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छात्र संगठन ASAP ने संभाला मोर्चा: पुरानी स्कॉलरशिप नीति की वापसी के लिए सड़क पर उतरे
17 Jun, 2025 11:48 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (ASAP) ने स्कॉलरशिप नीति में बदलाव का विरोध कर रहे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को अपना समर्थन दिया है. ASAP ने अपनी मांगों पर अड़े इन छात्रों से मिलकर उनकी आवाज को मजबूती से उठाने का आश्वासन दिया. इस दौरान ASAP से जुड़े छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से स्कॉलरशिप नीति में किए गए बदलाव को छात्रों के साथ अन्याय बताया.
एसैप ने विश्वविद्यालय प्रशासन से छात्रों की मांगों को पूरा कर स्टाइपेंड की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग की है. साथ ही ASAP ने केंद्र और हरियाणा सरकार को चेतावनी दी है कि अगर कुलपति को बर्खास्त नहीं किया जाता है तो आप का छात्र संगठन जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगा.
स्कॉलरशिप नीति में बदलाव गलत
आप छात्र संगठन ASAP का कहना है कि स्कॉलरशिप नीति में बदलाव छात्रों के साथ अन्याय है. पहले स्टाइपेंड पाने के लिए छात्रों को 70 फीसद अंक लाना अनिवार्य था. यह व्यवस्था काफी अच्छी थी और इससे काफी छात्रों को लाभ मिल रहा था, लेकिन हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने अब इसमें बदलाव कर दिया है. नीति में नए बदलाव के बाद अब 75 फीसद अंक पाने वाले छात्रों को ही यह स्टाइपेंड मिल सकेगा. इसे लागू होने से अधिकतर छात्र लाभ से वंचित हो जाएंगे.
पुलिस लाठीचार्ज करने की कड़ी निंदा
एसैप ने अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने की कड़ी निंदा की है. एसैप का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की इस बर्बर कार्रवाई का हम विरोध करते हैं. विश्वविद्याल छात्रों की आवाज दबाने के लिए उन पर लाठीचार्ज कराया और धमकाया जा रहा है, लेकिन छात्रों की आवाज दबेगी नहीं. एसैप इन छात्रों के साथ मजबूती के साथ खड़ा है और जब तक इनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती, तब तक हम इनके संघर्ष में साथ खड़े हैं.
एसैप ने हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार से चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बीआर कंबूज को बर्खास्त करने की भी मांग की है. एसैप का कहना है कि कुलपति को उनके दायित्व से बर्खास्त करना चाहिए. अगर सरकार बर्खास्त नहीं करती तो एसैप जंतर मंतर पर सरकार के ख़िलाफ़ और चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के विधार्थियो के समर्थन में धरना प्रदर्शन करेगा.
ईरान में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने का प्रयास कर रहा भारतीय दूतावास
17 Jun, 2025 09:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सीरिया। इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान में बम बरसाने शुरू कर दिए हैं। ऐसी स्थिति में ईरान में रहे 1500 भारतीय छात्रों समेत तमाम लोग बाहर निकलने की कोशिश में है। एक मुश्किल यह है कि ईरान, इजरायल, सीरिया, इराक जैसे मध्य पूर्व के कई देशों ने जंग के कारण अपने एयरस्पेस को ही बंद कर रखा है। ऐसी स्थिति में ईरान में फंसे भारतीय कैसे लौटेंगे? यह बड़ा सवाल है। इस सवाल का जवाब यह है कि सभी भारतीयों को अब जमीनी रास्ते से ही ईरान से बाहर निकलना होगा और फिर वे समुद्री जहाज या फिर हवाई सफर के रास्ते भारत लौट पाएंगे। जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात और अर्मेनिया से बात की है। फिलहाल भारतीय दूतावास इस कोशिश में लगा है कि तेहरान और ईरान के अन्य शहरों में बसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाए और फिर वापस लाया जाए। इसी कड़ी में करीब 100 भारतीय आर्मेनिया की ओर रवाना हुए हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में अर्मेनिया और यूएई के अपने समकक्षों से बात की थी। फिलहाल ईरान के उरमिया में रह रहे 120 भारतीय छात्रों को अर्मेनिया के रास्ते निकाला जा रहा है। अर्मेनिया की सीमा ईरान से लगती है और दोनों के अच्छे संबंध हैं। ईरान की सीमा तो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से भी लगती है, लेकिन उस रास्ते से भारतीयों को निकाल पाना संभव नहीं है। इसके अलावा यूएई से बात इसलिए हो रही है क्योंकि उसके इजरायल और ईरान दोनों से ही अच्छे संबंध हैं। विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारतीयों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और दूतावास की तरफ से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों को कोम भी पहुंचाया गया है, जो तेहरान से 148 किलोमीटर दूर स्थित एक शहर है।
