धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (05 अगस्त 2024)
5 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- मित्र से पीड़ा, यात्रा, विवाद, मातृ-कष्ट, व्यर्थ का विरोध, पड़ोसियों से विरोध बढ़ेगा।
वृष :- व्यय, व्यापार में प्रगति, शुभ कार्य होंगे, परिवार अपने अनुकूल बना रहेगा।
मिथुन :- पितृ कष्ट, यात्रा योग, व्यय, लाभ, अस्थिर व अशांति का वातावरण रहेगा, ध्यान दें।
कर्क :- यात्रा सुख, भूमि लाभ, सिद्धी, खेती व गृह कार्य की व्यवस्था उत्तम बनी रहेगी।
सिंह :- शरीर कष्ट, आय-व्यय, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार आदि के कार्य अवश्य होंगे।
कन्या :- खर्च, विवाद, स्त्री कष्ट, विद्या लाभ, धीरे-धीरे सुधार के साथ लाभ अवश्य होगा।
तुला :- यात्रा से हानि, राज लाभ, शरीर कष्ट, खर्च की मात्रा अधिक रहेगी, ध्यान रखें।
वृश्चिक :- वृत्ति से लाभ, यात्रा, सम्पत्ति लाभ, व्यापार में सुधार होगा, खर्च होते ही रहेंगे।
धनु :- अल्प लाभ, चोर-अग्नि भय, मानसिक परेशानी, अपवाद, उलझनों का सामना होगा।
मकर :- शत्रु से हानि, आय-व्यय, शरीर आदि सुख होगा, कभी-कभी कुछ कमी की व्यवस्था रहे।
कुम्भ :- शुभ व्यय, संतान सुख, कार्य सफलता, उत्साह की वृद्धि होगी, रुके कार्य बनेंगे।
मीन :- पदोन्नति, राजभय, लाभ-हानि तथा अधिकारियों से मन-मुटाव बना रहेगा।
500 साल पुराना जादुई मंदिर, यहां हर रात आती है बांसुरी-घुंघरू की आवाज, राधा-कृष्ण करते हैं लीला!
4 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रांची: वृंदावन और मथुरा की गलियों में सिर्फ राधा-कृष्ण के किस्से सुनने के लिए मिलते हैं. इन शहरों में कई चमत्कारी मंदिर बने हैं. लेकिन आप चाहें तो मिनी झारखंड की खूबसूरती का भी आनंद उठा सकते हैं, जो रांची के चुटिया में बना है. यहां राधा-कृ्ष्ण का ऐसा मंदिर है, जहां वो दर्शन देते हैं. रात के अंधेरे में इस मंदिर को बंद कर दिया जाता है. सालों से शाम होते ही बांसुरी और घुंघरू की आवाजों का रहस्य बना हुआ है.
क्या है इस मंदिर का इतिहास
नागवंशी राजाओं ने इस मंदिर को बनवाया था. चैतन्य महाप्रभु ने इस जगह पर विश्राम किया था. धीरे-धीरे लोगों ने यहां पूजा करना शुरू किया. इसके बाद राजा ने मंदिर को बनवाया. मंदिर 500 साल पुराना है. महाप्रभु के पद चिन्ह आज भी इस मंदिर में दिखते हैं. लोगों का कहना है कि इस मंदिर में पूजा करने से हर एक मनोकामना पूरी होती है.
रात को आती है बांसुरी की आवाज
इस मंदिर मे हर रात बांसुरी की आवाज सुनाई देती है. ध्वनि इतनी मनोरम और मधुर होती है कि जैसे खुद भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजा रहे हों. पायल के घुंघरू की भी छन-छीन आवाज आती है. सिर्फ झारखंड ही नहीं दूर-दूर से लोग इस मंदिर में पहुंचते हैं. इस मंदिर में राधा रानी का कुंड भी मौजूद है. पुजारी कहते हैं, ‘जब भगवान नृत्य करते हैं तो उन्हें कोई नहीं देखता. भगवान गोपियों के साथ इस मंदिर में नृत्य करते हैं को घुंघरू की आवाज आती है. कई साधक हैं, जो घुंघरू की आवाज सुन पाते हैं. लेकिन हर कोई नहीं सुन पाता.वहीं, अगर किसी ने प्रभु की लीला के दर्शन किए तो उनको नुकसान पहुंचता है.’
5 बजे बंद हो जाता है प्रवेश
5 बजे के आसपास इस मंदिर में ताला लगा दिया जाता है. मान्यता है कि राज के वक्त इस मंदिर में भगवान रासलीला करते हैं. इस दौरान गलती से भी मंदिर के आसपास जाना मना होता है. एक दफा मंदिर को किसी ने चाबी चुराकर मंदिर को खोलने की कोशिश की भी थी. लेकिन वो सीढ़ियों पर ही गिर गया था. मंदिर के आसपास रहने वाले लोग शाम के वक्त घर की खिड़की और दरवाजे भी बंद कर देते हैं.
