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इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर किए हमले
13 Jun, 2025 01:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ रहे तनाव को लेकर ये आशंका थी कि इजरायल ईरान पर जल्द हमला करने वाला है, लेकिन इजरायल ने शुक्रवार सुबह ही ईरान की राजधानी तेहरान में बमबारी कर दी।
इजरायल ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि उसने ईरान पर हमला किया है। इस हमले को लेकर ईरानी मीडिया ने कहा कि तेहरान में विस्फोटों की आवाज सुनाई दी।
इस हमले के बाद इजरायल ने देशभर में इमरजेंसी घोषित कर दी है। इजरायल द्वारा ईरान पर गए हमले के दौरान इजरायल ने ईरानी आर्मी के ठिकानों और उसके न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया है।
ईरान के सेना प्रमुख की मौत
इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने ईरान पर हुए हमले की पुष्टि की है। इसके साथ ही इजरायल के एक रक्षा अधिकारी ने दावा किया है कि इस हमले में ईरान के सेना प्रमुख मोहम्मद बाघेरी और एक प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं।
अपने देश में इमरजेंसी घोषित करने के बाद इजरायल के यरुशलम और अन्य शहरों में सायरन बज रहे हैं। काट्ज ने कहा कि ईरान के जवाबी हमले को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। इसके साथ ही देश में अगले आदेश तक एअर स्पेस बंद कर दिया गया है।
अमेरिका ने अपनी भूमिका साफ की
इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हमले के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि ईरान के खिलाफ इजरायल के हमलों में अमेरिका शामिल नहीं है। साथ ही उन्होंने तेहरान में अमेरिकी हितों य कर्मियों को निशाना न बनाने का आग्रह किया है।
रुबिया ने बयान में कहा, "इजरायल ने ईरान के खिलाफ एकतरफा कर्रवाई की। हम ईरान के खिलाफ हमलों में शामिल नहीं हैं और हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता क्षेत्र में अमेरिकी सेना की सुरक्षा करना है। मैं स्पष्ट कर दूं ईरान को अमेरिकी हितों या कर्मियों को निशाना नहीं बनाना चाहिए।"
नेतन्याहू के हमले के बाद ईरान ने इजरायल और अमेरिका को दी धमकी
13 Jun, 2025 01:17 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ईरान। शुक्रवार सुबह इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान पर बड़ा हमला कर दिया। इस हमले के दौरान इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बनाया है और इस हमले में ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी के मारे जाने की खबर सामने आई है।
ईरान की चेतावनी
इस हमले के बाद ईरान ने कहा कि इजरायल और अमेरिका को इजरायली हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। ईरान के सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल अबोलफजल शेखरची ने सरकारी टीवी से कहा कि शुक्रवार को ईरान पर इजरायली हमले के बाद अमेरिका और इजरायल को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
इजरायल का दावा
वहीं, हमले के बाद इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने हमले की पुष्टि की और इजरायल के एक रक्षा अधिकारी ने दावा करते हुए कहा है कि इस हमले में ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी और एक प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक की भी मौत हुई है।
अपने देश में इमरजेंसी घोषित करने के बाद इजरायल के यरुशलम और अन्य शहरों में सायरन बज रहे हैं। काट्ज ने कहा कि ईरान के जवाबी हमले को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। इसके साथ ही देश में अगले आदेश तक एअर स्पेस बंद कर दिया गया है।
इजरायल के हमले में रिवोल्यूशनरी गार्ड के चीफ की मौत
13 Jun, 2025 01:14 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ईरान में हुए इजरायल के हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ऑफ चीफ हुसैन सलामी समेत टॉप न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स की मौत की खबर सामने आई है। इस हमले में सलामी के अलावा सरदार रशीद (खतम अल अंबिया प्रमुख) और डॉ. फेरीडाउम अब्बासी (परमाणु वैज्ञानिक) समेत कई लोगों की मौत होने की खबर है।
क्या है रिवोल्यूशनरी गार्ड?
इजरायल ने हमले के दौरान ईरान की राजधान तेहरान और उसके आसपास के कई शहरों को भी निशाना बनाया है। बता दें, ईरान का रिवोल्यूशनरी गार्ड एक पावरफुल सेंटर है। यहां से ईरान के बैलिस्टिक मिसाइलों के शस्त्रागार का भी नियंत्रण होता है।
द टाइम्स ऑफ इजरायल के मुताबिक, रिवोल्यूशनरी गार्ड के चीफ के अलावा ईरान के सैन्य प्रमुख मोहम्मद बाघेरी और सेना के कई टॉप अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक इन हमलों में मारे गए।
इजरायल में इमरजेंसी घोषित
शुक्रवार को इजरायल ने बताया कि उसने ईरान पर हमला किया है। ईरानी मीडिया की ओर से भी बताया गया है राजधानी तेहरान में विस्फोटों की आवाज सुनाई दी है। इस बीच इजरायल ने ईरान की ओर से होने वाली जवाबी कार्रवाई के मद्देनजर अलर्ट जारी किया है और देशभर में इमरजेंसी घोषित कर दी है।
न्यूक्लियर प्लांट को बनाया निशाना
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमने ईरान में मुख्य न्यूक्लियर प्लांट को निशाना बनाया है। इसके साथ ही ईरान के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों को टारगेट किया है।