खामेनेई का खास था ईरानी मेजर जनरल अली शादमानी
17 Jun, 2025 03:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष गहराता जा रहा है। इस बीच इजरायली सेना ने ईरानी मेजर जनरल अली शादमानी को एक हवाई हमले में मार दिया। उसने चार दिन पहले ही पद संभाला था।
शादमानी को मेजर जनरल गुलाम अली राशिद की जगह पर नियुक्त किया गया था। इजरायली सेना ने मेजर जनरल राशिद को शुक्रवार को ईरान के खिलाफ शुरुआती हमलों में मार गिराया था।
पद संभालने के चौथे दिन काम तमाम
टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, मेजर जनरल अली शादमानी ने करीब चार दिनों तक खतम-अल अंबिया सेंट्रल हेडक्वार्टर का नेतृत्व किया। इस विभाग को ईरान के मिलिट्री इमरजेंसी कमांड के तौर पर जाना जाता है। शादमानी ने मेजर जनरल गुलाम अली राशिद की जगह ली थी। राशिद शुक्रवार को ईरान के खिलाफ इजरायल के शुरुआती हमलों में मारा गया था।
खामेनेई का करीबी था शादमानी
इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) का कहना है कि मेजर जनरल शादमानी ईरान का सबसे वरिष्ठ सैन्य कमांडर और वॉर चीफ था। उसे ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई का सबसे करीबी सैन्य व्यक्ति माना जाता था। आईडीएफ का कहना है, "शादमानी ने रिवोल्यूशनरी गार्ड्स और ईरानी सशस्त्र बलों दोनों की कमान संभाल रखी थी।"
आईडीएफ का कहना है कि शादमानी ने पहले खतम-अल अंबिया मुख्यालय के डिप्टी और ईरान के सशस्त्र बलों में संचालन प्रमुख के तौर पर काम किया था।
कौन हैं News Anchor सहर इमामी
17 Jun, 2025 02:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। ईरान की राजधानी तेहरान में सोमवार शाम इजरायल ने बड़ा हवाई हमला किया। इस हमले में ईरान के सरकारी टीवी चैनल IRIB मेन बिल्डिंग को निशाना बनाया गया।
विस्फोट के बाद टीवी प्रसारण बीच में ही बंद हो गया। इमारत में आग लग गई और धुएं का गुबार फैल गया। यह हमला तब हुआ जब एक महिला एंकर सहर इमामी लाइव टीवी पर खबर पढ़ रहीं थीं।
हमले के बाद एंकर सहर का वीडियो तेजी से वायरल हुआ। जैसे ही हमला हुआ स्टूडियो में धुआं और मलबा भर गया। इसके बावजूद सहर ने थोड़ी देर बाद फिर से लाइव आकर प्रसारण जारी रखा। इस दौरान उनके चेहरे पर जरा-सा भी शिकन नहीं दिख रहा था। सहर के जज्बे को लेकर सोशल मीडिया पर उनकी खूब तारीफ हो रही है।
'ईरान की आवाज बनकर उभरी सहर'
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के आधिकारिक एक्स अकाउंट से भी सहर इमामी को तारीफ मिली है। सुप्रीम लीडर ने लिखा, 'ये है ईरान की आवाज।'
ईरान की महिला और परिवार मामलों की उपराष्ट्रपति जहरा बेहरूज अजार ने एक्स पर सहर इमामी की तारीफ में पोस्ट लिखा है। उन्होंने लिखा कि वे (सहर) महिलाओं की बहादुरी की प्रतीक हैं। इसके साथ ही आजर ने लिखा कि सहर इस वक्त दुनिया के सामने ईरानी नागरिकों की आवाज बन गई हैं।
कैसा रहा है सहर इमामी का करियर?
सहर इमामी ईरानी राज्य प्रसारण संगठन IRIB की एंकर हैं। उन्होंने साल 2010 में मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने जल्द ही ईरान के आधिकारिक खबर चैनल में अपनी पैठ बना ली और ईरानी पत्रकारिता में मशहूर चेहरा बन गईं। हालांकि वह एक फूड इंजीनियर भी है, लेकिन पेशे के लिए उन्होंने मीडिया फील्ड चुना।
ट्रंप ने बताया G-7 समिट छोड़ने का कारण
17 Jun, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। कनाडा में जी-7 समिट को बीच में छोड़कर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी रवाना हो गए। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वह इजरायल ईरान संघर्ष को लेकर वापस वॉशिंगटन लौट गए हैं। लेकिन उन्होंने ऐसे किसी भी कयास को अफवाह बताया है और इसके लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भी बुरा-भला सुना दिया है।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर पोस्ट कर लिखा, "पब्लिसिटी की चाहत रखने वाले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गलती से कहा कि मैं कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन छोड़कर वापस वॉशिंगटन डी.सी. जा रहा हूं ताकि इजरायल और ईरान के बीच "युद्ध विराम" पर काम कर सकूं। गलत!"
