व्यापार
25 महत्वपूर्ण खनिजों पर सीमा शुल्क पूरी तरह हटाने का ऐलान
25 Jul, 2024 01:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । अपने बजट 2024 भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोबाल्ट, लिथियम और तांबे सहित 25 महत्वपूर्ण खनिजों पर सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) पूरी तरह हटाने का ऐलान किया है। 2024 में देश के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए यह बड़ी घोषणा की गई है। सीमा शुल्क छूट के अलावा, मंत्री ने इनमें से दो खनिजों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) में कटौती की भी घोषणा की। अपने बजट भाषण में सीतारमण ने कहा कि ये महत्वपूर्ण खनिज और दुर्लभ मृदा तत्व परमाणु ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष, रक्षा, दूरसंचार और उच्च तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं। सीतारमण ने कहा, “…इससे (छूट से) ऐसे खनिजों के प्रसंस्करण और शोधन को बढ़ावा मिलेगा तथा इन रणनीतिक और महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।”
बता दें कि सीमा शुल्क के हटने से देश में लिथियम आयन बैटरी का उत्पादन सस्ता हो जाएगा। लिथियम आयन बैटरी को बनाने में मुख्य तौर पर दो घटकों- लिथियम और कोबाल्ट का उपयोग होता है। सीमा शुल्क के हटने से इनकी कीमतों में कमी आएगी जिससे लिथियम बैटरी से चलने वाले कार, बाइक और स्कूटर के भी सस्ते होने की उम्मीद है। इसका फायदा देश में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वाले लाखों ग्राहकों को होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों के अलावा बैटरी से चलने वाले ड्रोन की भी कीमतों में कमी आएगी।
आईटी कंपनियों के सबसे ज्यादा महंगे सीईओ एचसीएल के सी विजयकुमार
25 Jul, 2024 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। एचसीएल टेक्नोलॉजीज के सीईओ सी विजयकुमार के पास न तो आईआईटी की डिग्री है और न ही वह कभी आईआईएम गए लेकिन वह भारतीय आईटी कंपनियों के सबसे ज्यादा सैलरी लेने वाले सीईओ बन गए हैं, उनकी सैलरी की तुलना में देश में कोई भी आईटी कंपनी का सीईओ नहीं है। 22 जुलाई को कंपनी की सालाना रिपोर्ट जारी हुई इसमें विजयकुमार 2024 में भारतीय आईटी कंपनियों के सबसे महंगे सीईओ हैं। विजयकुमार का सालाना आधार पर पैकेज 190.75 फीसदी बढ़कर 84.16 करोड़ रुपए रहा है।
कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक विजयकुमार को 19.6 लाख डॉलर (16.39 करोड़ रुपए) की बेसिक सैलरी और 11.4 लाख डॉलर (तकरीबन 9.53 करोड़ रुपए) का परफॉर्मेंस लिंक्ड बोनस मिला। बाकी रकम उन्हें लॉन्ग टर्म इंसेंटिव, लॉन्ग टर्म कैश इंसेंटिव, बेनिफिट्स, भत्ते, स्टॉक यूनिट्स आदि के तौर पर दी गई। उनका पैकेज कंपनी के कर्मचारी की औसत सैलरी का 707.46 गुना है।
दूसरे स्थान पर इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख थे, जिनकी सेलरी 66.25 करोड़ रुपए है, तीसरे नंबर पर विप्रो के सीईओ श्रीनिवास पल्लिया थे, जिन्हें तकरीबन 50 करोड़ रुपए सैलरी मिलती है। टीसीएस के सीईओ के. कृतिवासन की अधिकतम बेसिक सैलरी 1.9 करोड़ रुपए सालाना रही। शेयरधारकों को लिखे पत्र में विजयकुमार ने कहा है कि बीते वित्त वर्ष में हमारा रेवेन्यू सालाना 5.4 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 13.3 अरब डॉलर रहा। हमारी रेवेन्यू ग्रोथ टीयर-1 ग्लोबल आईटी सर्विस कंपनियों में सबसे ज्यादा है और संबंधित अवधि में हमारा इबिट मार्जिन 18.2 फीसदी था।
भारत ही नहीं दुनिया के कई देश झेल रहे महंगाई की मार, अर्जेंटीना टॉप-10 में सबसे ऊपर
