व्यापार
पीएलआई योजना को लेकर बजट में हो सकता ये ऐलान
19 Jul, 2024 01:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 23 जुलाई को संसद में पेश के किए जाने वाले बजट से देशवासियों को बहुत सी उम्मीद हैं। ये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाने वाला सातवां बजट होगा।
इस बजट में वित्त मंत्री घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रमुख कार्यक्रम-उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को फिर से लागू करने का ऐलान कर सकती हैं। इस योजना को कंपनियों को लोकल लेवल पर मैनुफैक्चरिंग करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया था। पीएलआई योजना का मकसद ग्लोबल लेवल पर भारतीय निर्मित वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना है।
इसका लक्ष्य बड़े पैमाने पर विनिर्माण को बढ़ावा देने के साथ ही प्रॉमिसिंग में निवेश आकर्षित करना भी है। इस योजना से रोजगार सृजन और निर्यात वृद्धि को बढ़ावा भी मिलता है। केन्द्र सरकार की ओर से इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा और दूसरे जैसे 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए पीएलआई स्कीम शुरू की गई थी। अब अतिरिक्त क्षेत्रों को इसमें शामिल करने के लिए विचार किया जा रहा है।
क्वांट म्युचुअल फंड में फ्रंट रनिंग के आरोपों के बाद सेबी ने कहा प्रबंधन कंपनियां जल्द लागू करें सख्त नियम
18 Jul, 2024 03:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। क्वांट म्युचुअल फंड में फ्रंट रनिंग की आशंका के चलते संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था का क्रियान्वयन तेज कर दिया है। इस व्यवस्था का मकसद फ्रंट रनिंग और फर्जी लेनदेन के जरिये होने वाला बाजार का दुरुपयोग रोकना है। व्यवस्था को अप्रैल में सेबी की बैठक में मंजूरी मिली थी। इसे अधिसूचित होने के छह महीने बाद लागू होना था लेकिन सेबी ने जून में बैठक में नया रास्ता बताया, जिसमें बड़ी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) से कहा कि यह व्यवस्था जल्द लागू करें। सेबी की बैठक की घोषणा के समय इसका जिक्र नहीं हुआ था लेकिन बैठक के एजेंडे का ब्योरा जारी होने पर इसका पता चला।
बाजार नियामक ने एजेंडा पत्र में कहा है कि कुछ बड़ी एएमसी छह महीने की मियाद से पहले ही संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था लागू कर सकती हैं। सेबी एक एएमसी के ट्रेड में फ्रंट रनिंग के आरोपों की जांच कर रहा है और इन आरोपों के कारण ही एएमसी में संस्थागत प्रक्रिया का क्रियान्वयन तेज किया जा सकता है। सेबी की 27 जून को हुई बैठक फ्रंट रनिंग के आरोप में क्वांट म्युचुअल फंड के परिसरों की तलाशी के करीब हफ्ते भर बाद हुई। पिछले हफ्ते ऐसेट मैनेजर ने स्वीकार किया कि सेबी की खोजबीन नियमित कवायद नहीं थी बल्कि अदालत की मंजूरी वाली तलाशी और जब्ती कार्रवाई थी।
जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि इस फंड कंपनी पर फ्रंट रनिंग के आरोप लगने के साथ ही सेबी ने अपने बोर्ड को संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था के क्रियान्वयन की जानकारी देने और बड़ी फंड कंपनियों में इसे जल्द लागू कराने का फैसला लिया। सूत्रों ने कहा कि ज्यादातर बड़े फंड कंपनियां इसके लिए तैयार हैं। नियामक ने म्युचुअल फंड उद्योग पर सतर्कता बढ़ा दी है। पिछले कुछ सालों में देशभर के परिवारों से बड़ी मात्रा में रकम फंड कंपनियों तक पहुंचने लगी है। उद्योग के द्वारा संभाली जा रही परिसंपत्ति (एयूएम) 2021 के शुरुआती दौर से दोगुनी हो चुकी हैं। मार्च 2020 में 2.1 करोड़ म्युचुअल फंड ग्राहक थे, जिनकी संख्या अब दोगुनी से ज्यादा होकर 4.6 करोड़ हो गई है।