क्या है इजरायल का Operation Rising Lion
13 Jun, 2025 01:11 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले किए। यह हमला गुरुवार रात को हुआ। इस हमले में ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी और एक प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं।
हमले में ईरान के Revolutionary Guards के चीफ कमांडर हुसैन सलामी की भी मौत हो गई है। ईरान की मीडिया ने इसकी पुष्टि की है।
इजरायल को आशंका थी कि ईरान उस पर जल्द ही हमला करने वाला था। इजरायली अधिकारियों ने दावा किया कि ईरान परमाणु बम बनाने के बेहद करीब पहुंच गया था। उसके पास कुछ ही दिनों में 15 परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध थी।
ईरान का उद्देश्य इजरायल को खत्म करना है: नेतन्याहू
इजरायल ने इस कार्रवाई को 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' नाम दिया है। इजरायल ने दावा किया है कि ईरान का उद्देश्य उसके देश के अस्तित्व को खत्म करना है। इजरायल ने अपनी रक्षा के लिए यह कार्रवाई की है।
हमले के बाद इजरायल के सैन्य प्रमुख ने कहा कि देश अपनी सभी सीमाओं पर पूरी तरह से तैयार है। वहीं, इजरायल ने अपने दुश्मनों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, "हम सभी सीमाओं पर तैयार हैं। मैं चेतावनी देता हूं कि जो कोई भी हमें चुनौती देने की कोशिश करेगा, उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।"
वहीं, इस कार्रवाई के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि जब तक इजरायल अपना मिशन पूरा नहीं कर लेता तब तक कार्रवाई जारी रहेगी।
ईरान के परमाणु ठिकानों पर IDF ने किया हमला
द टाइम्स ऑफ इजरायल के मुताबिक, ईरान के इस्फहान के नतांज शहर में विस्फोटों की आवाज सुनी गई है। यह एक परमाणु स्थल है। इस स्थान पर भारी तादाद में यूरेनियम के भंडार हैं।
इस कार्रवाई से हमारा कोई लेना-देना नहीं: अमेरिका
दूसरी ओर अमेरिका का कहना है कि इन हमलों ने उसका हाथ नहीं है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ईरान पर इजरायली हमले के बाद एक बयान में कहा,"आज रात, इजरायल ने ईरान के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की। हम ईरान के खिलाफ हमलों में शामिल नहीं हैं और हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता क्षेत्र में अमेरिकी सेना की सुरक्षा करना है। इजरायल ने हमें सलाह दी कि उसका मानना है कि यह कार्रवाई उसकी आत्मरक्षा के लिए जरूरी थी।"
उन्होंने आगे कहा कि इजरायल ने हमें जानकारी दी कि उनका मानना है कि यह कार्रवाई उसकी आत्मरक्षा के लिए जरूरी थी। राष्ट्रपति ट्रंप और प्रशासन ने हमारी सेनाओं की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं।
बजट 2025: शहबाज शरीफ के घर के खर्च पर करोड़ों, आम आदमी बेहाल
12 Jun, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान में जहां बजट 2025 में टैक्स वसूलने और आम नागरिकों को राहत नहीं देने पर सवाल उठ रहे हैं. वहीं रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के बजट को लेकर नया खुलासा हुआ है. इसके मुताबिक बजट में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके आवास के रखरखाव के लिए करोड़ों रुपए का फंड दिया गया है. सबसे ज्यादा चर्चा शहबाज शरीफ के बावर्ची (खानसामा) की सैलरी को लेकर हो रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक शहबाज शरीफ के बावर्ची को प्रत्येक साल 11 करोड़ रुपए देने के लिए फंड आवंटित किया गया है. अगर महीने में देखा जाए तो यह करीब 90 लाख रुपए प्रतिमाह है. यानी शहबाज के लिए खाना बनाने वाले को हर साल 90 लाख रुपए दिए जाएंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक पहले शहबाज के बावर्ची को प्रत्येक साल 3 करोड़ रुपए देने की व्यवस्था थी. जो महीने के हिसाब से 25 लाख के आसपास है.
बगीचे के रखरखाव के लिए 4.48 करोड़ का फंड
बजट 2026 में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बगीचे के रखरखाव के लिए 4 करोड़ 48 लाख रुपए आवंटित किए गए हैं. यह प्रतिमाह करीब 35 लाख से ज्यादा है. बगीचे के रखरखाव में माली की सैलरी और फूलों का खरीदना शामिल है.
शहबाज के सुरक्षा में अब 86 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च किए जाएंगे. यह पहले 72 करोड़ प्रतिवर्ष था. शहबाज को हाईलेवल सिक्योरिटी मिली हुई है. शहबाज को गाड़ियों के काफिले के लिए 9 करोड़ रुपए दिए गए हैं.
शहबाज इन पैसों से अपने काफिले में नई गाड़ियों को शामिल कर पाएंगे. इसके अलावा पीएम आवास में प्राइमरी डिस्पेंसरी के नाम पर 1.5 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.
शहबाज के आवास में काम करने वाले सरकारी अधिकारियों को तन्खवाह देने के लिए 50 करोड़ पाकिस्तानी रुपए आवंटित किए गए हैं.
पाकिस्तान में बजट पर बवाल जारी है
पाकिस्तान में बजट 2025 को लेकर इमरान खान की पार्टी ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है. इमरान की पार्टी का कहना है कि बजट में न तो किसानों के लिए कुछ है और न ही मध्यमवर्ग के लोगों के लिए. बजट को आईएमएफ के निर्देश पर तैयार किया गया है. इसमें सिर्फ लोगों से टैक्स वसूलने का प्लान है. यह पाकिस्तान की जनता के साथ धोखा है.