24 Jul, 2024 07:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। महंगाई की मार भारत के लोग ही नहीं दुनिया भर के लोग झेल रहे हैं। दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत में यह कम है। महंगाई की मार झेल रहे देशों में सबसे ऊपर अर्जेंटीना है। अर्जेंटीना में महंगाई दर 272 फीसदी है। हाल ही में वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दुनियाभर के देशों में महंगाई की एक लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट के टॉप-10 देशों में अर्जेंटीना, सीरिया, तुर्की, लेबनान, वेनेजुएला, नाइजीरिया, मिस्र, पाकिस्तान, बांग्लादेश और रूस शामिल हैं।
इस सूची में अर्जेंटीना के बाद सीरिया दूसरे नंबर पर है। सीरिया में महंगाई की दर 140 फीसदी है। तीसरे नंबर पर तुर्की आता है, जहां महंगाई दर 71.6 फीसदी है फिर लेबनान में 51.6 फीसदी, वेनेजुएला में 51.4 फीसदी, नाइजीरिया में 34.19 फीसदी, मिस्र में 27.5 फीसदी, पाकिस्तान में 12.6 फीसदी बांग्लादेश में 9.72 फीसदी और रूस 8.6 फीसदी महंगाई दर है।
इस सूची में भारत 13वें नंबर पर आता है, जहां महंगाई दर 5.08 फीसदी है। इस लिस्ट में टॉप पर मौजूद देश अर्जेंटीना में महंगाई का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि यह भारत के मुकाबले करीब 60 गुना है। भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश इस सूची में टॉप-10 में शामिल है। पाकिस्तान की महंगाई दर भारत से करीब ढाई गुना ज्यादा है। बता दें कि महंगाई बाजार की वह अवस्था होती है जिसमें गुड्स एंड सर्विसेज की कीमतें लगातार बढ़ती जाती हैं। ऐसे में कम चीजों को खरीदने के लिए ज्यादा करेंसी खर्च करनी पड़ती है।
बाजार में जल्द आएगी सिट्रोएन की बसाल्ट
24 Jul, 2024 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । सिट्रोएन काफी समय से अपनी नई एसयूवी बसाल्ट को लेकर चर्चा में है। कंपनी अब बहुत जल्द गाड़ी को लांच करने वाली है। हाल ही में सिट्रोएन बसाल्ट का टीजर जारी हुआ है, जिसमें इसके एक्सीटियर और इंटीरियर की झलक देखने को मिल रही है। वीडियो में सिट्रोएन बसाल्ट के एक्सटीरियर में एलईडी डीआरएल और प्रोजेक्टर हेडलैंप्स दिए गए हैं। वहीं इंटीरियर में इंफोटेनमेंट सिस्टम, इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर और एसी यूनिट की झलक देखने को मिल रही है। गाड़ी में 10.2 इंच का इंफोटेनमेंट सिस्टम, डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर, सी-शेप एसी वेंट्स, लैदरेट सीट्स, ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल, टॉगल स्विच और रोटरी डायल जैसे फीचर्स मिलने वाले हैं। इस अपकमिंग गाड़ी में भी 1.2 लीटर का तीन सिलेंडर इंजन मिल सकता है। इसके अलावा इसमें टर्बो इंजन का विकल्प भी दिया गया है, जिससे इसके मैनुअल वेरिएंट को 110 पीएस की पावर के साथ 190 न्यूटन मीटर का टॉर्क मिलेगा। वहीं छह स्पीड ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाले वेरिएंट से 110 पीएस की पावर और 205 न्यूटन मीटर का टॉर्क मिल सकता है।
कुर्सी बचाने वाला बजट बताने पर विपक्ष पर भड़की वित्त मंत्री सीतारमण
24 Jul, 2024 05:02 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राज्यसभा में कांग्रेस को दे डाली चुनौती कहा-आप अपने हर बजट का भाषण दिखाएं
नई दिल्ली। मंगलवार को देश सदन में देश का आम बजट वित्त मंत्री सीतारमण ने पेश किया था। इस बजट को लेकर बुधवार को संसद में जोरदार हंगामा हो गया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने बजट को भेदभावपूर्ण बताया और कहा कि यह बजट कुर्सी बचाने वाला है। खड़गे ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस बजट में ना तमिलनाडु, न कर्नाटक, न हरियाणा, न राजस्थान, और ना ओडिशा को कुछ मिला है। किसी को खुश करने के लिए यह बजट है। खड़गे के इस आरोप पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भड़क गईं और बजट में राज्यों के नाम पर कांग्रेस को चुनौती दे डाली और सवाल किया कि क्या आपने अपने सभी बजट भाषणों में सभी राज्यों का नाम लिया था?
