अपना महत्व है. वहीं, मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक प्रसिद्ध मंदिर है. कालांतर में यह मंदिर श्री छप्पन देव के नाम से प्रख्यात होकर पूरे विश्व में एकमात्र मंदिर है. जहां मंदिर को कई शताब्दी पुराना बताया जाता है. इस मंदिर की महिमा को मुगल काल में औरंगजेब और उसकी सेना भी देख चुकी है. औरंगजेब मंदिर के मंडप को तोड़ने आए थे, लेकिन हो कुछ अजूबा गया था.
खरगोन के छप्पन देव की कहानी
खरगोन जिले में मां नर्मदा नदी के किनारे एक प्राचीन नगर मंडलेश्वर है. यहां से थोड़ी दूर पर कसरावद रोड पर देश का एकमात्र श्री छप्पन देव मंदिर है. यह मंदिर पूरे विश्व में विख्यात है. इस मंदिर का इतिहास करीब ढाई हजार साल पुराना बताया जाता है. जहां मंदिर में एमपी सहित देश के अन्य राज्यों से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं. मान्यता है कि यहां मांगी हुई सभी मुरादें पूरी होती हैं. इस मंदिर परिसर में श्रद्धालु पशुओं की बलि भी देते हैं. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते रहते हैं.
मुगलों ने भी देखी महिमा
इतिहास के जानकर दुर्गेश कुमार राजदीप ने बताया कि काल भैरव का यह मंदिर है. मंदिर के चारों दिशाओं में मंडप थे. जब वो मंडलेश्वर पहुंचे तो उसने इस मंदिर के भी तीन सभा मंडप तोड़ दिए. लेकिन काल भैरव के सभा मंडप को वो हाथ भी नहीं लगा पाया. लोग इसे बाबा का चमत्कार मानते हैं. तब से इस मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है.
मंदिर में दी जाती है पशुओं की बलि
दरअसल, श्री छप्पन देव मंदिर के उत्तर दिशा में गुरु गोरखनाथ मंदिर, दक्षिण दिशा में स्वयं बाबा काल भैरव का मंदिर, पूर्व में शिवालय एवं पश्चिम दिशा में मां सरस्वती विराजमान है. मंदिर में मुगल काल से पशु बलि देने की परंपरा की शुरुआत हुई. पशुओं की बलि होने से ब्राह्मणों ने मंदिर में पूजा करने से मना कर दिया, तब से इस मंदिर में आजतक केवट समाज के लोगों द्वारा मंदिर में सेवा दी जा रही है. इसके साथ ही मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था का भी ध्यान रखा जाता है.
भैरव अष्टमी पर होता है भंडारे का आयोजन
श्री छप्पन देव मंदिर में क्षेत्र के लोगों के अनुसार यहां हर साल भैरव अष्टमी पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. इस शुभ दिन पर मंदिर में सुबह से हवन-पूजन होगा. इसके बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. साथ ही शाम को एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है. जहां शाम को 7:30 मिनट पर मंदिर में महाआरती होती है. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं.
आचार्य, पुरोहित और महंत में क्या है अंतर? अयोध्या के विद्वान से जानें इनकी भूमिका
10 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भ में आचार्य, पुरोहित, और महंत तीनों ही महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाते हैं, लेकिन इनकी जिम्मेदारियों, कर्तव्यों और आवश्यक शिक्षा में कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं. प्रसिद्ध महंत शशिकांत दास ने इन तीनों पदों के बीच के अंतर को विस्तार से समझाया.
1. आचार्य
भूमिका : आचार्य शब्द का अर्थ होता है ‘शिक्षक’ या ‘गुरु’. आचार्य वे होते हैं जो वेद, शास्त्र और अन्य धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन कर चुके होते हैं और उन्हें सिखाने के योग्य होते हैं. आचार्य का मुख्य कार्य धार्मिक शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करना और धार्मिक संस्थाओं में छात्रों को शिक्षित करना होता है.
शिक्षा : आचार्य बनने के लिए वेद, उपनिषद, दर्शन, और शास्त्रों का गहन अध्ययन आवश्यक होता है. इसके लिए गुरुकुल, संस्कृत विद्यालय या विश्वविद्यालयों में विशेष शिक्षा दी जाती है. आचार्य को न केवल धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान होना चाहिए बल्कि उन्हें उनकी व्याख्या और अध्यापन में भी निपुण होना चाहिए.