उन्हें नहीं पता कि मैं वाशिंगटन क्यों जा रहा हूं, लेकिन इसका निश्चित रूप से युद्ध विराम से कोई लेना-देना नहीं है। इसका ताल्लुक इससे कहीं ज़्यादा बड़ा है। चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, इमैनुएल हमेशा गलत ही बोलते हैं।
जी-7 को लेकर ट्रंप के मन में क्या है?
ट्रंप ने जी-7 समिट के दौरान ग्रुप की अहमियत को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि 2014 में रूस को जी-7 से निकालना गलत था, जिससे दुनिया अस्थिर हुई। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि चीन को जी-7 में शामिल करना चाहिए।
डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और इजरायल संघर्ष को लेकर भी पोस्ट किया था। उन्होंने लिखा, "ईरान को अपनी परमाणु योजनाओं पर लगाम लगानी होगी, वरना बहुत देर हो जाएगी।"
अगर ईरान पर न्यूक्लियर अटैक हुआ तो पाक इजराइल पर गिरा देगा परमाणु बम
17 Jun, 2025 10:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस्लामाबाद। इजराइल और ईरान के बीच जंग जारी है। ईरान ने इजराइल के अटैक के बाद ड्रोन और मिसाइल से ताबड़तोड़ हमला किया। इस बीच ईरान की ओर से एक बड़ा दावा किया गया था। उसने कहा कि अगर इजराइल ईरान पर न्यूक्लियर अटैक करेगा तो पाकिस्तान ईरान का साथ देगा और इजराइल पर परमाणु बम दाग देगा, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने इस दावे खारिज कर दिया है।
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के सीनियर जनरल मोहसेन रेजाई ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि पाकिस्तान उसके साथ खड़ा है और परमाणु अटैक को लेकर उसका साथ देगा। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ईरान के दावों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद ने इस तरह का कोई भी बयान नहीं दिया है। पाक रक्षा मंत्री ने ईरान को झूठा साबित कर दिया है।
ईरान और इजरायल में तनाव की स्थिति के बीच एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई। ईरानी मीडिया ने दावा किया कि सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई अपने परिवार के साथ सुरक्षित जगह पर हैं। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इजराइल ने खामेनेई पर अटैक का प्लान बनाया था। वह इस प्लान को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भी पहुंचा था, लेकिन ट्रंप ने इस पर रोक लगा दी थी।
ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इजरायली हमले में अब तक 224 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 1277 से ज्यादा लोग घायल हैं। इजराइल की आपातकालीन मेडिकल सेवा मुहैया कराने वाले संगठन के मताबिक सेंट्रल इजराइल में चार ईरानी मिसाइलों के हमले में तीन लोगों की मौत हुई है, जबकि 67 लोग घायल बताए जा रहे हैं।
सेंट्रल इजराइल में बैलिस्टिक मिसाइल से प्रभावित स्थलों से 67 लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया है। एमडीए ने कहा कि इनमें 30 साल की एक महिला की हालत गंभीर है, जबकि छह लोगों की हालत स्थिर बताई जा रही है। इनके अलावा 60 लोग घायल हैं। इनमें कुछ एंग्जायटी से भी पीड़ित हैं।
ट्रंप का दावा, मैंने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष रुकवाया, अब ईरान-इजराइल की बारी
17 Jun, 2025 09:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। 13 जून को इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान के सैन्य, परमाणु और मिसाइल ठिकानों पर जोरदार हमला किया था। इसके जवाब में ईरान ने भी बड़े स्तर पर इजरायल के बड़े शहरों पर मिसाइल दागी। अब दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा दावा किया है। ट्रंप को उम्मीद है कि ईरान और इजरायल जल्द ही शांति समझौता करने को तैयार हो जाएगें। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच में सीजफायर कराया था। वैसे ही वे ईरान और इजरायल के बीच समझौता करा सकते हैं। ट्रंप ने कहा कि उस समय अमेरिका के साथ ट्रेड का इस्तेमाल करके मैंने दोनों देशों को बातचीत के लिए तैयार किया। दोनों नेताओं ने जल्दी और समझदारी से फैसला लिया और रुक गए! हालांकि, भारत सरकार का लगातार कहना है कि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ संघर्ष विराम समझौता द्विपक्षीय सैन्य-स्तरीय वार्ता का नतीजा था, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीं थी।