प्रस्तावित व्यवस्था की अधिसूचना नियामक ने अभी जारी नहीं की है। इसका मकसद फ्रंट रनिंग जैसे संवेदनशील जानकारी का फ्रंट रनिंग जैसा दुरुपयोग और कदाचार रोकने के लिए एएमसी में एकसमान निगरानी और आंतरिक नियंत्रण स्थापित करना है। इसके तहत नियामक ऐसे मामलों में एएमसी प्रबंधन पर ज्यादा जिम्मेदारी और जवाबदेही भी डालेगा। यह व्यवस्था म्युचुअल फंड के संगठन एम्फी द्वारा कामकाज के लिए तैयार की गई मानक प्रक्रिया पर आधारित होगी। अभी यह नहीं पता कि एम्फी ने सेबी को यह प्रक्रिया भेजी है या नहीं।
अभी सभी फंड कंपनियों के पास निगरानी की अपनी-अपनी व्यवस्था है। सेबी के निर्देश के मुताबिक बाजार में कारोबार के दौरान फंड मैनेजरों और डीलरों की पूरी बातचीत रिकॉर्ड की जाती है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद नियामक इसमें ढील दे सकता है। इस महीने की शुरुआत में सेबी ने सुर्कलर जारी कर कहा था कि स्टॉक ब्रोकरों के लिए धोखाधड़ी या बाजार के दुरुपयोग का पता लगाने और उसे रोकने के लिए संस्थागत स्तर पर व्यवस्था तैयार करना जरुरी है।
डिजिटल साम्राज्य में उतरने अनंत की शादी में बुलाए दुनिया के रईस और ताकतवर लोग
18 Jul, 2024 02:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। हाल ही में भारत के बड़े बिजनेस मैन और दुनिया के अमीर लोगों में गिने जाने वाले मुकेश अंबानी ने अपने बेटे अनंत अंबानी की शादी की थी इस शादी में करोड़ों रुपया खर्च भी किया गया और देश दुनिया की जानी मानी हस्तियां इस शादी में शामिल हुई थी।मुकेश अंबानी अब बड़े मनोरंजन जगत के खिलाड़ी बन गए हैं। उनका डिजिटल साम्राज्य शेयर बाजार में उतरने की तैयारी में है, जिसकी कीमत 112 अरब डॉलर बताई जा रही है। और इस डिजिटल साम्राज्य के आने का ऐलान करने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता था कि दुनिया के रईस, चमकदार और ताकतवर लोगों को पांच महीने लंबे शादी के उत्सव में बुलाया जाए।
मुकेश अंबानी के तीन बच्चों में सबसे छोटे अनंत अंबानी ने मार्च में अपनी शादी की धूमधाम शुरुआत कर दी थी। शादी के पहले एक पार्टी हुई, जिसमें मशहूर डांसर रिहाना ने परफॉर्म किया था। इस शादी समारोह का समापन मुंबई में दो दिनों तक चला था। इस शादी के कार्यक्रमों में बॉलीवुड के कलाकारों के साथ कार्दशियन परिवार भी शामिल हुआ। ये जस्टिन बीबर के प्री-वेडिंग फंक्शन के दो हफ्ते बाद हुआ था। इस बीच, शादी की पार्टी एक यूरोपीय क्रूज पर भी गई थी, जिसमें इटली में बैकस्ट्रीट बॉयज़ और कान्स में कैटी पेरी शामिल हुए थे। अंबानी के डिजिटल बिजनेस में अहम निवेशक मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक. के मार्क जुकरबर्ग से लेकर उन्हें 5जी उपकरण देने वाली कंपनी सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के बॉस जय वाई ली तक, इन समारोहों में शामिल होने वाले लोगों को भारत के कॉर्पोरेट जगत में अंबानी परिवार के रुतबे की याद दिलाई।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरी शादी पर कुल 600 मिलियन डॉलर खर्च हुए हैं। अंबानी परिवार के अपने न्यूज़ मीडिया में इस शादी की झलकियां दिखाई हैं। मेहमान क्या तोहफे लाए, यह तो पता नहीं, लेकिन दूल्हे के करीबी दोस्त 18 कैरेट गुलाबी सोने की ऑडेमर्स पिगेट घड़ियां वापस लौटे।
इस दौरान मुकेश अंबानी की जियो के 48 करोड़ से ज्यादा कस्टमर्स को इस महीने से डाटा के लिए 21 फीसदी ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है। इस पर सोशल मीडिया पर मीम्स तो बन गए, लेकिन असली सवाल ये है कि आखिर इस वक्त इतना पैसे का दिखावा क्यों? खासकर, जब ब्राज़ील दुनिया के सबसे अमीर लोगों से उनकी संपत्ति का सालाना 2फीसदी टैक्स लेने का प्रस्ताव ला चुका है। भारतीय स्टील कारोबारी लक्ष्मी मित्तल ने अपनी बेटी की शादी के लिए 2004 में पेरिस के टीयुलरीज गार्डन और लुई सोलहवें के वर्साय के महल को किराए पर लिया था। ये शादी उस समय हुई थी, जब लक्ज़मबर्ग की कंपनी आर्सेलर एसए को खरीदने की बोली जीती थी। उस शादी में भी 6 दिनों में 60 मिलियन डॉलर खर्च हुए थे। लेकिन वह अलग मामला था।