इतिहास रचाया! श्रीनिवास मुक्कमला बने एएमए के पहले भारतीय मूल के अध्यक्ष
12 Jun, 2025 02:56 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय मूल के श्रीनिवास मुक्कमला ने अमेरिका में इतिहास रच दिया है। श्रीनिवास अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (एएमए) के अध्यक्ष बन गए हैं, जो संगठन के 178 साल के इतिहास में भारतीय मूल के पहले ऐसे चिकित्सक बने।
8 सेमी के ब्रेन ट्यूमर से लड़ी जंग
मुक्कमला की नियुक्ति 8 सेमी के ब्रेन ट्यूमर को हटवाने के लिए सर्जरी के कुछ ही महीनों बाद हुई है। उन्होंने कहा कि जब मैं मेयो क्लिनिक में ब्रेन सर्जरी से उबरने के लिए लेटा था, ट्यूब और तारे मेरी हर हरकत पर नजर रख रहे थे, तो यह रात, यह सम्मान और स्वास्थ्य सेवा में सुधार का यह अवसर एक बहुत दूर का सपना लग रहा था।
स्वास्थ्य सेवा सुधार पर दिया जोर
मुक्कमला ने अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में बहुत बड़ी खामियां हैं, जिन पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिए हमारे रोगियों के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य कवरेज के लिए लड़ाई जारी रखना महत्वपूर्ण है और एक स्थायी, न्यायसंगत स्वास्थ्य सेवा मॉडल के लिए लड़ाई हम लड़ते रहेंगे।
लंबे समय से एएमए में काम किया
मुक्कमाला ने लंबे समय से एएमए में काम किया है। पेन केयर टास्क फोर्स का भी उन्होंने नेतृत्व किया है और ओवरडोज संकट को संबोधित करने के लिए साक्ष्य-आधारित नीतियां विकसित की हैं।
मुक्कमला ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, भारतीय अप्रवासी डॉक्टरों और अपने गृहनगर फ्लिंट को दिया। उन्होंने अपने माता-पिता, अप्पाराव और सुमति को धन्यवाद देते हुए कहा, "मैं आज यहां उनके सपोर्ट के बिना नहीं आ पाता, जिनका साथ मुझे बचपन से मिला।" वे अपने बच्चों के लिए ऐसे अवसरों की तलाश में अमेरिका आए थे जो भारत में उपलब्ध नहीं थे।
पत्नी भी है डॉक्टर
मुक्कमला ने मिशिगन विश्वविद्यालय से अपनी मेडिकल डिग्री और शिकागो में लोयोला विश्वविद्यालय में रेजीडेंसी पूरी की। उनकी पत्नी नीता कुलकर्णी भी एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, जिनके साथ मुक्कमला मेडिकल प्रेक्टिस के लिए फ्लिंट लौट आए।
दंपति के दो बेटे हैं, निखिल जो बायोमेडिकल इंजीनियर हैं और देवेन जो राजनीति विज्ञान में पीएचडी कर रहे हैं।
तूफान वुटिप से अलर्ट मोड पर चीन, तटीय इलाकों में हाई अलर्ट जारी
12 Jun, 2025 02:50 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दक्षिण चीन सागर में बना एक ट्रॉपिकल डिप्रेशन बुधवार सुबह पहला बड़ा तूफान बन गया है, जिसका नाम है वुटिप. ये तूफान अगले तीन दिनों तक दक्षिण चीन के कई इलाकों में भारी बारिश और तेज हवाओं के साथ तबाही मचा सकता है.
चीन की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (NMC) के मुताबिक, वुटिप शुक्रवार को हाइनान और ग्वांगडोंग के तटीय इलाकों से टकरा सकता है. ये इस साल का पहला तूफान होगा जो चीन की जमीन से टकराएगा.
बाढ़, भूस्खलन का खतरा बढ़ा
हाइनान, ग्वांगडोंग और ग्वांग्शी जैसे दक्षिणी इलाकों में बुधवार से शनिवार तक भारी बारिश और तेज हवाएं चलने की संभावना है. हाइनान के मध्य और पूर्वी हिस्सों में 100 से 150 मिमी तक बारिश हो सकती है. इसके चलते इन क्षेत्रों में बाढ़, भूस्खलन और नदियों के उफान का खतरा बढ़ गया है.
सरकारी तैयारियां जोरों पर
चीन की आपदा प्रबंधन एजेंसियों ने लेवल IV से बढ़ाकर लेवल III अलर्ट जारी कर दिया है. हाइनान और ग्वांगडोंग में बाढ़ और तूफान से निपटने के लिए टीमें भेज दी गई हैं. कई इलाकों में नौका सेवाएं बंद कर दी गई हैं, सैंकड़ों कर्मियों को समुद्री प्लेटफॉर्म्स से हटाकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है.
क्यों अलग है वुटिप?
आंकड़ों के अनुसार, इस साल का पहला तूफान औसत से दो महीने देर से बना है. आमतौर पर पहला तूफान मार्च में बनता है, लेकिन इस बार जून में बना है. हालांकि ये 13 जून को जमीन से टकराएगा, जो औसतन 27 जून के मुकाबले जल्दी है. विशेषज्ञों के मुताबिक, ये देर से आना खेती और मछली पकड़ने के मौसम के लिए बेहतर है, लेकिन अब जब यह बन चुका है, तो पूरी सतर्कता ज़रूरी है.
लोगों को क्या आदेश दिए गए हैं?
मौसम विभाग ने लोगों को चेतावनी दी है कि तूफान के असर वाले इलाकों में पेड़ों को बांधें, ढीले निर्माणों को मज़बूत करें, और स्थानीय प्रशासन की चेतावनियों पर ध्यान दें. समुद्री गतिविधियां पूरी तरह रोक दी गई हैं और लोगों को घरों में सुरक्षित रहने की सलाह दी गई है.