राज्यों का नाम नहीं लिया, इसका मतलब यह नहीं कि उन राज्यों को कुछ नहीं दिया
विपक्ष का आरोप है कि इस बजट में केवल दो राज्यों बिहार और आंध्र प्रदेश को ही फंड दिया गया बाकी राज्यों को कुछ खास नहीं मिला दिया। उधर सीतारमण ने इस आरोप को ‘अपमानजनक’ करार देते हुए कहा कि कांग्रेस लोगों के मन में यह धारणा बनाने की कोशिश कर रही है कि दूसरे राज्यों को कुछ नहीं दिया गया है। सीतारमण ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि आप अपना हर बजट भाषण हमें दिखाइए कि आपने अपने समय में हर राज्य का नाम लिया था। हमने अपने बजट भाषण में सभी राज्यों का नाम नहीं लिया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमने उन राज्यों को कुछ नहीं दिया है।
उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने वधावन में एक बंदरगाह स्थापित करने का निर्णय लिया था, लेकिन बजट में महाराष्ट्र का नाम नहीं लिया गया तो इसका मतलब यह है कि महाराष्ट्र को कुछ नहीं दिया है? अगर भाषण में किसी विशेष राज्य का नाम लिया जाता है, तो क्या इसका मतलब यह है कि सरकार के कार्यक्रम इन राज्यों में नहीं जाते हैं? यह कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष का लोगों को यह धारणा बनाने का एक जानबूझकर प्रयास है कि अन्य राज्यों को कुछ नहीं दिया है। यह एक अपमानजनक आरोप है।
बंगाल को 10 साल में कई योजनाएं दी गईं
वित्त मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र को हमने 6000 करोड़ रुपए दिए, लेकिन भाषण में इसका जिक्र नहीं किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बंगाल को 10 साल में कई योजनाएं दी गईं, लेकिन बंगाल ने केंद्र की योजनाओं को लागू नहीं किया और अब वे सवाल कर रहे हैं। सीतारमण के इस आरोप पर बंगाल की सांसद भड़क गईं और फिर सदन में हंगामा शुरू हो गया। इससे पहले खड़गे ने विपक्ष की तरफ से मोर्चा संभालते हुए सरकार पर आरोप लगाया, ‘कुर्सी बचाने के लिए यह सब हुआ है… हम इसकी निंदा करेंगे और इसका विरोध करेंगे। इंडिया गठबंधन के सभी दल इसका विरोध करेंगे…अगर संतुलन नहीं होगा तो विकास कैसे होगा?’ इसके साथ ही विपक्षी दल के सभी सदस्य राज्यसभा से वॉकआउट कर गए।
निर्यात में राहत दे सकती है सरकार, चावल के बढ़ेंगे भाव
24 Jul, 2024 03:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । केंद्र सरकार चावल निर्यात में राहत देने की तैयारी कर रही है। दरअसल, वरिष्ठ मंत्रियों की एक समिति चावल की कुछ किस्मों पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा की जरूरत पर विचार कर रही है। अगर प्रतिबंध हटाया गया तो फिर चावल की कीमत बढ़ना तय है। वहीं आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल जुलाई-अगस्त में चावल निर्यात पर लगे प्रतिबंधों से बासमती की तुलना में गैर-बासमती चावल पर ज्यादा असर पड़ा है। सूत्रों ने कहा कि समिति जल्द ही चावल की कुछ किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील देने को लेकर दिए गए सुझावों पर विचार करेगी, क्योंकि इसका केंद्रीय पूल में भंडार जरूरत से ज्यादा हो गया है। कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि समिति प्रतिबंधों में ढील देने का फैसला खरीफ में धान की बोआई की स्थिति साफ होने तक के लिए टाल सकती है। अगले महीने से केंद्र सरकार खुले बाजार में चावल बेचना शुरू करने जा रही है। केंद्र ने राज्यों को बगैर किसी निविदा के उससे चावल खरीदने की अनुमति भी दे दी है इस चावल की बिक्री 28 रुपये किलो होगी। इस फैसले से कई राज्य, खासकर दक्षिण भारत के राज्य अपनी खाद्यान्न योजना फिर से शुरू कर सकेंगे। इस बात की भी संभावना है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का अतिरिक्त चावल एथनॉल बनाने के लिए भी दिया जाए, जो पिछले कुछ महीने से रुका हुआ है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि अनाज से एथनॉल बनाने वाले सरकार पर (ओएमसी) द्वारा एथनॉल की एफसीआई के गोदामों से सस्ते खरीद दर में वृद्धि करने की मांग की चावल की आपूर्ति बहाल करने की थी, मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि ऐसा न होने से उनके संयंत्र बंद हो जाने खतरा है। उनका कहना है कि पिछले 6 महीने में खुले बाजार में टूटे चावल की कीमत औसतन 22 से 24 रुपये किलो से बढ़कर 27 से 29 रुपये किलो हो गई है। मक्के की कीमत भी औसत 22 से 23 रुपये किलो से बढ़कर 26 से 27 रुपये किलो पहुंच गई है। इस कीमत पर भी आपूर्ति सीमित है।