अंबानी परिवार ने शादी में न सिर्फ दिखावे में नया रिकॉर्ड बनाया बल्कि ज्यादातर खर्चा भारत में ही किया और वह भी ऐसे समय में, जब देश का राजनीतिक माहौल अशांत है और भारत के अरबपति राज की बढ़ती असमानता की हर तरफ आलोचना हो रही है। पीएम नरेंद्र मोदी की सत्ता पर पकड़ पिछले महीने उनकी पार्टी के संसदीय बहुमत खोने के बाद कमजोर हो गई है। चुनाव प्रचार के दौरान नेता राहुल गांधी ने मोदी पर लगातार हमले किए कि वे सिर्फ दो व्यापारियों, अंबानी और गौतम अडाणी के लिए ही काम कर रहे हैं।
कुछ अर्थशास्त्री इसे भारत के कलंकित पूंजीवाद का 2ए वैरिएंट कहते हैं। उनका कहना है कि एक छोटे से समूह को पसंद करना भारत में विदेशी निवेश घटने और प्राइवेट पूंजी खर्च के ठहरने का एक कारण है। कोई भी राष्ट्रीय चैंपियनों के खिलाफ जाना नहीं चाहता। यह देखना दिलचस्प है कि क्या बदली हुई राजनीतिक स्थिति मुकेश अंबानी के उपभोक्ता साम्राज्य को और ज्यादा कंपटीशन का सामना करने के लिए मजबूर करेगी। नरेंद्र मोदी नवविवाहित जोड़े को बधाई देने पहुंचे, जैसा कि प्रमुख विपक्षी नेताओं ने किया लेकिन राहुल गांधी दूर रहे। मुकेश अंबानी अपने प्रतिद्वंदी अडाणी से बढ़त हासिल करने के लिए कुछ जोखिम उठा रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में पिछले आठ महीनों में 43फीसदी की बढ़त को बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है।
अडाणी बंदरगाहों, हवाई अड्डों, डेटा सेंटरों और निर्माण सामग्री जैसे बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं हैं। वह चाहते हैं कि इस दशक के अंत तक हर तीन में से एक भारतीय उनके नए सुपर-ऐप पर हो लेकिन वह टेलिकॉम या पेमेंट जैसी बड़े कंज्यूमर उद्योगों में अंबानी से मुकाबला किए बिना उन्हें कैसे आकर्षित कर पाएंगे? यही वह चीज़ है जिसे मुकेश अंबानी को बचाकर रखना है। वॉल्ट डिज़्नी कंपनी की भारत में टीवी फ्रेंचाइजी के साथ अपने मीडिया कारोबार को मिलाने के बाद, उनकी बॉलीवुड और क्रिकेट पर पकड़ मजबूत हो गई है, ये दो चीजें हैं जो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो में 20,000 करोड़ रुपये खर्च करेगा टाटा
18 Jul, 2024 01:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । टाटा पावर चालू वित्त वर्ष 2024-25 में पूंजीगत व्यय के लिए 20,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। कंपनी के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कंपनी की 105वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में शेयरधारकों को बताया कि पूंजीगत व्यय का एक बड़ा हिस्सा कंपनी के नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो को गति देने के लिए होगा। बाकी राशि पारेषण और वितरण कारोबार पर खर्च की जाएगी। चंद्रशेखरन ने कहा, ‘‘टाटा पावर ने 2024-25 में 20,000 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय करने की योजना तैयार की है। यह 2023-24 में निवेश की गई 12,000 करोड़ रुपये की राशि से काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि टाटा पावर अन्य राज्यों में नए वितरण विस्तार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए भी निवेश करेगी। साथ ही कंपनी सरकार से जरूरी मंजूरी मिलने के बाद छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टर में भागीदारी की संभावना देखेगी।
चेयरमैन ने कहा कि कंपनी मौजूदा और निर्माणाधीन परियोजनाओं, दोनों से पांच साल में 15 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य लेकर चल रही है। यह क्षमता वर्तमान में नौ गीगावाट की है। उन्होंने कहा कि कंपनी का लक्ष्य वितरण कारोबार के विस्तार के जरिये पांच करोड़ उपभोक्ताओं को जोड़ने का है, जिनकी मौजूदा संख्या 1.25 करोड़ से अधिक है।
एडीबी ने भारत के जीडपी ग्रोथ रेट का अनुमान 7 प्रतिशत पर