अमेरिका-ईरान तनाव चरम पर, ट्रंप ने राजनयिकों और सैन्य परिवारों को बुलाया वापस
12 Jun, 2025 12:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका और ईरान के बीच संबंध लगातार बिगड़ रहे हैं। परमाणु समझौते पर बातचीत ठप होने के कारण अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्य पूर्व और पश्चिम एशिया से राजनयिकों, सैन्य परिवारों और कुछ कर्मचारियों को वापस बुला लिया है।
ट्रंप ने बढ़ते तनाव का हवाला देते हुए मध्य पूर्व को खतरनाक जगह बताया।
अपने कर्मियों को वापस बुलाया
जब ट्रंप से कर्मियों को वापस बुलाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अमेरिकी कर्मियों को (मध्य पूर्व के कुछ देशों से बाहर निकाला जा रहा है, क्योंकि यह आगे चलकर एक खतरनाक जगह साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि हम इस पर नजर बनाए हुए हैं और हमने नोटिस जारी कर दिया है।
ईरान को परमाणु हथियार नहीं रखने देंगेः ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति से जब पूछा गया कि क्या मध्यपूर्व में तनाव कम करने के लिए कुछ किया जा सकता है, तो ट्रंप ने कहा कि उनके पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते और न हम इसकी अनुमति देंगे। यहां वो ईरान का जिक्र कर रहे थे।
दूतावास को खाली करने की तैयारी
राष्ट्रपति ट्रंप ने राजनायिकों और कर्मियों को वापस बुलाने की पुष्टि रायटर की रिपोर्ट आने के बाद की है, जिसमें कहा गया कि अमेरिका इरान में अपने दूतावास को आंशिक रूप से खाली करने की तैयारी कर रहा है और अन्य सैन्य कर्मियों को भी सुरक्षा जोखिमों के कारण मध्य-पूर्व में स्थानों को छोड़ने की अनुमति दे रहा है।
ये आदेश ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि इजरायल, जो अभी गाजा के साथ युद्ध लड़ रहा है, ईरान में परमाणु सुविधाओं पर हमला करने की तैयारी कर रहा है।
ईरान परमाणु हथियार बनाने के करीब?
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने पुष्टि की है कि ईरान रुके हुए परमाणु समझौते के बीच परमाणु हथियार बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
4.7 तीव्रता के भूकंप से पाकिस्तान में दहशत, लोग घरों से बाहर निकले
12 Jun, 2025 10:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पेशावर। पाकिस्तान के पेशावर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। पेशावर के निवासियों को हल्के भूकंप के झटके महसूस हुए, भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.7 मापी गई। जियो न्यूज ने भूकंप विज्ञान केंद्र के हवाले से बताया कि बुधवार को पेशावर के निवासियों को हल्के भूकंप से झटका लगा, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.7 मापी गई।
भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वत में 211 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। भूकंप के बाद तत्काल किसी नुकसान या हताहत की कोई जानकारी नहीं मिली है।
एक महीने बाद आया भूकंप
यह भूकंप इस्लामाबाद और मर्दन, स्वात, नौशेरा, स्वाबी और उत्तरी वजीरिस्तान सहित खैबर पख्तूनख्वा के कुछ हिस्सों में आए 5.3 तीव्रता के भूकंप के लगभग एक महीने बाद आया है। जियो न्यूज ने बताया कि उस भूकंप का केंद्र भी हिंदू कुश क्षेत्र में 230 किलोमीटर की गहराई पर था, जिसका निर्देशांक 36.63 एन और देशांतर 71.13 ई दर्ज किया गया था। इससे पहले अप्रैल में, पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में दो और भूकंप आए थे।
क्यों आता है बार-बार भूकंप?
भारतीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट में उत्तर की ओर धकेलने से इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते हैं। यूरेशियन प्लेट में भारतीय प्लेट के उत्तर की ओर धकेले जाने के कारण इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते हैं।
इस बीच, जियो न्यूज ने इस बात पर भी जोर दिया कि कराची के बंदरगाह शहर में हाल के दिनों में लगभग 30 हल्के भूकंप आए हैं। मुख्य मौसम विज्ञानी आमिर हैदर ने बताया कि लांधी फॉल्ट लाइन दशकों के बाद एक्टिव हुई है और वर्तमान में सामान्यीकरण के फेस से गुजर रही है।
कनाडा में 50 मिलियन डॉलर की ड्रग्स जब्त, भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले दबोचे गए
12 Jun, 2025 09:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कनाडा में नार्को-आतंकवादी नेटवर्क और खालिस्तानी समर्थक व्यक्तियों का भंडाफोड़ किया गया है। कनाडा की पील पुलिस ने प्रोजेक्ट पेलिकन के तहत कार्रवाई करते हुए अब तक की सबसे बड़ी ड्रग जब्ती की है।
पुलिस ने 479 किलोग्राम कोकीन बरामद की है, जिसकी कीमत 47.9 मिलियन डॉलर है। पील पुलिस ने कनाडा में बसे सात भारतीय मूल के लोगों सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया है।
आरोपी कैसे करते थे अपना धंधा?
पील पुलिस ने बताया कि जांच में पता चला है कि नेटवर्क ने अमेरिका से कनाडा तक के वाणिज्यिक ट्रकिंग मार्गों को फायदा उठाया और उसके संबंध मैक्सिकन कार्टेलों और अमेरिका स्थित डिस्ट्रीब्यूटरों से थे।
पील पुलिस ने बताया कि कुल 479 किलोग्राम ब्रिक्ड कोकेन जिसकी कीमत लगभग 47.9 मिलियन डॉलर है, जब्त की गई। साथ ही दो अवैध लोडेड सेमी-ऑटोमैटिक हैंडगन भी जब्त की गई। ब्रैम्पटन में ओंटारियो कोर्ट ऑफ जस्टिस में जमानत की सुनवाई के लिए आरोपियों को पेश किया गया था।
प्रोजेक्ट पेलिकन की प्रशंसा
ओंटारियो के सॉलिसिटर जनरल माइकल एस केर्ज़नर ने ऑपरेशन की प्रशंसा करते हुए कहा, "प्रोजेक्ट पेलिकन इस बात का सबूत है कि जब पुलिस के पास हमारे लोगों को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक उपकरण और संसाधन हों, तो वह क्या हासिल कर सकती है।"
सूत्रों के अनुसार, मादक पदार्थ की तस्करों से होने वाली कमाई का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा था, जिसमें विरोध प्रदर्शन और लोगों को इकट्ठा करने के अलावा हथियाओं के लिए पैसे मुहैया कराना शामिल था।
खुफिया सूत्रों ने समर्थित एक योजना की ओर इशारा किया है, जिसके तहत कनाडा में खालिस्तानी समूहों को उच्च मूल्य वाली मैक्सिकन कोकीन की तस्करी के लिए धन मुहैया कराया जा रहा है।
कौन-कौन हुआ गिरफ्तार?