शादी न हो तो इस मंदिर में आते हैं लोग
सालो पहले 35 साल की एक लड़की इस मंदिर में आई थी. उसकी शादी नहीं हो पा रही थी. लेकिन मंदिर में आने के बाद 1 साल के अंदर शादी हो गई. इसके बाद से लोग शादी से जुड़ी हर एक मनोकामना मांगने इस मंदिर में आते हैं.
मिलता है हर परेशानी का हल
इस मंदिर में लोगों की हर परेशानी दूर हो जाती है. कहना है कि झगड़े और क्लेश से जुड़ी दिक्कतों का हल इस मंदिर में भगवान देते हैं. खासतौर पर जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर में बहुत भीड़ लगती है. इस मंदिर में सुबह-शाम आरती होती है.
जानिए पहुंचे कैसे
इस मंदिर में पहुंचने के लिए आपको रांची के चुटिया रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा. आप चाहें को रांची से बस से भी यहां पहुंच सकते हैं. रांची से कई बस और टैक्सी आपको कम खर्च में चुटिया पहुंचा सकती है.
इस हरियाली अमावस्या लगाएं ये 1 पेड़, कुंडली के ग्रहदोष का बुरा प्रभाव होगा छूमंतर, इस विधि से करें पेड़ की पूजा
4 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Hariyali Amavasya 2024 Upay : सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन स्नानदान की परंपरा है, जिससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है. इस दिन लोग गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध भी देते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं सावन महीने की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है और इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरियाली अमावस्या पर नीम का पौधा रोपना कितना लाभदायक है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं ज्योतिषाचार्य के अनुसार, नीम के पेड़ में देवताओं का वास होता है. इसलिए, इसकी पूजा करने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिल सकती है. आइए जानते हैं पूजा सामग्री और विधि के बारे में.
नीम के पेड़ की पूजा के लिए सामग्री
इसकी पूजा के लिए आपको जल का लोटा चाहिए. इसके अलावा चमेली का तेल और दीपक साथ रखें. पूजा सामग्री में दीपक, धूप, कुमकुम, अक्षत, नैवेद्य, कच्चा सूत, चंदन और कलश भी शामिल करें.
इस विधि से करें नीम के पेड़ की पूजा
– हरियाली अमावस्या पर आप नीम के पेड़ की पूजा ब्रह्म मुहूर्त और संध्या के समय कर सकते हैं.
– इसके लिए सबसे पहले पेड़ को गंगाजल से शुद्ध करें.
– इसके बाद नीम के पेड़ को जल से स्नान कराएं.
– अब तने पर कुमकुम का तिलक लगाएं.
– फिर चमेली के तेल का दीपक जलाएं.
– इसके बाद फूल चढ़ाएं और धूपबत्ती जलाएं.
– अब कच्चे सूत से लपेटें और 11 बार परिक्रमा लगाएं.
– इसके बाद मिष्ठान अर्पित करें.
– आखिर में नीम के पेड़ की आरती करें.
– इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान अवश्य करें.
महादेव के महाभक्त...54 फीट का कांवड़, 3 क्विंटल वजन, 54 घंटे में पटना से पहुंचे देवघर
4 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवघर: सावन के महीने में देवघर के बाबा धाम में देश के कोने-कोने से और तरह-तरह के कवर लेकर बाबा धाम पहुंचते हैं और जलाभिशके करते हैं. माना जाता है की कंधे पर कमर लेकर अगर आप बाबा धाम पहुंचते हैं और जलाभिषेक करते हैं तो आपकी सभी प्रकार की मनोकामना है बाबा बैद्यनाथ अवश्य पूर्ण करेंगे. सात जन्म के पाप मिट जाएंगे. इसी क्रम मे पटना सिटी से कांवरियों की एक जत्था 54 फीट की कांवड़ लेकर देवघर के बाबा धाम पहुंचे.
54 फ़ीट का कांवड़ लेकर पहुंचा कांवरिया का जत्था
पटना सिटी के रहने वाले 54 फीट का कांवड़ संघ के अध्यक्ष विशाल शिवधारी ने जानकारी देते हुए कहा कि वह पिछले 16 सालों से 54 फीट की कवर लेकर सुल्तानगंज से जल भरकर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर देवघर के बाबा धाम पहुंच रहे हैं. इस कावर यात्रा में कुल 500 कावड़िया रहते हैं. इसमें 50 से अधिक महिला शामिल होती है. वही इस पावर का वजन करीब 300 किलो तक का रहता है. इस कांवड़ को कंधा देने से भक्ति की सभी प्रकार की भय, कष्ट, रोग दोष समाप्त हो जाती है.
आकर्षक होती है यह कांवरिया
54 फ़ीट के इस कांवड़ मे भगवान शिव के साथ शक्ति भी विराजमान रहती है. इसके साथ ही भगवान श्री गणेश, शक्ति के देवता माने जाने वाले बजरंगबली भी विराजमान होते है. वही जो भी वक्त इस कांवड़ को कन्धा देता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण हो जाती है.