2. पुरोहित
भूमिका: पुरोहित को ‘पुजारी’ भी कहा जाता है. वे मंदिरों में पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन करते हैं. पुरोहितों की जिम्मेदारी होती है कि वे धार्मिक क्रियाओं को शास्त्रानुसार संपन्न कराएं, जैसे विवाह, यज्ञ, श्राद्ध, आदि.
शिक्षा: पुरोहित बनने के लिए व्यक्ति को वेदों, मंत्रों, और पूजा विधियों का ज्ञान होना चाहिए. इसके लिए उन्हें संस्कृत विद्यालयों में धार्मिक अनुष्ठानों का प्रशिक्षण दिया जाता है. पुरोहित को विशेष रूप से मंत्रों के उच्चारण, पूजा सामग्री, और विभिन्न अनुष्ठानों की प्रक्रिया का गहन ज्ञान होता है.
3. महंत
भूमिका: महंत किसी मंदिर, मठ या धार्मिक संस्थान के प्रमुख होते हैं. वे धार्मिक संस्था के प्रशासनिक कार्यों का संचालन करते हैं और धार्मिक अनुयायियों का मार्गदर्शन करते हैं. महंत की भूमिका गुरु के समान होती है, और वे धार्मिक अनुशासन और नियमों का पालन कराते हैं.
शिक्षा: महंत बनने के लिए आवश्यक शिक्षा किसी विशेष पाठ्यक्रम पर आधारित नहीं होती. यह पद सामान्यतः गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित होता है, जिसमें गुरु अपने योग्य शिष्य को महंत के रूप में नियुक्त करता है. हालांकि, महंत बनने के लिए व्यक्ति को धार्मिक शिक्षा, अनुशासन, और नेतृत्व कौशल में निपुण होना आवश्यक होता है.
भव्य मंदिर में पहली बार रजत हिंडोले पर विराजमान हुए प्रभु, राम भक्त कर रहे दर्शन
10 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मंदिरों और मूर्तियों की नगरी अयोध्या में झूलन उत्सव की शुरुआत हो चुकी है. सैकड़ों मठ-मंदिरों में भगवान के विग्रह झूले पर विराजमान हो चुके हैं. नाग पंचमी के दिन से रक्षाबंधन तक अयोध्या में भगवान झूले का आनंद लेते हैं. इस दौरान भक्त उन्हें झूला झुलाते हैं और सावन के कजरी गीत सुनाकर भगवान को रिझाने का प्रयास करते हैं.
आज नाग पंचमी के अवसर पर, अयोध्या के सैकड़ों मठ-मंदिरों में भगवान अद्भुत झूलन दर्शन दे रहे हैं. विशेष रूप से राम मंदिर में, बालक राम पहली बार भव्य मंदिर में चांदी के बने हिंडोले पर विराजमान हो चुके हैं. इस अवसर पर भगवान को विभिन्न पकवानों का भोग लगाया जा रहा है. गर्भगृह के सामने झूला लगाया गया है, जहां से भक्त 20 फीट की दूरी से दर्शन कर सकते हैं और प्रभु को झूला भी झुला सकते हैं. राम मंदिर ट्रस्ट ने इस कार्यक्रम के लिए विशेष योजना बनाई है, जिसमें 11 दिनों तक राम भक्तों को भोग का प्रसाद भी भंडारे के माध्यम से वितरित किया जाएगा.
सावन के कजरी गीतों से गूंजेगा राम मंदिर
प्रभु राम 11 दिनों तक शाम के समय सावन के कजरी गीतों का आनंद लेंगे. सावन के इस पवित्र महीने में, प्रभु राम की नगरी अयोध्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. भक्त भगवान को झूले पर देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं. अयोध्या के सैकड़ों मठ-मंदिरों में उत्साह का माहौल है, जबकि राम मंदिर में सावन का झूलन उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. भगवान को विभिन्न व्यंजनों का भोग अर्पित किया जा रहा है.
भव्य आयोजन: झूलन उत्सव की शुरुआत और भंडारे की व्यवस्था
राम मंदिर के व्यवस्थापक गोपाल राव ने बताया कि नाग पंचमी के दिन से अयोध्या के मठ-मंदिरों में झूलन उत्सव की शुरुआत हो चुकी है. राम मंदिर में नाग पंचमी से श्रावण पूर्णिमा तक, 11 दिनों तक भगवान हिंडोले पर विराजमान रहते हैं. सुबह से ही प्रभु राम चांदी के झूले पर विराजमान हो गए हैं. मंदिर की विशेष सजावट की जाएगी और शाम को प्रतिदिन भगवान के समक्ष संगीत का वादन होगा. साथ ही, नाग पंचमी से सावन पूर्णिमा तक राम भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन भी होगा, जिसमें सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक प्रसाद वितरित किया जाएगा.