टोरंटो निवासी 31 वर्षीय साजिथ योगेंद्रराजा, बैम्पटन निवासी 44 वर्षीय मनप्रीत सिंह, हैमिल्टन निवासी 39 वर्षीय फिलिप टेप, ब्रैम्पटन निवासी 29 वर्षीय अरविंदर पोवार, कैलेडन निवासी 36 वर्षीय गुरतेज सिंह, कैम्ब्रिज निवासी 27 वर्षीय सरताज सिंह, जॉर्जटाउननिवासी , 31 वर्षीय शिव ओंकार, मिसिसॉगा निवासी 27 वर्षीय हाओ टॉमी हुइन्ह
पिछले साल भी हुई थी गिरफ्तारी
पिछले दिसंबर में, भारतीय मूल के दो कनाडाई नागरिकों को तब गिरफ्तार किया गया था जब अमेरिका की इलिनोइस पुलिस ने उनके वोल्वो ट्रक से 1 हजार पाउंड से अधिक की कोकीन बरामद की थी।
इससे जांचकर्ताओं को ISI से जुड़े तस्करी के बारे में पता चला, जो अफगानिस्तान में अवैध अफीम की खेती को संरक्षण दे रहा था, ताकि तालिबान को अमेरिकी और अफगान सैनिकों से लड़ने में मदद मिल सके।
शादी के 21 साल बाद शक ने ली जान: पिता ने चार बच्चों संग ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या की
11 Jun, 2025 06:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिल्ली से सटे फरीदाबाद में एक दर्दनाक हादसा सामने आया है जहां पर एक चार बच्चों के पिता ने अपने बच्चों के साथ ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली. पति अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था जिसके चलते उसने अपने चार मासूम बच्चों के साथ यह खौफनाक कदम उठाया है. घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने पांचों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है और आगे की कार्रवाई की जा रही है.
फरीदाबाद के बल्लभगढ़ से होकर गुजर रहे रेलवे ट्रैक पर बिहार के रहने वाले पिता मनोज महतो ने अपने चारों बच्चों के साथ खुदकुशी कर ली है. घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर जीआरपी थाना फरीदाबाद के SHO राजपाल, एसीपी राजेश चेची के साथ अन्य पुलिस बल पहुंचा. जहां से पांचों के शवों को कब्जे में लेकर पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए फरीदाबाद की बादशाह खान सिविल अस्पताल भिजवा दिया.
मृतक मनोज महतो की पत्नी ने बताया कि वह अपने एक रिश्ते में लगने वाले भाई से फोन पर बात कर रही थी लेकिन उसके पति ने गलत समझा उसे लगा कि वह किसी और से बात करती है. बस इसी को लेकर उसने बच्चों समेत इतना बड़ा कदम उठा लिया.
चरित्र पर करता था शक
जीआरपी थाना एसएचओ राजपाल ने बताया कि जैसे ही उन्हें घटना की जानकारी मिली वह तुरंत अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गईं. जानकारी मिलने के बाद एसीपी राजेश चेची भी मौके पर पहुंचे थे. मृतक की जेब से एक फोन नंबर बरामद हुआ जो मृतक की पत्नी का था. जिसके चलते मृतक की पत्नी से संपर्क हो पाया और उसकी पत्नी कुछ ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गई. उन्होंने बताया कि मृतक मनोज अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता था.
पार्क में घुमाने के बहाने बच्चों को लाया
अपने बच्चों को पार्क में घुमाने के बहाने लेकर आया था और गोल्डन टेंपल ट्रेन के सामने आत्महत्या कर ली. फिलहाल मृतक के परिजनों को इसकी सूचना दे दी गई है. मृतक के परिजनों के आने के बाद पोस्टमार्टम करवाया जाएगा.
X पर एलन मस्क की सफाई, ट्रंप से जुड़ी टिप्पणी पर जताया खेद
11 Jun, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्पेसएक्स और टेस्ला के CEO एलन मस्क और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है। एलन मस्क ने पिछले हफ्ते X पर लिखी अपनी पोस्ट पर खेद जताया है। यह पोस्ट डोनाल्ड ट्रंप पर लिखी गई थी। एलन मस्क ने अपने X हैंडल पर एक नई पोस्ट लिखी है, जिसमें मस्क ने लिखा कि मैं पिछले सप्ताह लिखी गई अपनी कुछ पोस्ट को लेकर खेद प्रकट करता हूं। विवाद कुछ ज्यादा ही दूर चला गया था।
क्यों हुआ दोनों के बीच विवाद?