18 Jul, 2024 12:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ रेट का अनुमान वित्त वर्ष 2025 के लिए 7 प्रतिशत पर स्थिर रखा। बैंक ने यह निर्णय औद्योगिक क्षेत्र में मजबूत वृद्धि और आवास निर्माण में बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए लिया। एडीबी ने कहा, केंद्र सरकार की मजबूत वित्तीय स्थिति से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है। लेकिन, मौसम में बदलाव और भू-राजनीतिक झटकों से उत्पन्न जोखिमों को भी ध्यान में रखना होगा। एडीबी के जुलाई आउटलुक में कहा गया है कि सामान्य से बेहतर मानसून की भविष्यवाणी के साथ भारत का कृषि क्षेत्र फिर से मजबूत हो सकता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा। एडीबी ने कहा, बैंक क्रेडिट मजबूत आवास मांग और निजी निवेश की मांग को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि, एक्सपोर्ट ग्रोथ सेवाओं द्वारा नेतृत्व करेगी, जबकि वस्त्र निर्यात अपेक्षाकृत कमजोर वृद्धि दिखाएंगे। वित्त वर्ष 2026 के लिए, एडीबी ने अपने अप्रैल आउटलुक में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 7.2 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। नेशनल स्टैटिकल ऑफिस के अनंतिम अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो वित्त वर्ष 2023 में दर्ज 7 प्रतिशत से अधिक है। इस बढ़ोतरी का श्रेय चौथी तिमाही में अपेक्षा से अधिक 7.8 प्रतिशत विस्तार को जाता है।
सेबी ला रहा नया प्रोडक्ट, निवेश के लिए लगाने होंगे 10 लाख, जोखिम भी होगा
17 Jul, 2024 07:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों को एक नए तरह का विकल्प लाने का प्रस्ताव दिया है, जो बाजार में जोखिम उठाकर ज्यादा से ज्यादा कमाई कर सकते हैं। अभी पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं (पीएमएस) या वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) बहुत महंगे हैं। अभी सेबी ने इस नए प्रोडक्ट को नाम नहीं दिया है और इसमें निवेश के लिए कम से कम 10 लाख रुपए लगाने होंगे। यह सीमा पीएमएस (50 लाख) और एआईएफ (एक करोड़ रुपए) से काफी कम है। वहीं, म्यूचुअल फंड में तो सिर्फ 100 रुपए से भी निवेश शुरू किया जा सकता है।
सेबी का कहना है कि वह नए तरह का निवेश का तरीका लाना चाहता है। इसमें ज्यादा पैसा लगाना होगा और ज्यादा रिस्क भी उठाना होगा। ये इसलिए ताकि लोग जोखिम वाले गलत निवेश ना करें। नया तरीका ना तो म्यूचुअल फंड जैसा होगा ना ही प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट जैसा, बल्कि दोनों के बीच का रास्ता होगा। सेबी को लगता है कि अभी तक ऐसा कोई निवेश का तरीका नहीं है जिसमे थोड़ा ज्यादा रिस्क लेकर ज्यादा कमाई की जा सके।
इसी का फायदा उठाकर गलत लोग ज्यादा मुनाफे का झांसा देकर लोगों को ठगते हैं। इसलिए सेबी नया निवेश ला रहा है। ये तरीका म्यूचुअल फंड जैसा होगा लेकिन थोड़ा ज्यादा जोखिम वाला। इसमें शेयर बाजार के कुछ ऐसे तरीकों का इस्तेमाल भी किया जाएगा जो आम तौर पर म्यूचुअल फंड में इस्तेमाल नहीं होते हैं। जैसे म्यूचुअल फंड सिर्फ शेयरों को गिरने से बचाने के लिए ही एक अलग तरह का दांव लगा सकते हैं। वहीं, नया तरीका सीधे शेयरों के ऊपर या नीचे जाने का दांव लगाने की इजाजत देगा। इससे ज्यादा फायदा हो सकता है, लेकिन ज्यादा नुकसान का भी रिस्क है। इसी तरह, नए तरीके में सरकारी बॉन्ड या रीट और इनविट में निवेश की सीमाएं थोड़ी ढीली होंगी, मतलब आप इनमें थोड़ा ज्यादा पैसा लगा सकेंगे।
सेबी इस नए निवेश तरीके को म्यूचुअल फंड और बाकी निवेश विकल्पों से अलग दिखाना चाहता है ताकि लोग इसे गलत नहीं समझें। इस नए तरीके का एक अलग नाम होगा ताकि ये साफ हो कि ये ना तो म्यूचुअल फंड है और ना ही प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट, एआईएफ, रीट या इनविट जैसा कोई दूसरा मौजूदा निवेश है। सेबी ने बताया है कि कौन सी कंपनियां इस नए निवेश तरीके की पेशकश कर सकती हैं। इसके लिए सिर्फ वही कंपनियां योग्य होंगी जो कम से कम तीन साल से बाजार में मौजूद हैं और जिनके पास 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है। अगर कोई कंपनी इन शर्तों को पूरा नहीं करती तो भी वह कुछ और शर्तें पूरी करके आवेदन कर सकती है। इसके लिए उस कंपनी को मुख्य निवेश अधिकारी को नियुक्त करना होगा जिसके पास कम से कम 10 साल का फंड मैनेजमेंट का अनुभव हो और कम से कम 5,000 करोड़ रुपए की संपत्ति का प्रबंधन करने का अनुभव हो। साथ ही उन्हें नए निवेश तरीके के लिए एक और फंड मैनेजर की नियुक्ति भी करनी होगी जिसके पास कम से कम साल साल का फंड मैनेजमेंट का अनुभव हो और कम से कम 3,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का प्रबंधन करने का अनुभव हो। सेबी ने इस नए निवेश के बारे में लोगों से छह अगस्त तक सुझाव मांगे हैं।