54 घंटे मे तय करनी होती है दूरी
सुल्तानगंज से देवघर की दूरी 105 किलोमीटर तक है. इस दूरी को पटना सिटी के कांवरिया संघ 54 फीट कांवड़ लिए मात्र 54 घंटे में तय करते हैं. यही उनका संकल्प रहता है.
हरियाली अमावस्या पर कर लें ये काम, पितृ दोष से मुक्त करेंगे स्वयं शिव भगवान! आचार्य से जानें उपाय
4 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवघर: अमावस्या तिथि तो हर महा में एक बार आती है, लेकिन कुछ अमावस्या खास होती हैं. खासकर पितृ दोष के निवारण के लिए सावन की हरियाली अमावस्या बेहद ही महत्वपूर्ण मानी गई है. इस बार 4 अगस्त को सावन की हरियाली अमावस्या है. माना जाता है कि इस अमावस्या के दिन भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. माना जाता है कि साल में एक दिन आने वाली हरियाली अमावस्या पर कुछ उपाय करने से पितृ दोष से मुक्ति या पितृ दोष के कारण आने वाली रुकावटों में राहत मिलती है.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Local 18 को बताया कि सावन की हरियाली अमावस्या कल यानी 4 अगस्त को है. अमावस्या के दिन चंद्रमा अंधकार में डूब जाता है. यह दिन तांत्रिक साधना के लिए उत्तम माना गया है. साथ ही पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए हरियाली अमावस्या का खास महत्व है. हरियाली अमावस्या के दिन बेहद शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि पुष्य योग बन रहा है. ऐसे में आप भी इस तिथि का लाभ उठा सकते हैं.
पितृ दोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय
हरियाली अमावस्या बेहद खास है, सावन में होने के कारण इस अमावस्या पर भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलता है. पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए घर में ही पार्थिव शिवलिंग स्थापित करें और पितृ के नाम से दूध में काला तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें. साथ ही, सफेद पुष्प भी शिवलिंग पर अर्पण करें. अभिषेक करने के बाद ब्राह्मण भोजन कराएं और वस्त्र दान करें. अगर ये उपाय आप हरियाली अमावस्या पर करते हैं तो ना ही पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी, बल्कि भगवान शिव का आशीर्वाद आपके ऊपर बना रहेगा.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (03 अगस्त 2024)
4 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - तनाव, उदर रोग, मित्र लाभ, राजभय, दांपत्य जीवन पूर्ण संतोषमय रहेगा।
वृष राशि - शत्रुभय, सुख, मंगल कार्य, विश्sाष मामले-मुकदमें में प्राय जीव अवश्य ही होगी।
मिथुन राशि - कुसंग हानि, रोगभय, यात्रा, उद्योग-व्यापार की स्थिति लाभ-हानि की रहेगी।
कर्क राशि - पराक्रम, कार्य सिद्ध, व्यापार लाभ, खेती व गृहकार्य में व्यवस्था अवश्य ही बनेगी।
सिंह राशि - आशानुकूल सफलता से हर्ष, स्थिति में सुधार अवश्य होगा, रुके कार्य बनेंगे।
कन्या राशि - व्यर्थ धन का व्यय, कार्यों में हस्ताक्षेप करने से दूसरों से तनाव अवश्य बनेगा।
तुला राशि - कार्यगति अनुकूल, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, मित्रों से सहयोग अवश्य प्राप्त होगा।
वृश्चिक राशि - सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि एवं कार्यकुशलता से संतोष अवश्य होगा।
धनु राशि - योजना फलीभूत, कार्यकुशलता से हर्ष, रुके कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
मकर राशि - अधिकारियों के संपर्क से बचें, तनाव क्लेश, बेचैनी अवश्य बनेंगी।
कुंभ राशि - उद्विघ्नता, असमंजस का वातावरण, मन में क्लेश बना रहेंगा।
मीन राशि - बिगड़े हुये कार्य बने, योजनायें फलीभूत होगी, सफलता के साधन अवश्य जुटायेंगे।
खुल गया नागलोक, सिर्फ 10 दिन होंगे इस दुर्लभ जगह के दर्शन, जंगल में रास्ता, जहरीले सांप मिलेंगे
2 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नर्मदापुरम. सतपुड़ा के खतरनाक जंगलों के बीच नागलोक है, जो साल में एक बार सिर्फ 10 दिन के लिए खुलता है. मान्यता है कि यहां विषैले विषधर हैं, लेकिन इन 10 दिन में ये किसी को नुकसान नहीं पहुंचते. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के अलावा अन्य प्रदेशों से भी नागलोक के दर्शन करने श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को दुर्गम मार्ग से गुजरना पड़ता है, इसलिए इसे मध्य प्रदेश का अमरनाथ भी कहा जाता है.
यहां पहुंचने से पहले श्रद्धालु को दो दिन तक खतरनाक जंगल और सांपों के बीच से निकालना पड़ता है. मध्य प्रदेश का अमरनाथ कहे जाने वाले नागलोक की यात्रा 1 अगस्त से शुरू हो गई है. श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए सभी पॉइंट्स पर व्यवस्था की गई है. इस यात्रा के दौरान कोई भी वाहन मालिक भक्तों से मनमाना किराया वसूल न कर सके, इसलिए जिला प्रशासन ने किराया निर्धारित किया है.