ट्रंप के व्यापक शांति-मध्यस्थता के दावे
ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति काल के अन्य उदाहरणों का हवाला देकर दावा किया कि उन्होंने सर्बिया और कोसोवो के बीच युद्ध को रोका, साथ ही नील बांध विवाद पर मिस्र और इथियोपिया के बीच भी युद्ध को रोका। उन्होंने कहा कि हालांकि इन हस्तक्षेपों को अक्सर पहचाना नहीं जाता है, लेकिन लोग समझते हैं।
जबकि ईरान और इज़राइल मिसाइल हमलों का आदान-प्रदान कर रहे हैं। ईरान ने इज़राइल द्वारा अपने परमाणु और सैन्य स्थलों पर हमले के प्रतिशोध में तेल अवीव पर हमला किया है। ट्रम्प ने आशावाद प्रदर्शित किया: इसी तरह, इज़राइल और ईरान के बीच जल्द ही शांति होगी! अब कई कॉल और बैठकें हो रही हैं।
यूके की इंटेलिजेंस सर्विस की कमान पहली बार महिला प्रमुख के पास
17 Jun, 2025 08:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ब्रिटेन। यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने देश की इंटेलिजेंस सर्विस के लिए पहली बार एक महिला प्रमुख की नियुक्ति की घोषणा की है। ब्लेज मेट्रेवेली के 116 साल के इतिहास में पहली महिला हैं जो यह भूमिका निभाएंगी। मेट्रेवेली 1विनोद उपाध्याय / 16 जून, 2025 में इंटेलिजेंस सर्विस में शामिल हुई थीं और इस साल के अंत में सर रिचर्ड मूर की जगह लेंगी। पीएम ने इस नियुक्ति को ऐतिहासिक बताया और कहा कि हमारी खुफिया सेवाओं का काम पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
इंटेलिजेंस सर्विस का काम विदेशों से खुफिया जानकारी इकट्ठा करना है ताकि यूके की सुरक्षा बढ़ाई जा सके। इसका मकसद आतंकवाद को रोकना, शत्रु देशों की गतिविधियों पर नजर रखना और साइबर सुरक्षा को मजबूत करना है। यह संगठन का एकमात्र सार्वजनिक रूप से नामित सदस्य होता है। वे विदेश सचिव को रिपोर्ट करते हैं।
कांग्रेस ने खोली हरियाणा सरकार की पोल: पांच भर्तियों में 'फर्जीवाड़ा', शिक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर आरोप
16 Jun, 2025 08:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने सरकारी नौकरियों में धांधली को लेकर हरियाणा सरकार पर निशाना साधा. सुरजेवाला का मानना है कि बीजेपी सरकार ने हरियाणा लोक सेवा आयोग के पदों की भर्ती में धोखाधड़ी की है और वह इस मामले को दबाने का प्रयास कर रही है.
सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस में एक कॉपी दिखाते हुए कहा कि जांच एजेंसियों ने पाया कि हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) के तहत पांच भर्तियों में धोखाधड़ी की गई थी. HPSC के सचिव ने कहा था कि कार्यालय में मिले 1 करोड़ 8 लाख रुपये HPSC के थे. सुरजेवाला ने हरियाणा सरकार को घेरते हुए कहा कि इतना कुछ होने के बावजूद, न तो HPSC के चेयरमैन आलोक वर्मा और न ही HPSC के किसी अन्य अधिकारी को अभी तक जांच के लिए बुलाया गया. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को सरकार ने बड़ी ही चालाकी से दबा दिया.
असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में भी की गड़बड़ी
सुरजेवाला ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर भी हरियाणा सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि 2019 के बाद हरियाणा के कॉलेज कैडर में किसी भी असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हुई है. बच्चे बगैर टीचर के ही पढ़ाई करते हैं. उन्होंने कहा कि HPSC की तरह ही हरियाणा सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में गड़बड़ी की है. इसके आगे उन्होंने कहा कि 2024 में 26 विषयों के लिए 2424 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए एडवरटाइजमेंट दिया गया था. करीब 1.5 लाख बच्चों ने इसके लिए अप्लाई किया था. लेकिन जैसे ही मई-जून में एग्जाम शुरू होने की बात हुई, सरकार का गड़बड़ झाला फिर से सामने आ गया.