दालों की कीमतों में आई गिरावट, रिटेल बाजार में नहीं घटे दाम, लोग परेशान
17 Jul, 2024 06:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। कई महीनों के बाद अब अरहर या तुअर और उड़द की दाल की थोक कीमतें घटी हैं। सरकार ने बताया कि इन दालों की कीमतों में करीब चार फीसदी की कमी आई है। इसके साथ ही उम्मीद थी कि अब खुदरा बाजार में भी कीमतें कम होंगी लेकिन, रिटेल बाजार में इन दालों की कीमत घटने के बजाय बढ़ गईं हैं। इसके बाद केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने देश के रिटेलरों के साथ बैठक की।
सरकार ने रिटेलरों को चेतावनी दी है कि थोक बाजार के अनुरूप ही खुदरा बाजार में भी कीमतें कम हो। बीते दिन सरकार ने रिलायंस रिटेल, डी मार्ट, टाटा स्टोर्स, स्पेंसर्स, आरएसपीजी, वी मार्ट जैसे बड़े रिटेलर्स के साथ बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने रिटेलर्स को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर दालों की कीमतें कम नहीं हुईं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पिछले कुछ दिनों से थोक मंडियों में तुअर, चना और उड़द जैसी दालों की कीमतों में मामूली गिरावट आई है लेकिन, रिटेल बाजार में कीमत कम नहीं हुई है। उपभोक्ता मामलों के विभाग के मुताबिक पिछले एक महीने में प्रमुख मंडियों में चना, तुअर और उड़द की कीमतों में 4फीसदी तक की गिरावट आई है, लेकिन खुदरा कीमतों में समान गिरावट नहीं देखी गई है।
रिटेलर्स के साथ बैठक में सरकान ने कहा कि अगर स्टॉक सीमा का उल्लंघन, जमाखोरी और मुनाफाखोरी करते हुए पाए गए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मतलब अब सरकार की इन कमोडिटी पर कड़ी नजर रहेगी। साथ ही जमाखोरी के नियमों का भी कड़ाई से पालन किया जाएगा। कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक दलहन का रकबा बढ़कर 62.32 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले साल यह 49.50 लाख हेक्टेयर था। दलहन में तुअर की खेती 9.66 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 28.14 लाख हेक्टेयर हो गई है। रिटेल उद्योग से दालों की कीमतों को उपभोक्ताओं के लिए किफायती रखने के सरकार के प्रयासों में हर संभव मदद करने को कहा है।
फॉर्म-16 के बिना भी भर सकते हैं आईटीआर रिटर्न
17 Jul, 2024 03:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । फॉर्म 16 वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए अपना वार्षिक आईटीआर दाखिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। हालांकि, वेतनभोगी कर्मचारी फॉर्म-16 के बिना भी अपना इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल किया जा सकता है। इनकम टैक्स कानून के मुताबिक ये अनिवार्य दस्तावेज नहीं है। अगर आपके पास फॉर्म-16 नहीं है, तब भी आप अपना आईटीआर भर सकते हैं। अगर आपका एम्प्लॉयर फॉर्म-16 नहीं जारी करता है, तब भी आप इनकम टैक्स विभाग की साइट से फॉर्म-26एएस, एआईएस या टीआईएस सर्टिफिकेट निकालकर अपना टैक्स कैलकुलेशन कर सकते हें। अगर आप फॉर्म-16 के बिना ही अपना आईटीआर फाइल करना चाहते हैं, तब आपको कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। सैलरी स्लिप्स, बैंक का स्टेटमेंट, बैंक से एक टीडीएस सर्टिफिकेट, हाउस रेंट और एलटीए का प्रूफ, इंवेस्टमेंट का प्रूफ और फॉर्म-26एएस या एआईएस या टीआईएस। जिस तरह फॉर्म-16 में आपकी टैक्सेबल इनकम की डिटेल होती है। उसी तरह आपको अपनी