सरकार रोजगार से जुड़ी तीन योजनाएं शुरू करेगी: वित्त मंत्री
24 Jul, 2024 02:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह रोजगार से जुड़ी तीन योजनाएं शुरू करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि ये योजनाएं कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में नामांकन पर आधारित होंगी। पहली योजना के तहत सभी क्षेत्रों में कार्यबल में प्रवेश करने वालों को एक महीने का वेतन प्रदान किया जाएगा। दूसरी योजना में पहली बार काम करने वाले कर्मचारियों के रोजगार से जुड़े विनिर्माण क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार को प्रोत्साहित करेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि रोजगार के पहले चार वर्षों में ईपीएफओ अंशदान के संबंध में कर्मचारी और नियोक्ता को सीधे निर्दिष्ट पैमाने पर प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। इस योजना से 30 लाख युवाओं और उनके नियोक्ताओं को लाभ मिलने की उम्मीद है। तीसरी योजना के तहत सभी क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार को लिया जाएगा। एक लाख रुपये तक मासिक वेतन के अंतर्गत सभी अतिरिक्त रोजगार को गिना जाएगा। सरकार प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए ईएफपीओ अंशदान के रूप में नियोक्ताओं को दो वर्षों तक 3,000 रुपये प्रतिमाह तक की राशि प्रतिपूर्ति करेगी। मंत्री ने यह भी घोषणा की कि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए देश में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास स्थापित किए जाएंगे।
व्हाट्सएप ला रहा है नया फीचर, नाम से कर सकेंगे चैट
24 Jul, 2024 01:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । व्हाट्सएप एक नया फीचर लेकर आ रही है। इसमें बिना नंबर के नाम के आधार पर चैटिंग की सुविधा मिलेगी। व्हाट्सएप मे चैटिंग करने पर प्राइवेसी सुरक्षित रहेगी।
व्हाट्सएप नए फीचर की टेस्टिंग कर रही है।इसकी टेस्टिंग पूरी हो जाने के बाद यूजर नेम के नाम से व्हाट्सएप में आसानी से चेट किया जा सकेगा। किसी नंबर को सेव करने की जरूरत नहीं होगी। सर्च इंजन के माध्यम से व्हाट्सएप नईं सुविधा शुरू करने जा रहा है। सोशल मीडिया में प्राइवेसी को लेकर सरकार तरह-तरह के कानून बना रही है। उसी तरीके से आईटी कंपनियां भी संदेश भेजने के लिए अपने उपभोक्ताओं की प्राइवेसी के लिए नए-नए तरीके निकाल रही है।
रेशम के धागे से बनेंगी दवाइयां और सेरी बैंडेज
24 Jul, 2024 12:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल/इन्दौर । रेशम के धागे से दवाइयां और सेरी बैंडेज बनाने के लिये मंगलवार को नर्मदापुरम सिल्क इन्क्यूबेटर एवं शासकीय सरदार वल्लभ भाई पटेल पॉलिटेक्निक कॉलेज भोपाल के बीच मेमोरेन्डम ऑफ अन्डरस्टेन्डिंग (एमओयू) हुआ। ऐसा नवाचार करने के मामले में मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य बन गया है। कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिलीप जायसवाल की विशेष रूचि एवं पहल पर टेक टॉक के तहत फाइब्रोहिल कंपनी के विवेक मिश्रा एवं शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रिंसिपल के.