प्रभु राम के झूलन उत्सव का भव्य आयोजन
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि प्रभु राम झूले पर विराजमान हो चुके हैं. शाम के समय कजरी गीत गाए जाएंगे, जिससे राम का दरबार गुलजार होगा. भक्त दर्शन करेंगे और धूमधाम के साथ भगवान का झूला उत्सव मनाया जाएगा. पहली बार, भव्य मंदिर में प्रभु राम झूले पर विराजमान हुए हैं, जिसे भव्यता के साथ मनाया जा रहा है. अयोध्या में झूलन उत्सव बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है, जिससे पूरे नगर में भक्तिमय माहौल बना हुआ है.
इस मंदिर में बन रहे हैं 1 लाख से ज्यादा शिवलिंग, अद्भुत होगा नजारा, पूजा के लिए लगती है लाइन
10 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन का महीना शुरू हो गया है. ऐसे में लोगों की भक्ति देखने को ही मिलती है. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के लालबाग चिंचाला क्षेत्र के शिव मंदिर पर भी सवा लाख मिट्टी से शिवलिंग बनाए जा रहे हैं. रोजाना महिलाएं करीब 5 हजार शिवलिंग का निर्माण कर रही है. यहां पर पिछले 7 वर्षों से शिवलिंग बनाने का काम हो रहा है. हर वर्ष श्रावण माह में शिवलिंग बनाए जाते हैं. जिनकी रोजाना विधि विधान के साथ पूजा अर्चना और आरती की जाती है.
मंदिर समिति के अमर यादव ने लोकल 18 से कहा कि श्रावण माह में मंदिर पर सवा लाख शिवलिंग बनाए जा रहे हैं. पिछले 7 वर्षों से श्रावण माह में यहां पर शिवलिंग बनाने का काम हो रहा है. प्रत्येक दिन 100 से अधिक महिलाएं 5000 से अधिक शिवलिंग का निर्माण करती है. जिनका विधि विधान के साथ पुजन होता है. श्रावण माह के समापन के अवसर पर सवा लाख शिवलिंग का ताप्ती नदी के राजघाट पर विसर्जन होता है.
महिलाएं बनाती है शिवलिंग
इस मंदिर पर दोपहर के समय में महिलाएं पहुंच जाती है. उनके द्वारा मिट्टी से शिवलिंग बनाए जाते हैं. शिवलिंग बनने के बाद शाम से पूजा अर्चना शुरू हो जाती है. जो देर शाम तक चलती है. यह सिलसिला रोजाना चल रहा है.
काली मिट्टी से हो रहा है निर्माण
खेतों से लाई गई काली मिट्टी से शिवलिंग का निर्माण हो रहा है. प्रत्येक महिला 101 शिवलिंग बनाती है. जिससे रोजाना 5000 शिवलिंग बना रहे हैं. उनकी पूजा अर्चना हो रही है.
आज 10 अगस्त 2024 का राशिफल
10 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- स्वभाव से पारिवारिक सफलता मिल सकती है, व्यवसाय में अच्छी उन्नति होगी।
वृष :- कार्यों में सफलता मिले मान-सम्मान की प्राप्ति होगी, शत्रु कमजोर होंगे।
मिथुन :- सप्ताह उत्तम फलकारक है, अधिकारियों का पूर्ण सहयोग-समर्थन मिलेगा।
कर्क :- नौकरी में व्यवधान हो सकता है, व्यवसाय ठीक नहीं रहेगा ध्यान रखें।
सिंह :- आप आनंद का अनुभव करेंगे, केतु गृह पीड़ा कारक, आपसी मतभेद से बचकर चलें।
कन्या :- मनोरंजन से अति हर्ष होगा, व्यवसाय में लाभ होगा, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
तुला :- पारिवारिक उत्तरदायित्व की वृद्धि होगी, आमोद-प्रमोद में विशेष ध्यान देंगे।
वृश्चिक :- मानसिक तनाव अकस्मिक बढ़ेगा, स्वजनों से सहानुभूति अवश्य ही बढ़ेगी।
धनु :- व्यवसाय की उन्नति से आर्थिक स्थिति में विशेष सुधार होगा, ध्यान रखें।
मकर :- विलास सामग्री का संचय होगा, अधिकारी वर्ग की कृपा का लाभ अवश्य मिलेगा।
कुम्भ :- इष्ट मित्रों से अच्छा सहयोग हो, उन्नति एवं लाभ के योग अवश्य बनेंगे।
मीन :- गृह कलह, हीन मनोवृत्ति, शरीर पीड़ा से परेशानी अवश्य ही बन जायेगी।
तुलसी की माला कैसे करें धारण? बड़े सख्त हैं इसके नियम
9 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तुलसी की माला तो हर कोई धारण करना चाहता है, लेकिन तुलसी की माला धारण करने के नियम क्या हैं और इसे किस तरह से धारण करना चाहिए वह कोई नहीं जानता. अगर आप तुलसी की माला धारण करना चाहते हैं, तो यह नियम पढ़ लें. आपको सुख समृद्धि प्राप्त होगी. तुलसी की माला धारण करने के बाद आपको इन चीजों से दूर होना पड़ेगा.
तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए
सनातन धर्म में तुलसी को बहुत ही पवित्र माना गया है. भगवान विष्णु और कृष्ण की आराध्य है तुलसी. तुलसी की माला हर कोई धारण करना चाहता है, लेकिन इसे धारण करने के बड़े कठिन नियम हैं. तुलसी की माला को अगर गलत तरीके से धारण किया गया, तो आपके परिवार में विपत्ति उत्पन्न हो सकती है. तुलसी धारण करने के सही नियम की जानकारी पंडित अजय तैलांग ने दी. उन्होंने बताया कि तुलसी धारण करने का नियम होते हैं. सबसे पहले तो अपने आराध्य को प्रणाम करें. प्याज, लहसुन, मदिरा, शराब, मांस सभी चीजों का सेवन पूर्णतः बंद कर दें. तुलसी की माला साधारण माल नहीं होती है. साक्षात भगवान हरि विष्णु और कृष्ण की माल है. तुलसी की माला धारण वहीं लोग कर सकते हैं, जो लोग भगवान विष्णु के भक्त हैं. जो लोग भगवान श्री कृष्ण के भक्त हैं. सनातन धर्म में तुलसी की माला को धन की देवी माना गया है. लक्ष्मी का स्वरूप है. तुलसी की माला बुधवार गुरुवार और सोमवार को ही धारण करनी चाहिए.
मन में नहीं आने चाहिए गलत विचार
पंडित अजय तेलंग ने यह भी बताया कि तुलसी की माला को रविवार और अमावस्या को धारण नहीं करना चाहिए. ज्योतिषी के अनुसार माला धारण करने के बाद पर तामसिक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए. अपने विचार साफ और स्वच्छ रखने चाहिए. विचारों में कोई भी गंदी भावना नहीं होनी चाहिए. अगर तुलसी की माला किसी कारणवश खंडित हो जाती है, तो तुलसी की माला को उतार कर चलते जल में बहा देना चाहिए. तुलसी की माला पहनने वाले जातक को हमेशा सात्विक भोजन करना चाहिए.
विवाह दिन में होना चाहिए या फिर रात्रि में? जगदगुरू शंकराचार्य ने बताया क्या है शास्त्रानुसार इसका सही नियम
9 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विवाह को लेकर हिंदू धर्म में कई मान्यताएं और नियम हैं. सनातन धर्म में व्यक्ति के जन्म से लेकर उसके मरने तक 16 संस्कारों का जिक्र किया गया है. विवाह इन संस्कारों में ही एक विशेष संस्कार है. अक्सर कुछ लोग शादी दिन में करते हैं, जबकि कई जगह इसे रात्रि में संपन्न किया जाता है. लेकिन असल में इसका विधान क्या है? शादी कब की जानी चाहिए, दिन में ये रात में. इस सवाल का जवाब दिया है जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामिश्री: अवमिुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने दिया है. जानिए शास्त्रानुसार इसका का अर्थ है.
कोई पंडित कभी शादी नहीं कराएगा, विवाह कराएगा
कोटा, राजस्थान के एक व्यक्ति ने अपने सवाल में पूछा कि शादी रात में करवानी चाहिए या दिन में करवानी चाहिए. इसपर जगद्गुरू शंकराचार्य ने कहा, ‘सबसे पहले तो अगर कोई पंडित होगा, तो वह शादी नहीं कराएगा, विवाह कराएगा. तो पहले आपको अपने शब्दों का चयन सही करना चाहिए. विवाह के बारे में बात करें तो इसका दिन और रात से कोई मतलब नहीं है. ये स्थिर लग्न में किया जाता है. स्थिर लग्न में विवाह हो तो मतलब विवाह टिका रहे.’