टैक्सेबल इनकम कैलकुलेट करनी है। इसे आप मैनुअल या कई ऑनलाइन टूल की मदद से कैलकुलेट करते हैं। इनकम टैक्स की साइट से फार्म-26एएस या एआईएस डाउनलोड करने पर आपको आपकी टीडीएस की डिटेल मिल जाएगी। अगर वो कटा होगा, तो आप उसे काउंट कर सकते हैं। आप अपने 80सी, 80डी और अन्य इंवेस्टमेंट को कैलकुलेट करके, उसे टोटल इनकम में से घटाकर अपनी टैक्सेबल इनकम निकाल सकते हैं। अगर आपने किसी अन्य सोर्स से इनकम की है, तो उसे भी कैलकुलेट कर सकते हैं। जब आपकी टैक्सेबल इनकम कैलकुलेट हो जाए, तब आप सामान्य आईटीआर की तरह अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं।
स्मार्टवर्ल्ड डेवलपर्स ने अहलूवालिया को दिया 581 करोड़ का ठेका
17 Jul, 2024 02:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । रियल एस्टेट कंपनी स्मार्टवर्ल्ड डेवलपर्स ने गुरुग्राम में अपनी लक्जरी आवासीय परियोजना के लिए अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स को 581 करोड़ रुपये का ठेका दिया है। कंपनी ने मंगलवार को कहा कि परियोजना स्मार्टवर्ल्ड द एडिशन गुरुग्राम के सेक्टर 66 में गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड पर स्थित है। इसके साथ कंपनी लक्जरी आवासीय खंड में प्रवेश कर रही है। इस परियोजना से 6,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है। गुरुग्राम स्थित स्मार्टवर्ल्ड डेवलपर्स की स्थापना 2021 में की गई थी। बयान के अनुसार 30 लाख वर्ग फुट के बिक्री योग्य क्षेत्र और 10 एकड़ में फैली इस परियोजना में करीब 900 अपार्टमेंट होंगे। स्मार्टवर्ल्ड डेवलपर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कई बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के बेहतरीन रिकॉर्ड के साथ अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स (इंडिया) ने निर्माण उद्योग में एक मिसाल कायम की है। हमें विश्वास है कि उनकी विशेषज्ञता और गुणवत्ता को लेकर प्रतिबद्धता इस परियोजना की सफलता सुनिश्चित करेगी। कंपनी गुरुग्राम में कई परियोजनाओं पर काम कर रही है।
एमएसपी नहीं बढ़ने से चीनी उद्योग परेशान : संघ अधिकारी
17 Jul, 2024 01:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि देश में चीनी उद्योग समस्याओं का सामना कर रहा है, क्योंकि केंद्र ने पांच साल से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में कोई वृद्धि नहीं की है। अधिकारी कहा कि केंद्र सरकार के त्वरित निर्णय नहीं लेने से चीनी उद्योग में कार्यशील पूंजी में कम मुनाफा, कर्ज जैसी समस्याएं फिर से उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने गन्ने का एफआरपी तीन बार बढ़ाया है, लेकिन चीनी के एमएसपी में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। सभी राज्य महासंघ पांच साल से इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने सकारात्मक रूप से इस पर विचार नहीं किया। उन्होंने दावा किया कि ऐसी नीतियां चीनी उद्योग के लिए समस्या उत्पन्न कर रही हैं। हम सिर्फ चीनी उत्पादन की लागत की मांग कर रहे हैं। हम उत्पादन लागत के रूप में कम से कम 41 रुपये (प्रति किलोग्राम) चाहते हैं। गन्ने की लागत बढ़ गई है, परिवहन लागत बढ़ गई है और मजदूरी शुल्क भी बढ़ा दिया गया है, लेकिन चीनी की कीमत वही है।
टेलीकॉम कंपनियों पर ट्राई की मेहरबानी
17 Jul, 2024 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । हाल ही में देश के 362 जिलों में लोकल सर्किल का सर्वे किया गया है। पिछले 12 महीना में मोबाइल यूजर्स की सबसे बड़ी परेशानी कॉल ड्रॉप होना, और मोबाइल नेटवर्क के सिग्नल नहीं मिलना है। मार्च से जून के बीच में किए गए सर्वे में 10 में से नौ लोगों ने स्वीकार किया है। बार-बार कॉल ड्रॉप होते हैं। कॉल ड्रॉप की शिकायत 91 फ़ीसदी उपभोक्ताओं ने की है। मोबाइल नेटवर्क नहीं होने से इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या से भी उपभोक्ता जूझ रहे हैं।