बता दें कि एलन मस्क ने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) के चीफ के पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद ही दोनों के बीच जुबानी जंग छिड़ी। एलन मस्क ने डोनाल्ड ट्रंप के खर्च और टैक्स कटौती वाले विधेयक पर सवाल उठाया। विधेयक को ट्रंप ‘One Big Beautiful Bill’ कह रहे हैं, लेकिन इस विधेयक की मस्क ने कड़ी आलोचना की। ट्रंप ने भी मस्क की आलोचना का कड़ा जवाब दिया। ट्रंप ने एक पोस्ट लिखकर आलोचना का जवाब देते हुए मस्क को बिल के बारे में बताया।
उन्होंने एलन को बताया कि बिल में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) की सब्सिडी में कटौती का प्रावधान है, लेकिन मस्क ने X पर पोस्ट लिखकर पलटवार किया। मस्क ने ट्रंप से कहा कि बिल का ड्राफ्ट उन्हें कभी दिखाया नहीं गया। मस्क ने X पर पोस्ट लिखकर ट्रंप के इंपीचमेंट (महाभियोग) का समर्थन भी किया। हालांकि इस पोस्ट को बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया था, लेकिन विवाद इतना बढ़ गया था कि मस्क ने ट्रंप के जेफरी एपस्टीन से संबंधों का जिक्र कर डाला, जिसे ट्रंप ने पुराना और झूठा मुद्दा बताया।
ट्रंप की मस्क को खुली धमकी
विवाद बढ़ा तो डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क को खुली धमकी दे दी। उन्होंने कहा कि वे एलन मस्क की कंपनियों खासकर SpaceX के साथ सरकारी ठेकों और सब्सिडी खत्म करने का फैसला ले सकते हैं। NBC न्यूज को दिए एक टेलीफोनिक इंटरव्यू डोनाल्ड ट्रंप ने दिया था, जिसमें उन्होंने का दिया था कि मस्क के साथ उनका रिश्ता खत्म हो चुका है। अगर मस्क ने डेमोक्रेटिक के उम्मीदवारों को फंडिंग की तो रिपब्लिकन पार्टी के टैक्स बिल का विरोध करने वालों को गंभीर परिणाम झेलने होंगे।
ISI समर्थित खालिस्तानी संगठनों की कनाडा में मौजूदगी से भारत-कनाडा रिश्तों में दरार
11 Jun, 2025 03:34 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कनाडा में कई खालिस्तानी संगठन सक्रिय हैं, जो भारत के खिलाफ अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं. सिख फॉर जस्टिस (SFJ), खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF), खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF), खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) और खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) जैसे संगठन विदेशों से भारत में अशांति फैलाने का प्रयास करते हैं. ये ग्रुप पाकिस्तान की ISI से समर्थन प्राप्त करते हैं और कनाडा, यूके, जर्मनी जैसे देशों में अपना नेटवर्क फैलाए हुए हैं.
भारत सरकार ने इन सभी को UAPA के तहत प्रतिबंधित किया है, लेकिन ये संगठन विदेशी धरती से भारत-विरोधी प्रचार और हिंसक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. हाल ही में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत-कनाडा संबंधों में तनाव भी बढ़ा है.
सिख फॉर जस्टिस
सिख फॉर जस्टिस (SFJ) एक अमेरिकी आधारित अलगाववादी संगठन है जिसकी स्थापना 2007 में वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू ने की थी. यह समूह भारत के पंजाब क्षेत्र से अलग होकर एक स्वतंत्र सिख राष्ट्र खालिस्तान के निर्माण की वकालत करता है. SFJ ने खालिस्तान आंदोलन के लिए सिख प्रवासियों के बीच समर्थन जुटाने के उद्देश्य से “रेफ़रेंडम 2020” नाम अपने नापाक कृत्यों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करता रहा है.
भारत सरकार ने जुलाई 2019 में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत SFJ पर प्रतिबंध लगा दिया. सरकार ने इसमें राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में इसकी संलिप्तता का हवाला दिया गया. साल 2020 में, एक न्यायाधिकरण ने प्रतिबंध को बरकरार रखा और 2024 में भारत सरकार ने इसे और 5 साल के लिए बढ़ा दिया है. इस ग्रुप के सरपस्त गुरपतवंत सिंह पन्नून को भी भारत ने आतंकवादी घोषित किया है.
SFJ को फर्ज़ी जनमत संग्रह करवाना, भारतीय दूतावासों पर विरोध प्रदर्शन करने और डिजिटल प्रचार में करके भारत और पूरी दुनिया में रह रहे सिक्खों को भड़कान के लिए जाना जाता है. हालांकि इस संगठन पर कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में प्रतिबंध नहीं है. भारत समय-समय पर कूटनीतिक दबाव बनाता रहता है. हालांकि SFJ कानूनी और राजनीतिक सक्रियता के माध्यम से अहिंसक मार्ग पर चलने का दावा करता है, लेकिन भारत में कई अपराधों में उसका नाम आता रहता है. भारत में कई कानूनी कार्रवाइयों और सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित है, लेकिन SFJ विदेशों में सिख समुदायों के लोगों में भारत विरोध प्रचार करता रहता, खासकर उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में.
खालिस्तान लिबरेशन फोर्स
SFJ की तरह खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF) भी प्रतिबंधित सिख उग्रवादी संगठन है, जो भारत से अलग होकर सिखों के लिए एक अलग देश की मांग करता है. 1980 के दशक में केएलएफ पंजाब में उग्रवाद काल के दौरान सबसे सक्रिय विद्रोही समूहों में से एक के रूप में उभरा था.
केएलएफ को भारत में राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के खिलाफ हत्या, बम विस्फोट और हमलों सहित कई आतंकवादी कृत्यों संलिप्त पाया गया है. इनके गुर्गों के कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं में भी हाथ थे. इसे पंजाब में अलगाववादी हिंसा को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदारों में से माना जाता था.
पिछले कुछ वर्षों में इस संगठन को अलग-अलग लोगों ने चलाया है, इनमें हरमिंदर सिंह मिंटू भी शामिल है, मिंटू को 2014 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जेल में उसकी मृत्यु हो गई थी. एक अन्य केएलएफ का सरगना हरमीत सिंह उर्फ पीएचडी है, जिसकी साल 2020 में रहस्यमय परिस्थितियों में पाकिस्तान में मारा गया था.
भारत सरकार ने केएलएफ को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित कर दिया है. भारत सरकार ने इस समूह को आतंकवादी गतिविधियों में इसकी शामिल और विदेश में भारत विरोधी नेटवर्क के साथ संबंधों में संलिप्त पाया गया है. सुरक्षा एजेंसियों ने इसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) से समर्थन प्राप्त करने के आरोप लगे हैं. इसपर सोशल मीडिया प्रचार और भर्ती अभियानों से पंजाब में उग्रवाद को पुनर्जीवित करने का प्रयास करने के का काम करने की कोशिशें की हैं.