सनातन धर्म में नहीं है तलाक की को जगह
उन्होंने आगे कहा, ‘जब दो लोग एक-दूसरे से जुड़ते हैं तो उनकी पहली जरूरत होती है कि वह जीवनपर्यंत एक दूसरे से जुड़े रहें. हमारे शास्त्रों में कोई ऐसा जिक्र नहीं है, जिसमें कहा जाए कि पति-पत्नी एक बार जुड़ने के बाद अलग हो सकें. ऐसा कहीं नहीं लिखा है. सनातन धर्म में तलाक, सनातन धर्म में डिवोर्स, छूटा-छेड़ा, अलगा-विलगी कोई शब्द आप बोल लें, ऐसा नहीं होता. इसलिए विवाह के लिए स्थिर लग्न ढूंढा जाता है, ताकि विवाह स्थिर रहे. तो रात को भी स्थिर लग्न आते हैं, दिन में भी स्थिर लग्न आते हैं. तो लग्न के अनुसार विवाह दिन या रात कभी भी किया जा सकता है. रात-दिन का कोई विचार नहीं है.’
वह आगे कहते हैं, ‘रात में जो विवाह करने की प्रथा चल गई है, ये मुगलों के आने के बाद चली है. क्योंकि दिन में विवाह करने में अड़चने आती थीं. तो रात में शादी की जाती थी, ताकि किसी को पता न चले. गोधुली बेला में बारात आ जाती थी और रात में ही स्थिर लग्न देखकर ये कर्म-कांड कर लिए जाते थे.
झूला झूले सिया राम झुलावे सखियां...अयोध्या में दिखा त्रेता की झलक, मणि पर्वत पर झूले का आनंद ले रहे सियाराम
9 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या के ऐतिहासिक मणिपर्वत स्थल पर पखवाड़े भर चलने वाला सावन झूला मेला शुरू हो गया है. मणिपर्वत स्थल पर प्रमुख मंदिरों से सिया और राम के चल विग्रह रथों पर सुशोभित होकर आए, जबकि कनक भवन के कनक बिहारी जू कहांरों के कंधे पर सवार होकर पहुंचे. साथ चल रहे संत, धर्माचार्य और भक्त वाद्य यंत्रों की धुन पर थिरकते और धार्मिक जयघोष करते चल रहे थे. मेला स्थल पर वैदिक रीति से पूजन के बाद विग्रहों को विशालकाय वृक्षों पर पड़े झूलों पर सुशोभित कर दिया गया. इसके बाद श्रद्धालुओं ने भगवान के विग्रहों को झूला झुलाकर मधुर उपासना के गीतों से भक्तिमय वातावरण सृजित कर दिया.
अयोध्या के सावन मास का प्रसिद्ध मणिपर्वत मेला कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गया है. लाखों की संख्या में दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने मणि भगवान का दर्शन कर पूजा-अर्चना की और इसके साथ ही अयोध्या के सभी मंदिरों में भगवान का झूलनोत्सव भी शुरू हो गया. सावन मास में मणि पर्वत मेले का अयोध्या में विशेष महत्व है. अयोध्या के सभी मंदिरों से भगवान की पालकी निकलती है और मणि पर्वत में भगवान मणि का दर्शन एवं भगवान मणि को झूला झुला कर वापस अपने मंदिरों में चले जाते हैं. प्रत्येक मंदिर में भगवान का झूला सज जाता है और उसी झूले में झुला कर प्रभु श्री राम व सीता जी की आराधना की जाती है.
अयोध्या ही नहीं, आस-पास के स्थानों में भी सबसे ऊंचाई पर स्थित मणि पर्वत किसी पहाड़ के समान है, जिस पर एक के ऊपर कई पेड़ क्रमबद्ध ऊंचाई में लगे हुए हैं. ठाकुर जी को झूला झुलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और इस पावन मौके पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं.
झूले पर विराजते हैं…
प्राचीन मणिपर्वत पर अयोध्या के मंदिरों में विराजमान भगवान के विग्रह ने झूला झूला. इसी के साथ सभी मंदिरों में भगवान अपने स्थान से झूले पर विराजते हैं. ऐसी मान्यता है कि एक बार सावन में माता सीता अपने मायके नहीं जा पाईं, तो उनके लिए यहीं मणि पर्वत पर झूला डाला गया और यही माता सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने झूला झूला. तब से सावन मास में माँ सीता प्रभु श्री राम के साथ इसी मणि पर्वत पर झूला झूला करती थीं.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
इस विश्व प्रसिद्ध सावन मेले के मौके पर अयोध्या पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. भीड़ को नियंत्रण करने के लिए कई जगह से रूट डायवर्जन भी किया गया है. सावन के मौके पर रामनगरी अयोध्या में आयोजित होने वाला यह मेला पखवारे भर चलेगा और देशभर से लाखों की संख्या में आए श्रद्धालु मंदिरों में हो रहे भजन-कीर्तन कार्यक्रमों का आनंद लेंगे. श्रवण पूर्णिमा-रक्षा बंधन तक अयोध्या में उत्सव सा माहौल बना रहेगा.