वी. राव के बीच में हुए इस एमओयू के तहत अब रेशम से सेरी बैंडेज बनाने की प्रक्रिया को गति मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सतपुड़ा एवं नर्मदा के वनों का ककून अत्यंत शुद्ध एवं प्रदूषण रहित माना जाता है। उन्हीं ककून से दवाइयां बनायी जायेंगी। इससे पावडर, क्रीम, सेरी बैंडेज, सिजेरीयन ड्रेसिंग, डायबिटिक घाव की ड्रेसिंग तथा ऑपरेशन के बाद की ड्रेसिंग भी बनायी जा सकेंगी। रेशम घाव को गीला नहीं रखता एवं शरीर के साथ भी नहीं चिपकता तथा रेशम से फायब्रोयिन नामक प्रोटीन निकलता है, जो जख्मों, डायबिटिज से ऊगंलियों में होने वाले घाव एवं गर्भवती महिलाओं के सर्जिकल डिलीवरी के घाव कम समय में ठीक करता है तथा इससे संक्रमण की संभावना भी नगण्य हो जाती है। वर्तमान में प्राणियों के कॉलिजन से बैंडेज बनता था, जिसका रेशम एक अत्यंत बेहतर व टिकाऊ विकल्प है। रेशम से समृद्धि योजना के तहत कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग द्वारा वर्तमान में रेशम उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन सहायता दी जाती है। इसके अलावा रेशम से दवाइयां व बैंडेज बनने से किसानों के रेशम की मांग बढ़ेगी और मांग बढ़ने से उनकी आय में डेढ़ से दो गुना वृद्धि हो सकेगी।
रेशम से दवाइयां व बैंडेज बनाने की नवाचार प्रक्रिया से म.प्र. के किसानों का ककून अधिक क्रय होगा। साथ ही उन्नत किस्म के रेशम के धागे के अलावा दवा फैक्ट्री खोलकर ऐसी दवा का निर्यात भी होगा। रेशम के धागे से निर्मित होने वाली दवा बाजार दर से 30 प्रतिशत सस्ती होगी। इन दवाइयों को ड्रग्स कंट्रोलर, भारत सरकार द्वारा मान्यता दे दी गई है। फिलहाल यह एक शुरुआत है, आगे चलकर नर्मदापुरम जिले में एक फार्मा फैक्ट्री भी स्थापित की जा सकती है। म.प्र. भंडार क्रय नियम के तहत गॉज बैंडेज बिना निविदा के सीधे क्रय किये जा सकते थे, जो अब सीधे कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग से ही क्रय किये जा सकेंगे। यह कार्य कोहार्ट टीम के डॉ. अभिजीत देशमुख सर्जन व मेन्टर तथा शासकीय सरदार वल्लभ भाई पटेल, पॉलिटेक्निक कॉलेज भोपाल के फार्मेसी विभाग एवं नर्मदापुरम सिल्क इन्क्यूबेटर मिलकर करेंगे। रेशम से समृद्धि लाने की दिशा में आज हुआ एमओयू भविष्य के रोडमैप में मील का पत्थर साबित होगा।
कैपिटल गेन टैक्स से मिलने वाली छूट की लिमिट बढ़ाई
23 Jul, 2024 05:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स बढ़ाने का एलान किया है। इसे शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कुछ असेट पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) भी बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है।
आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि शेयर मार्केट में कैपिटल गेन टैक्स क्या होता है और इसमें बढ़ोतरी का निवेशकों पर क्या असर होगा?
क्या होता कैपिटल गेन टैक्स?
आप जब भी किसी स्टॉक को खरीदते हैं यानी उसमें अपनी कैपिटल लगाते हैं, तो आपको लाभ या नुकसान हो सकता है। आपको मिलने वाले लाभ पर सरकार जो टैक्स लेती है, वो कैपिटल गेन टैक्स होता है। यह दो तरीके का होता है, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स।
अगर आप स्टॉक को 1 साल के भीतर बेचते हैं, तो मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। यह आपके इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर कटता है। वहीं, स्टॉक 1 साल बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इसमें 1 लाख रुपये तक की छूट के बाद होने वाले मुनाफे टैक्स देना होता है।
कितना बढ़ा है कैपिटल गेन टैक्स?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में एलान किया कि कुछ निश्चित फाइनेंशियल असेट्स पर STCG टैक्स अब 20 फीसदी लगेगा, जो पहले 15 फीसदी थी। हालांकि, बाकी फाइनेंशियल एसेट्स पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 15 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है।
वित्त मंत्री ने बड़ा बदलाव लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में किया है। यह पहले 10 फीसदी था, लेकिन अब आपको एक साल बाद स्टॉक बेचने पर मुनाफे का 12.5 फीसदी टैक्स देना होगा। इसका मतलब कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में सरकार 2.5 फीसदी का इजाफा किया है।
कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाने का असर