धरना पर बैठे छात्रों से मिलने पहुंचे सुरजेवाला
इससे एक दिन पहले सुरजेवाला हिसार में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में धरना दे रहे छात्रों से भी मिलने पहुंचे. उन्होंने छात्रों से कहा कि कांग्रेस पार्टी छात्रों के साथ है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी भी धरना कर रहे छात्रों से बात करेंगे, इसके लिए उन्होंने दो छात्रों के मोबाइल नंबर भी लिया. दरअसल, विश्वविद्यालय के एक असिस्टेंट प्रोफेसर राधेश्याम ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया था. इसी मामले को लेकर छात्र धरने पर बैठे है. उनकी मांग है कि विश्वविद्यालय की वीसी सभी छात्रों से माफी मांगें.
पंजाब के पानी विवाद पर गरमाई लुधियाना उपचुनाव की सियासत, CM नायब सैनी को दिखाए गए काले झंडे
16 Jun, 2025 08:42 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
19 जून को होने वाले लुधियाना पश्चिम उपचुनाव से पहले बीजेपी उम्मीदवार के लिए प्रचार करने आए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी को जनता के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा. हरियाणा द्वारा पंजाब के जल संसाधनों के दोहन से निराश लोगों ने मुख्यमंत्री के काफिले का विरोध किया, काले झंडे लहराए और ‘पंजाब दे पानी चोर मुर्दाबाद’ के नारे लगाए.
सैकड़ों लोगों ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और पंजाबियों के बीच दशकों से चले आ रहे जल बंटवारे के मुद्दे पर बढ़ते गुस्से को दर्शाया. प्रदर्शनकारियों ने हरियाणा और भाजपा नेताओं पर पंजाब के पानी को लूटने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
पंजाब के हिस्से के पानी का गलत इस्तेमाल
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हरियाणा सरकार पंजाब के हिस्से के पानी का गलत इस्तेमाल कर रही है, जिससे पंजाब का कृषि क्षेत्र संघर्ष कर रहा है. यह असंतोष हरियाणा द्वारा भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से पंजाब के हक के पानी के आवंटन के दुरुपयोग से उपजा है. पंजाब की पिछली सरकारें इस मुद्दे पर चुप रहीं, लेकिन मान सरकार ने इस मुद्दे पर दृढ़ता से अपना पक्ष रखा और सुनिश्चित किया कि पंजाब के हक का हिस्सा छीना न जाए.
उपचुनाव में भी छाया पानी का मुद्दा
पंजाब में सिंचाई के लिए नहर के पानी की पहुंच बढ़ाने और जल प्रबंधन में सुधार के लिए मान सरकार के निर्णायक कदमों ने पंजाब के लिए बीबीएमबी से पानी का पूरा कोटा हासिल करने की आवश्यकता को मजबूती से पेश किया. मान सरकार ने पंजाब के पानी की रक्षा करने और राज्य के किसानों व नागरिकों के लाभ के लिए इसका भरपूर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है. लुधियाना पश्चिम उपचुनाव में भी पानी का मुद्दा प्रमुखता से छाया हुआ है.
फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत पर सवाल – क्या नेतन्याहू सरकार जानबूझकर अनदेखी कर रही है?
16 Jun, 2025 08:34 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इजराइल के हाइफा के पास स्थित तमरा कस्बे में ईरानी मिसाइल हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक दर्दनाक सवाल बनकर उभरा है कि जब निशाना इजराइल था, तो मरे फिलिस्तीनी नागरिक क्यों? क्या यह सुरक्षा इंतजामों की विफलता है या फिर एक रणनीतिक अनदेखी? इस कस्बे में रहने वाले अधिकांश लोग इजराइल के फिलिस्तीनी नागरिक हैं, जिनके लिए न तो बम शेल्टर हैं और न ही समान सुरक्षा इंतजाम. सवाल उठता है कि क्या ये जानें सिर्फ कोलैटरल डैमेज मानी जा रही हैं?
शनिवार रात करीब 11:50 बजे ईरान से दागी गई एक मिसाइल ने तमरा कस्बे में खतीब परिवार के घर को निशाना बना लिया. रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में टीचर मनार खतीब, उनकी दो बेटियां 13 साल की शाथा और 20 साल की हाला. और एक रिश्तेदार मनार दिआब की मौके पर ही मौत हो गई. मनार का पति राजा और सबसे छोटी बेटी रजान किसी तरह बच तो गए.