नाग पंचमी पर सुबह ही कर लें ये काम, इस बार दुर्लभ संयोग, नाग देवता प्रसन्न होकर भर देंगे झोली
9 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
9 अगस्त को नागपंचमी है. सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन नागों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से नाग दोष से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है. वहीं नाग पंचमी के दिन तमाम लोग कालसर्प दोष की पूजा भी कराते हैं, ताकि उनके जीवन में आ रही रुकावटें कम हो सकें. इसके अलावा, नाग भय से मुक्ति के लिए भी इसी दिन उपाय किए जाते हैं.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Local 18 को बताया कि हर सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. कल यानी 9 अगस्त दिन शुक्रवार को नाग पंचमी है. इस दिन शिववास के साथ हस्त नक्षत्र भी रहने वाला है. साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग का भी निर्माण हो रहा है. ऐसे में अगर कुछ कार्य आप करते हैं तो नाग देवता बेहद प्रसन्न हो जाएंगे और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा.
नाग पंचमी के दिन करें ये कार्य
नाग पंचमी के दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर सुबह गोबर से नाग देवता का चित्र अवश्य बनाना चाहिए. विधि विधान के साथ इस चित्र की पूजा आराधना करनी चाहिए. वहीं, शाम के समय घर की पूर्व दिशा में दीए या प्याले में दूध रखना चाहिए. ऐसा करते हैं तो नाग देवता अवश्य प्रसन्न होंगे और जातक को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि की भी वृद्धि होगी. वहीं, अ9 अगस्त को नागपंचमी है. सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन नागों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से नाग दोष से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है. वहीं नाग पंचमी के दिन तमाम लोग कालसर्प दोष की पूजा भी कराते हैं, ताकि उनके जीवन में आ रही रुकावटें कम हो सकें. इसके अलावा, नाग भय से मुक्ति के लिए भी इसी दिन उपाय किए जाते हैं.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Local 18 को बताया कि हर सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. कल यानी 9 अगस्त दिन शुक्रवार को नाग पंचमी है. इस दिन शिववास के साथ हस्त नक्षत्र भी रहने वाला है. साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग का भी निर्माण हो रहा है. ऐसे में अगर कुछ कार्य आप करते हैं तो नाग देवता बेहद प्रसन्न हो जाएंगे और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा.
नाग पंचमी के दिन करें ये कार्य
नाग पंचमी के दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर सुबह गोबर से नाग देवता का चित्र अवश्य बनाना चाहिए. विधि विधान के साथ इस चित्र की पूजा आराधना करनी चाहिए. वहीं, शाम के समय घर की पूर्व दिशा में दीए या प्याले में दूध रखना चाहिए. ऐसा करते हैं तो नाग देवता अवश्य प्रसन्न होंगे और जातक को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि की भी वृद्धि होगी. वहीं, अगर किसी शिव मंदिर में पूजा करने जाते हैं तो चंदन का अर्पण अवश्य करें. नाग देवता को चंदन बेहद प्रिय हैगर किसी शिव मंदिर में पूजा करने जाते हैं तो चंदन का अर्पण अवश्य करें. नाग देवता को चंदन बेहद प्रिय है
आज का राशिफल 9 अगस्त 2024
9 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- इष्ट मित्रों से धोखे की संभावना, सतर्कता से कार्य करें, विशेष लाभ होगा।
वृष :- समय हर्ष-उल्लास से बीतेगा, धन लाभ, अधिकारी वर्ग का समर्थन प्राप्त होगा।
मिथुन :- सफलता के साधन जुटायें, तनावपूर्ण स्थिति से बचिये, कार्यगति मंद होगी।
कर्क :- स्थिति में सुधार, स्त्री वर्ग से हर्ष, व्यावसायिक क्षमताएंs अनुकूल अवश्य होंगी।
सिंह :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, मित्रों का सहयोग अवश्य मिलेगा, ध्यान दें।
कन्या :- व्यर्थ धन का व्यय, दूसरों के कार्यों में हस्ताक्षेप करने से तनाव अवश्य ही बढ़ेगा।
तुला :- कार्यगति अनुकूल, आशानुकूल सफलता का हर्ष अवश्य होगा, मित्र सहयोग अवश्य करेंगे।
वृश्चिक :- सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि एवं कार्य सफलता से संतोष होगा।