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में इजाफे के बाद शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट गई। सेंसेक्स करीब 1200 अकों तक टूट गया, लेकिन बाद में इसने तेजी से रिकवर भी किया। इससे जाहिर होता है कि निवेशकों ने कैपिटल गेन बढ़ाने वाले फैसले को स्वीकार कर लिया है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में बढ़ोतरी का निवेशकों पर कोई बहुत असर नहीं पड़ने वाला। जो निवेशक 10 फीसदी टैक्स दे रहे थे, वे 2.5 फीसदी इजाफे के बाद भी निवेश करना जारी ही रखेंगे, क्योंकि इससे उन्हें अच्छी कमाई का मौका मिलता है। साथ ही, कमाई के कई अन्य माध्यमों में इससे भी कहीं अधिक टैक्स देना पड़ता है। तो मेरे ख्याल से कैपिटल गेन टैक्स में बढ़ोतरी का ओवरऑल शेयर मार्केट पर कोई बड़ा इंपैक्ट नहीं पड़ने वाला।
रिटेल इन्वेस्टर्स को राहत भी मिली
वित्त मंत्री ने कैपिटल गेन टैक्स के साथ ही इससे छूट की लिमिट बढ़ा दी थी। पहले आपको 1 लाख रुपये तक के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं देना होता था। लेकिन, अब 1.25 लाख रुपये का प्रॉफिट टैक्स फ्री रहेगा। यह बदलाव शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन, दोनों पर लागू होगा। इससे खासतौर पर छोटे निवेशकों को लाभ होगा, क्योंकि उन्हें अब 25 हजार रुपये की अतिरिक्त छूट मिलेगी।
सरकार ने क्यों लिया Angel Tax को खत्म करने का फैसला?
23 Jul, 2024 04:58 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आम बजट (Budget 2024) पेश किया। यह बजट चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए है। इस बजट में सभी सेक्टर के लिए कई बड़े एलान किये गए।
इन एलानों में से एक एंजल टैक्स भी है। वित्त मंत्री ने कहा कि एंजल टैक्स को पूरी तरह से खत्म कर दिया है।
वित्त मंत्री के इस एलान के बाद कई लोग कन्फयूज हैं कि आखिर एंजल टैक्स क्या होता है और इसे खत्म क्यों किया गया है। क्या इसका आम जनता पर पड़ेगा। आइए, इस लेख में इन सवालों का जवाब जानते हैं।
एंजल टैक्स क्या होता है?
सरकार ने साल 2012 में एंजल टैक्स को लागू किया था। यह टैक्स उन अनलिस्टेड बिजनेस पर लगाया जाता है जो एंजल निवेशकों से फंडिंग लेता है। आसान भाषा में समझें किसी भी स्टार्टअप्स को शुरू करने के लिए कंपनी को फंड की आवश्यकता होती है। ऐसे में कई बार स्टार्टअप्स एंजल निवेशकों से फंडिंग लेते हैं। चूंकि, वह एंजल निवेशकों से फंडिंग लेते हैं जिसके लिए उन्हें टैक्स देना होता है, इस टैक्स को ही एंजल टैक्स कहते हैं।
इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 56 (2) (vii) (b) के तहत एंजल टैक्स लिया जाता है।
क्यों शुरू हुआ था एंजल टैक्स
सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के लिए एंदल टैक्स वसूलना शुरू किया था। इसके अलावा सरकार ने सभी बिजनेस को इनकम टैक्स के दायरे में लाने के लिए भी इस टैक्स को शुरू किया था। हालांकि, सरकार के इस कदम से स्टार्टअप्स को परेशानी का सामना करना पड़ा था।
स्टार्टअप्स को तब दिक्कत होती है जब निवेश राशि से ज्यादा फेयर मार्केट वैल्यू (FMV) होता है। ऐसी स्थिति में स्टार्टअप्स को 30.9 फीसदी तक का टैक्स देना पड़ता है।
एंजल टैक्स हटने से क्या होगा।
आज वित्त मंत्री ने बजट भाषण में बताया कि एंजल टैक्स को खत्म कर दिया गया है। इससे स्टार्टअप्स को लाभ होगा। दरअसल, सरकार का फोकस स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी लाना है। ऐसे में स्टार्टअप्स की बढ़ोतरी के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
एंजल टैक्स के हट जाने से स्टार्टअप्स को बहुत लाभ मिला है। एंजल टैक्स के हट जाने से स्टार्टअप्स के पास वर्किंग कैपिटल ज्यादा है और अब उन्हें इन्वेस्टमेंट प्रीमियम अमाउंट पर टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी। सरकार के इस कदम से उम्मीद है देश में स्टार्टअप्स की संख्या में बढ़ोतरी होगी।
नितिन केडिया, फाउंडर केडिया फिनकॉर्प
पिछले कुछ सालों में देश के स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी देखने को मिली थी। कई स्टार्टअप्स तो यूनिकॉर्न बन गए।
बजट 2024: पीएम किसान योजना की राशि में बदलाव नहीं, फसल बीमा योजना का विस्तार
23 Jul, 2024 04:54 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए संसद में आम बजट पेश हो गया है। इस बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़े एलान किये हैं। आम बजट से किसानों को काफी उम्मीद थी। किसानों को उम्मीद थी कि इस बजट में पीएम किसान योजना की राशि में बढ़ोतरी होगी, लेकिन ऐसा कोई एलान नहीं हुआ।