10 दिन के लिए खुलता है नागलोक
सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच विराजित नाग चंद्रशेखर का मंदिर है, जो 10 दिन के लिए सावन के महीने में ही खोला जाता है. जंगलों के बीच इस कठिन यात्रा के कारण इसे मध्य प्रदेश का अमरनाथ कहा जाता है. जंगल के बीच का रास्ता इतना दुर्गम है कि यहां पर सैकड़ों प्रजाति के सांप और नागों के दर्शन होते हैं, लेकिन खास बात ये कि ये सांप किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के इलाके में होने की वजह से साल में सिर्फ पूजा और दर्शन के लिए सावन के महीने में 10 दिन के लिए इसे खोला जाता है. बाकी पूरे साल यहां आना-जाना बंद रहता है.
नागों की बस्ती से होकर गुजरते हैं श्रद्धालु
इस यात्रा के बीच में श्रद्धालुओं को सांपों की बस्ती से होकर गुजरना पड़ता है, जिसमें कई जहरीले सांप और नाग के दर्शन होते हैं, लेकिन वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इस यात्रा में पैदल चलने के दौरान दो दिन का समय लगता है. घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच करीब 12 से 15 किलोमीटर का पैदल सफर करने के बाद श्रद्धालु को नाग चंद्रशेखर मंदिर के दर्शन हो पाते हैं. जंगल के बीच से गुजरने के बाद करीब 100 फीट लंबी चिंतामणि की गुफा से भक्त गुजरते हैं और उसके बाद फिर करीब 35 फीट लंबी गहरी और अंधेरी गुफा से होकर गुजरने के बाद नागलोक में नाग देवता के दर्शन हो पाते हैं.
10 अगस्त तक खुले रहेंगे द्वार
1 से 10 अगस्त तक नागद्वारी की गेट खुले रहेंगे और इस दौरान मध्य प्रदेश समेत महाराष्ट्र और देश के कई राज्यों से श्रद्धालु नागलोक में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यात्रा के दौरान कोई भी वाहन मालिक भक्तों से मनमाना किराया वसूल न कर सके, इसलिए जिला प्रशासन ने किराया सूची जारी की है. बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए जिन कठिनाइयों से होकर गुजरना पड़ता है. ठीक उसी तरह की कठिनाई नागद्वारी की यात्रा में भी भक्तों को मिलती है. इसलिए इस यात्रा को भी मध्य प्रदेश का अमरनाथ कहा जाता है.
सिर्फ खुशियां ही नहीं घर में सकारात्मकता भी लाते हैं, घर में पाले जानें वाले ये 3 जीव, तरक्की के भी खोलते हैं द्वार
2 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Lucky Animals To Keep at Home : कई लोग अपने घरों में विभिन्र प्रकार के जीव जंतु पालते हैं. किसी को डॉग पालना पसंद होता है तो किसी को बिल्ली, किसी को तोता तो किसी को चूहे और गाय. वहीं पाले गए जानवर से रिश्ता भी इतना गहरा हो जाता है कि इसे आप अपने घर का सदस्य मानने लगते हैं. इनकी देखभाल भी आप खूब करते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे जीवों का जिक्र है जिन्हें पालने से आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और इसके साथ ही ये जानवर आपके घर में सुख-समृद्धि लेकर आएंगे. आइए जानते हैं इनके बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
1. मछली
आपने मछली पालने से होने वाले फायदों के बारे में खूब सुना होगा और कई घरों में देखा भी होगा. वहीं वास्तु शास्त्र में भी मछली पालने को काफी शुभ माना गया है. ऐसा माना गया है कि, मछली पालने से घर में आर्थिक तंगी से राहत मिलती है और हमेशा बरकत रहती है.
2. तोता
आपने कई सारे घरों में तोता देखा होगा. वास्तु अनुसार के अनुसार, तोता आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है. ऐसे में घरों में खुशहाली बनी रहती है. लेकिन, ध्यान रखें कि आप तोता को पालते हैं तो उसका पूरा ख्याल रखें और वह हमेशा खुश रहे.
3. खरगोश
यह छोटा सा जीव काफी कोमल होता है और देखने में काफी प्यारा लगता है. इसे पालना बहुत ही शुभ माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि, खरगोश के घर में आने से शुभता आती है. इससे आपके घर का महौल तो अच्छा रहता ही है. साथ ही धन प्राप्ति का संकेत भी यह देता है.