धनु :- कार्य कुशलता से हर्ष, योजना फलीभूत होगी तथा रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मकर :- अधिकारियों के संपर्क से बचें, तनाव होगा, क्लेश, अशांति अवश्य बनेगी।
कुम्भ :- उद्विघ्नता, असमंजस का वातावरण मन को क्लेशयुक्तव अशांति अवश्य बनेगी।
मीन :- बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, योजनाए फलीभूत होवेंगी, सफलता के साधन जुटायें।
नागपंचमी पर्व नाग देवता को है समर्पित
8 Aug, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन माह चल रहा है। इस माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के अगले दिन नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व मान्यता के मुताबिक नाग देवता को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शंकर संग नाग देवता की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना की जाती है। शास्त्रों में नाग देवता की पूजा का विधान बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि नाग देवता की पूजा आराधना करने से साधक के जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर होते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक नाग पंचमी पर कई वर्ष बाद दुर्लभ संयोग का निर्माण हो रहा है। जिसमें नाग देवता की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषियों के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 9 अगस्त को देर रात्रि 12:36 पर शुरू होगी और 10 अगस्त को देर रात्रि 3:14 पर समाप्त होगी। उदया तिथि के मुताबिक इस बार नाग पंचमी का पर्व शुक्रवार 9 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:01 से लेकर 8:37 तक रहेगा। इसके अलावा इस दिन कई अद्भुत संयोग का निर्माण भी हो रहा है। जिसमें शिववास योग, सिद्धि योग, बालव करण योग जैसे अद्भुत संयोग का निर्माण हो रहा है। जिसमें पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
इस वर्ष नाग पंचमी पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन भगवान शिव कैलाश पर जगत जननी माता पार्वती के साथ विराजमान रहते हैं, इस समय परिवार के साथ नाग देवता की पूजा करने से सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलेगी। इसके अलावा नाग पंचमी पर सिद्ध योग का भी संयोग बना रहा है। सिद्ध योग दोपहर 1:46 तक रहेगा। इस दौरान भगवान शिव की पूजा आराधना करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।
अंगूठा बता देता कई राज
8 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सभी को भविष्य में क्या छिपा है यह राज जानने की जिज्ञासा होती है। जन्मकुंडली के साथ ही हाथ की रेखाएं देखकर भी भविष्य के राज जाने जा सकते हैं। हस्तरेखा विज्ञान में अंगूठे को चरित्र का आइना कहा जाता है। आप इसे देखकर व्यक्ति के बारे में कई बातें जान सकते हैं। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, बचत, काम वासना और रोगों का पता भी अंगूठे से लग जाता है।
अंगूठा लंबा
जिनका अंगूठा लंबा होता है वह बुद्धिमान और उदार होते हैं। ऐसे व्यक्ति शौकीन भी खूब होते हैं। अगर अंगूठा तर्जनी उंगली के दूसरे पोर तक पहुंच रहा है तो व्यक्ति नेक होता है और कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।
अंगूठा छोटा
अंगूठा छोटा होना अच्छा नहीं माना जाता। ऐसे लोगों के उधार और कर्ज देने से बचना चाहिए क्योंकि पैसा डूबने का डर रहता है। इन्हें जीवन में कई बार हानि उठानी पड़ती और पारिवारिक जीवन में भी उथल-पुथल मचा रहता है।
अंगूठा अधिक चौड़ा
अगर अंगूठा अधिक चौड़ा हो तो व्यक्ति खर्चीले स्वभाव का होता है। ऐसे लोग अक्सर कोई न कोई बुरी लत अपना लेते हैं।
कम खुलने वाला अंगूठा
कम खुलने वाला अंगूठा हस्तरेखा विज्ञान में अच्छा नहीं माना गया है। ऐसे लोगों के हर काम में बाधा आती रहती है और सफलता देर से मिलती है। ऐसे लोग चाहकर भी कमाई के अनुसार बचत नहीं कर पाते हैं।
ऊपर मोटा और गोल हो तो
अगर अंगूठा नीचे पतला और ऊपर मोटा और गोल हो तो ऐसा व्यक्ति शंकालु होते और इन्हे भी अपने काम में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन हाथ भारी हो तो उन्नति करते हैं।
अंगूठा हो लंबा पतला तो
अंगूठा पतला और लंबा हो तो व्यक्ति शांत स्वभाव का होता है। ऐसे व्यक्ति अपने काम वासना पर नियंत्रण रखने में कुशल होते हैं। इन्हें व्यवहारकुशल भी माना जाता है। ऐसे लोग भावुक भी खूब होते हैं।