आधिकारिक प्रतिबंध के बावजूद केएलएफ गुप्त रूप से अपने देश विरोधी गतिविधियों को जारी रखता है. इसके प्रवासी-आधारित समर्थक और वित्तीय नेटवर्क कथित तौर पर कनाडा, यूके और जर्मनी जैसे देशों में सक्रिय हैं.
खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स
खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स भारत में प्रतिबंधित सिख उग्रवादी संगठन है जो खालिस्तान की स्थापना के मनसूबे पाले रखता है. 1980 के दशक में अस्तित्व में आए इस संगठन के चलते पंजाब में अलगाववादी को बढ़ावा मिला था. यह संगठन भारत और विदेशों में हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा है.
KZF की स्थापना जम्मू के एक उग्रवादी रंजीत सिंह नीटा ने की थी, जो बाद में पाकिस्तान भाग गया. आरोप यह भी है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) से समर्थन मिला. वह भारत के वांडेट आतंकवादियों में से एक है. यह संगठन बम विस्फोट, लक्षित हत्याएँ, सीमा पार से हथियारों की तस्करी, स्लीपर सेल और विदेशी फंडिंग का उपयोग करके पंजाब में उग्रवाद को फिर से पुनर्जीवित करने के प्रयास करता रहता है.
पिछले कुछ वर्षों में, KZF ने भारत के बाहर अपने अपने पांव पसारे हैं. इस संगठन का नेटवर्क जर्मनी, कनाडा, यूके और मलेशिया में सक्रिय हैं. हाल के कुछ वर्षों में समूह ने पाकिस्तान से भारतीय क्षेत्र में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करता रहता है. साल 2019 में, पंजाब में KZF के जुड़े बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया था और हथियारों और विस्फोटकों के जखीरे के साथ कई गुर्गों को गिरफ्तार किया गया था. जांच से पता चला कि मॉड्यूल को जर्मनी और पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था. भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत KZF पर प्रतिबंध लगा दिया है. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खुफिया सहयोग के माध्यम से इसकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रख रही है.
खालिस्तान टाइगर फोर्स
खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) हिंसक और चरमपंथी तरीकों से खालिस्तान के निर्माण की वकालत करता है. इसलिए भारत में प्रतिबंधित किया गया है. पंजाब में अलगाववाद के दौरान हत्याओं, युवाओं की भर्ती और हथियारों और विस्फोटकों की सीमा पार तस्करी समेत कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है. इस संगठन को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) का करीबी समर्थन प्राप्त है.
KTF के सबसे प्रसिद्ध नेताओं में से एक भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर था. निज्जर पर भारतीय अधिकारियों ने कई हिंसक वारदातों में शामिल होने और सिख युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का आरोप लगाया था. निज्जर को जून 2023 में कनाडा में गोली मार दी गई थी जिसके बाद भारत और कनाडा के बीच एक बड़ी कूटनीतिक दरार पैदा हो गई थी.
KTF कनाडा, यूके, जर्मनी और मलेशिया में सक्रिय है और विदेशों में स्थित खालिस्तानी संगठनों के एक नेटवर्क का बड़ा हिस्सा है. ये संगठन डिजिटल प्रचार, सोशल मीडिया अभियान और प्रवासी समुदायों के बीच धन उगाही का उपयोग करके अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करते हैं. भारत सरकार ने केटीएफ को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक आतंकवादी संगठन के रूप में चिन्हित किया है. और वैश्विक स्तर पर इसकी गतिविधियों की निगरानी जारी रखी है.
खालिस्तान कमांडो फोर्स
खालिस्तान कमांडो फोर्स भी उन संगठनों में है जिसका उदय और विस्तार 1980 के दशक के हुआ था. पंजाब में अलगाववादी आंदोलन फायदा उठाते हुए ये सिख समुदाय में जड़े जमाने में कामयाब रहा था. यह संगठन पिछले 45 सालों से खालिस्तान का राग अलाप रहा है. इसकी स्थापना मनबीर सिंह चहेरू ने की थी और बाद में इसकी कमान परमजीत सिंह पंजवार ने पास आ गई. मई 2023 में पाकिस्तान के लाहौर में मारे जाने वही उसे चला रहा था. इस समूह ने कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं, बम विस्फोटों, जबरन वसूली और सुरक्षा बलों पर हमलों जैसी कुख्याति वारदातों को अजाम दिया है.
यह संगठन पंजाब में अलगाववाद के दौरान सबसे घातक संगठनों में से एक था. इसने 1980 और 1990 के दशक में राज्य में फैली हिंसा में सक्रिता दिखाई थी. KCF सरकारी अधिकारियों और नागरिकों, विशेष रूप से खालिस्तान आंदोलन का विरोध करने वालों को निशाना बनाने के लिए जिम्मेदार था.
1990 के दशक के बाद से देश में इसकी कार्रवाई पर नकेल कसी गई है, लेकिन यह संगठन विदेशों में सक्रिय है. इसका नेटवर्क पाकिस्तान, कनाडा, जर्मनी और यूके में सक्रिय है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि इस संगठन को पाकिस्तान की आईएसआई से समर्थन प्राप्त है. भारत सरकार ने केसीएफ को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया है. इसके कई नेताओं को आतंकवादी तक घोषित किया गया है
स्पेन का पुरातात्विक चमत्कार: 3,000 साल पुरानी जूलरी ने बदला इतिहास का नजरिया
11 Jun, 2025 12:39 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Spain Villena Treasure: स्पेन के एलिकांटे में स्थित विलेना के खजाने में अब तक की सबसे रहस्यमयी खोजों में से एक सामने आई है. इस खजाने से दो लोहे जैसी वस्तुएं एक कंगन और एक छोटी गोल आकार की ज्वेलरी मिली है. ये लोहा नहीं बल्कि उल्कापिंड से मिली धातु से बनी है. यह खोज न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व की दृष्टि से भी बेहद जरूरी माना गया है.