फिलिस्तीनियों की सुरक्षा का सवाल
तमरा एक शांत कस्बा था, जो कभी-कभार लेबनान सीमा से आने वाले रॉकेटों की जद में आता था. लेकिन सीधे ईरानी मिसाइल का हमला एक नई और खतरनाक स्थिति की ओर इशारा करता है. सबसे बड़ी चिंता यह है कि फिलिस्तीनी नागरिकों के कस्बों में अभी भी पर्याप्त बम शेल्टर नहीं हैं, जबकि यह इलाका अब युद्ध की जद में आ चुका है. यह असमानता पिछले कई सालों से उठती रही है, लेकिन समाधान नहीं मिला.
मलबा, मौत और मातम…
हमले के अगले दिन जब लोग घरों से बाहर निकले तो चारों तरफ तबाही का मंजर था. सड़कें मलबे से भरी थीं, कारें जलकर खाक हो चुकी थीं और आसपास के कई घरों की खिड़कियों के शीशे टूटे हुए थे. तीन मंजिला खतीब परिवार की इमारत पूरी तरह ढह चुकी थी. इस दर्दनाक मंजर ने पूरे कस्बे को झकझोर दिया और हर चेहरे पर डर और गुस्सा साफ दिखाई दिया.
नेतन्याहू की जिम्मेदारी पर सवाल
तमरा की घटना अब सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि इजराइली सरकार की प्राथमिकताओं पर भी सवाल खड़े कर रही है. क्या प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार जानबूझकर फिलिस्तीनी इलाकों की सुरक्षा को नजरअंदाज कर रही है? या फिर यह एक चाल है, जिसमें फिलिस्तीनी आबादी को अदृश्य दुश्मन की तरह जीने को मजबूर किया जा रहा है? जब युद्ध में सबसे कमजोर वर्ग सबसे ज्यादा मारे जाएं, तो यह सिर्फ युद्ध नहीं, राजनीतिक असफलता होती है.
अगर नेतन्याहू सरकार ने अब भी सुरक्षा में समानता नहीं दी, तो यह युद्ध सिर्फ सीमाओं तक नहीं रहेगा, बल्कि इजराइल के भीतर भी असंतोष का कारण बन सकता है.
ईरान-इजरायल युद्ध का असर: हजारों भारतीयों की सुरक्षा पर मंडराया खतरा
16 Jun, 2025 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इजरायल और ईरान के बीच छिड़ी जंग में 36000 भारतीय फंस गए हैं। ईरान में 4000 भारतीय रहते हैं, जिनमें 1500 के करीब स्टूडेंट्स हैं और इनमें भी 1300 कश्मीरी मूल के स्टूडेंट्स हैं। इजरायल में 32000 भारतीय फंसे हैं और इनमें कई स्टूडेंट्स हैं। इन भारतीयों के परिवार अब सुरक्षा को लेकर चितिंत हैं। हालात खराब होते देखकर भारत सरकार ईरान से आर्मीनिआ के जरिए भारतीयों को सुरक्षित निकालकर वतन लाने पर विचार कर रही है। भारतीय दूतावास ने देश वापसी के लिए इच्छुक लोगों को दूतावास में रजिस्टर करने को कहा है।
भारतीयों की सुरक्षा कर रहा ईरान
ईरान के विदेश मंत्रालय ने भारतीयों की सुरक्षा के संदर्भ में अहम बयान देते हुए कहा कि तेहरान में भारतीय दूतावास लगातार भारतीयों की सुरक्षा स्थिति की निगरानी कर रहा है और ईरान में भारतीय छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनसे संपर्क कर रहा है। कुछ मामलों में, दूतावास की मदद से छात्रों को ईरान के भीतर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है। ईरान में रह रहे भारतीयों के लिए इंडियन एंबेसी ने एडवाइजरी भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि मौजूदा हालात को देखते हुए यहां रहने वाले भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों को दूतावास के साथ संपर्क में रहना है।
बंकरों-बेसमेंट में रखे गए भारतीय
भारतीयों से कहा गया है कि वे ईरान में गैर-जरूरी मूवमेंट न करें। अपडेट्स के लिए एंबेसी का सोशल मीडिया पेज देखते रहें। इमरजेंसी कॉन्टैक्ट नंबर भी जारी किए गए हैं। वहीं ईरान में फंसे भारतीयों का कहना है कि अभी सिविलियन इलाके सुरक्षित है, लेकिन लोगों को बंकरों में रहने को कहा गया है। सड़कों पर चहल-पहल है और लोग रोजमर्रा के काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने वॉट्सएप, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रतिबंधित कर दिए हैं। इंटरनेट भी काफी स्लो चल रहा है। इंडियन एंबेसी में जाकर रजिस्ट्रेशन करा दिया है, उन्होंने वतन वापस भेजने का आश्वासन दिया है।
क्या कहते हैं भारतीयों के परिजन?