कमजोर नेटवर्क के कारण कॉल ड्रॉप होने की शिकायत 41 फ़ीसदी लोगों ने की है। 30 सेकंड के अंदर ही कॉल ड्रॉप हो जाता है।
टेलीकॉम कंपनियां महीने के आधार पर शुल्क वसूल करती हैं। हाल ही में 10 से 25 फ़ीसदी तक शुल्क टेलीकॉम कंपनियों ने बढ़ाया है। टेलीकॉम कंपनियां आज भी उपभोक्ताओं को कॉल ड्रॉप की समस्या से निजात और मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं करा पाई हैं। इसके बाद भी उन्हें शुल्क बढ़ाने की अनुमति दी गई है। ज़ब मोबाइल कंपनियां मुनाफे में है। उपभोक्ताओं को ट्राई द्वारा निर्धारित सेवा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। उल्टे जजिया कर की तरह हर माह उपभोक्ताओं से शुल्क वसूल किया जा रहा है। ट्राई की स्थापना उपभोक्ताओं और टेलिकॉम कंपनियों के हितों में समन्वय बनाए रखने के लिए की गई थी। न्यायिक प्राधिकरण होते हुए इसका झुकाव टेलीकॉम कंपनियों की ओर होता है। जिसके कारण अब उपभोक्ताओं में टेलीकॉम कंपनियों के साथ-साथ ट्राई के प्रति भी नाराजी देखने को मिल रही है।
Railway Rule:अब हुई ये गलती तो अगले स्टेशन पर उतार देगा टीटी, भरना पड़ेगा मोटा लगान
16 Jul, 2024 03:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सफर को आसान और यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए रेलवे की ओर से नियमों में बदलाव होते रहे हैं। बीते कुछ समय से सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए, जिसमें रिजर्वेशन बोगी में वेटिंग टिकट के चलते भारी भीड़ हो जाती है। अब रेलवे ने इस पर सख्ती के लिए वेटिंग टिकट के नियम में बदलाव किया है।नए नियम के मुताबिक रिजर्वेशन कोच में सिर्फ कंफर्म रिजर्वेशन वाले यात्री ही सफर कर सकेंगे।
रेलवे ने बदला वेटिंग टिकट का नियम
भारतीय रेलवे ने इसके लिए वेटिंग टिकटों के नियम में बदलाव किया है। रेलवे की वेटिंग टिकटों से आप अब रिजर्वेशन बोगी या एसी कोच में सफर नहीं कर पाएंगे, चाहे वो ऑनलाइन बुकिंग से आपने टिकट ली हो या फिर टिकट काउंडर से। यानी वेटिंग टिकट भले ही वो आपने टिकट काउंटर से ही क्यों न ली हो, आप उस वेटिंग टिकट से आरक्षित कोच यानी रिजर्वेशन बोगी में बैठ नहीं सकेंगे।
रेलवे के नियम के मुताबिक अगर आप IRCTC से ऑनलाइन वेटिंग टिकट बुक करते हैं तो उससे आप आरक्षित कोच में सफर नहीं कर सकेंगे। टिकट कंफर्म नहीं होने पर अपने आप आपका पैसा वापस रिफंड हो जाएगा। अगर आपने काउंटर से वेटिंग टिकट लिया है तो पहले लोग रिजर्वेशन कोच में वेटिंग टिकट के साथ घुस जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। रेलवे टिकट काउंटर से खरीदे गए वेटिंग टिकट के साथ आप सिर्फ जनरल कोच में सफर कर सकेंगे। रिजर्वेशन या एसी कोच में सफर करने की छूट नहीं होगी।
अगर आप वेटिंग टिकट के साथ आरक्षित बोगियों में सफर करते हैं तो टीटीई आपको अगले स्टेशन पर उतार सकता है। इसके साथ ही आपको जुर्माना भरना होगा। वेटिंग टिकट पर सफर करने वाले यात्रियों को रिजर्वेशन कोच में एंट्री नहीं मिलेगी। अगर ऐसा करते हुए आप पकड़े जाते हैं तो आपको 440 रुपये तक का जुर्माना भरना होगा। वेटिंग टिकट के साथ अगर आरक्षित कोच में गए तो भारी भरकम जुर्माना भरना होगा। ऐसा करने पर पकड़े जाने पर शुरुआती स्टेशन से जहां तक यात्रा हो चुकी है वहां तक किराया और कम से कम 440 रुपये का जुर्माना आपसे वसूल सकता है।
तेल कंपनियों ने जारी किए पेट्रोल-डीजल के दाम
16 Jul, 2024 01:47 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
16 जुलाई के लिए सरकारी तेल कंपनियों ने फ्यूल के लेटेस्ट रेट्स जारी कर दिए हैं। लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक, आज भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। बता दें, जून 2017 से देश में रोजाना सुबह 6 बजे पेट्रोल-डीजल के रेट्स रिवाइज किए जाते हैं।
पेट्रोल- डीजल के ताजा रेट्स कैसे करें चेक