सावन शिवरात्रि व्रत, लक्ष्मी पूजा से बढ़ेगी धन-संपत्ति, देखें मुहूर्त, शुभ योग, राहुकाल, दिशाशूल
2 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज का पंचांग 2 अगस्त 2024: सावन शिवरात्रि का व्रत शुक्रवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में है. सावन शिवरात्रि के दिन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि, आर्द्रा नक्षत्र, हर्षण योग, तैतिल करण, पश्चिम का दिशाशूल, शुक्रवार दिन और मिथुन राशि का चंद्रमा है. शिवरात्रि का व्रत चतुर्दशी तिथि में रखते हैं, इसलिए चतुर्दशी तिथि 03:26 पी एम से शुरू होगी. सावन शिवरात्रि के दिन व्रत रखते हैं और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं. इस दिन शिव जी का जलाभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, वहीं रुद्राभिषेक कराने से उत्तम सेहत, धन, सुख, समृद्धि, भोग, मोक्ष आदि की प्राप्ति होती है. सावन शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा का मुहूर्त 07:11 पी एम से प्रारंभ है.
सावन शिवरात्रि के दिन धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी की पूजा का भी सुंदर संयोग बना है. शुक्रवार को सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा विधि विधान से करने पर कंगाली दूर होती है, धन का अभाव खत्म होता है. जीवन में सुख, समृद्धि, धन और वैभव की प्राप्ति होती है. शुक्रवार को माता लक्ष्मी को मखाने की खीर, दूध से बनी सफेद मिठाई, बताशा आदि का भोग लगाना चाहिए. इस दिन शुक्र को मजबूत करने के लिए आप सफेद कपड़े पहनें, इत्र लगाएं. खीर, चावल, मोती, चांदी, इत्र आदि का दान करें. इससे कुंडली का शुक्र दोष दूर होगा और आपके जीवन में शुक्र का शुभ प्रभाव शुरू हो जाएगा. हिंदू कैलेंडर से जानते हैं सावन शिवरात्रि का सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय, चंद्रास्त, शुभ मुहूर्त, अशुभ समय, भद्रा राहुकाल, दिशाशूल आदि के बारे में.
आज का पंचांग, 2 अगस्त 2024
आज की तिथि- त्रयोदशी – 03:26 पी एम तक, फिर चतुर्दशी
आज का नक्षत्र- आर्द्रा – 10:59 ए एम तक, उसके बाद पुनर्वसु
आज का करण- तैतिल – वणिज – 03:26 पी एम तक, विष्टि – 03:35 ए एम, अगस्त 03 तक, शकुनि
आज का योग- हर्षण – 11:45 ए एम तक, फिर वज्र
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का दिन- शुक्रवार
चंद्र राशि- मिथुन – 05:41 ए एम, 3 अगस्त तक, फिर कर्क
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 05:43 ए एम
सूर्यास्त- 07:11 पी एम
चन्द्रोदय- 04:16 ए एम, 3 अगस्त
चन्द्रास्त- 06:01 पी एम
आज का मुहूर्त और योग
ब्रह्म मुहूर्त: 04:19 ए एम से 05:01 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 12:00 पी एम से 12:54 पी एम
सर्वार्थ सिद्धि योग: 10:59 ए एम से 3 अगस्त को 05:44 ए एम तक
सावन शिवरात्रि 2024 पूजा मुहूर्त
निशिता काल पूजा समय: 12:06 ए एम से 12:49 ए एम, 3 अगस्त
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय: 07:11 पी एम से 09:49 पी एम
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय: 09:49 पी एम से 12:27 ए एम, 3 अगस्त
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय: 12:27 ए एम से 03:06 ए एम, 3 अगस्त
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय: 03:06 ए एम से 05:44 ए एम, 3 अगस्त
अशुभ समय
राहुकाल- 10:46 ए एम से 12:27 पी एम
गुलिक काल- 07:24 ए एम से 09:05 ए एम
भद्रा: 03:26 पी एम से 03:35 ए एम, 3 अगस्त
भद्रावास: स्वर्ग में
दिशाशूल- पश्चिम
रुद्राभिषेक के लिए शिववास
भोजन में – 03:26 पी एम तक, उसके बाद श्मशान में
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (02 अगस्त 2024)
2 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यर्थ व्यय, मानसिक अशांति एवं कष्ट मन विक्षुब्ध रहे, रुके कार्य बन जायेंगे।
वृष राशि :- चिंताग्रस्त होने से बचें, व्यावसायिक क्षमता अनुकूल अवश्यह ही बन जायेगी।
मिथुन राशि :- तनाव क्लेश व अशांति, असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद होगा, ध्यान रखें।