ईरान में फंसे भारतीयों के परिजनों ने प्रधानमंत्री मोदी से उनके अपनों को वहां से निकालकर वतन वापस लाने को कहा है। लोगों का कहना है कि जैसे भारत सरकार यूक्रेन से भारतीयों को निकालकर लाई थी, उसी तरह ईरान और इजरायल से भी लाए, क्योंकि ईरान-इजरायल में भारतीय सुरक्षित नहीं हैं। जंग बढ़ती जा रही है और शांति वार्ता के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। बिल्डिंगों पर मिसाइलें दागी जा रही हैं। फोन भी भी बातचीत नहीं हो रही है। कई भारतीय तो डरे हुए हैं, जब इराक और पाकिस्तान ने अपने लोगों को वतन वापस बुला लिया है तो भारत सरकार को भी भारतीयों को वापस बुला लेना चाहिए।
दक्षिण अमेरिका के पेरू में भीषण भूकंप, लोगों में दहशत का माहौल
16 Jun, 2025 04:11 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जबरदस्त भूकंप से एक बार फिर धरती कांप गई है। देररात दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में प्रशांत महासागर के मध्य तट पर जोरदार भूकंप आया, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। वे अपने घरों से बाहर निकल आए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 मापी गई है। भूकंप का असर सबसे ज्यादा लीमा शहर में देखने को मिला, जहां चट्टानों से धुल और रेत का गुबार उठा। भूकंप का केंद्र भी राजधानी लीमा में पश्चिम दिशा में कैलाओ से 23 किलोमीटर (14 मील) दूर दक्षिण-पश्चिम में ही मिला। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) ने भूकंप आने की पुष्टि की और मीडिया को इसकी जानकारी दी।
फील्ड में उतारे गए बचाव दल
मीडिया में बताया गया है कि भूकंप से एक शख्स की मौत हो गई है और 5 लोग गंभीर घायल हुए हैं। सड़कों और कई इमारतों को नुकसान पहुंचा है। सरकार ने अलर्ट जारी करके बचाव दलों को फील्ड में उतार दिया है। AP की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस अधिकारी रामिरो क्लौको ने बताया कि लीमा शहर में जब भूकंप आया तो एक शख्स अपनी कार के पास खड़ा था और किसी का इंतजार कर रहा था कि अचानक निर्माणाधीन इमारत भूकंप के झटके से ढह गई और मलबा उसके ऊपर गिरा। सिर में चोट लगने से उसकी मौके पर मौत हो गई। पेरू के राष्ट्रपति दीना बोलुआर्टे ने लोगों से घरों के अंदर रहने की अपील की है।
पेरू भूकंप का संवेदनशील केंद्र
बता दें कि भूकंप के मद्देनजर पेरू सवंदेशनशील केंद्र है। पेरू में करीब 34 मिलियन लोग रहते हैं और यह प्रशांत महासागर के किनारे बसा देश है। पेरू प्रशांत महासागर के रिंग ऑफ फायर पर बसा है, जहां ज्वालामुखी गतिविधियां होती रहती है, इसलिए पेरू में भूकंप आते रहते हैं। पेरू में अब से पहले सबसे बड़ा भूकंप साल 2021 में आया था। अमेजन इलाके में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 मापी गई थी। इससे पहले बड़ा भूकंप साल 1970 में आया था, जिससे करीब 67000 लोगों की जान गई थी। इस बार आए भूकंप से पेरू की कई इमारतें ढह गईं। राजधानी लीमा में फुटबाल मैच को भी स्थगित करना पड़ा।
PM मोदी ने साइप्रस में बताया भारत का विजन, जल्द बनेगा तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
16 Jun, 2025 02:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को साइप्रस की राजधानी निकोसिया में इंडिया-साइप्रस CEO फोरम को संबोधित किया। यह दौरा 20 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक यात्रा है। पीएम मोदी ने इस दौरान भारत की आर्थिक तरक्की, डिजिटल क्रांति, और साइप्रस के साथ सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।
भारत और साइप्रस के बीच व्यापार
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और साइप्रस के बीच 150 मिलियन डॉलर का व्यापार हो रहा है, लेकिन असली क्षमता इससे कहीं ज्यादा है। उन्होंने कहा, “साइप्रस भारत का भरोसेमंद साझेदार रहा है। यहां से भारत में निवेश हुआ है और कई भारतीय कंपनियों ने साइप्रस में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। साइप्रस को यूरोप का गेटवे भी माना जाता है।”
भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले एक दशक में भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। अब हम तेजी से तीसरे स्थान की ओर बढ़ रहे हैं।”
उन्होंने भारत में आई डिजिटल क्रांति का जिक्र करते हुए कहा, “आज दुनिया में 50% डिजिटल लेन-देन भारत में UPI के माध्यम से होते हैं। फ्रांस जैसे देशों को हमने जोड़ा है और अब साइप्रस से भी UPI को जोड़ने की बात हो रही है। मैं इसका स्वागत करता हूं।”
भारत का किस पर है फोकस?