अपने शहर में पेट्रोल और डीजल के ताजा रेट्स आप फोन से एक एसएमएस के जरिए जान सकते हैं। फोन पर RSP पेट्रोल पंप का डीलर कोड एंटर कर 92249 92249 पर मैसेज भेज सकते हैं।उदाहरण के लिए नई दिल्ली के लिए RSP 102072 टेक्स्ट को एंटर पर बताए गए नंबर पर मैसेज सेंड कर सकते हैं। अपने शहर के पेट्रोल पंप के डीलर कोड को इंडियन ऑयल की वेबसाइट से चेक कर सकते हैं।
सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, इस राज्य मे बढ़ेगी 27.5 फीसदी सैलरी
16 Jul, 2024 01:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्र कर्मचारियों के लिए अभी सातवें वेतन आयोग लागू है। इसका मतलब है कि केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा 7वें वेतन आयोग के तहत होता है। हालांकि, केंद्र कर्मचारी आठवें वेतन आयोग को लागू करने की सिफारिश कर रहे हैं।अब कर्नाटक सरकार ने अपने राज्य कर्मचारियों को खुशखबरी दी। सरकार ने राज्य में सातवें वेतन आयोग लागू करने का फैसला लिया है। यह फैसला सोमवार को हुए मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया है।कर्नाटक में सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद कर्मचारियों की सैलरी में शानदार इजाफा होगा। जहां एक तरफ कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी होगी, लेकिन सरकारी खजाने पर भारी बोझ बढ़ेगा।
आज हो सकता है एलान
कर्नाटक मंत्रिमंडल की बैठक ने सोमवार को सातवें वेतन आयोग लागू करने का फैसला लिया है। 1 अगस्त 2024 से कर्नाटक में सातवें वेतन आयोग लागू हो जाएगा। सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद कर्मचारियों के वेतन में शानदार इजाफा हो जाएगा।कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आज वेतन वृद्धि का इजाफा कर सकते हैं। वेतन वृद्धि हो जाने से राज्य के 7 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा होगा।कर्नाटक के सरकारी कर्मचारी लंबे समय से 7वां वेतन आयोग लागू करने की सिफारिश कर रहे थे। 7वां वेतन आयोग लागू करने के लिए कर्नाटक राज्य सरकार कर्मचारी संघ ने अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की योजना भी बनाई थी। हड़ताल पर जाने की खबर के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है।
RBI:कर्ज न चुकाने वालों को डिफॉल्टर घोषित करने से पहले दें पर्याप्त समय
16 Jul, 2024 01:16 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक और कर्ज देने वाले संस्थानों से कहा है कि कर्ज लेकर नहीं चुकाने वालों के खातों को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले पर्याप्त समय दें। ऐसे खाताधारकों का पहले जवाब सुनें। साथ ही ग्राहकों को धोखाधड़ी की पूरी जानकारी के साथ कारण बताओ नोटिस भी जारी करना होगा।आरबीआई ने सोमवार को जारी सर्कुलर में कहा, डिफॉल्टर व्यक्तियों या संस्थाओं को कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए कम से कम 21 दिन का समय देना चाहिए।केंद्रीय बैंक के मौजूदा नियमों के संशोधन में पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को शामिल किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डिफॉल्टर को सुनवाई का अधिकार दिए बिना बैंक किसी खाते को एकतरफा धोखाधड़ी घोषित नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा था, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की मांग है कि उधारकर्ताओं को फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्ष को समझाने का अवसर देते हुए एक नोटिस देना चाहिए। उनके खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने से पहले बैंकों या वित्तीय संस्थानों के सामने खुद का प्रतिनिधित्व करने की मंजूरी दी जानी चाहिए।ऋणदाताओं की धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन नीति की समीक्षा बोर्ड की ओर से तीन साल में कम से कम एक बार की जाएगी। बैंकों को धोखाधड़ी के मामलों की निगरानी और कार्रवाई के लिए बोर्ड की एक विशेष समिति का गठन भी करना होगा। बैंकों को धोखाधड़ी के उपयुक्त संकेतकों की पहचान करके अपनी ईडब्ल्यूएस प्रणाली को मजबूत करने की भी जरूरत है।