कर्क राशि :- किसी प्रलोभन से बचे अन्यथा परेशानी में फंस सकते हैं, समय का ध्यान रखें।
सिंह राशि :- तनाव क्लेश व अशांति, असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद होगा, ध्यान रखें।
कन्या राशि :- विवादग्रस्त होने की संभावना है सोचे हुए कार्य समय पर बन जायेंगे।
तुला राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझे, कार्य गति में सुधार कार्य, योजना फलदायी रहें।
वृश्चिक राशि :- कार्यकुशलता से संतोष, दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे, व्यवसाय की वृद्धि होगी।
धनु राशि :- अधिकारियों से तनाव, मित्र वर्ग से अपेक्षा, मन में अशांति तथा कार्य में बाधा होगी।
मकर राशि :- मान प्रतिष्ठा में आंच आने का भय होगा तथा कार्यगति में बाधा अवश्य होगी।
कुंभ राशि :- किसी घटना का शिकार होने से बचें, चोट आदि कष्ट का भय अवश्य ही रहेगा।
मीन राशि :- स्त्री वर्ग से सुख हर्ष मिले, बिगड़े कार्य बनेंगे, समय का अभाव अवश्य होवें।
सोना धारण करने से पहले रखें इन बातों का ध्यान
1 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष अनुसार सोना बृहस्पति (गुरु) ग्रह को प्रभावित करता है। केवल शौक के लिए सोना नहीं पहनना चाहिए। जरूरत और लाभ को ध्यान में रखकर ही सोना धारण करना चाहिए। सोना पहनने से आपको फायदा होता है तो यह आपको धनवान और समृद्ध बनाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि सोना आपको नुकसान पहुंचाता है लेकिन आप समझ नहीं पाते। इसके लिए आप सोना पहनने से पहनने से पहले किसी पंडित या ज्योतिष से सलाह ले सकते हैं।
राशि के अनुसार पहनें सोने के जेवरात
आपका लग्न अगर मेष, कर्क, सिंह और धनु है तो आपके लिए सोना धारण करना उत्तम होगा। वृश्चिक और मीन लग्न के लोगों के लिए मध्यम और वृषभ, मिथुन, कन्या और कुंभ लग्न के लिए उत्तम नहीं होता है। तुला और मकर लग्न के लोगों को सोना कम से कम पहनना चाहिए।
पैरों में कभी न पहनें सोना
सोना बहुत ही पवित्र माना जाता है, साथ ही यह काफी मूल्यवान भी होता है। सोना आपके भाग्य को जगा सकता है तो सुला भी सकता है। इसलिए इसकी सुरक्षा के साथ यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि इसका उपयोग कैसे करें।
सभी रत्नों में सर्वश्रेष्ठ हीरे के बारे में जानें कुछ रोचक तथ्य
सोने को पैरों में कभी न पहनें। सोने की बिछियां या पायल नहीं पहननी चाहिए, यह बहुत ही पवित्र धातु है। यह गुरु ग्रह को प्रभावित करती है। पैरों में पहनने से संबंधित के जीवन में परेशानी आनी शुरू हो जाती हैं।
इसके अलावा कमर में भी सोना धारण नहीं करना चाहिए। कमर में सोना धारण करने से जातक का पाचन तंत्र खराब हो सकता है। इसमें भी महिलाओं को ज्यादा परेशानी हो सकती है, इसलिए वे इसका ज्यादा ध्यान रखें।
खराब ग्रहों के कारण नहीं मिलता दांपत्य सुख
1 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में विवाह एक अति महत्वपूर्ण संस्कार है। वही सुखद और प्रेमपूर्ण दांपत्य का आधार है लेकिन प्रारब्ध कर्मानुसार व्यक्ति की जन्मपत्रिका में कुछ ऐसी ग्रह स्थितियां निर्मित हो जाती हैं जिसके फलस्वरूप उसे दांपत्य सुख नहीं मिलता है। कलहपूर्ण दांपत्य अंत्यत कष्टप्रद और नारकीय जीवन के समान होता है। वैसे भी हर पुरुष सुंदर पत्नी और स्त्री धनवान पति की कामना करते हैं।
जीवन में किसी का साथ मनुष्य के लिए बेहद आवश्यक हो जाता है। कोई साथ हो या दांपत्य साथी अनुकूल हो तो हर तरह की परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है लेकिन यदि दांपत्य जीवन में दोनों में किसी एक व्यक्ति का व्यवहार यदि अनुकूल नहीं रहता है तो रिश्ते में कलह और परेशानियों का दौर लगा रहता है।
ज्योतिषशास्त्र में जातक की जन्म कुंडली को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आपके दांपत्य जीवन में कलह के योग कब उत्पन्न हो सकते हैं।
जन्मपत्री में दांपत्य-सुख का विचार सप्तम भाव और सप्तमेश से किया जाता है। इसके अतिरिक्त शुक्र भी दांपत्य-सुख का प्रबल कारक होता है क्योंकि शुक्र भोग-विलास और शैय्या सुख का प्रतिनिधि है। पुरुष की जन्मपत्रिका में शुक्र पत्नी का और स्त्री की जन्मपत्रिका में गुरु पति का कारक माना गया है। जन्मपत्रिका में द्वादश भाव शैय्या सुख का भाव होता है। अत: इन दांपत्य सुख प्रदाता कारकों पर यदि पाप ग्रहों, क्रूर ग्रहों और अलगाववादी ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति आजीवन दांपत्य सुख को तरसता रहता है।