पीएम मोदी ने बताया कि भारत हर साल 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में कर रहा है। इस साल के बजट में नए मैन्युफैक्चरिंग मिशन की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा, “हम मरीन और पोर्ट डिवेलपमेंट, शिपबिल्डिंग और सिविल एविएशन जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। हमारी 1 लाख से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियां सिर्फ सपने नहीं, समाधान बेच रही हैं।”
पीएम मोदी ने खुशी जताई कि साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने गुजरात के GIFT सिटी में सहयोग के लिए समझौता किया है। साथ ही उन्होंने बताया कि भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर भी काम तेज़ी से चल रहा है और इस वर्ष के अंत तक समझौता पूरा करने का लक्ष्य है।
साइप्रस के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी का किया स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स का विशेष धन्यवाद किया कि वह उन्हें खुद एयरपोर्ट पर लेने आए और बिज़नेस नेताओं के साथ बैठक का आयोजन किया। उन्होंने कहा, “मैं राष्ट्रपति महोदय का आभार व्यक्त करता हूं कि वे मुझे लेने खुद एयरपोर्ट आए और व्यापारिक नेताओं के साथ बड़ी बैठक रखी।”
ड्रोन बन रहे निर्णायक हथियार, ईरान-इजरायल संघर्ष में बदल रहे युद्ध का चेहरा
16 Jun, 2025 12:13 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन। पहले रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के दौरान, और अब इजरायल और ईरान के बीच लड़ाई में भी ड्रोन की प्रभावी भूमिका स्पष्ट रूप से नजर आ रही है। आकार में छोटा, रडार की पकड़ से दूर और शक्तिशाली हमले करने में सक्षम - ये हमलावर ड्रोन आधुनिक युद्ध में एक बेहद प्रभावी हथियार बन गए हैं।
जब दुश्मन के इलाके के बहुत अंदर से ये लांच किए जाते हैं, जैसा कि इस महीने ईरान और रूस में हुआ, तो उनका प्रभाव और भी विनाशकारी होता है। दुश्मन के इलाके के अंदर से हमला करने वाले ड्रोन को रोकना एक सरप्राइज फैक्टर होता है क्योंकि इसमें आधुनिक तकनीक के साथ-साथ एक कुशल सैन्य रणनीति भी शामिल होती है।
घातक ड्रोन बनाना रणनीति का हिस्सा
अधिकारियों और हथियार विशेषज्ञों का कहना है कि जासूसी और गुप्त ऑपरेशन लंबे समय से युद्ध का हिस्सा रहे हैं। लेकिन, दुश्मन को हैरत में डालने एवं उनके दांत खट्टे करने के लिए घातक ड्रोन बनाना या तैनात करना युद्ध की निरंतर विकसित होती एक नई रणनीति का ही हिस्सा है।
ऐसा ही मामला दो सप्ताह पहले भी सामने आया था जब 40 से अधिक रूसी युद्धक विमानों को 117 ड्रोनों के झुंड ने निशाना बनाया था। उन्हें यूक्रेन ने महीनों पहले रूस के सैन्य ठिकानों के पास गुप्त रूप से लगाया था। इनमें से कुछ यूक्रेन से हजारों मील दूर थे। ईरान में भी यही हुआ था। शुक्रवार को ड्रोन और अन्य हथियारों द्वारा उसके मिसाइलों, इंटरसेप्टर और वायु रक्षा प्रणालियों को ध्वस्त कर दिया गया।
इन ड्रोन को इजराइली खुफिया अधिकारी पहले से ही वहां तस्करी करके लाए थे। हालांकि, खुफिया जानकारी जुटाने के तरीकों और गुप्त सूचना के स्त्रोतों की सुरक्षा के दृष्टिगत गुप्त अभियानों को कैसे अंजाम दिया गया, इसके बारे में कई विवरण अभी भी अस्पष्ट हैं। लेकिन, इजरायल के दृष्टिकोण ने उसे ईरान के खिलाफ अपने व्यापक हमले में बढ़त दिलाई।