यह धातु धरती पर मौजूद सामान्य खनिजों से अलग है. इसमें निकेल की मात्रा ज्यादा पाई गई, जो अंतरिक्ष से गिरे उल्कापिंडों की विशेषता होती है. इससे यह प्रमाणित होता है कि यह धातु स्वाभाविक रूप से पृथ्वी पर नहीं पाई जाती. विलेना के खजाने की ये कलाकृतियां लगभग 1400 से 1200 ईसा पूर्व के बीच की मानी जाती हैं. यह उस समय की हैं, जब इबेरियन लौह युग की शुरुआत हुई थी, जो कि 850 ईसा पूर्व के आसपास करीब 500 वर्ष पहले का है.
प्राचीन आइबेरियन लोगों की खासियत
इस खोज से यह संकेत मिलता है कि प्राचीन आइबेरियन लोग उल्कापिंड से परिचित हो चुके थे. उन्होंने उस धातु को पहचाना और उसे धार्मिक या प्रतीकात्मक महत्व प्रदान किया. उन्होंने इतनी शुरुआती अवस्था में धातु को आकार देने की तकनीक विकसित कर ली थी. यह प्राचीन Metallurgy के इतिहास को दोबारा परिभाषित करता है और दर्शाता है कि वे लोग केवल धरती पर मौजूद संसाधनों तक सीमित नहीं थे.
उल्कापिंड लोहे का प्रयोग
इतिहास में अन्य स्थानों पर भी उल्कापिंड से बनी वस्तुएं मिली हैं, जैसे कि मिस्र के तूतनखामेन का खंजर प्राचीन चीन और मेसोपोटामिया में उल्का पिंड लोहे से बने शस्त्र. इस तरह से देखा जाए तो विलेना की यह खोज दर्शाती है कि स्पेन के प्राचीन समाजों में भी उल्कापिंड की धातु को धार्मिक, अनुष्ठानिक और सामाजिक दृष्टिकोण से विशेष माना गया होगा. यह संभव है कि इन वस्तुओं का इस्तेमाल समाज के कुलीन वर्ग की तरफ से किया जाता रहा हो.
वैज्ञानिक विश्लेषण की पुष्टि
इस खोज को सही तरीके से जांच करने के लिए मास स्पेक्ट्रोमेट्री (Mass Spectrometry) जैसे मॉर्डन वैज्ञानिक टेस्ट का इस्तेमाल किया गया. स्पेन के राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय के विशेषज्ञ साल्वाडोर रोविरा-लोरेंस के नेतृत्व में किए गए विश्लेषणों ने इन वस्तुओं की उत्पत्ति को स्पष्ट किया कि जिसमें निकेल की अत्यधिक मात्रा थी साथ में कोबाल्ट भी पाया है. यह खोज Trabajos de Prehistoria में प्रकाशित की गई है और इसे भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक माना जा रहा है, जिससे अन्य धात्विक वस्तुओं पर भी बिना हानि पहुंचाए परीक्षण किए जा सकें.
बांग्लादेश में ईद-उल-अजहा पर रिकॉर्ड तोड़ कुर्बानी, बकरों से आगे निकलीं गायें
11 Jun, 2025 10:28 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूरी दुनिया में 6 से 7 जून को ईद-उल-अजहा के मौके पर करोड़ों पशुओं की कुर्बानी की गई. बांग्लादेश के मत्स्य पालन और पशुधन मंत्रालय के डेटा के मुताबिक देश में इस ईद पर 91 लाख से ज्यादा पशुओं की कुर्बानी की गई है. इसमें हैरान करने वाली बात ये है कि बांग्लादेश में बकरों या किसी ओर जानवर से ज्यादा गायों की कुर्बानी की गई है.
पूरी दुनिया में 6 से 7 जून को ईद-उल-अजहा के मौके पर करोड़ों पशुओं की कुर्बानी की गई. बांग्लादेश के मत्स्य पालन और पशुधन मंत्रालय के डेटा के मुताबिक देश में इस ईद पर 91 लाख से ज्यादा पशुओं की कुर्बानी की गई है. इसमें हैरान करने वाली बात ये है कि बांग्लादेश में बकरों या किसी ओर जानवर से ज्यादा गायों की कुर्बानी की गई है.
कहां कितनी हुई कुर्बानी?
बांग्लादेश में सबसे ज्यादा कुर्बानी राजशाही डिवीजन में हुई, जहां 23.24 लाख पशुओं की बलि दी गई, जबकि दूसरे स्थान पर ढाका में 21.85 लाख पशुओं की बलि दी गई. इसके अलावा चटगांव में 17.53 लाख, रंगपुर डिवीजन में 9.64 लाख और खुलना में 8.04 लाख पशुओं को कुर्बान किया गया. देश के कम कुर्बानी वाले इलाकों में बारिसाल डिवीजन 4.7 लाख, वहीं सबसे कम संख्या मयमनसिंह डिवीजन में 3.83 लाख और सिलहट डिवीजन में 3.19 लाख के साथ शामिल हैं.
ईद उल अजहा पर कुर्बानी
ईद उल अजहा के मौके पर 3 दिन तक ‘संपन्न’ मुसलमानों द्वारा पशुओं की बलि दी जाती है. इस दिन मुसलमान अल्लाह के लिए पैगम्बर इब्राहिम की कुर्बानी को याद करते हुए जानवरों की कुर्बानी करते हैं. कुर्बान किए जाने वाले जानवरों में भेड़, बकरी, भैंस, गाय, ऊट आदि जानवर आते हैं. ईद के पहले दिन की शुरुआत सुबह में ईद की नमाज से होती है, फिर अगले तीन तक जानवरों की कुर्बानी की जाती है और उसका गोश्त गरीबों रिश्तेदारों में बांटा जाता है.