सरकार ने एग्रीकल्चर सेक्टर में विकास के लिए कई एलान किये, लेकिन पीएम किसान योजना की राशि में इजाफा न होने की वजह से किसानों को निराशा हाथ लगी। किसानों को उम्मीद थी कि इस बार सरकार पीएम किसान योजना की राशि में बढ़ोतरी करेगी।
कब हुई थी योजना की शुरुआत
आपको बता दें कि पीएम किसान योजना का एलान फरवरी 2019 में बजट में किया गया था। इस साल फरवरी में अंतरिम बजट पेश हुआ था और यह बजट तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पेश किया था। वर्तमान में पीएम किसान योजना का लाभ 9 करोड़ से ज्यादा किसानों को मिलता है।
इस योजना में किसानों को सालाना 6000 रुपये की राशि मिलती है। यह राशि किस्त के तौर पर किसानों के अकाउंट में आती है। हर चार महीनों में किसानों के अकाउंट में 2-2 हजार रुपये ट्रांसफर होते हैं। इस साल जून में सरकार ने किसानों के अकाउंट में 17वीं किस्त ट्रांसफर किया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि पीएम किसान योजना का लाभ 11.8 करोड़ किसानों को मिला है। पीएम किसान योजना के अलावा 4 करोड़ से ज्यादा किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिलता है। पिछले साल के बजट में फसल बीमा योजना के लिए 13,625 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे।
किसानों के लिए हुए बड़े एलान
आम बजट 2024 में वित्त मंत्री ने किसानों के लिए कई बड़े एलान किये हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार का फोकस कृषि क्षेत्र पर है।
वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार का फोकस कृषि के उत्पादन में उत्पादकता और लचीलापन लाने पर रहेगा।
सरकार आने वाले 2 वर्षों में 1 करोड़ किसानों को नेचुरल खेती करने में मदद करेगी।
सरकार द्वारा दलहन और तिलहन के लिए मिशन शुरू किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने बताया कि खेती के लिए डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाएगा।
किसान क्रेडिट कार्ड को 5 राज्यों में लॉन्च किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को योजना का लाभ मिल सके।
सरकार ने एग्रीकल्चर सेक्टर के विकास और किसानों की इनकम में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है।
फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग पर बजट का प्रभाव: लागत में बढ़ोतरी
23 Jul, 2024 04:39 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश केंद्रीय बजट (Budget 2024) में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेड पर सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) रेट बढ़ाने का एलान किया। इसका मकसद रिटेल इन्वेस्टर्स को शेयर मार्केट के जोखिम भरे हिस्से में ट्रेडिंग से हतोत्साहित करना है।
कितना बढ़ा ट्रांजेक्शन टैक्स
पहले ऑप्शन प्रीमियम की बिक्री पर 0.06 फीसदी STT लगता था। लेकिन, इसे बजट में बढ़ाकर 0.1 फीसदी करने का प्रस्ताव है। वहीं, सिक्योरिटीज में फ्यूचर्स की बिक्री पर STT पहले 0.01 फीसदी था, जिसे बढ़ाकर 0.02 फीसदी किया जाएगा।
इकोनॉमिक सर्वे ने भी जताई थी चिंता
इससे पहले इकोनॉमिक सर्वे ने रिटेल इन्वेस्टर्स की डेरिवेटिव ट्रेडिंग में बढ़ती भागीदारी पर चिंता जताई थी। सर्वे का कहना था कि भारत जैसे विकासशील देश में सट्टेबाजी वाले ट्रेड की जगह नहीं हो सकती। इसमें कहा गया था कि F&O जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट बड़े लाभ की संभावना में लोग पैसे लगाते हैं। यह एक तरह से जुआ खेलने वाली प्रवृत्ति है, जिसमें खुदरा निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है।
सेबी चीफ भी F&O trading पर सख्त
पिछले दिनों मार्केट रेगुलेटर सेबी की चीफ माधबी पुरी बुच ने भी चिंता जताई थी कि निवेशक F&O trading पर भारी दांव लगा रहे हैं। उनसे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन भी F&O trading को रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए जोखिम भरा बता चुके थे।
क्या होती है F&O trading?
फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) असल में एक तरह के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं। ये निवेशक को स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में कम पूंजी में बड़ी पोजिशन लेने की इजाजत देते हैं। ये हाई रिवॉर्ड, हाई रिस्क ट्रेडिंग टूल है, जहां आप मार्केट में उतार या चढ़ाव का सही अनुमान लगाकर पैसे कमा सकते हैं। इसमें पैसा तेजी से बनता है, लेकिन उससे अधिक तेजी से डूबता भी है। यही वजह है कि फाइनेंशियल रेगुलेटर इसे लेकर कई बार चिंता जता चुके हैं
वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान: वित्त मंत्री
22 Jul, 2024 07:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में इकोनॉमिक सर्वे प्रस्तुत किया। इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी ग्रोथ 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान है। दोपहर 2:30 बजे चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अनंत नागेश्वरन की प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित होगी। केंद्रीय बजट मंगलवार 23 जुलाई को पेश किया जाएगा। वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग हर साल केंद्रीय बजट से ठीक पहले संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश करता है। इसे संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। सर्वे में पिछले 12 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए विकास के बारे में बताया जाता है। इकोनॉमिक सर्वे में आने वाले साल के लिए बजट प्रायोरिटीज की जानकारी होती है। डेवलपमेंट रिव्यू के साथ, उन सेक्टर्स को भी हाइलाइट करता है जिन पर जोर देने की जरूरत होती है। सर्वे में आसपास हो रहे कई इश्यू का विश्लेषण रहता है और उनके कारण भी बताता है। इकोनॉमिक सर्वे चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के गाइडेंस में कंपाइल किया जाता है। 1950-51 से 1964 तक बजट के साथ पेश होता था। अब बजट से पहले पेश किया जाता है। इस सत्र में सरकार की योजना है कि वह वित्त बजट के अलावा आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक- 2024, बॉयलर विधेयक - 2024, भारतीय वायुयान विधेयक - 2024, कॉफी (संवर्धन और विकास) विधेयक - 2024 और रबड़ (संवर्धन और विकास) विधेयक - 2024 को पारित करवाए। इस सत्र में विपक्षी दलों से सहयोग के लिए भी सरकार ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
बजट में मीडिया-मनोरंजन उद्योग के लिए पीएलआई योजना लानी चाहिए: यूएसआईबीसी
22 Jul, 2024 04:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाशिंगटन । अमेरिका में भारत केंद्रित एक शीर्ष व्यापार निकाय ने भारत सरकार को आगामी बजट में मीडिया और मनोरंजन उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना पेश करने का सुझाव दिया है। व्यापार निकाय ने भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए भी कहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को आम बजट पेश करेंगी। अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) ने उपग्रह संचार उद्योग को उदार बनाने और भारतीय एवं विदेशी वित्तीय सेवा कंपनियों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने तथा दोनों देशों के बीच पूंजी प्रवाह में अड़चनों को कम करने के लिए उपाय करने का आह्वान किया। यूएसआईबीसी ने प्रक्रियाओं को सरल बनाने और दक्षता को बढ़ावा देने के लिए पांच लाख रुपए से अधिक के कूरियर निर्यात पर कीमत अंकुश प्रतिबंधों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया है। यूएसआईबीसी ने वित्त मंत्रालय को दिए अपने ज्ञापन में सुझाव दिया कि शीघ्र निकासी सुनिश्चित करने के लिए कूरियर के माध्यम से भेजे जाने वाले शीघ्र नष्ट होने वाले सामान पर अंकुश हटा दिए जाएं, शीघ्र नष्ट होने वाले उत्पादों के कारोबार को समर्थन दिया जाए और परिचालन को आसान बनाने तथा प्रशासनिक बाधाओं को कम करने के लिए कूरियर भेजने के लिए एकल खिड़की प्रणाली को एकीकृत किया जाए। यूएसआईबीसी ने कहा कि सबसे पहले हम माल और सेवा कर (जीएसटी) के तहत रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) में प्रवासी कर्मचारियों को भुगतान पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के बारे में स्पष्टीकरण जारी करने का प्रस्ताव करते हैं। दूसरे, हमारा अनुरोध है कि संबंधित प्राधिकरण कर्मचारियों को चिकित्सा बीमा पर आईटीसी की पात्रता पर उचित स्पष्टीकरण जारी कर सकता है।