सूर्य, शनि, राहु अलगाववादी स्वभाव वाले ग्रह हैं, वहीं मंगल और केतु मारणात्मक स्वभाव वाले ग्रह हैं। ये सभी दांपत्य-सुख के लिए हानिकारक होते हैं। कुंडली में सप्त या सातवां घर विवाह और दांपत्य जीवन से संबंध रखता है। यदि इस घर पर पाप ग्रह या नीच ग्रह की दृष्टि रहती है तो वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
यदि जातक की जन्मकुंडली में सप्तम भाव में सूर्य हो तो उसकी पत्नी शिक्षित, सुशील, सुंदर और कार्यों में दक्ष होती है, किंतु ऐसी स्थिति में सप्तम भाव पर यदि किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो दांपत्य जीवन में कलह और सुखों का अभाव बन जाता है।
यदि जन्म कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, द्वादश स्थान स्थित मगंल होने से जातक को मंगली योग होता है इस योग के होने से जातक के विवाह में विलंब, विवाहोपरांत पति-पत्नी में कलह, पति या पत्नी के स्वास्थ्य में शिथिलता, तलाक और क्रूर मंगली होने पर जीवन साथी की मृत्यु तक हो सकती है।
जब जन्म-कुंडली के सातवें या सप्तम भाव में अगर अशुभ ग्रह या क्रूर ग्रह (शनि, केतु या मंगल) ग्रहों की दृष्टि हो तो दांपत्य जीवन में कलह के योग उत्पन्ना हो जाते हैं। शनि और राहु का सप्तम भाव होना भी वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
राहु, सूर्य और शनि पृथकतावादी ग्रह हैं, जो सप्तम (दांपत्य) और द्वितीय (कुटुंब) भावों पर विपरीत प्रभाव डालकर वैवाहिक जीवन को नारकीय बना देते हैं। यदि अकेला राहु सातवें भाव में और अकेला शनि पांचवे भाव में बैठा हो तो तलाक हो जाता है। किंतु ऐसी अवस्था में शनि को लग्नेश नहीं होना चाहिए। या लग्न में उच्च का गुरु नहीं होना चाहिए।
यदि लग्न में शनि स्थित हो और सप्तमेश अस्त, निर्बल या अशुभ स्थानों में हो तो जातक का विवाह विलंब से होता है और जीवनसाथी से उसका मतभेद रहता है। यदि सप्तम भाव में राहु स्थित हो और सप्तमेश पाप ग्रहों के साथ छटे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तो जातक के तलाक की संभावना होती है।
यदि लग्न में मंगल हो या सप्तमेश अशुभ भावों में स्थित हो और द्वितीयेश पर मारणात्मक ग्रहों का प्रबाव हो तो पत्नी की मृत्यु के कारण व्यक्ति को दांपत्य सुख से वंचित होना पड़ता है। यदि किसी स्त्री की जन्मपत्रिका में गुरु पर अशुभ ग्रहों का प्रबाव हो, सप्तमेश पाप ग्रहों से युत हो और सप्तम भाव पर सूर्य, शनि और राहु की दृष्टि हो तो ऐसी स्त्री को दांपत्य सुख प्राप्त नहीं होता है।
ध्यान दें : यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में वैवाहिक जीवन को लेकर परेशानियां है तो उपाय के लिए सबसे पहले पति-पत्नी की कुंडली का मिलान करवाएं। दोनों जातकों की कुंडली का मिलान करके ही कोई अनुभवी ज्योतिषाचार्य आपको उपाय बता सकता है।
कई बार देखा गया है कि यदि पत्नी की कुंडली में यह दोष मौजूद है और पति की कुंडली अनुकूल है तो समस्या थोड़ी कम हो जाती है और इसी के उलट भी कई बार हो जाता है। लेकिन यदि दोनों व्यक्तियों की कुंडली में सप्तम भाव सही नहीं रहता है तो उस स्थिति में जीवन नारकीय बन जाता है। किसी भी परिस्थिति में कुंडली का मिलान समय से कराकर उपायों को अगर अपनाया जाए तो पीड़ा कम हो जाती है।
पंच प्रयाग को इसलिए माना जाता है पवित्र
1 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नदियों का संगम सनातन धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। जिन जगहों पर इनका संगम होता है उन्हें प्रयाग कहा जाता है और इन्हें प्रमुख तीर्थ मानकर पूजा जाता है।
अलकनंदा-भागीरथी नदियों के संगम पर ‘देवप्रयाग’
अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर देवप्रयाग स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है। गढ़वाल क्षेत्र में भागीरथी नदी को सास और अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है। भागीरथी के कोलाहल भरे आगमन और अलकनंदा के शांत रूप को देखकर ही इन्हें यह संज्ञा मिली है। देवप्रयाग में शिव मंदिर और रघुनाथ मंदिर हैं। देवप्रयाग में कौवे दिखाई नहीं देते, जो एक आश्चर्य की बात है। स्कंद पुराण के केदारखंड में इस तीर्थ का विस्तार से वर्णन मिलता है कि देव शर्मा नामक ब्राह्मण ने सतयुग में निराहार सूखे पत्ते चबाकर और एक पैर पर खड़े होकर एक हजार वर्षों तक तप किया और भगवान विष्णु के दर्शन कर वर प्राप्त किया। मान्यता के अनुसार भगीरथ के ही कठोर प्रयासों से गंगा धरती पर आने के लिए राजी हुई थीं और यहीं वह सबसे पहले प्रकट हुईं।
देवप्रयाग एक प्रसिद्ध जगह है। यहां आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ मानसिक शांति के तलाश में भी लोग आते हैं।
इस प्राकर जाएं : देवप्रयाग दिल्ली-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 58 पर स्थित देवप्रयाग की दिल्ली से दूरी 295 किमी रह जाती है। ऋषिकेश से यह सिर्फ 73 किमी दूर है। ऋषिकेश से देवप्रयाग स्थल पहुंचने के लिए तीन घंटे सफर तय करना होगा। यहां बस या टैक्सी से आसानी से पहुंच सकते हैं।
क्रॉस का निशान और उसका प्रभाव
1 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे हाथ में क्रॉस का निशान कई बार देखा जाता है, लेकिन हमें मालूम नहीं होता कि इसका मतलब क्या रहता है। क्रॉस का निशान हमारे हाथ में किसी भी पर्वत या किसी भी रेखा पर हो सकता है। क्रॉस का जीवन में बेहद प्रभाव पड़ता है।
यदि किसी जातक के गुरु पर्वत पर क्रॉस का निशान हो तो उसे सभी तरह का सुख मिलता है। ऐसे जातक को शिक्षित एवं धनी कुल का जीवनसाथी मिलता है। वह सुखी वैवाहिक जीवन जीता है। क्रॉस का निशान केवल गुरु पर्वत पर ही शुभ होता है। अन्य स्थान पर होने से इसका अच्छा लाभ नहीं मिलता।
यदि शनि पर्वत पर क्रॉस का निशान हो तो जातक को लड़ाई में चोट लगती है। ऐसे जातक के अकाल की मुत्यु तक हो जाती है।
यदि क्रॉस का निशान सूर्य पर्वत पर हो तो जातक हमेसा बदनामी का पात्र बना रहता है। ऐसे जातक को कारोबार में हमेशा घाटा होता है।
यदि बुध पर्वत पर क्रॉस का हो तो ऐसे जातकों से हमेशा दूर रहना चाहिए। ऐसे लोग धोखेबाज़ ठग और झूठे होते है।
यदि किसी जातक का केतु पर्वत पर क्रॉस का निशान हो तो जातक की शिक्षा किसी परिवारिक समस्या के चलते नहीं हो पाती।
मंगल पर्वत पर क्रॉस का चिह्न दिखें तो जातक लड़ाई-झगड़ों में विश्वास रखता है। ऐसे लोग या तो जेल जाते हैं अथवा आत्महत्या तक कर लेते हैं।
राहु पर्वत पर क्रॉस का चिन्ह जातक को यौवनकाल में दुःख देता है। इस तरह के जातक चेचक रोग के शिकार होते हैं।
यदि जातक के ह्दय रेखा पर क्रॉस का चिह्न हो तो जातक को दिल की बीमारी का खतरा रहता है।
जातक की जीवन रेखा पर क्रॉस का निशान है तो वह मृत्युतुल्य कष्ट भोगता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (1 अगस्त 2024)
1 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - बढ़िया यात्रा, विवाद, कष्ट, मातृ कष्ट, व्यय, विरोध होगा, आंशिक हानि की संभावना।
वृष राशि - धन लाभ, व्यापार में प्रगति, शुभ कार्य होगा, आशानुकूल परिणाम से हर्ष होगा।
मिथुन राशि - पितृ कष्ट, यात्रा योग, व्यय लाभ, अशांति का वातावरण रहेगा, धैर्य रखें।
कर्क राशि - यात्रा शुभ होगी, भूमि लाभ, हर्ष, कार्य सिद्धी, गृहकार्य की व्यवस्था पूर्ण होगी
सिंह राशि - शत्रु भय, प्रवास, विरोध, उद्योग-व्यापार में लाभ, लाभ के कार्य सफल होंगे।
कन्या राशि - लाभ, सिर-नेत्र पीड़ा होगी, यात्रा परेशानीयुक्त होगी, धैर्य के साथ कार्य पूर्ण करें।
तुला राशि - सुख, सफलता, निर्माण कार्य होगा, प्रवास, राजकार्य में व्यावस्था से लाभ होगा।
वृश्चिक राशि- मानसिक तनाव आकस्मिक बढ़ेगा, स्वजनों से सहानुभूति अवश्य मिलेगी।
धनु राशि - व्यवसाय की उन्नति से आर्थिक स्थिति में विशेष सुधार होगा, समय का लाभ लें।
मकर राशि - विलास सामग्री का संचय होगा, अधिकारी वर्ग की कृपा का लाभ मिलेगा।
कुंभ राशि - इष्ट मित्रों से लाभ, अच्छा सहयोग मिलेगा, उत्तम लाभ के योग बनेंगे।
मीन राशि - गृह कलह, हीन मनोवृत्ति रहेगी, शरीर पीड़ा तथा परेशानी अवश्य ही बनेगी।