ऐसे लोग धनी होते हैं
जिनका अंगूठा ज्यादा खुलता है ऐसे लोग धनी होते हैं। अपने व्यक्तित्व के कारण इन्हें समाज में खूब सम्मान मिलता है।
समस्याआं का समाधान बताते हैं यंत्र
8 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथों में कई तरह के चक्रों और यंत्रों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। जिनमें राम शलाका प्रश्नावली, हनुमान प्रश्नावली चक्र, नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र, श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र आदि प्रमुख हैं। कहते हैं इन चक्रों और यंत्रों की सहायता से लोग अपने मन में उठ रहे सवालों, जीवन में आने वाली कठिनाइयों आदि का समाधान पा सकते हैं। इन चक्रों और यंत्रों की सहायता लेकर केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि ज्योतिष और पुरोहित लोग भी सटीक भविष्यवाणियां तक कर देते हैं।
श्री राम शलाका प्रश्नावली
श्री राम शलाका प्रश्नावली का उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में प्राप्त होता है। यह राम भक्ति पर आधारित है। इस प्रश्नावली का प्रयोग से लोग जीवन के अनेक प्रश्नों का जवाब पाते हैं। इस प्रश्नावली का प्रयोग के बारे कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम का स्मरण करते हुए किसी सवाल को मन में अच्छी तरह सोच लिया जाता है।फिर शलाका चार्ट पर दिए गए किसी भी अक्षर पर आंख बंद कर उंगली रख दी जाती है। जिस अक्षर पर उंगली रखी जाती है, उसके अक्षर से प्रत्येक 9वें नम्बर के अक्षर को जोड़ कर एक चौपाई बनती है, जो प्रश्नकर्ता के प्रश्न का उत्तर होती है।
हनुमान प्रश्नावली चक्र
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि हनुमानजी एक उच्च कोटि के ज्योतिषी भी थे। इसका कारण शायद यह हो सकता है कि वे शिव के ग्यारहवें अंशावतार थे, जिनसे ज्योतिष विद्या की उत्पत्ति हुई मानी जाती है। कहते हैं, हनुमानजी ने ज्योतिष प्रश्नावली के 40 चक्र बनाए हैं। यहां भी प्रश्नकर्ता आंख मूंद कर चक्र के नाम पर उंगली रखता है। अगर उंगली किसी लाइन पर रखी गई होती है, तो दोबारा उंगली रखी जाती है। फिर नाम के अनुसार शुभ-अशुभ फल का निराकरण किया जाता है। कहते हैं। रामायण काल के परम दुर्लभ यंत्रों में हनुमान चक्र श्रेष्ठ यंत्रों का सिरमौर है।
नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र
अनेक लोग, विशेष देवी दुर्गा के परम भक्त, यह मानते हैं कि नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र एक चमत्कारिक चक्र है, जिसे के माध्यम से कोई भी अपने जीवन की समस्त परेशानियों और मन के सवालों का संतोषजनक हल आसानी से पा सकते हैं। इस चक्र के उपयोग की विधि के लिए पहले पांच बार ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करना पड़ता फिर एक बार या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मंत्र का जप कर, आंखें बंद करके सवाल पूछा जाता है और देवी दुर्गा का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक दिया जाता है, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश प्रथमपूज्य हैं। वे सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले पूजे जाते हैं। उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र के माध्यम से भी लोग अपने जीवन की सभी परेशानियों और सवालों के हल जानने की कोशिश करते हैं। जिसे भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना होता है, वे पहले पांच बार ऊँ नम: शिवाय: और फिर 11 बार ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करते हैं और फिर आंखें बंद करके अपना सवाल मन में रख भगवान गणेश का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
शिव प्रश्नावली यंत्र
इस यंत्र में भगवान शिव के एक चित्र पर 1 से 7 तक अंक दिए गए होते हैं। श्रद्धालु अपनी आंख बंद करके पूरी आस्था और भक्ति के साथ शिवजी का ध्यान करते हैं और और मन ही मन ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप कर उंगली को शिव यंत्र पर घुमाते हैं और फिर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है। इन प्रश्नावलियों और यंत्रों के अलावा अनेक लोग साईं प्रश्नावली का उपयोग भी अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब पाने के लिए करते हैं।